गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

जबकि घाटी। आज घाटी में उस भाषा का कोई नाम लेवा नहीं है। अरबी-फ़ारसी फ़ारसी के शब्दोंकी भरमार काश्मीरी भाषा को लील चुकी है। अलगाववादी ताकतें इसका विलय पाकिस्तान में करना चाहती आईं हैं इन्हें घियासुद्दीन गाज़ी उर्फ़ नेहरूज का आशीर्वाद प्राप्त है। का मुसलमान काश्मीरी पंडितों की ही औलाद है। काश्मीरी भाषा जिसकी लिपि शारदा लिपि संस्कृत से प्रभावित रही आई है धारा ३७० के तहत उसे अलग थलग करके उर्दू को घाटी में बिठाया गया। कवि कल्हण की राज -तरंगणी काश्मीरी भाषा की अप्रतिम कृति रही है

'कांग्रेस का दिमागी बुखार है धारा -३७०  'जिसे कश्मीरियत की हत्या करके नेहरूजी ने लागू किया। नेहरू काश्मीर को गृहमंत्रालय का हिस्स्सा न मानकर विदेश नीति का अंग मानते थे।  इस धारा के तहत मुजफ्फराबाद से आये पाकिस्तानियों को प्रॉपर्टी का हक़ दिया  जा सकता है लेकिन काश्मीर से निष्काषित पंडितों को उनका हक़ नहीं दिया जा सका। उलटे इस धारा का इस्तेमाल करते हुए उन्हें काश्मीर से ही निष्काषित कर दिया गया।

जबकि घाटी। आज घाटी में उस भाषा का कोई नाम लेवा नहीं है। अरबी-फ़ारसी फ़ारसी के शब्दोंकी भरमार काश्मीरी भाषा को लील चुकी है। अलगाववादी ताकतें इसका विलय पाकिस्तान में करना चाहती  आईं हैं इन्हें घियासुद्दीन गाज़ी उर्फ़ नेहरूज का आशीर्वाद प्राप्त है।   का मुसलमान काश्मीरी पंडितों की ही औलाद है। काश्मीरी भाषा जिसकी लिपि शारदा लिपि संस्कृत से प्रभावित रही आई है धारा ३७० के तहत उसे  अलग थलग करके उर्दू को घाटी में बिठाया गया। कवि कल्हण की राज -तरंगणी काश्मीरी भाषा की अप्रतिम कृति रही है.

एक समय काश्मीर की दीवारों पर लिखा गया था -पंडित यहां से चले जाएं अपनी पण्डिताइनों को यहीं छोड़ जाएं वे हमारे उपभोग के लिए हैं।

आज १३१ साला कांग्रेस न सिर्फ शरीर से ही जर्जर हो चुकी है दिमाग से भी दिमागी हो चुकी है ,बाइपोलर इलनेस से ग्रस्त है ,भ्रांत धारणाएं पाले हुए है ,दिमाग से खाली है। इसका अंत अब सन्निकट है। इसके प्रवक्ता चैनलों  पर आकर लगातार वमन करते रहते हैं सुनते कुछ नहीं हैं चर्चा का मतलब इन्हें मालूम ही नहीं हैं।  इनका मुख मलद्वार बन चुका है जिससे ये लगातार हगते रहते हैं। इन्हें न विषय की जानकारी होती है न इतिहास की। इनके आका नेहरू ये दिमागी बुखार  धारा ३७० बो गए। काश्मीर को उद्योग और तरक्की से तो दूर रहना ही था क्योंकि इसके तहत ये पुख्ता किया गया -शेष भारत से कोई यहां आकर ज़मीन न खरीद सके -उद्योग न लगा सके।

पूछो इन अक्ल के अंधों से क्या नाव चलाकर काश्मीरी अपना पेट भर सकते हैं। पर्यटन को आतंकवाद हड़प गया। संस्कृति को धारा ३७० ,भाषा को उर्दू बचा क्या ?कांग्रेसियों की जुबां तराशी।

कश्मीरियत की सबसे बड़ी बाजू काश्मीरी भाषा -जिसे  वह उर्दू निगल गई जो कभी पाकिस्तान की भी जुबान नहीं रही। जहां सिंध प्रदेश में सिंधी ,पंजाबी सूबे में पंजाबी बोली जाती है। बांग्लादेश में बांग्ला जो पाकिस्तान की धींगामुश्ती और आर्थिक शोषण के चलते पाक से अलग हुआ 
मतिमंद शहजादे को कभी घाटी के किसी गाँव में आकर भी रुकना चाहिए। भेजें अपनी अम्मा को भी वह देखें कैसा भदेस हो गया है पृथ्वी का यह स्वर्ग  जहां गरीबी के बे -शुमार टापू हैं। मेहरूमियत है ,प्रवंचनाएं हैं।

बतलाते चलें आपको काश्मीर के सबसे बड़े दुश्मन घाटी के मुसलमान ही हैं। एक हुर्रियत   की बात नहीं हैं जो इस्लाम और अरबी इस्लाम की बात करते हैं वह ही कश्मीरियत के सबसे बड़े दुश्मन हैं।

पूछा जा सकता है इस्लाम का कश्मीरियत से क्या ताल्लुक है। जबकि यहां मूलतया पंडितों का कुनबा ही इस्लाम की चादर में लिपटा हुआ अपने बाप दादाओं को ही बे -दखल करता आया है इस्लाम के नाम पर। 

बुधवार, 30 दिसंबर 2015

एक ही एजेंडा है इस दौर में केजरबवाल और मायनो कांग्रेस का मोदी को कोसना ,अपशब्द कहना। अपने इस अजंडे में उन्होंने नीतीश को भी शामिल कर लिया है। पानी सर के ऊपर से गुज़र चुका है।

मुख है या मलद्वार 

दिल्ली के मुख्यमंत्री लगातार जिस अ -संविधानिक भाषा का इस्तेमाल कर रहें हैं वह दिल्ली की जनता की लगातार दुनियाभर में शर्मिंदगी की वजह बन रही है। हाल फिलाल उन्होंने न सिर्फ कहा ,बारहा पूरी ढिठाई के साथ दोहराया भी  -मोदी मुझे काम नहीं करने दे रहें हैं। जम्मू- काश्मीर-लद्दाख   राज्य के ध्वज के मुद्दे पर उन्होंने अपने संविधानिक पद की मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए कहा -यदि प्रधान-मंत्री नपुंसक नहीं हैं तो ऐसा करके दिखाएँ ,वैसा करके दिखाएँ। 

अब यदि दिल्ली की जनता उनकी इसी और ऐसी ही  अमर्यादित अपभाषा के चलते किसी दिन उनके मुख पर कालिख भी पोत  दे तो भी वह अपना वही कालीखपुता चेहरा लिए बोलते रहेंगे -मेरा काल मुंह करने से क्या होगा -मैं ऐसे ही बोलता रहूँगा। 

मतलब वह इसी तरह मुख 
इस छोटे स्तर के आदमी को अपनी असली कदकाठी का इल्म ज़रूर हो जाएगा।से मलत्याग करते रहेंगे। 

