शनिवार, 26 मार्च 2022

World War I: क्यों हुआ था प्रथम विश्व युद्ध? जानें कारण और भारतीय सैनिकों की भूमिका

 

World War I History: प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सेना ने जर्मन पूर्वी अफ्रीका और पश्चिमी मोर्चे पर जर्मन साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध किया था।


World War 1
युद्ध के दौरान कुल मिलाकर 74,187 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी।

हाइलाइट्स

  • इस युद्ध में 10 लाख भारतीय सैनिकों ने लिया था हिस्‍सा।
  • प्रथम विश्‍व युद्ध में 8,528,831 लोगों की हुई थी मौत।
  • करीब चार साल तक चला था प्रथम विश्‍व युद्ध।
प्रथम विश्व युद्ध (World War I) यूरोप में होने वाला यह एक वैश्विक युद्ध था, जो 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला था। इसे सभी युद्धों को समाप्त करने वाला युद्ध भी कहा जाता है। यह इतिहास में सबसे घातक संघर्षों में से एक था, जिसमें करोड़ों लोगों की मौत हुई। जबकि युद्ध के बाद 1918 में फैला स्पैनिश फ्लू महामारी दुनिया भर में 1.7 से 10 करोड़ लोगों की मौत का कारण बना। इस युद्ध में करीब 10 लाख भारतीय सेना (जिसे 'ब्रिटिश भारतीय सेना' कहा जाता है) ने भी भाग लिया था। इनमें से 62,000 सैनिक मारे गए थे और अन्य 67,000 घायल हो गए थे। युद्ध के दौरान कुल मिलाकर 74,187 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी। प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सेना ने जर्मन पूर्वी अफ्रीका और पश्चिमी मोर्चे पर जर्मन साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध किया। इस युद्ध में खुदादाद खान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय बने।
    प्रथम विश्व युद्ध के कारण (Causes of World War I)

    - 28 जून 1914 को, बोस्निया के सर्ब यूगोस्लाव राष्ट्रवादी गैवरिलो प्रिंसिप ने साराजेवो में ऑस्ट्रो-हंगेरियन वारिस आर्चड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या कर दी। जिसके बाद ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा की।

    - युद्ध में भाग लेने वाली केंद्रीय शक्तियों में ऑस्ट्रिया-हंगरी, बुल्गारिया, जर्मनी और तुर्क साम्राज्य (अब तुर्की) शामिल थे।

    - वहीं मित्र देशों की शक्तियों में बेल्जियम, फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, ग्रीस, इटली, मोंटेनेग्रो, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, सर्बिया और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल थे।

    - संयुक्त राज्य अमेरिका ने तटस्थता की घोषणा की जब तक कि जर्मन पनडुब्बी ने अमेरिकी वाणिज्यिक शिपिंग को डुबा नहीं दी।
    युद्ध में मृत व घायल सैनिकों की संख्‍या (मृतकों की संख्‍या एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका द्वारा जारी की गई है)

    ऑस्ट्रिया-हंगरी: 1,200,000 मृत, 3,620,000 घायल

    बेल्जियम: 13,716 मृत, 44,686 घायल

    बुल्गारिया: 87,500 मृत, 152,390 घायल

    फ्रांस: 1,357,800 मृत, 4,266,000 घायल

    जर्मनी: 1,773,700 मृत, 4,216,058 घायल

    ग्रेट ब्रिटेन: 908,371 मृत, 2,090,212 घायल
    अमेरिका: 116,516 मृत, 204,002 घायल
    ग्रीस: 5,000 मृत, 21,000 घायल

    इटली: 650,000 मृत, 947,000 घायल

    जापान: 300 मृत, 907 घायल

    मोंटेनेग्रो: 3,000 मृत, 10,000 घायल

    तुर्क साम्राज्य (तुर्की): 325,000 मृत, 400,000 घायल

    पुर्तगाल: 7,222 मृत, 13,751 घायल
    रोमानिया: 335,706 मृत, 120,000 घायल

    रूस: 1,700,000 मृत, 4,950,000 घायल

    सर्बिया: 45,000 मृत, 133,148 घायल

    कुल योग: 8,528,831 मृत, 21,189,154 घायल

    समयानुसार युद्ध की जानकारी (Wolr)

    28 जून, 1914 - गैवरिलो प्रिंसिप ने ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या कर दी।

    28 जुलाई, 1914 - ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।


    1 अगस्त, 1914 - जर्मनी ने रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

    2 अगस्त, 1914 - ओटोमन साम्राज्य और जर्मनी ने गठबंधन की एक गुप्त संधि पर हस्ताक्षर किए।

    4 अगस्त, 1914 - जर्मनी ने बेल्जियम पर आक्रमण किया। इसी दिन ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

    10 अगस्त, 1914 - ऑस्ट्रिया-हंगरी ने पूर्वी मोर्चे पर लड़ाई शुरू करते हुए रूस पर आक्रमण किया।

