मंगलवार, 30 जून 2015

कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी न होकर राष्ट्रीय सर्कस लगती है

कांग्रेस की दशा और दिशा देखकर अब ये साफ़ लगने लगा है ये राष्ट्रीय पार्टी न होकर राष्ट्रीय सर्कस है जिसके कारिंदे रोज़ नए नए करतब दिखाते रहते हैं।इस राष्ट्रीय सर्कस में काम करने वालों को  जानवर तो सीधे -सीधे  नहीं कहा जा सकता क्योंकि इनकी शक्लें आदमियों से मिलतीं हैं   जिनमें वैसे तो इन दिनों जरायमपेशा (जरायम उर्फ़ जयराम रमेश )भी शामिल हैं लेकिन सर्कस के केंद्र लगातार कथित दिग्विजय सिंह ही बने हुए हैं। इन्हें कांग्रेस से जिस प्रदेश में भी प्रभारी या आभारी बनाके भेजा है इनके हाथ पराजय ही लगी है।

इनका नवीनतम शगूफा शिवराज सिंह जी से ताल्लुक रखने वाली एक क्लिपिंग है जिसमें चुनाव पूर्व शिवराज को अपने कारिंदों (कार्यकर्ताओं )से सामान्य बातचीत करते दिखाया गया है इस वायदे के साथ कि उनका पार्टी में चुनाव बाद पूरा ध्यान रखा जाएगा। ज़नाब दिग्विजय सिंह जी यहीं नहीं रुके ये क्लिप आपने चुनाव आयोग को भी भेज दी। जांच करने के बाद चुनाव आयोग ने बतलाया कि दिग्विजय सिंह की तरह ये क्लिप भी झूठ  का पुलिंदा ही नहीं एक दम से  नकली है।जिसमें ज़नाब दिग्गी एक दो लोगों की आवाज़ें नकल करके उतारने  में करतबी साबित हुए हैं।

सोनिया को सोचना चाहिए ऐसे सर्कसी लोगों से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हो रहा है उलटे पार्टी की बची खुची साख भी चुक  रही है।पार्टी ४४ सांसदों के आंकड़े पे आ खड़ी हुई है।  जयराम रमेश को लोग जरायम कहने लगे हैं। हम नहीं कहते लोग ऐसा कह रहे हैं तो कुछ सोच समझ के ही कह रहे हैं लेकिन कांग्रेस समर्थक एंटीइंडियाटीवी  जैसी चैनलों को ये बात समझ नहीं आती जिन्होनें दिग्गी की नकली क्लिप को खूब उछाला। अब क्या वे इस भोपाली बाज़ीगर को उछालेंगे ?

 कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी न होकर राष्ट्रीय सर्कस लगती है। 

सोमवार, 29 जून 2015

नेहरूवंश के चार अवशेष झूठ का पिटारा हैं

नेहरूवंश के चार अवशेष   क्रमश :श्रीमती सोनिया नेहरू -राहुल नेहरू -प्रियंका नेहरू -राबर्टवाड्रा  झूठ का पिटारा हैं (श्रीमती मेनका और वरुणगांधी को तो ये चारों नेहरू वंश का अवशेष मानते ही  नहीं हैं  )य़े चारों ही इस वक्त खुद तो चुप्पी साढ़े हैं , लेकिन झूठ बोलने के लिए इन्होनें जयराम रमेश ,सुरजेवाला जैसों को छोड़ा हुआ है। ये झूठ बोलने का धारावाहिक सिलसिला तब भी जारी है जबकि हंसराजरहबर की किताब -नेहरू बे -नकाब के चुनिंदा अंश इन दिनों पुन : चर्चा में हैं। जिसमें इनके प्रधान पुरुष नेहरू द्वारा बोला गया झूठ बारहा  उजागर हुआ है।

ज़नाब जवाहर लाल नेहरू महात्मा गांधी के कंधे पे चढ़के प्रधानमन्त्री बने थे। जबकि १५ में से १२ राज्य सरदार पटेल के पक्ष में थे। सरदार पटेल गांधी जी की शेष भारत के लोगों की तरह ही बेहद इज़्ज़त करते थे उन्होंने सहर्ष  उप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री बनना स्वीकार कर लिया था।लेकिन नेहरू झूठ पर झूठ बोले जा रहे थे। इसीक्रम को आगे बढ़ाते हुए ज़नाब ने एक पत्र तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी को इस आशय का लिखा कि कांग्रेस कार्यसमिति के बहुलांश सदस्य राजगोपालाचार्य को राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं। इन लोगों में नेहरू  ने सरदार पटेल को भी शामिल बतलाया।

राजेन्द्रजी नेहरू और सरदार दोनों को जानते थे। नेहरू की औकात और महत्वकांक्षाओं से भी वाकिफ थे। बात सरदार तक भी पहुंची। सरदार ने नेहरू को फटकारा नेहरू खिसियाकर बोले आपका उल्लेख उस पत्र में गलती से हुआ है।

कुछ  तो नेहरू के इन कथित वंशधरों को भी शर्म आनी चाहिए जो अभी भी अपने प्रवक्ताओं से लगातार नए नए झूठ बुलवा रहें हैं.