एक ही एजेंडा है इस दौर में केजरबवाल और मायनो कांग्रेस का मोदी को कोसना ,अपशब्द कहना। अपने इस अजंडे में उन्होंने नीतीश को भी शामिल कर लिया है। पानी सर के ऊपर  से गुज़र चुका है। 

जो चैनल उन्हें  माइक्रोफोन थमाकर लगातार खबरों में बढ़त दिलाए हुए हैं इतनी गैरत तो उनमें भी होनी चाहिए -इनकी  बेहूदा भाषा से  कमसे कम  असहमति  तो ज़ारी कर दें।फटकार दें इन्हें एक मर्तबा। इससे इन चैनलों का कद कम नहीं हो जाएगा। 

संजय निरुपम जो काम शिवसेना में करते थे वही उन्होंने अब कांग्रेस में आकर कर दिया है। उन्होंने एक सचेतक का रोल प्ले किया है। उनका साफ़ सन्देश है इतिहास को मान लो गरिमापूर्ण तरीके से वगरना इतिहास बारहा आपको अपमानित करता रहेगा। शिव सेना ने एकाधिक बार कहा है :काश्मीर ,तिब्बत ,चीन की मौजूदा पेचीदगियां नेहरू कांग्रेस ने ही पैदा की थीं। अब संजय भले कहें -आइन्दा संपादक मंडल का ध्यान रखा जाएगा लेकिन 'कांग्रेस दर्शन 'के मार्फ़त वह अपना काम अंजाम दे चुके हैं। बेहतर हो कांग्रेस उल्लेखित इतिहास को मान ले।

संजय निरुपम जो काम शिवसेना में करते थे वही उन्होंने अब कांग्रेस में आकर कर दिया है। उन्होंने एक सचेतक का रोल प्ले किया है। उनका साफ़ सन्देश है इतिहास को मान लो गरिमापूर्ण तरीके से वगरना इतिहास बारहा आपको अपमानित करता रहेगा। शिव सेना ने एकाधिक बार कहा है :काश्मीर ,तिब्बत ,चीन की मौजूदा पेचीदगियां नेहरू कांग्रेस  ने ही पैदा की थीं।

अब संजय भले कहें -आइन्दा संपादक मंडल का ध्यान रखा जाएगा लेकिन 'कांग्रेस दर्शन 'के मार्फ़त वह अपना काम अंजाम दे चुके हैं। बेहतर हो कांग्रेस उल्लेखित इतिहास को मान ले।

जम्मू -काश्मीर -लद्दाख  राज्य का झंडा धारा ३७० का अखंड हिस्सा रहा है जब तक यह धारा है झंडा भी फहराया जाएगा। भले ये राष्ट्रीय ध्वज का अनुगामी बनके आये।

कांग्रेस  को यदि अपनी छवि सुधारनी है तो संजय निरुपम ने जो आकस्मिक मौक़ा दे दिया   उसका अपनी छवि सुधारने में चाहे   तो उपयोग कर सकती है।

बी जे पी को राज्य के झंडे के सन्दर्भ में कोसने के  बजाय धारा ३७० को समाप्त करने के लिए बी जे पी को उकसाए और उसे इस मुद्दे पर पूर्ण समर्थन देने का भरोसा दिलवाए।

लेकिन अगर उसका एजंडा केजर बवाल के साथ मिलकर केंद्र सरकार का वाजिब गैर वाजिब तरीके से हर मुद्दे पर विरोध करना ,विकास को निलंबित रख देश का विघटन करना  है और इस साजिश में नीतीश को भी  शरीक किये रहना है तो और बात है। 

मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

कौन से मुंह से और किस हैसियत से कोस रहें हैं कांग्रेसी आज बीजेपी को जो जम्मू -काश्मीर -लद्दाख क्षेत्र में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रही है जिसमें मुख्यमंत्री पीडीपी के हैं। जबकि बीजेपी के मंत्रियों ने अपनी कार पर राज्य का झंडा लगाने से साफ़ इंकार कर दिया था और मुफ़तिमोहम्मद सईद साहब को वह आदेश वापस लेना पड़ा था।एक जनहित याचिका के तहत हाईकोर्ट ने अब साफ़ किया है कि राज्य के झंडे का मामला धारा ३७० से अलहदा नहीं किया जा सकता उसी का हिस्सा है।

कौन से मुंह से और किस हैसियत से कोस रहें हैं कांग्रेसी आज बीजेपी को जो जम्मू -काश्मीर -लद्दाख क्षेत्र में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रही है जिसमें मुख्यमंत्री पीडीपी के हैं। जबकि बीजेपी के मंत्रियों ने अपनी कार पर राज्य का झंडा लगाने से साफ़ इंकार कर दिया था और मुफ़तिमोहम्मद सईद साहब को वह आदेश वापस लेना पड़ा था।एक जनहित याचिका के तहत हाईकोर्ट ने अब साफ़ किया है कि राज्य के झंडे का मामला धारा ३७० से अलहदा नहीं किया जा सकता उसी का हिस्सा है।  

मूल वजह इस सारे फसाद की धारा ३७० है। यदि कांग्रेसी इस देश को थोड़ा सा भी प्यार करते हैं और उनकी मंशा इस देश का विघटन नहीं है तो आइन्दा संसद को चलने दें और सरकार को भरोसा दें कि वह धारा ३७० को हटाये  जाने के पक्ष में हैं और यदि सरकार इस को हटाये जाने के पक्ष में विधेयक लाती है तो कांग्रेस इसका समर्थन करेगी। 
फिलवक्त अपना मुंह बंद रखें और दोगली बातें करके अपनी और नेहरूजी की जग -हंसाई न करवाएं। ज़रा सा भी इतिहास बोध नहीं हैं कांग्रेसियों में। पढ़लें उल्लेखित लिंक्स जिन्हें नीचे दिया गया है।अपनी अम्मा को और उनके मतिमंद पुत्र को भी समझा दें  सार- दिए हुए सेतुओं (लिंक्स )का। इति जयश्रीकृष्ण !  

The Jammu and Kashmir High Court has directed the government to hoist the state flag on all official buildings and vehicles of constitutional authorities.

The judgment is a setback to Mufti Mohammad Sayeed-led PDP-BJP government that had withdrawn a circular asking the constitutional authorities to respect the state flag and hoist it on their official cars. 

“(The) respondents (state government) and all constitutional authorities shall adhere to and abide by mandate and spirit of Section 144, Constitution of Jammu and Kashmir, J&K Prevention of Insult to State Honour Act 1979,” Justice Hasnain Masoodi directed while disposing a writ petition filed by a civilian Abdul Qayoom Khan. “Such adherence, obviously, is to include hoisting of state flag on the buildings housing offices of constitutional authorities and on vehicles used by such authorities.” 

Most BJP legislators in the state did not hoist the state flag on their official cars or offices.

In March this year, the J&K government had issued a circular saying all “constitutional authorities are enjoined upon to maintain the sanctity of the state flag, at all costs, as is being done in respect of the union flag”. The circular had directed that the state flag shall “always be hoisted jointly on the buildings housing constitutional institutions and shall be used on the official cars of constitutional authorities.” However, a day later, the government withdrew the circular apparently under pressure from the BJP.