    26-30 अगस्त, 1914 - टैनेनबर्ग, प्रशिया की लड़ाई।


    12 सितंबर, 1914 - फ्रांस में ऐसने नदी की पहली लड़ाई शुरू हुई, जिसने खाई युद्ध की शुरुआत की।

    3 नवंबर, 1914 - रूस ने ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

    5 नवंबर, 1914 - ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस ने ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

    22 अप्रैल-मई 25, 1915– यप्रेस की दूसरी लड़ाई, जिसमें जर्मनी द्वारा जहरीली गैस का पहली बार व्‍यापक तौर पर उपयोग किया गया।

    7 मई, 1915 - एक जर्मन U-20 पनडुब्बी ने ब्रिटिश यात्री जहाज लुसिटानिया को डुबो दिया। जिसमें 1,198 लोग मारे गए। इसमें 128 अमेरिकी थे।


    जून 1915-नवंबर 1917 - इसोन्जो, इटली की लड़ाई।

    1915 - ओटोमन साम्राज्य के साथ गैलीपोली प्रायद्वीप में क्रिथिया की लड़ाई।

    21 फरवरी-जुलाई 1916- फ्रांस के वर्दुन की लड़ाई, युद्ध की सबसे लंबी लड़ाई, लगभग एक लाख हताहतों के साथ।

    31 मई से जून 1, 1916 - डेनमार्क के पास जूटलैंड में ब्रिटिश और जर्मन नौसेनाओं के बीच एक समुद्री युद्ध हुआ, जिसे उत्तरी सागर की लड़ाई के रूप में जाना जाता है।

    1 जुलाई, 1916 से नवंबर 1916 - सोम्मे नदी, फ्रांस की पहली लड़ाई। युद्ध में अंग्रेजों ने टैंक उतारा।


    6 अप्रैल, 1917 – जि‍मर्मन टेलीग्राम के अवरोधन और प्रकाशन और जर्मन यू-नौकाओं द्वारा तीन अमेरिकी व्यापारी जहाजों के डूबने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

    26 जून, 1917 - अमेरिकी सैनिकों ने फ्रांस में उतरना शुरू किया।

    20 नवंबर, 1917 - फ्रांस के कंबराई की लड़ाई।

    3 दिसंबर, 1917 - रूस ने जर्मनी के साथ युद्ध विराम पर हस्ताक्षर किए।

    3 मार्च, 1918 - रूस ने ब्रेस्ट-लिटोव्स्क की संधि पर हस्ताक्षर किए, केंद्रीय शक्तियों के साथ शत्रुता समाप्त की और रूस को इस युद्ध से वापस ले लिया।


    मार्च 21 से अप्रैल 5, 1918 - सोम्मे नदी की दूसरी लड़ाई।

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    29 सितंबर, 1918 - बुल्गारिया ने युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए।

    30 अक्टूबर, 1918 - ओटोमन साम्राज्य ने युद्ध विराम पर हस्ताक्षर किए।

    3 नवंबर, 1918 - ऑस्ट्रिया-हंगरी ने युद्ध विराम पर हस्ताक्षर किए।

    11 नवंबर, 1918 - जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों द्वारा युद्ध समाप्त करने की मांग की गई युद्ध विराम की शर्तों को स्वीकार किया।


    28 जून, 1919 - फ्रांस के वर्साय के महल में वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर किए गए।

    First World War 1 ,Period of this war and causes

     World War I, also known as the Great War, began in 1914 after the assassination of Archduke Franz Ferdinand of Austria. His murder catapulted into a war across Europe that lasted until 1918.

    प्रथम विश्वयुद्ध ऑस्ट्रिया के फ्रांज़ आर्चड्युक फर्डिनेंड   की ह्त्या के बाद १९१४ में आरम्भ हुआ जिसे महायुद्ध या महानयुद्ध के नाम से भी जाना जाता है उनकी ह्त्या ने पूरे योरोप में एक महायुद्ध का रूप ले लिया  जो १९१८ तक योरप भर में चला। 


    ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी फ्रांज़  आर्चड्युक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी का वध इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। यह घटना 28 जून 1914, को सेराजेवो में हुई थी। एक माह के बाद ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित किया। रूस, फ़्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने आस्ट्रिया की।

    प्रथम विश्व युद्ध (WWI या WW1 के संक्षिप्त रूप में जाना जाता है) यूरोप में होने वाला यह एक वैश्विक युद्ध था जो 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला था। इसे महान युद्ध या "सभी युद्धों को समाप्त करने वाला युद्ध" के रूप में जाना जाता था। इस युद्ध ने 6 करोड़ यूरोपीय व्यक्तियों (गोरों) सहित 7 करोड़ से अधिक सैन्य कर्मियों को एकत्र करने का नेतृत्व किया, जो इसे इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में से एक बनाता है। यह इतिहास में सबसे घातक संघर्षों में से एक था, जिसमें अनुमानित 9 करोड़ लड़ाकों की मौत और युद्ध के प्रत्यक्ष परिणाम के स्वरूप में 1.3 करोड़ नागरिकों की मृत्यु, जबकि 1918 के स्पैनिश फ्लू महामारी ने दुनिया भर में 1.7-10 करोड़ की मौत का कारण बना, जिसमें कि यूरोप में अनुमानित 26.4 लाख मौतें और संयुक्त राज्य में 6.75 लाख स्पैनिश फ्लू से हुई यह पूरी तरह सेेे 1919 खत्म हुुई!