नवीनतम झूठ है :धौलपुर का महल वसुंधरा राजे ने कब्ज़ा लिया था यह राजस्थान सरकार की संपत्ति थी।  तथ्य यह है वसुंधराजी धौलपुर की महारानी थीं।

जिस कांग्रेस के प्रधान पुरुष नेहरू ने हद दर्ज़े के घटिया काम किये हों नेताजी सुभाष के परिवार की खुफियागिरी करवाई हो शहीदे आज़म भगत सिंह पे नज़र रखवाई हो ,कश्मीर का मामला अपनी आलमी छवि चमकाने की फिराक में यूएनओ में लेजाकर उलझाया हो उसके इन नामशेष अवशेषों को अब झूठ बुलवाये जाने से बाज़ आना चाहिए। बाद में ये प्रवक्ता भी सोनिया के उकसाने पर अपने द्वारा बोले गए झूठ पर बगलें झांकेंगे इसमें हमें ज़रा भी संदेह नहीं है। ईश्वर इन प्रवक्तानुमा लोगों को सद्बुद्धि दे इनकी हिफाज़त करे।

जैश्रीकृष्णा।   

रविवार, 28 जून 2015

इतना बुरा हाल तो मोहम्मद अली जिन्ना के समय भी इस देश का नहीं था जब महात्मा गांधी सरे आम रामराज्य की बात करते थे ,किसी ने उन्हें सांप्रदायिक नहीं कहा

तुष्टिकरण के नाम पर विघटनवादी राजनीति की इंतिहा

अब इस देश में तीज त्योहारों की बात करना भी कांग्रेस साम्प्रादायिक होना बतला रही है।आप रक्षाबंधन पे यदि एक सामन्य बात  यह कह दें कि बहन बेटियों को तोहफे में दीजिये एक रुपैया बीमा योजना तो सोनिया के उकसाने पर गुलाम नबी आज़ाद फट कह देंगे प्रधानमन्त्री रमजान की मुबारकबाद तो देते नहीं हैं रक्षाबंधन की बात करते हैं। इतना बुरा हाल तो मोहम्मद अली जिन्ना के समय भी इस देश का नहीं था जब महात्मा गांधी सरे आम रामराज्य की बात करते थे। किसी ने उन्हें सांप्रदायिक नहीं कहा। ये कांगेस के शासन में ही होता है कबीर के दोहे -कांकर पाथर जोरि के मस्जिद लई  चिनॉय ....,तथा दिन  में रोज़ा रखत हैं रात हनत  हैं गाय 'को …  पाठ्यक्रम से निकाल दिया जाता है। रामधुन पर शताब्दी एक्सप्रेस में पाबंदी लगती है। तुष्टिकरण की राजनीति कमीनगी के इस स्तर तक पहुंचेगी सोनिया के रहते क्या वे अपनी सास के पिता की तरह हिन्दू मुस्लिम लाइन पर इस देश का एक और बंटवारा करवाना चाहतीं हैं ?आखिर क्या है उनकी मंशा जो गुलामनबी आज़ाद जैसे मुसलमानों को उकसा रहीं हैं रमजान को मुद्दा बनाके। क्या हो रहा है अफगानिस्तान और दुनिया भर की और मस्जिदों में गुलाम नबी आज़ाद नहीं जानते क्या ?कत्ले आम !या कुछ और। मस्जिदों को खूनी बनाके रख दिया है। और आप भारतीय तीज त्योहारों की बात पे नाक भौं सिकोड़ रहे हैं।हद है बेशर्मी  की। कुटिल हंसी देखिये गुलाम नबी आज़ाद की और सोनिया की आनुषांगिक मुस्कराहट भी।   

अब कांग्रेस का सत्ता पर तो अधिकार रहा नहीं पर कौवे कांव कांव करना थोड़ी न छोड़ते हैं

बहुत नहीं थे सिर्फ चार थे काले कौवे ,

कभी- कभी जादू हो जाता है दुनिया में ,

दुनिया भर के गुण दिखते हैं औगुणियों में ,

ये औगुणिये चार बड़े सरताज़ हो गए ,

इनके नौकर चील गरूड़ और बाज़ हो गए।

सन्दर्भ २५ जून ,१९७५ को इंदिराजी द्वारा घोषित आपात काल का है जिसकी याद सदैव कांग्रेस बनाये रखना चाहती है -जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इंदिराजी द्वारा भेजे एक साधारण रुक्के पर हस्ताक्षर कर दिए थे। ये कोई संसद द्वारा बहुमत से पारित प्रस्ताव या ऑर्डिनेंस नहीं था। इलाहाबाद हाईकोर्ट से राजनारायण मामले में इंदिरा हार गईं  थीं।सुप्रीम कोर्ट ने भी बाद में कहा था कि इंदिरा भले आगामी छ : माह तक तो प्रधानमंत्री बनी रह सकतीं हैं। लेकिन न तो वह वोट कर सकेंगी और न ही लोकसभा की किसी भी कार्रवाई पर अपने हस्ताक्षर।

उस समय सिद्धार्थ शंकर रे ,बंसीलाल ,विद्याचरण शुक्ल ,एसकेबरुआ ,अम्बिका सोनी ये पांच जने थे जो रोज़ाना ट्रक भरभर कर नारे लगवाने वालों को लेजाकर इंदिरा के समर्थन में नारे लगवा देते थे। अम्बिका सोनी की यूं कांग्रेस सरकार में कोई हैसियत नहीं थीं। अलबत्ता वे संजय गांधी की चहेती थीं। ये वे जन थे जो इंदिराजी को कहते थे जनमत तुम्हारे साथ है तुम इस्तीफा मत दो। इसी का आधार लेते हुए इंदिरा जी ने यह कहते हुए कि जनता मुझे चाहती है-जनता से उसके जीने का अधिकार छीन कर इमरजंसी लगा दी। मीसा(Maintenance Of Internal Security Act ) लागू कर दिया। अखबार वालों को कोई भी रिपोर्ट छापने से पहले सीनियर एसपी को दिखानी लाज़िमी कर दी। 