In his judgment, Justice Masoodi has reiterated that Jammu and Kashmir enjoins a special position in India and that Article 370 is permanent and can’t be abrogated, repealed or amended. “The state flag is one of the attributes of constitutional autonomy or limited or residual sovereignty — by whatever names we call it — enjoined by the state of Jammu and Kashmir,” Justice Masoodi observed in his judgment. While the state government had argued that the circular calling for maintaining sanctity of the state flag was withdrawn because the “mandate or duty is clear and explicit in Section 144 of the State Constitution and that the concerned weren’t to be reminded of their duty to respect the state flag”, Justice Masoodi has termed it “far from convincing”. 

1952 Delhi Agreement - What were the promises and who ...


www.hindunet.org/hvk/articles/1010/71.html
1952 Delhi Agreement is a follow up to the article 370 inserted in the constitution of India. ... at that time, this became the trump card in the hands of Sheikh Abdullah. ...On July 24, 1952, Pt. Jawahar Lal Nehru announced in the Parliament, the ... that the settlement arrived at between us should be by-passed, repudiated.

Article 370 : A Constitutional History of Jammu and Kashmir ...

www.universitypressscholarship.com/.../search:downloadsearchresultaspd...
Items 1 - 9 of 9 - This collection of documents on Article 370 of the Constitution of India contains ... committee, and presents Nehru's letters to Sheikh Abdullah on 27 April ...Nehru's statement in the Lok Sabha on 24 July 1952 about the Delhi.

Article 370: 10 facts that you need to know : Highlights ...

indiatoday.intoday.in › Elections › Highlights
New Delhi, May 28, 2014 | UPDATED 10:37 IST ... Art 370 is the ONLY constitutional link between J&K & rest of India. ... In 1949, the then Prime Minister Jawaharlal Nehruhad directed Kashmiri leader Sheikh Abdullah to consult Ambedkar  ...

सोमवार, 28 दिसंबर 2015

'सबसे भले वह मूढ़ जिन्हें न व्यापे जगत गति '

कांग्रेस मुखपत्र :'कांग्रेस दर्शन ' -नेहरू -सोनिया मानमर्दन 

सुख दुःख समेकृत्वा ,लाभालाभौ जय अजयो। 

गीता के एक श्लोक का यही भाव है सुख दुःख लाभ हानि में समत्व (सम भाव)

एक उक्ति  है 'सबसे भले वह मूढ़ जिन्हें न व्यापे जगत गति  '

गीता  के उल्लेखित श्लोक और इस उक्ति के बीच कहाँ रुकी हुईं हैं सोनिया ?वही जाने। ऐसा भी हो सकता है ये अध्यात्म में इतना पहुंची हुई हैं कि अब इन्हें जगत गति व्याप्ति ही नहीं है। 

वर्ष पर वर्ष बीत रहे हैं -समय को अंगूंठा दिखाने वाली यह महीयसी अनुभव में वहीँ की वहीँ हैं जहां तब थी जब यह इस देश में ब्याह के आई थी।

 इस देश की भाषा और व्यवहार से इन्हें कोई मतलब नहीं रहा है। 



सोनिया से बेहतर तो वह पत्थर की मूर्ती है जो हर चीज़ को सहती हुई गर्मी सर्दी से कुछ नहीं कहती। इतिहास की दृष्टि से यह मल्लिका कुछ भी मानने को तैयार नहीं है।

मुख पत्र 'कांग्रेस दर्शन' ने इनके अनुभव हीन होने का मुद्दा उछाला है इनके कांग्रेस अध्यक्ष का पद पहली मर्तबा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण के ६२ दिन बाद हथिया लेने पर -ये तो आज भी वहीँ की वहीँ हैं। 

इन्हें और इनके शहजादे को तीन बातें आतीं हैं जिन्हें ये बारहा दोहरा देते हैं :

( १)ये नेहरू -गांधी परिवार को बदनाम करने की कोशिश है। 

( २) मैं किसी से नहीं डरती। 

(३)मैं एक इंच भी नहीं हटूंगा। 

राजनीति में रहते हुए मूढ़ बने रहना बड़ी साधना की बात है। 

इन्हें तो राजनीति का नोबेल प्राइज़ दिया जाना चाहिए। 

Congress humiliated as mouthpiece thrashes Nehru, Sonia Gandhi


As the Congress celebrates its 131st Foundation Day on Monday, an article published by the party’s Mumbai unit has caused a stir as it blames Jawaharlal Nehru for the state of affairs in Kashmir, China and Tibet.    

The article states that Nehru should have listened to freedom fighter and former home minister, Sardar Vallabhbhai Patel’s views on international affairs.

The article, which does not bear the name of the writer, has been published in this month’s issue of ‘Congress Darshan’ Hindi edition as a tribute piece to mark Patel’s death anniversary on December 15.
“Despite Patel getting the post of deputy prime minister and home minister, the relations between the two leaders remained strained, and both had threatened to resign time and again,” the article says. If Nehru had embraced Patel’s foresight, many problems in international affairs would not have arisen, it adds.

The article cites a letter that Patel reportedly wrote in 1950 to caution Nehru against China’s policy towards Tibet and where “Patel described China as unfaithful, and a future enemy of India.”
“Had Patel been heard (by Nehru) then, the problems of Kashmir, China, Tibet and Nepal wouldn’t have existed now. Patel opposed Nehru’s move of taking the Kashmir issue to the UNO,” stated the article, adding, “Nehru did not agree with Patel’s views on Nepal.”
Another article in the magazine criticises party chief Sonia Gandhi. While describing Sonia Gandhi's life, the article says that her father was a member of the fascist forces in Italy.

Jawaharlal Nehru botched Kashmir issue: Congress mouthpiece blooper -

On its 131st Foundation Day, Mumbai Congress in a stew over article that suggests India’s first PM should have taken Sardar Patel’s suggestions on Kashmir, China and Tibet seriously; mouthpiece editor Sanjay Nirupam stumped at anonymous article getting the nod . 

The Congress has put its foot in its mouth, and the timing could not have been worse. Just ahead of the party's 131st Foundation Day celebrations today, the Congress' Mumbai wing has shocked party loyalists with an exhaustive write-up in its mouthpiece blaming the party icon and India's first prime minister, Jawaharlal Nehru, for the state of affairs in Kashmir, China and Tibet. The article blatantly states that Nehru should have listened to freedom fighter and former home minister, Sardar Vallabhbhai Patel's views on international affairs. 