    28 जून 1914 को, बोस्निया के सर्ब यूगोस्लाव राष्ट्रवादी गैवरिलो प्रिंसिपल ने साराजेवो में ऑस्ट्रो-हंगेरियन वारिस आर्चड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या कर दी, जिससे जुलाई संकट पैदा हो गया। इसके उत्तर में, ऑस्ट्रिया-हंगरी ने 23 जुलाई को सर्बिया को एक अंतिम चेतावनी जारी कर दी। सर्बिया का उत्तर ऑस्ट्रियाई लोगों को संतुष्ट करने में विफल रहा, और दोनों युद्ध स्तर पर चले गए। गठबंधनों के एक संजाल ने बाल्कन में द्विपक्षीय मुद्दे से यूरोप के अधिकांश भाग को संकट में डाल दिया। जुलाई 1914 तक, यूरोप की महाशक्तियों को दो गठबंधन में विभाजित किया गया था, ट्रिपल एंटेंटे : जिसमें फ्रांस, रूस और ब्रिटेन शामिल थे; तथा ट्रिपल एलायंस :जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली। ट्रिपल एलायंस की प्रकृति केवल रक्षात्मक था, जिससे इटली को अप्रैल 1915 तक युद्ध से बाहर रहने की अनुमति मिली, जब वह ऑस्ट्रिया-हंगरी के साथ अपने संबंधों के बिगड़ने के बाद मित्र देशों की शक्तियों में शामिल हो गया। रूस ने सर्बिया को वापस लेने की आवश्यकता महसूस की, और 28 जुलाई को ऑस्ट्रिया-हंगरी के बेलग्रेड के सर्बियाई राजधानी पर गोलाबारी के बाद आंशिक रूप से एकत्रीकरण को मंजूरी दी।

    घटनाएं :औद्योगिक क्रांति के कारण सभी बड़े देश ऐसे उपनिवेश चाहते थे जहाँ से वे कच्चा माल पा सकें और सभी उनके देश में बनाई तथा मशीनों से बनाई हुई चीज़ें बेच सकें। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हर देश दूसरे देश पर साम्राज्य स्थापित करने की चाहत रखने लगा और इसके लिये सैनिक शक्ति बढ़ाई गई और गुप्त कूटनीतिक संधियाँ की गईं। इससे राष्ट्रों में अविश्वास और वैमनस्य बढ़ा और युद्ध अनिवार्य हो गया। ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्चड्युक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी का वध इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। यह घटना 28 जून 1914, को सेराजेवो में हुई थी। एक माह के बाद ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित किया। रूसफ़्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने आस्ट्रिया की। अगस्त में जापान, ब्रिटेन आदि की ओर से और कुछ समय बाद उस्मानियाजर्मनी की ओर से, युद्ध में शामिल हुए।

    जर्मनी ने फ़्रांस की ओर बढ़ने से पूर्व तटस्थ बेल्जियम और लक्ज़मबर्ग पर आक्रमण कर दिया जिसके कारण ब्रिटेन ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी

    जर्मनीऑस्ट्रियाहंगरी और उस्मानिया (तथाकथित केन्द्रीय शक्तियाँ) द्वारा ग्रेट ब्रिटेन , फ्रांसरूसइटली और जापान के ख़िलाफ़ (मित्र देशों की शक्तियों) अगस्त के मध्य तक लामबंद हो गए और 1917 के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका मित्र राष्ट्रों की ओर शामिल हो गया था।

    यह युद्ध यूरोपएशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और जल, थल तथा आकाश में लड़ा गया। प्रारंभ में जर्मनी की जीत हुई। 1917 में जर्मनी ने अनेक व्यापारी जहाज़ों को डुबोया। एक बार जर्मनी ने इंगलैण्ड की लुसिटिनिया जहाज़ को अपने पनडुब्बी से डूबो दी। जिसमे कुछ अमेरिकी नागरिक संवार थे इससे अमेरिका ब्रिटेन की ओर से युद्ध में कूद पड़ा लेकिन रूसी क्रांति के कारण रूस महायुद्ध से अलग हो गया। 1918 ई. में ब्रिटेन , फ़्रांस और अमेरिका ने जर्मनी आदि राष्ट्रों को पराजित किया। जर्मनी और आस्ट्रिया की प्रार्थना पर 11 नवम्बर 1918 को युद्ध की समाप्ति हुई।।

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