दरअसल देश में कोई आपात काल के हालात नहीं थे। आपातकाल कांग्रेस की मानसिकता है राजपाट कायम रखने  की।मन की  हविश की गद्दी न छूटे , बनाये रखने की।  अब कांग्रेस का सत्ता पर तो अधिकार रहा नहीं पर कौवे कांव कांव करना थोड़ी न छोड़ते हैं।कांग्रेस ने आव देखा न ताव लोकतांत्रिक अधिकारों की हत्या  करवा दी।आडवाणी ने कांग्रेस की इसी मानसिकता की  ओर हाल ही में  संकेत किया था। इसलिए कांग्रेस को खुश होकर कोई बगलें बजाने की ज़रुरत नहीं है।इसी रक्तबीज कांग्रेस से देश को खतरा है जो इन दिनों जाति सूचक शब्द मोदी के बहाने नफरत की खेती कर रही है। जातिवाद का विष बो रही है।

और वो सोनिया हश हश करके गुलामनबी आज़ाद जैसों को उसकाती रहती है। ज़नाब नबी फरमाते हैं मोदी सब जगह जा रहे है लेकिन मुसलमानों को रमज़ान की मुबारकबाद नहीं देते। 

गौर तलब यह भी है रमज़ान को पाक महीना कहने वाले मुसलमान मुसलमानों को ही दुनिया भर की मस्जिदों में मार रहे हैं। गुलाम नबीआज़ाद  बतलाएं ऐसे में मोदी क्या कहकर और  किसे रमझान की मुबारकबाद दें?  

शनिवार, 27 जून 2015

राजनीति में जातिवाद का ज़हर फैलाने वाले गुलामवंशी कांग्रेसी

राजनीति में जातिवाद का ज़हर फैलाने वाले गुलामवंशी कांग्रेसी इन दिनों जाति  सूचक शब्द मोदी को बदनाम कर रहें हैं। आजकल ये कुछ चुनिंदा शब्द बोल रहे हैं जैसे बड़ा मोदी ,छोटा मोदी। पता नहीं इन्होनें बिहार के सुशील मोदी को क्यों छोड़ दिया है और उस मोदी को क्यों छोड़ दिया है जिनके नाम से एक पूरा नगर मोदी नगर   बसा हुआ है।

अब जबकि ललित मोदी ने कपिल सिब्बल से भी अपनी (२०१० -२०१४ )के दरमियान कई मर्तबा भेंट होने का ज़िक्र किया है कांग्रेस की सरपरस्त सोनिया और हाईकमान के अंग रूप माने जाने वाली प्रियंका और राबर्ट वाड्रा  से भी अलग अलग भेंट की बात की है। कौन सी ताकत है जो हाईकमान को जुबां खोलने से रोक रही है। इनका चुप इनके इन्वॉल्वमेंट की खबर देता है। आखिर ललित मोदी को यूपीए शासन के (२०१०-१४ )की अवधि में भगोड़ा घोषित क्यों नहीं घोषित किया गया। किसने रोका था। अब जबकि हाई कोर्ट के चार मान्य न्यायाधीश अलग अलग मौकों पे उन्हें निर्दोष घोषित कर चुके हैं। कांग्रेस क्यों उन्हें बदनाम कर रही है क्या इसीलिए की वे जातिसूचक शब्द मोदी से जाने जाते हैं।

कांग्रेस खुद महात्मा समझे जाने वाले मोहनदास कर्मचन्द गांधी की ओट लिए बैठी है। इसे बे -ओट करके राबर्ट गांधी के नाम से ही आइन्दा जाना  जायेगा।कांग्रेस ने   राजनीति में जातिवाद का ज़हर फैलाने के लिए अपने दरबारियों को खुला छोड़ रखा है।

देश सावधान रहे ज़मीन हड़पु दामाद वाड्रागांधी कांग्रेस से।

पादनी  बोले सो बोले इंटोरा  भी बोले। सरपरस्त  सोनिया फ़टाफ़ट मुंह खोले वरना उन्हें सांठगाँठिया ही समझा  जाएगा।  

शुक्रवार, 26 जून 2015

राजनीति में नफरत की खेती करने वाले

राजनीति में नफरत की खेती करने वाले

राजनीति में नफरत की खेती करने वालों को श्री ललित मोदी ने यह कहकर बेक फुट पे खड़ा कर दिया है कि पूर्व में एक रेस्टोरेंट में वह अलग अलग श्रीमती प्रियंका गांधी एवं श्रीमान राबर्ट वाड्रा से भी मिल चुके हैं। इसे कांग्रेसी चिरकुटों ने आमने सामने की आकस्मिक भेंट कहकर टाल दिया है।यूं श्रीमान ललित मोदी दो मर्तबा सोनिया  से भी मिल चुके हैं।ये पुत्री -दामाद सोनिया तिकड़ी बताये क्या आशय था इस मीटिंग का।

पूछा ये भी जाना चाहिए दिग्विजय जैसे चिरकुटों से कि यदि ललित मोदी ललित गांधी के नाम से जाने जाते तब भी क्या ये उन्हें विश्व अपराधी की तरह और उनसे मिलने वालों को गंभीर अपराधी  की तरह प्रस्तुत करते।

कांग्रेस को दरअसल मोदी नाम से चिढ़ है।  बड़ा मोदी छोटा मोदी। सोनिया ने अपनी एक चुनावी सभा में नरेंद्र मोदी जी को खूनी ह्त्यारा  कह दिया था।बाद में सोनिया को लेने के देने पड़  गए थे।

श्रीमान ललित मोदी भी कांग्रेस का यही हाल करने वाले हैं जिनके तत्कालीन मंत्री चिदंबरम ने ही उन्हें २०१० में वीज़ा दिलवाया था इंग्लैंड का।

इस दौर में राजनीति में नफरत की खेती करने वालों से देश को बड़ा खतरा पैदा हो गया है।इनसे देश को सावधान रहने की ज़रुरत है। डिमोनाइज़ेशन की कला में ये गुलाम वंशीय कांग्रेस माहिर है। यही वे लोग हैं जो बिला वजह ललित मोदी को एक विश्व अपराधी की तरह इसलिए प्रस्तुत कर रहे हैं क्योंकि उनके नाम के आगे मोदी लगा है। 