In the past, the party has rarely commented on the historic tussle between the two, but the December issue of 'Congress Darshan' (Hindi edition) does just that, in a tribute piece to mark Patel's death anniversary on December 15.
 - See more at: http://www.mid-day.com/articles/sardar-vallabhbhai-patel-hailed-pandit-jawharlal-nehru-slammed-in-congress-mouthpieces-article/16810182#sthash.QEcFqSxL.dpuf
At a conference on the partition of India in June 1947, are (from left) President of the Indian National Congress Acharya J B Kripalani, Sardar Vallabhbhai Patel, Advisor to the Viceroy Sir Eric Melville, Pandit Jawaharlal Nehru and Lord Mountbatten. Pic/Getty Images
At a conference on the partition of India in June 1947, are (from left) President of the Indian National Congress Acharya J B Kripalani, Sardar Vallabhbhai Patel, Advisor to the Viceroy Sir Eric Melville, Pandit Jawaharlal Nehru and Lord Mountbatten. Pic/Getty Images - See more at: http://www.mid-day.com/articles/sardar-vallabhbhai-patel-hailed-pandit-jawharlal-nehru-slammed-in-congress-mouthpieces-article/16810182#sthash.QEcFqSxL.dpuf


'Nehru to be blamed for Kashmir issue and Sonia's dad was a fascist soldier': Clanger by Congress mouthpiece stuns leaders

शनिवार, 26 दिसंबर 2015

कांग्रेस बन गई है पंचक -डॉ. वागीश मेहता (गुडगाँव )

कांग्रेस बन गई है पंचक -डॉ. वागीश मेहता (गुडगाँव )

कांग्रेस का यह पंचक दोष ,

काम  नहीं करने देती ,

लोकसभा हो या राज्यसभा ,

बार बार हल्ला करती। 

नोट :कृपया इस लम्बी कविता के मुखड़े से ही आज काम चलाइये -पूरी कविता कल पढ़ियेगा। रचनाधीन इस कविता का बीजारोपण हो चुका है ,समय पूर्व प्रसव ठीक नहीं हैं। प्रसव की अपनी पीड़ा और आनंद है।  

हाफ़िज़ और कांग्रेस का रिश्ता -डॉ. वागीश मेहता (गुडगाँव )

हाफ़िज़ और कांग्रेस का रिश्ता -डॉ. वागीश मेहता (गुडगाँव )

काबुल में कर उद्घाटन ,मोदी का लाहौर में आना ,

कूटनीति के नए पाठ से ,यह पाकिस्तान को समझाना ,

काबुल से भारत के रिश्ते को ,पाक अगर स्वीकार करे ,

तो कहीं कोई टकराव नहीं है  ,संबंधों में ठहराव नहीं है। 

मिलकर सारी बातें होंगी ,कहीं कोई भटकाव नहीं है। 

नोट :इस लम्बी कविता को कल पढ़ियेगा  विस्तार से। 

वीरुभाई !

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

नरेंद्र दामोदर मोदी ने राजनय को पारिवारिक आयाम दिए हैं अपनी जान की भी परवाह न करते हुए वे नवाज़ शरीफ के सुरक्षा प्रबंध पर अपना पूरा भरोसा बनाये रहे।

कम अक्ल कांग्रेस हर मुद्दे पर मूर्खता पूर्ण टिप्पणी देकर देश की बदनामी करवा रही है। विदेशी सोचते होंगें भारत में इतनी मूढ़मति  लोग रहते हैं। इससे बेहतर है कांग्रेसी प्रवक्ता और नीतीश के तोते जो न  शक्ल से सुन्दर हैं न अक्ल से विषय की जानकारी न होने पर चुप रहा करें।

दस साल तक जिस कांग्रेस ने प्रधानमन्त्री के नाम पर एक पुतले को खड़ा रखा जिसे देश नीति का ही इल्म नहीं था। वह  कांग्रेस विदेश नीति पर टिप्पणी देकर अपनी जग हंसाई करवा रही है। क्या कांग्रेस एक लाइन  में ही दौड़ने  को विदेश नीति  मानती है। या विदेश नीति में प्रत्युत्पन्नमति जन्य तात्कालिकता भी होती है ?कुछ मोड़ भी होते हैं ?

आउट आफ बॉक्स थिंकिंग भी होती है ?

आखिर वह कांग्रेस जो मायनो के लिखकर पढ़े गए भाषण को दोहराने के अलावा कुछ नहीं जानती क्यों एक के बाद दूसरी मूर्खता करने पर उतारू है ?

जिनके चेहरे से जूता भी शर्माने लगा है वह आनंद शर्मा अपनी सोच का दिवालियापन जाहिर करते हुए प्रधानमन्त्री के आशु -पाकिस्तान- हाल्ट पर कहते हैं :यह दौरा एक उद्योगपति के इशारे पे किया गया ताकि उनके उद्योगिक हितों को साधा जा सके। जब पत्रकार ने इन महाशय से उस उद्योगपति का नाम पूछा तो ज़नाब बगलें झाँकने लगे। ऐंठने लगे शेष चार उच्चक्के चालीस चोरों की तरह।  महाशय ने प्रश्नकर्ता पत्रकार के हाथ से माइक छीनकर खाने की कोशिश भी की।

जिसका चेहरा जूते खा खा के घिस चुका है ऐसे चेहरे वाले नीतीश के एक तोते बोले -मोदी दाऊद के जन्म दिन का केक खाने गए थे। कैसे भारतीय हैं ये चाकर नुमा प्रवक्ता जिन्हें न अपनी उम्र का लिहाज़ है न देश का। इनसे तो बेहतर वे पाकिस्तानी प्रवक्ता थे जो बड़े सलीके से सब कुछ प्रस्तुत कर रहे थे -संयत प्रतिक्रिया के तहत।
 लालू के एक  प्रवक्ता है पवन वर्मा -ये भी कम आला नहीं हैं। मीडिया के भी बिकाऊ होने की हद होती है इन्हें ये छटे हुए मूर्खशिरोमणि ही हर विषय पर प्रतिक्रिया के लिए नज़र आते हैं।

नरेंद्र दामोदर मोदी एक गत्यात्मक (Dynamic ) प्रधानमंत्री  हैं जो नवाज़ शरीफ की सहृदयता को भांप गए और उनके घर पहुँच गए उन्हें मुबारक बाद देने-बस शरीफ साहब ने इतना ही कहा था आप फोन पर क्यों पाकिस्तान आकर बधाई दीजिये हम आपका स्वागत करेंगे। आप अफगानिस्तान में हैं हमारे घर से ही तो गुज़रेंगे।बिना मिले चले जाएंगे।

और राजनय एक पारिवारिक चेहरा बनके मुखर होने लगा।

 पाकिस्तान के विपक्ष ने मोदी का ज़ोरदार स्वागत किया है । भारत के विपक्ष में बेहद की बे -चैनी दिखलाई दी है मोदी के इस बेहतरीन स्ट्रोक पर, जो राजनय के नए आयाम खोलता है। लेकिन अक्ल से पैदल कांग्रेस को हेराल्ड के दागों  के अलावा कुछ नज़र नहीं आता। आश्चर्य है :जमानती शहजादा इस मौके पर नदारद था।

नरेंद्र मोदी के अफगानिस्तान  से लौटते हुए पाकिस्तान का आकस्मिक आशु दौरा यह प्रमाणित करता है कि उन्होंने साफ़ कर दिया -अफगानिस्तान से  हमारे सम्बन्ध यही रहेंगे। आपने हमें  सुना है अफगानिस्तान में तक़रीर करते हुए।

नरेंद्र दामोदर मोदी ने राजनय को पारिवारिक आयाम दिए हैं अपनी जान की भी परवाह न करते हुए वे नवाज़ शरीफ के सुरक्षा प्रबंध पर अपना पूरा भरोसा बनाये रहे।

