देश में इन दिनों जिन्नाओं को पैदा करने के हालात बनाये जा रहें हैं। जिन्नाओं की खेती के लिए बेशक उर्वरक ज़मीन कांग्रेस ने गत ६७ सालों में खाद पानी डालकर तैयार की है।नतीज़न आज देश साफ़ साफ़ राष्ट्रद्रोही और राष्ट्रवादी तत्वों में बँट चुका है।एक तरफ परम्परा गत भारत धर्मी समाज के लोग हैं तो दूसरी ओर कट्टर मज़हबी और खुलेआम पाकिस्तान परस्त मार्क्सवाद के बौद्धिक टट्टू और गुलाम वंशी सोनिया मायनो के अबौद्धिक चाटुकार,चंद मानवाधिकार वादी ,चंद एनजीओज़ और न्यायिक दल्ले (उकील उर्फ़ वकील )हैं । न्यायपालिका का, देश के सर्वोच्च न्यायालय का खुला अपमान कर रहें हैं कुछ अबुआज़मी ,ओवैसी- नुमा लोग,दुर्मति दुर्मुखी दिक्पराज्य सिंह उर्फ़ भोपाली मदारी , कलाम के दोनों मर्तबा राष्ट्रपति बन ने में विरोध के स्वर मुखर करने वाले रक्तरंगी ,बौद्धिकगुलाम -लेफ्टिए तथा कुछ चैनल।
आजकल चैनलों पे मुठ्ठी बाँध कर बोलने वाली कुछ मोतरमाएं कुछ ऐसे बात कर रहीं हैं जैसे वे भारत तो क्या आतंकियों को फांसी के मुद्दे पर अमरीका को भी देख लेंगी।
सवाल ये है... सवाल .ये है .....जबकि सवाल एक ही है मेमन की फांसी का विरोध करने वालों की लिस्ट बनाई जाए और इनके घर से एक एक आदमी की शहादत ली जाए ,मल खाने का इतना ही शौक था इनको तो खुद चढ़ जाते मेमन की जगह फांसी पर।
आतंक का समर्थक आतंक के बीज़बोने वाला रक्तबीज है।
मत भूलों बौद्धिक भकुओं वो दहशदगर्द जिन्होनें बामयान की कलात्मक बौद्ध प्रतिमाओं को भी नहीं छोड़ा था वो जब आयेंगे तो उनके निशाने पे आप भी होंगें वो शक्ल देखकर वार नहीं करेंगे।
इन दिनों जो कुछ चंद चैनलिये प्रायोजित कर रहें हैं आग्रहमूलक सवाल पूछ रहे हैं याकूब की फांसी को लेकर वह सीधे- सीधे जनहित याचिका का मामला बनता है और वह 'जमालो' जो हुश हुश करके ४४ सांसदों से संसद में हंगामा करवाती है चुप है। वो जो प्रेसक्लब में जाकर संसद से पारित एक प्रस्ताव की कापी फाड़कर कहता है ये सब बकवास है ला -पता है।इन्हें बस एक ही चिंता है जमीन हड़पु जीजू को कैसे बचाया जाए देश जाए भाड़ में।
इसीलिए तो संसद में हंगामा ज़ारी है।
आजकल चैनलों पे मुठ्ठी बाँध कर बोलने वाली कुछ मोतरमाएं कुछ ऐसे बात कर रहीं हैं जैसे वे भारत तो क्या आतंकियों को फांसी के मुद्दे पर अमरीका को भी देख लेंगी।
सवाल ये है... सवाल .ये है .....जबकि सवाल एक ही है मेमन की फांसी का विरोध करने वालों की लिस्ट बनाई जाए और इनके घर से एक एक आदमी की शहादत ली जाए ,मल खाने का इतना ही शौक था इनको तो खुद चढ़ जाते मेमन की जगह फांसी पर।
आतंक का समर्थक आतंक के बीज़बोने वाला रक्तबीज है।
मत भूलों बौद्धिक भकुओं वो दहशदगर्द जिन्होनें बामयान की कलात्मक बौद्ध प्रतिमाओं को भी नहीं छोड़ा था वो जब आयेंगे तो उनके निशाने पे आप भी होंगें वो शक्ल देखकर वार नहीं करेंगे।
इन दिनों जो कुछ चंद चैनलिये प्रायोजित कर रहें हैं आग्रहमूलक सवाल पूछ रहे हैं याकूब की फांसी को लेकर वह सीधे- सीधे जनहित याचिका का मामला बनता है और वह 'जमालो' जो हुश हुश करके ४४ सांसदों से संसद में हंगामा करवाती है चुप है। वो जो प्रेसक्लब में जाकर संसद से पारित एक प्रस्ताव की कापी फाड़कर कहता है ये सब बकवास है ला -पता है।इन्हें बस एक ही चिंता है जमीन हड़पु जीजू को कैसे बचाया जाए देश जाए भाड़ में।
इसीलिए तो संसद में हंगामा ज़ारी है।
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