गुरुवार, 25 जून 2015

वफादार जमाई

वफादार जमाई

सर्वस्वीकृत मान्य सिद्धांत है बेटा पत्नी के पक्ष में डटके  खड़ा होता रहा है। वो स्साला कमांडर भी खड़ा हो गया तो इसमें कोई नै बात नहीं। पूत सबके एक से ही सपूत होते हैं। बड़ी बात ये है जो धीरूभाईजी के साथ पहली मर्तबा घटी है। पहली बार की चुभन ज्यादा होती है। धीरे धीरे ही कम होगी।

धीरू अभी सुबहो सुबहो सो कर ही उठा है।सुबहो न अभी ठीक से आँखें भी कहाँ खोली हैं।  उठते ही गुनगुने सेलाइन वाटर से गरारे करने की  आदत है सो पानी के गरारे खंगालता ड्राइंग से किचिन की ओर बढ़ रहा है। बेटा हमेशा की तरह पत्नी का बगल बच्चा बना बैठा था।एक ऑब्सेशन के तहत  बापधीरू को देखते ही कमांडर -बेटा  बोला पापा आपने मेरी सासु माँ को क्या कह दिया वो रात भर सो नहीं पाईं ,आप उनके परमेश्वर पति की जुबान  अपने मुंह में लेके क्या बोल गए ?

लो कर लो बात अब समधन -समधी की हंसी मज़ाक भी सेंसर होगी इस घर में धीरू मन में सोचता रहा । बेटे ने सास के प्रति अपनी वफादारी निभाने के साथ साथ पत्नी को भी जता दिया -देखा पौ  फटते ही बाप की पेशी लगा दी।स्साला अब तक पत्नी की ही हिमायत लेता था। अब सास की भी लेगा।पत्नी के चेहरे पर एक परम संतोष का भाव था। कप्तान पत्नी मन ही मन मुस्कुरा रही थी। ये कप्तान की डिग्री उसने एक परम्परा के तहत पति के ओहदे से अपना ओहदा स्वयं एक दर्ज़ा बढ़ाके हासिल की है। 

बुधवार, 24 जून 2015

वफादार दामाद

सर्वस्वीकृत मान्य सिद्धांत है बेटा पत्नी के पक्ष में डटके  खड़ा होता रहा है। वो स्साला कमांडर भी खड़ा हो गया तो इसमें कोई नै बात नहीं। पूत सबके एक से ही सपूत होते हैं। बड़ी बात ये है जो धीरूभाईजी के साथ पहली मर्तबा घटी है। पहली बार की चुभन ज्यादा होती है। धीरे धीरे ही कम होगी।

धीरू अभी सुबहो सुबहो सो कर ही उठा है। उठते ही गुनगुने सेलाइन वाटर से गरारे करने की  आदत है सो पानी के गरारे खंगालता ड्राइंग से किचिन की ओर बढ़ रहा है। बेटा हमेशा की तरह पत्नी का बगल बच्चा बना बैठा था। बाप धीरू को देखते ही कमांडर बेटा  बोला पापा आपने मेरी सासु माँ को क्या कह दिया वो रात भर सो नहीं पाईं ,आप उनके परमेश्वर पति की जुबान  अपने मुंह में लेके क्या बोल गए ?

लो कर लो बात अब समधन समधी की हंसी मज़ाक भी सेंसर होगी इस घर में धीरू मन में सोचता रहा । बेटे ने सास के प्रति अपनी वफादारी निभाने के साथ साथ पत्नी को भी जता दिया -देखा पौ  फटते ही बाप की पेशी लगा दी।स्साला अब तक पत्नी की ही हिमायत लेता था। अब सास की भी लेगा। 

शीर्षक :वफादार दामाद 

केजरी की वक्र भाषा

स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल की बेशर्मी भरी भाषा

दिल्ली विधानसभा के  सत्र का पहला दिन केजरीवाल की वक्र भाषा के साथ शुरू हुआ और बिना कोई काम निपटाये समाप्त हो गया। केजरीवाल अपनी बेशर्मी भरी वक्र भाषा बोलते रहे । बानगी देखिये -अगर जो कुछ चैनलिये कह रहे हैं वह वाकई सच है तो भी मैंने नैतिकता के आधार पर जीतेन्द्र तोमर (क़ानून मंत्री आप सरकार के जिन्हें १५ दिन की पुलिस रिमांड पे ले लिया गया है )का इस्तीफा ले लिया है। अगर जो कुछ अखबार लिख रहें हैं वह सच है तो भी मैंने नैतिकता के आधार पर …। यही स्वामी असत्यानन्द जी कल तक यही कह रहे थे -मैंने तोमर की सभी डिग्रीयां देख लीं हैं ,सब असली हैं अब देखने को कुछ बाकी नहीं है। अब अपनी वक्र जुबान में कहे जा रहें हैं अगर डिग्रीयां वास्तव में नकली हैं तो भी मैंने तो नैतिकता के आधार पर …।

साथ ही बेशर्मी भरी भाषा बोलते हुए प्रधानमन्त्री को अपनी केजरीवालीय नैतिकता की दुहाई देते हुए ये सीख भी दे दी है -प्रधानमंत्री जी ललित मोदी के मुद्दे पे आपके  कई मंत्री भी आपसे झूठ बोल रहें हैं.नैतिकता के आधार पर मेरी तरह आप भी उनका इस्तीफा लेकर रख लो।