लकड़ी जल कोयला भई , कोयला जल भई राख , मैं बैरन ऐसी जली , कोयला भई न राख।

लकड़ी जल कोयला भई ,

कोयला जल भई राख ,

मैं बैरन ऐसी जली ,

कोयला भई न राख।

उक्त पंक्तियाँ भारत के आज के विपक्ष पर खरी उतरती हैं। अभी प्रधानमन्त्री नरेंद्र दामोदर मोदी पाकिस्तान पहुंचे भी नहीं हैं कि बहुत ही छोटे स्तर के केसीत्यागी फर्मातें हैं -मोदी दाऊद का केक खाने  गएँ हैं।

जमानती माँ का जमानती शहजादा बाजू बिना चढ़ाये गला फाड़ेगा पूरा मुंह खोल के बोलेगा -मोदीजी ने हमें नहीं बताया कि वे अफगानिस्तान से लौटते हुए लाहौर जाएंगे। बता देते तो क्या तुम वापसी में फूलमालाएं लिए इंदिरागांधी अंतर -राष्ट्रीय हवाई अड्डे पे पहुँच जाते। शहजादे आपका याद किया एक सबक कमसे कम छः माह तक चलता है। कहीं इस मौके पर ये मत कहदेना प्रधानमन्त्री किसानों की मुस्कान छीन रहें हैं।

मुस्कान तो बेटे मार्च २०१६ तक तुम्हारी भी छिन जाएगी जब हेराल्ड के दाग तुम्हारे सारे बदन को घेर लेंगे समेत तुम्हारी अम्मा के।

बब्बर शेर   सीधे ही पड़ोसी शेर की माँद में घुस जाता है। रिश्ते रूस ,अमरीका औस्ट्रेलिया ,जापान ,आदि से ही नहीं पड़ोसी अफगानिस्तान ,पाकिस्तान से भी बेहतर बनाएगा भारत का ये कर्मयोगी।

विपक्ष के लिए एक गीत प्रस्तुत है :किस्मत हमारे साथ है ,और जलने वाले जला करें

https://www.youtube.com/watch?v=UKe6N-V8Zko

Kismat hamare sath hai jalne wale jala kare


Kismat hamare sath hai jalne wale jala kare

  • 4 years ago
  • 6,510 views
RAFI SAAB &CHITALKAR MOVIE(KHIDKI -1948)

रविवार, 20 दिसंबर 2015

अभी तो कोयलों में काग बहुत बाकी हैं - एक ही लालमोती क़ानून की जद में आये हैं - अभी कुछ और करो - रफ्ता -रफ्ता मायनो गिरोह के दूसरे शातिर भी लपेटे में आयेंगे। हेराल्ड के दाग -अरे ये तो बिस्मिल्लाह है।

बर्बाद चमन को करने को ,बस एक ही वाड्रा काफी था ,

हर शाख पे वाड्रा बैठा है ,अंजामे मायनो क्या होगा।

मार्च के पहले पखवाड़े में पूर्ण खग्रास (Total solar eclipse )का संयोग है ये मायनो -मतिमंद - वाड्रा वर्णसंकर कुनबा जिस राह पे चल पड़ा है ,अपने भ्रष्ट होने को अपनी शहादत की तरह पेश कर रहा है ,मार्च २०१६ के आते आते जेल में होगा।

इस गिरोह के दूसरे सदस्य जिन -जिन पर वाड्रा की मेहरबानियाँ हुईं हैं मसलन हरयाणा के पूर्वमुख्यमंत्री हुड्डा क़ानून की पकड़ में आने लगे हैं। बेचारे हुड्डा ,बंसीलाल की तरह शातिर नहीं थे जिन्होनें संजय गांधी का खूब इस्तेमाल किया और साफ़ बचे रहे। हुड्डा का इस्तेमाल करके वाड्रा पतली गली से निकल गया। अब क़ानून की जद  में है इसीलिए गिरोह की गोलबंदी में मुखरित है। अग्नि बुझने से पहले भड़कती भभकती है।

 अभी तो कोयलों में काग बहुत बाकी हैं -

एक ही लालमोती क़ानून की जद  में आये हैं -

अभी कुछ और करो -

रफ्ता -रफ्ता मायनो गिरोह के दूसरे शातिर भी लपेटे में आयेंगे।

हेराल्ड के दाग -अरे ये तो बिस्मिल्लाह है। 

शनिवार, 19 दिसंबर 2015

नहीं पुरुस्कृत हुए कोर्ट से , लेके जमानत आये , लौट के बुद्धू घर को आये

नहीं पुरुस्कृत हुए कोर्ट से ,

लेके जमानत आये ,

लौट के बुद्धू घर को आये। 

पीछे पीछे बुद्धू की माँ भी आ गई। 

चंद बातें हेराल्ड दाग के बारे में गौरतलब हैं :

आर्थिक अपराध (भ्रष्टाचार )किया इसीलिए ज़मानत मिली। वह भी मुचलके पर पर्सनल बांड पर नहीं। कोर्ट ने  माना आप आर्थिक  अपराधी हैं इसीलिए बैठने नहीं दिया। खड़ा रखा गया मुज़रिमों को बेशक उम्र और सेहत का लिहाज़ रखते हुए मोतीलाल वोहरा साहब को बैठने की इज़ाज़त दे दी गई। कहना पड़ा  मुज़रिमों को अपनी जुबान से -हम बिना कोर्ट की इज़ाज़त के देश  छोड़कर नहीं जायेंगे।

इतना इतरा क्यों रहें हैं फिर ये कांग्रेसी। ज़मानत पर जश्न मना रहें हैं ये दगेल कांग्रेसी। सारी हेंकड़ी निकल गई मतिमंद की।मैं और मेरी अम्मा ज़मानत नहीं लेंगे। बेटा हवालात की हवा खाते। शुक्र मानो उन उकिलों का जिन्होनें तुम्हें सही सलाह दी और तुमने आत्मघाती ज़िद छोड़ दी।  लेकिन रस्सी जल गई बल अभी भी नहीं गए। 

अभी भी कह रहे हैं मोदी के आरोपों  से नहीं डरूंगा। डरी हुई तो आपकी अम्मा भी थीं इसीलिए तनाव के हटते  ही ,ज़मानत मिलते ही चेहरे का वोल्टेज बढ़ गया।  महीनों से लोडशेडिंग चल रही थी। 

नहीं हटूंगी रास्ते से ?किसके  रास्ते से अम्मा आप नहीं हटेंगी ?किसका रास्ता रोके रहेंगी  आप  ?

इब्दताए इश्क है रोता है क्या आगे आगे देखिये होता है क्या ?

इनकी ये गुंडई अदालत के नोटिस में आएगी ,देश की नीरक्षीर विवेकी जनता तो सब देख समझ ही रही है

कांग्रेस की हरकतें नै  नहीं हैं जब भी इनका कोई नेता पहाड़ के नीचे आता है यह सड़कों पर गुंडई के लिए बिछ जाते हैं। 

नमस्कार की मुद्रा में जूते का कोना 

अगर कोई व्यंग्यकार  -

कांग्रेस की वर्तमान मन :स्थिति का चित्र बनाये तो नमस्कार की मुद्रा में जुड़े हुए हाथों से जूते का कोना झांकता दिखाई देगा। आशय यह होगा कि एक हाथ कहता दिखाई देगा हम अदालत का सम्मान करते  हैं और दूसरा यदि फैसला हमारे विपरीत जाता  है तो जूता हमारे हाथ में है ही।क़ानून को जूता दिखा रहें हैं शातिर कांग्रेसी ,ये बिलकुल साफ़ है।  

कांग्रेस की हरकतें नै  नहीं हैं जब भी इनका कोई नेता पहाड़ के नीचे आता है यह सड़कों पर गुंडई के लिए बिछ जाते हैं। 

एक हैं गुलाम नबी आज़ाद जो गुलाम भी हैं और आज़ाद भी। गुलाम ये मायनो के हैं और और आज़ाद अराजकता फैलाने   के लिए हैं।

एक खड़गे हैं जो ख़ूँन - खराबे की धमकी संसद में भी देने से बाज़ नहीं आते। ये सारे कांग्रेसी एक ही थैली  के चट्टे बट्टे हैं।

इनकी ये गुंडई अदालत के नोटिस में आएगी ,देश की नीरक्षीर विवेकी  जनता तो सब  देख समझ ही रही है।  

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

समझना होगा कैसे सीना ज़ोर हैं ये लोग चोरी और बरजोरी। भ्र्ष्टाचार को भी ग्लैमराइज कर रहें हैं ये लोग।

भ्रष्टाचार की बरात ,चलो हमारे साथ दूल्हा होगा घोड़ी पर ,दुल्हन माँ हथनी पर।

भ्रष्टाचार की बरात ,चलो हमारे साथ

दूल्हा होगा घोड़ी पर ,दुल्हन माँ हथनी पर।

भाव जगत में लाकर आपको कल्पना करनी होगी। बाहर आपको न घोड़ी दिखाई देगी न हथनी ,अलबत्ता सवार अपनी हेंकड़ी में ज़रूर दिखाई देंगे।

बरात मशहूर पीज़ा हाउस से चलके पटियाला कोर्ट तक जाएगी।

भवदीय तमाम भ्रष्टाचार पालक।

नारे तमाम रास्ता जो भी लगें उनकी आंतरिक ध्वनि यही होगी -भ्रष्टाचार पारित करो। ऊपर से सुनाई देगा -भ्रष्टाचार निवारण कांग्रेस। तानाशाही नहीं चलेगी। मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान का झंडा उठाकर बुलंद आवाज़ में कहेंगे - हमें लाओ ,संवाद बढ़ाओ।

दूल्हा गला फाड़ कर तमाम रास्ते चिल्लाएगा। भ्रष्टाचार  . मोदी ,तानाशाही ,तोड़ तोड़ कर बोलता नज़र आएगा वाक्यों को। आपको भावित होना होगा देश की आत्मा के साथ।समझना होगा इन अराजकतावादी कांग्रेसियों के असल इरादे को। न्यायपीठ पर सीधा हल्ला बोल धावा है यह। 

समझना होगा कैसे सीना  ज़ोर हैं ये लोग चोरी और बरजोरी। भ्र्ष्टाचार को भी ग्लैमराइज कर रहें हैं ये लोग। 

बुधवार, 16 दिसंबर 2015

देश के वर्तमान परिदृश्य पर पढ़िए डॉ.वागीश मेहता जी की कविता:हल्ला बोलें बिना प्रयोजन , न कोई लेंगे अल्प विराम , हाईकमान की ऐसी मंशा , हम तो ताबे हुकम गुलाम , वर्णसंकर है वंश हमारा , गूगल दर्ज़ सभी प्रमाण , कौन है गाज़ी ,कौन गंगाधर , क्योंकर डीएनए पहचान , कि कौरव दल का बढ़ेगा मान।


देश के वर्तमान परिदृश्य पर पढ़िए डॉ.वागीश मेहता जी की कविता



देश के वर्तमान परिदृश्य पर पढ़िए डॉ.वागीश मेहता जी की कविता। मतिमंद 

शहजादे का विरोध संसद में कौरव दल  द्वारा राष्ट्रके आहत मन की पहली 

प्रतिक्रिया है।

संसद  ठप्प करने का काम,

कैसा आसन ,कैसा प्रधान ,

जिन्होनें हमको चुनकर भेजा ,

दिया यही पैगाम ,

ऐसी तैसी सबकी करने ,

देश का जीना   करो    हराम ,

करते   हम  निष्काम भाव से ,

फिर क्यों मुफ्त हुए बदनाम ,

कि कौरव दल का बढ़ेगा मान।

               (२)

न डरते हम कभी किसी से ,

कि अपना खानदान बलवान ,

जिस मुखबिर को पाक में भेजा ,

था लाया यही फरमान ,

हो हल्ले में जान फूंक दो ,

कि कर  दो संसद को हलकान,

कैसा  लोक और  तंत्र है कैसा ,

भारत हो जाए बदनाम ,

कि कौरव दल का बढ़ेगा मान।

करे शहीदों का अपमान ,

यूं  पीढ़ी दर पीढ़ी उसके ,

पुरखे  करते थे ये काम ,

हो अँगरेज़ या मुगली  शासन ,

 शीश  झुकाए   खबरें देना ,

और करते फर्शी सदा सलाम ,

कि बढ़ेगा कौरव दल का मान।

                (४)

हल्ला बोलें बिना प्रयोजन ,

न कोई लेंगे अल्प विराम ,

हाईकमान की ऐसी मंशा ,

हम तो ताबे हुकम  गुलाम ,

वर्णसंकर है वंश हमारा ,

गूगल दर्ज़ सभी प्रमाण ,

कौन है गाज़ी ,कौन गंगाधर ,

क्योंकर  डीएनए पहचान  ,

कि कौरव दल  का बढ़ेगा मान। 

मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

अब तक हमारे अनंत कोटि जन्म हो चुके हैं। इन जन्मों के कुल कर्मों का जमा जोड़ हमारे संचित कर्म कहलाते हैं। इन संचित कर्मों का एक अंश लेकर हम पैदा होते हैं। यही अंश हमारा प्रारब्ध (कर्म )कहलाता है। प्रारब्ध कर्म भोग से कोई बच नहीं सकता। इसके अलावा इस जन्म में जो कर्म हम करते हैं वे हमारे क्रियमाण कर्म हैं। इनमे से कुछ के फल यहीं इसी जन्म में भुगत लेते हैं। शेष आगामी कर्म के रूप आगे के जन्मों में भुगतते हैं।

अब तक हमारे अनंत कोटि जन्म हो चुके हैं। इन जन्मों के  कुल कर्मों  का जमा जोड़  हमारे संचित कर्म कहलाते हैं। इन संचित कर्मों का एक अंश लेकर हम पैदा होते हैं। यही अंश हमारा प्रारब्ध (कर्म )कहलाता है। प्रारब्ध कर्म  भोग से  कोई बच नहीं सकता। इसके  अलावा इस जन्म में जो कर्म हम करते हैं वे हमारे  क्रियमाण कर्म हैं। इनमे से कुछ के  फल  यहीं इसी जन्म में भुगत लेते हैं। शेष आगामी कर्म  के रूप  आगे के जन्मों में भुगतते हैं।