विधानसभा में 'आप 'पार्टी के कुल ६७ सदस्य हैं ,तीन भाजपा के और कांग्रेस को एक भी सदस्य नहीं हैं। जब भाजपा के ओम प्रकाश शर्मा बोलने के खड़े हुए तो 'आप 'नियुक्त विधानसभा अध्यक्ष  ने उन्हें डाट कर बिठा दिया। जब वह अपनी बात कहने के लिए फिर खड़े हुए उन्हें मार्शलों से धक्के देकर बाहर निकलवा दिया।जैसे वह विधानसभा सदस्य न होकर एमएलए न होकर कोई बाहरी व्यक्ति हों और सदन में घुस आये हों।  इस प्रकार सदन के पहले दिन ही 'आप 'के विशाल बहुमत के बीच भी कोई काम नहीं हो सका। 'आप ' का तानाशाही रवैया और केजरी की वक्र भाषा ही मुखरित होती रही।अखबारों में केजरी के इसी तानाशाही रवैये की चर्चा है।

सुषमा पर मेरे जैसा ऐक्शन लेकर दिखाएं मोदीः केजरीवाल



केजरीवाल ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में कहा कि उन्होंने जिस तरह फर्जी डिग्री मामले में अपने कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर पर कार्रवाई की, मोदी भी ऐसा करके दिखाएं।

केजरीवाल ने कहा, 'मैं पीएम से कहना चाहता हूं। जिस तरह मुझसे झूठ बोला गया, मुझे लगता है कि उनके कुछ मंत्री भी ऐसा ही कर रहे हैं। उन्हें वही करना चाहिए जो मैंने किया।' केजरीवाल की इस टिप्पणी पर बीजेपी के तीन विधायकों ने जमकर हंगामा किया और सभी 70 विधायकों की डिग्रियां चेक करने की मांग कर डाली। हंगामा कर रहे बीजेपी विधायक ओपी शर्मा को मार्शल बाहर ले गए।
केजरीवाल ने आगे कहा, 'मैंने तोमर के खिलाफ कार्रवाई की, इसलिए मेरी मोदी जी से गुजारिश है कि वह सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के खिलाफ कार्रवाई करें।' केजरीवाल ने माना कि तोमर ने फर्जी डिग्री मामले में उनसे झूठ बोला था। उन्होंने कहा, 'अगर मीडिया में दिखाई जा रही बातें सही हैं, इसका मतलब है कि मुझसे भी झूठ बोला गया।'
गौरतलब है कि फर्जी डिग्री केस में तोमर की गिरफ्तारी का शुरुआत में आम आदमी पार्टी और केजरीवाल सरकार ने जमकर विरोध किया था। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे केंद्र सरकार के इशारे पर उठाया गया कदम करार दिया था। लेकिन जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ी और तोमर इस मामले में फंसते दिखे, पार्टी और सरकार ने उनसे किनारा कर लिया।


बीजेपी के विधायक ओपी शर्मा ने विधानसभा भवन के बाहर अपनी मांग को सही ठहराते हुए कहा, 'अगर मैंने केजरीवाल को यह सुझाव दिया कि सभी 70 विधायकों की डिग्रियां चेक की जानी चाहिए, तो इसमें गलत क्या है।'


http://publication.samachar.com/topstorytopmast.php?sify_url=http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/politics/Kejriwal-to-Modi-Act-on-Sushma-Raje-the-way-I-did-with-Tomar/articleshow/47785635.cms

केजरी की वक्र भाषा 

मंगलवार, 23 जून 2015

स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल की बेशर्मी भरी भाषा

स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल की बेशर्मी भरी भाषा

दिल्ली विधानसभा के  सत्र का पहला दिन केजरीवाल की वक्र भाषा के साथ शुरू हुआ और बिना कोई काम निपटाये समाप्त हो गया। केजरीवाल अपनी बेशर्मी भरी वक्र भाषा बोलते रहे । बानगी देखिये -अगर जो कुछ चैनलिये कह रहे हैं वह वाकई सच है तो भी मैंने नैतिकता के आधार पर जीतेन्द्र तोमर (क़ानून मंत्री आप सरकार के जिन्हें १५ दिन की पुलिस रिमांड पे ले लिया गया है )का इस्तीफा ले लिया है। अगर जो कुछ अखबार लिख रहें हैं वह सच है तो भी मैंने नैतिकता के आधार पर …। यही स्वामी असत्यानन्द जी कल तक यही कह रहे थे -मैंने तोमर की सभी डिग्रीयां देख लीं हैं ,सब असली हैं अब देखने को कुछ बाकी नहीं है। अब अपनी वक्र जुबान में कहे जा रहें हैं अगर डिग्रीयां वास्तव में नकली हैं तो भी मैंने तो नैतिकता के आधार पर …।

साथ ही बेशर्मी भरी भाषा बोलते हुए प्रधानमन्त्री को अपनी केजरीवालीय नैतिकता की दुहाई देते हुए ये सीख भी दे दी है -प्रधानमंत्री जी ललित मोदी के मुद्दे पे आपके  कई मंत्री भी आपसे झूठ बोल रहें हैं.नैतिकता के आधार पर मेरी तरह आप भी उनका इस्तीफा लेकर रख लो।

विधानसभा में 'आप 'पार्टी के कुल ६७ सदस्य हैं ,तीन भाजपा के और कांग्रेस को एक भी सदस्य नहीं हैं। जब भाजपा के ओम प्रकाश शर्मा बोलने के खड़े हुए तो 'आप 'नियुक्त विधानसभा अध्यक्ष  ने उन्हें डाट कर बिठा दिया। जब वह अपनी बात कहने के लिए फिर खड़े हुए उन्हें मार्शलों से धक्के देकर बाहर निकलवा दिया।जैसे वह विधानसभा सदस्य न होकर एमएलए न होकर कोई बाहरी व्यक्ति हों और सदन में घुस आये हों।  इस प्रकार सदन के पहले दिन ही 'आप 'के विशाल बहुमत के बीच भी कोई काम नहीं हो सका। 'आप ' का तानाशाही रवैया और केजरी की वक्र भाषा ही मुखरित होती रही।अखबारों में केजरी के इसी तानाशाही रवैये की चर्चा है।  