मिस्टर केजर बवाल अपनी शेव बनाके साबुन दूसरों के मुंह पे फैंकते आये हैं। भ्रस्टाचार की गंगा उनके अपने सचिव के पास से निकल रही थी। जो उन्हें दिखलाई न दी। जब औरों ने देखा तो वे रस्सा लेके कूदने लगें हैं। मुंह फाड़ के मंदमति की तरह चिल्ला रहें हैं। कई सेकुलर इनकी हिमायत में निकल आये हैं। करतम सो। 

सोमवार, 14 दिसंबर 2015

शोर शोर में कितनी मस्ती ,तर्क नियम की क्या है हस्ती , मन मारे अब विदुर मौन हैं ,मौन पितामह द्रौण मौन हैं , शकुनि ने फेंके हैं पासे ,सबकी अटक गईं हैं साँसें।


'कभी सुदर्शन चक्र खिलेगा'

अब जबकि पुरूस्कार लौटाने वाले   लौटंकी   दिखलाकर बड़े खुश हैं , कौरव  द्रुपदसुता रुपी संसद  का चीरहरण करने पर आमादा हैं ,राष्ट्र ठगा सा महसूस करता है ,राष्ट्र के आहत मन को आश्वस्त करती है डॉ वागीश की यह रचना :   

'कभी सुदर्शन चक्र खिलेगा'

 -डॉ.वागीश मेहता ,१२१८ ,सेक्टर ४ ,अर्बन इस्टेट ,गुडगाँव ,हरियाणा  

 चार उचक्के चालीस चोर , घन घमंड गर्जन है घोर ,

किसी और की बात न सुनते ,आसंदी की तरफ लपकते. 

                                  (१)

खड़खड़ करता दुश्शासन  है ,बेबस द्रुपदसुता संसद है ,

एक इंच भी नहीं हटूंगा ,दुर्योधन का अड़ियलपन है ,

गांधारी मुस्काती मन मन ,धृतराष्ट्र है खूब मगन। 

                                 (२ )
शोर शोर में कितनी मस्ती ,तर्क नियम की क्या है हस्ती ,

मन मारे अब विदुर मौन हैं ,मौन पितामह द्रौण मौन हैं ,

शकुनि ने फेंके हैं  पासे ,सबकी अटक गईं  हैं साँसें। 

                               (३) 

   न्याय पीठ पर चोट  करन्ते ,लोकलाज और शील के हन्ते ,

राष्ट्र समूचा स्तब्ध मना है ,एक आस विश्वास घना है ,

कभी सुदर्शन चक्र चलेगा ,और शांति का कमल खिलेगा।  

रविवार, 13 दिसंबर 2015

लोमड़िया को माँ कहते वो कहने दो , झूठ नहीं वो कहते उनको कहने दो।

चार उचक्के चालीस चोर ,अम्मा इनकी सीना ज़ोर

 चार   उचक्के चालीस चोर ,अम्मा  इनकी सीना  ज़ोर

हुआँ हुआँ का मचा है शोर ,गीदड़ ,श्यार,लोमड़िया मोर।

लोमड़िया को माँ कहते वो कहने दो ,

झूठ नहीं वो कहते उनको कहने दो।

 धन के  हाथों गिरवीं हैं अपने सब क़ानून ,

निर्बल को  कांटे मिलें ,सबल कू मिलें प्रसून।

शनिवार, 12 दिसंबर 2015

मायनों जिद पे अड़ीं हैं -पहले वीके सिंह जी ,और वीरेंद्र सिंह (एमपी ,भाजपा )मुआफ़ी मांगें ,तब संसद चलने दी जाएगी। मायनो तुम अपने उस शिजोफ्रेनिक मणिशंकर अय्यर को बाँध के ले आओ जो सड़क पर चलते चलते बड़बड़ा रहा है -अरे ये सब मोदी की वजह से हो रहा है सब कुछ ,उन्हें हटाओ हमें लाओ


उनके मन की बात वह जाने मुझे उससे क्या लेना देना मेरा अलग एजंडा है। मायनो मोदी के 'मन की बात 'जानेगी भी कैसे क्योंकि वह तो सबके मन की बात है। मायनो तो शैतान के मन बात ही जानतीं हैं। बतलादें आपको चौरासी लाख योनियों में एक योनि मायनो भी हैं यह एक प्रजाति है। टाइप है इंसानी लिबास में।

चर्च की बड़ी ताकतों ,साम्राज्यवादी एवं जिहादी मानसिकता के लोगों ने किसी स्थान पर मीटिंग करके यह सोचसमझकर तय किया था कि सोनिया मायनो का  भारत के नेहरू परिवार पर इम्प्लांट (मढ़ा जाए ,मायनो  प्रत्यारोप )लगाया जाए ताकि भारत का सिलसिलेवार विघटन हो सके। मायनो ये काम बखूबी कर रही हैं।  जबकि जिस परिवार से ये आतीं हैं  उस समय वह केजीबी (रूस की खुफिया एजन्सी )की मुखबिरी कर रहा  था।सारे देश के पायलटों की छुट्टी रद्द करके उन्हें बुला लिया गया था और ये भारत के अकेले देशभक्त और होनहार पायलट के साथ साइकिल पे योरोप की सैर कर रहीं थीं। 

अभी तो सोनिया  कई और लोगों को भी देख लेने की बात कह रहीं हैं। एक ही  साध्वी अभी हवालात में है। हमारे अज़ीमतर प्रधानमंत्री  नरेंद्र दामोदर मोदी जी ने कहा -लोकतंत्र मनमत से नहीं लोकमत से चलता है। इस पर मायनो ने प्रतिवाद करते हुए कहा वह भले ऐसा कहा करें ,मैं तो शैतान  मन की बात ही करूंगी  .मनमानी ही करूंगी।

उनके मन की बात वह जाने मुझे उससे क्या लेना देना मेरा अलग एजंडा है। मायनो मोदी के 'मन की बात 'जानेगी भी कैसे क्योंकि वह तो सबके मन की बात है।  मायनो  तो शैतान के मन बात ही जानतीं हैं। बतलादें आपको चौरासी लाख योनियों में एक योनि मायनो भी हैं यह एक प्रजाति है। टाइप है इंसानी लिबास में।

मायनों जिद पे अड़ीं हैं -पहले वीके सिंह जी ,और वीरेंद्र सिंह (एमपी ,भाजपा )मुआफ़ी मांगें ,तब संसद चलने दी जाएगी। मायनो तुम अपने  उस शिजोफ्रेनिक मणिशंकर अय्यर को बाँध के ले आओ जो सड़क पर चलते चलते बड़बड़ा रहा है -अरे  ये सब मोदी की वजह से हो रहा है सब कुछ ,उन्हें हटाओ हमें  लाओ।

 सोनिया मायनो को सारे भारत की  माँ तथा नवाज़ शरीफ को मोदी से  बढ़िया प्रशासक  कहने वाले चाकर सलमान खुर्शीद को पकड़ के लाओ। संसद में लाकर नाक रगड़ वाओ -दोनों मनोरोगी (मैगालोमेनियाक )देश से मुआफ़ी मांगें फिर हमारे जनरल साहब भी ,किसान वीरेंद्र सिंह जी भी आपको और आपके मतिमंद अबुध कुमार को बाजरे और ज्वार ,धान और पालिश लगे चावल का फर्क समझा देंगे।ज्यादा चिलत्तर दिखलाने से बाज़ आओ मायनो। मकसद बतलाओ उन लोगों का क्या था, जिन्होनें तुम्हें भारत की उज्ज्वल काया पे थोप दिया।अभी तलाक सब कुछ अनुमेय ही बना हुआ है। खुदा खैर  करे। 

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

चार उचक्के चालीस चोर , चोर मचाते जाएं शोर , उचक्के नांच रहे हैं। मनाते हैपी वीक एंड

एक विदेशी जौंक चिपट गई भारत की काया से , भरमाया यह देश आज फिर इटली की माया से

एक विदेशी जौंक चिपट गई भारत की काया से ,

भरमाया यह देश आज फिर इटली की माया से।

चार उचक्के चालीस चोर   ,

चोर मचाते जाएं शोर ,

उचक्के नांच रहे हैं।

मनाते हैपी वीक एंड।

नेहरू से लेकर सोनिया मायनो तक कांग्रेस का यह स्टेंडर्ड प्रोसीजर   रहा है  :

(१) सस्ते दामों पर सरकारी संपत्ति हथियाना

(२) फिर उसका एक ट्रस्ट बना देना

(३)ट्रस्ट को फिर प्राइवेट लिमिटिड कम्पनी में बदल देना

(४) कम्पनी को फिर एक विदेशी जौंक के पास गिरवीं रख देना 

गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

मणिशंकर को देखा कल एक चैनल पर चलते चलते हाँफते हुए बोलते हुए -ये मोदी है। मोदी है ,मोदी है सारे फसाद की जड़। यकीन मानिए बाइपोलर इलनेस का मरीज़ मैनियॉक फेज़ में ऐसी ही हरकत करता है।

BJP MP
PHOTO: PTI

भाजपा ,एमपी, वीरेंद्र सिंह जी ने जो कहा है वह भारत धर्मी समाज की ही आवाज़ है। हमारे जज़्बातों को अभिव्यक्ति दी है। राहुल को क्या पता ज्वार ,बाजरा ,गेंहूँ ,मक्का ,धान क्या होता है कैसा होता है ,किस काम आता है। रवि और खरीफ की फसलों में क्या अंतर है कौन कौन सी हैं ये फसलें। तिलहन और दलहन में क्या फर्क है। और उनकी आम्मा मायनो तो और भी आला हैं। चातिस गर कहतीं हैं छत्तीसगढ़ को ,नर्मदा को नर -मादा कहतीं हैं। मदरसे के बालक जैसे उछल उछल कर पेंडुलम की तरह  हिलते हुए पाठ याद करते हैं वैसे ही दशकों बाद आज भी बोलतीं हैं। भारत की जुबान तक नहीं आती इन्हें क्या लगाव होगा इन को  इस देश से यहां की मिट्टी  और किसानी से।


कुर्सी छिनजाने की खिसियाहट विविध रूपों में फूट रही है , इनकी आँख में कंकरी  नहीं  मोदी   कंकरी की तरह गिरा हुआ है।अपना चायवाला मोदी ही गिर गया है इनकी आँख में पूरा का पूरा अपने सर्वांश में। बे -चारे कांग्रेसी।   

तनिक कंकरी परत ,नैन होत बे -चैन ,

उन नैनन की क्या दशा ,जिन नैनं में नैन। 

(उन नैनं की क्या दशा ,जिन नैनं में मोदी )

फूटी आँख नहीं   सुहाता इन्हें मोदिया प्रबंध। इसीलिए ये चार उचक्के चालीस चोर संसद को ही नहीं चलने दे रहे हैं। 


मणिशंकर को देखा कल एक चैनल पर चलते चलते हाँफते हुए बोलते हुए -ये मोदी है। मोदी है ,मोदी है सारे फसाद की  जड़। यकीन मानिए बाइपोलर इलनेस का मरीज़ मैनियॉक फेज़ में ऐसी ही हरकत करता है। 


  


BJP MP's derogatory comments about the Gandhis draw Congress ire


BJP MP Virendra Singh has invited ire from the Congress for allegedly making derogatory comments against Rahul Gandhi, Rajiv Gandhi, Indira Gandhi and Jawaharlal Nehru.

Speaker Sumitra Mahajan met with Congress MPs in the Lok Sabha after Singh's alleged remarks. The MPs, including KC Venugopal, Rajiv Satav and Sushmita Dev among others, were led by Jyotiraditya Scindia.

During the ongoing discussion on the drought, Singh commented that Rahul Gandhi and Jyotiraditya Scindia could not differentiate between bajra, jowar and wheat while they spoke about the anguish of the farmers.

"They have known farmers through books," he said. He added that the Congress only wants the 'fair skinned' to occupy the Prime Minister's office.

He also accused the Congress of a bias against the poor, adding that they had could not digest a once "poor" person was holding the post of the prime minister which, according to them, should be reserved only for the members of the Nehru-Gandhi dynasty.
"They are not able to digest the fact that a person from humble background has become the PM," he said.
In what was a jibe at Rahul Gandhi, he said it was the Congress which was dealing with "suitcases". This was meant as a veiled reference to the alleged scams by the party members and Rahul's refrain of calling the Modi government "suit-boot ki sarkar".
Targetting Jyotiraditya Scindia and his royal lineage, he taunted that Scindia was still addressed at "Maharaj" even though royal titles had been abolished.
"We will not let the House function on Thursday if action is not taken against the BJP MP," said a Congress leader.
In an effort to calm the agitated Congress members, Deputy Speaker M Thambidurai said that anything unparliamentary would not be a part of the record.

BJP MP infuriates Cong with attack on Family


NEW DELHI: Congress demanded action against BJP MP Virendra Singh for his alleged objectionable remarks against Jawaharlal Nehru, Indira Gandhi, Rajiv Gandhi and Rahul Gandhi.

Party members in Lok Sabha, led by chief whip Jyotiraditya Scindia, met Speaker Sumitra Mahajan soon after Singh's speech in the House during the discussion on drought, in which he made the alleged remarks.

The delegation, which also included K C Venugopal, Rajiv Satav, Ravneet Singh Bittoo and Sushmita Dev, also complained against Singh for making "unparliamentary" remarks against Scindia.

"We will not let the House function on Thursday if action is not taken against the BJP MP," a Congress leader said.

During the debate, Singh said while the Congress was talking about the pain of farmers, their leaders Jyotiraditya Scindia and Rahul Gandhi could not even identify between bajra, jowar and wheat.

"They have known farmers through books," he said, adding that the Congress had a problem with a "poor" person becoming the prime minister and it thought that the post was reserved only for those from the Nehru-Gandhi family.

He also attacked Rahul for his "suit boot ki sarkar" remark, saying it did not behove him as the Congress had been dealing with "suitcases".


"They (the Congress) say this is a suit-boot ki sarkar. For all these years, they thought a king can be born only to a queen, but that's not the case now. They are not able to digest the fact that a person from humble background has become the PM," he said.
Targeting Scindia, Singh said he was still called "maharaj" even though the world had changed.


The BJP leader made certain other comments which evoked strong response from Congress members.


Deputy Speaker M Thambi Durai assured the Congress members and said anything unparliamentary would not go on record.