शनिवार, 20 जून 2015

गुलामवंशी कांग्रेस और अराजकतावादी ' आप पार्टी 'की नैतिकता

गुलामवंशी कांग्रेस और अराजकतावादी ' आप पार्टी 'की नैतिकता

बेरोज़गार बधुआ मजदूरों को 'आप टोपी ' पहनाकर स्वामीअसत्यानन्द केजरीवाल सुषमा जी के  घर के गिर्द चक्कर लगवा रहे हैं। इन बधुवा मजदूरों को 'आप ' से ज्यादा पैसा देकर कोई भी केजरीवाल के खिलाफ प्रदर्शन करवा सकता है। इनका 'आप' से कोई लेनादेना नहीं हैं । सवाल नैतिकता का है।

क्या ज़नाब असत्यानन्द केजरी अपनी किसी मोतरमा की संकट में सहायता नहीं करेंगे। मिसेज़ ललित मोदी ने  कोई राष्ट्रीय अपराध गुलामवंशी कांग्रेस की तरह नहीं किया है जिसने पुरलिया में बम गिराने वालों को भागने में मदद की थी। मामा क्वात्रोची को ससम्मान भागने  में  मदद की थी।

उठना बैठना और सम्बन्ध व्यक्ति के किसी से भी हो सकते हैं। मानवीय आधार पर कोई भी किसी की मदद कर सकता है। करनी चाहिए।सुषमा जी ने एक नेक काम किया है विदेश मंत्री के बतौर। संवेदन शून्य गुलामवंशी पार्टी  कांग्रेस सिर्फ स्केम करने में माहिर है।   

इसी कांग्रेस ने भोपालगैस काण्ड के अपराधी को भागने दिया  था।दाऊद इब्राहीम के समधी जावेद मियाँदाद  का इसी कांग्रेस  ने भारत में लालज़ाज़म बिछाकर स्वागत किया था।

 अब कौन सी नैतिकता की बात कर रही है ये कांग्रेस। ललित मोदी क़ानून के अपराधी  हो  सकते हैं। कांग्रेस  उनका पासपोर्ट और वीज़ा तब ज़ब्त कर सकती थी। अब क्यों रिरिया रही है अनैतिकता वादी कांग्रेस।  

शुक्रवार, 12 जून 2015

अब चोर ही चोर की जांच करेगा

फ़र्ज़ी डिग्री की सरकार अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए अब आंतरिक लोकपाल बिठाएगी ,यानी अब चोर ही चोर की जांच करेगा। स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल को न किसी लोवर कोर्ट पर भरोसा है न हाईकोर्ट पर। दिलीप पांडे जी का नाम आंतरिक लोकपाल के लिए प्रस्तावित है। प्रशाशनिक लोकपाल सम्माननीय रामदास (पूर्व एडमिरल भारतीय नौसेना )जी को हटाकर सोमनाथ भारती को क़ानून मंत्री बनाया गया था। उनके खिलाफ उनकी पत्नी ने हलफनामा दायर किया है कि ये कथित परमेश्वर उन्हें और उनके बच्चों को पीटता है।

जितेंद्र पांडे को एक नगर से दूसरे में उनकी फर्जी डिग्रियों की जांच के लिए ले जाया जा रहा है।अब तक यह यात्रा फैज़ाबाद से भागलपुर तक हो चुकी है।  जिस भागलपुर विश्वविद्यालय के वाइसचांसलर राष्ट्रकवि दिनकर रहें हों उसका नाम इस कलंकित सरकार ने बदनाम किया है उससे सम्बद्ध किसी स्नाकोत्तर महाविद्यालय के नाम से जनाब जीतेन्द्र तोमर क़ानून की फ़र्ज़ीडिग्री  लिए हुए हैं। ढीठ  हैं कि गुनाह और बे -लज्ज़त। पुलिस सुरक्षा घेरे में इन्हें  न लिया गया होता तो भागलपुर के गुस्साए छात्र इनका कचूमर  निकाल   देते।

स्वामीअसत्यानन्द केजरीवाल को हमारी नेकसलाह है अगला क़ानून मंत्री किसी ज्योतिषी से पूछकर बनाएं। आगे उनकी मर्जी क्योंकि कानून मंत्री का पद मनमोहन की सरकार में भी सुर्ख़ियों में  रहा  था । इन्हीं केजरी के साथ  यूपीए सरकार में क़ानून मैरी मंत्री रहे ज़नाब सलमान खुर्शीद साहब ने बदसलूकी थी , तैश में आकर किसी दसनंबरी की तरह सलमान ने कहा था -बेटा मेरे इलाके (फैज़ाबाद )में आके दिखा तब तुझे विकलांगों की बैसाखियों का हिसाब दूंगा।  छटी दूध याद आजायेगा। गौर तलब इनकी बद्सुलीकी से खुश होकर इन्हें पदोन्नत कर विदेश मंत्री बना दिया सोनिया ने।

बकौल अश्वनी उपाध्याय (पूर्व 'आप ' नेता ) केजरी के कोई बीस फीसद विधायक फ़र्ज़ी डिग्रियों से लैस हैं। पूरी सरकार की साख खतरे में आ गई है। साथ की साथ बाकी के अस्सी फीसद विधायकों की भी आंतरिक लोकपाल से जांच करवाके उन्हें क्लीन चिट दे दी जाए।

पूर्व किसान गजेन्द्र की फाँसी का मामला पब्लिक सीबीआई को सौंपे जाने की  मांग कर रही है। केजरी मय भाई गजेन्द्र के मामले के संग संग खुद अपनी भी जांच करवा लें । समय का कोई भरोसा नहीं मौसम की तरह है  कब बदल जाए इसका कोई निश्चय नहीं। खुदा खैर करे।  

बुधवार, 10 जून 2015

स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल की सरकार में और भी नकली डिग्रीसज्जित मंत्री हैं

स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल की सरकार में क़ानून तोड़कर (क़ानून को धता बताकर )श्री जीतेन्द्र तोमर क़ानून मंत्री बना दिए गए। स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल गत चार माह से जबसे तोमर की नकली डिग्री का मुद्दा उछला था यही राग अलाप रहे थे कि 'मैंने उनकी डिग्रियां  देख  लीं हैं और कि उनकी तमाम डिग्रियां असली हैं । यूनिवर्सिटी नकली हो सकती है हमारे मंत्री की डिग्री नहीं।

मानो डिग्री की वैधता की जांच का अधिकार भी केजरीवाल के पास रहा आया हो और ये काम विश्विद्यालय के दायरे से बाहर का रहा हो।

अब आशंका ये व्यक्त की जा रही है कि इनकी सरकार में और भी नकली डिग्री धारी मंत्री हैं। बे -शर्मी  के साथ 'आप ' पार्टी के लोग नारे लगा रहे थे -नकली डिग्री वालों आगे आओ ,हम तुम्हारे साथ हैं।

एक 'आप ' साहब फर्मा रहे हैं -क़ानून मंत्री श्री तोमर ने नैतिकता के आधार पर अपने  पद से इस्तीफा दे दिया है। कितनी नैतिकता इस तोमर नाम के शख्स में है ये सच सामने आने वाला है पुलिस रिमांड में इस कथित नैतिक व्यक्ति को राम मनोहर लोहिया के नाम से चलने वाले अवध विश्विद्यालय ,फरुख्खाबाद के अधिकारियों के सामने ले जाया गया है ताकि इनके गैंग से जुड़े अन्य नैतिक लोगों का पर्दा फाश हो सके।

पता चले कौन कौन खुला खेल फरुख्खाबादी खेलते रहे हैं।



फर्जी डिग्री रखने के आरोप में अरेस्ट दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को लेकर दिल्ली पुलिस फैजाबाद रवाना हो गई है। बुधवार सुबह पुलिस तोमर के साथ लखनऊ पहुंची और बाद में फैजाबाद के लिए रवाना हो गई। यहां अवध यूनिवर्सिटी में उनकी डिग्री की जांच की जाएगी।

तोमर को फैजाबाद लेकर गई दिल्ली पुलिस, अवध यूनिवर्सिटी में होगी डिग्री की जांच


लखनऊ पहुंचने पर तोमर ने आरोप लगाया कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि उन्होंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार कर लिया है। उनके इस्तीफे को मंजूरी के लिए एलजी के पास भेजा गया है।

दिल्ली की त्रिनगर विधानसभा सीट से विधायक चुने जाने के बाद पहली बार मंत्री बने तोमर को दिल्ली पुलिस ने डिग्रियों में फर्डीवाड़ा करने को लेकर मंगलवार को अरेस्ट करके कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट में पुलिस का कहना था कि कानून की डिग्री संबंधित उनके डॉक्युमेंट्स फर्जी हैं।

कोर्ट को पुलिस ने बताया कि तोमर के डॉक्युमेंट्स की जांच के लिए उन्हें यूपी के फैजाबाद और बिहार के भागलपुर ले जाकर वेरिफिकेशन करनी होगी। इसके बाद कोर्ट ने तोमर को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।

आम आदमी पार्टी सरकार आरोप लगा रही है कि केंद्र दबाव बनाने के लिए यह कार्रवाई कर रहा है। मगर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि इसमें केंद्र का कोई दखल नहीं है।

दिल्ली पुलिस का कहना है कि एक महीने तक चली जांच में डिग्रियों को लेकर तोमर के दावे झूठे पाए जाने के बाद ही मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि साल 2011 में तोमर ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को जो डॉक्युमेंट्स सौंपे थे, वे फर्जी हैं।

स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल की सरकार में और भी नकली डिग्रीसज्जित मंत्री हैं

स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल की सरकार में क़ानून तोड़कर (क़ानून को धता बताकर )श्री जीतेन्द्र तोमर क़ानून मंत्री बना दिए गए। स्वामी असत्यानन्द केजरीवाल गत चार माह से जबसे तोमर की नकली डिग्री का मुद्दा उछला था यही राग अलाप रहे थे कि 'मैंने उनकी डिग्रियां  देख  लीं हैं और कि उनकी तमाम डिग्रियां असली हैं । यूनिवर्सिटी नकली हो सकती है हमारे मंत्री की डिग्री नहीं।

मानो डिग्री की वैधता की जांच का अधिकार भी केजरीवाल के पास रहा आया हो और ये काम विश्विद्यालय के दायरे से बाहर का रहा हो।

अब आशंका ये व्यक्त की जा रही है कि इनकी सरकार में और भी नकली डिग्री धारी मंत्री हैं। बे -शर्मी  के साथ 'आप ' पार्टी के लोग नारे लगा रहे थे -नकली डिग्री वालों आगे आओ ,हम तुम्हारे साथ हैं।

एक 'आप ' साहब फर्मा रहे हैं -क़ानून मंत्री श्री तोमर ने नैतिकता के आधार पर अपने  पद से इस्तीफा दे दिया है। कितनी नैतिकता इस तोमर नाम के शख्स में है ये सच सामने आने वाला है पुलिस रिमांड में इस कथित नैतिक व्यक्ति को राम मनोहर लोहिया के नाम से चलने वाले अवध विश्विद्यालय ,फरुख्खाबाद के अधिकारियों के सामने ले जाया गया है ताकि इनके गैंग से जुड़े अन्य नैतिक लोगों का पर्दा फाश हो सके।

पता चले कौन कौन खुला खेल फरुख्खाबादी खेलते रहे हैं।



फर्जी डिग्री रखने के आरोप में अरेस्ट दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को लेकर दिल्ली पुलिस फैजाबाद रवाना हो गई है। बुधवार सुबह पुलिस तोमर के साथ लखनऊ पहुंची और बाद में फैजाबाद के लिए रवाना हो गई। यहां अवध यूनिवर्सिटी में उनकी डिग्री की जांच की जाएगी।

तोमर को फैजाबाद लेकर गई दिल्ली पुलिस, अवध यूनिवर्सिटी में होगी डिग्री की जांच


लखनऊ पहुंचने पर तोमर ने आरोप लगाया कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि उन्होंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार कर लिया है। उनके इस्तीफे को मंजूरी के लिए एलजी के पास भेजा गया है।

दिल्ली की त्रिनगर विधानसभा सीट से विधायक चुने जाने के बाद पहली बार मंत्री बने तोमर को दिल्ली पुलिस ने डिग्रियों में फर्डीवाड़ा करने को लेकर मंगलवार को अरेस्ट करके कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट में पुलिस का कहना था कि कानून की डिग्री संबंधित उनके डॉक्युमेंट्स फर्जी हैं।

कोर्ट को पुलिस ने बताया कि तोमर के डॉक्युमेंट्स की जांच के लिए उन्हें यूपी के फैजाबाद और बिहार के भागलपुर ले जाकर वेरिफिकेशन करनी होगी। इसके बाद कोर्ट ने तोमर को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।

आम आदमी पार्टी सरकार आरोप लगा रही है कि केंद्र दबाव बनाने के लिए यह कार्रवाई कर रहा है। मगर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि इसमें केंद्र का कोई दखल नहीं है।

दिल्ली पुलिस का कहना है कि एक महीने तक चली जांच में डिग्रियों को लेकर तोमर के दावे झूठे पाए जाने के बाद ही मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि साल 2011 में तोमर ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को जो डॉक्युमेंट्स सौंपे थे, वे फर्जी हैं।

मंगलवार, 9 जून 2015

कहे कबीर रघुनाथ सूं ,मतिर मंगावै मोहि

मांगत मांगत मानि घटै ,प्रीति घटै नित के घर जाई ,

औछे के संग में बुद्धि घटै ,क्रोध घटै  मन के समुझाई।

इस छंद में व्यवहार सम्बन्धी सीख दी गई है ,नीति भी समझाई  गई है। आत्मसाक्षात्कार रीयल आई से मिलने की प्रेरणा

भी दी गई है।

माँगन मरण समान है ,बिरला बंचै कोइ ,

कहे कबीर रघुनाथ सूं ,मतिर मंगावै मोहि।

To beg and to die are equal

From which rarely few can escape ;

Even from (bounteous )Raghunath

I mayn't have to beg ,Kabir says.

मरूँ पर मांगू नहीं ,अपने तन काज ,

परमारथ के कारने , मोहि  न आवै लाज।

               Of Philanthropy

For the sake of my own I may

Rather die than ask for alms

But for the well -being of others ,

Of my shame I have no qualms . 

रविवार, 7 जून 2015

'लघुकथा के आयाम '

'लघुकथा के आयाम ' पुस्तक का लोकार्पण अखिल भारतीय साहित्य परिषद(गुड़गाँव इकाई ) के तत्वावधान में आज दिनांक ७ जनवरी ,२०१५ को संपन्न हुआ। स्थान था गुड़गाँव (हरयाणा )का एससीईआरटी। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ नन्द लाल मेहता वागीश (अध्यक्ष ,अखिल भारतीय साहित्य परिषद )जी ने की।

रचनाकार थे श्री मुकेश शर्मा। समीक्षक मंडल में थे डॉ योगेश वशिष्ठ , डॉ सविता उपाध्याय ,श्रीमती कृष्ण लता यादव। निवेदित सहभागी थे देहरादून से पधारे कवि एवं समीक्षक श्री असीम शुक्ल। इकाई अध्यक्ष के बतौर डॉ मोहन लाल  ने टिप्पणी की। कार्यक्रम  अध्यक्ष के बतौर वागीश मेहता जी ने बेहद सार्थक टिप्पणी की।

वागीश जी से उनके घर पर लघुकथा  क्या है इस विषय पर मेरी उनसे अनौपचारिक बातचीत  भी हुई। प्रस्तुत है सार रूप टिप्पणियों का :

पद्य में जो स्थान दोहे का है गद्य में वही लघुकथा का है।

कथा का संबंध  'धी '  से है जो जीवन का सकारात्मक मूल्य बोध संबंधी पक्ष प्रस्तुत करती है। कहानी में एक साथ सब अच्छा बुरा ,विविधता लिए रहता है। लघुकथाकार लगातार एक पीड़ा में जीता है।

अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में वागीश जी ने कहा यहां लघुकथा के उपकरणों की बात न होकर परम्परित बात ही हुई है। रचना का मर्म ,रचनात्मकता किसी भी समीक्षक से बड़ी होती है। रचना का पहला समीक्षक खुद रचनाकार ही होता है। लघुकथा कथा का संक्षिप्ततर कथात्मक रूप माना जाता है।  साहित्य में एक विधा के बतौर हाइकु एवं क्षणिकाओं को अभी वह मुकाम हासिल न हो सका है जो लघुकथा  का है।

रचना सदैव ही रचनाकार से बड़ी होती है।  वागीश ने कहा -लघु कथा में कथ्य (essence of statement )होता है कथानक नहीं। सर्प जब दन्त मारता है तो पलट जाता है। लघुकथा  वही   करती है। जैसे तकुए की चुभन देर तक दर्द देती है वैसे ही लघु कथा भी अपना दंश  छोड़ती है।

१९७५ में लघुकथा उन लोगों के लिए जो कहानी नहीं लिख पाते थे  कहानी के रूपतंत्र को नहीं जानते थे ,   साहित्य प्रवेश का सहज द्वार बनी। इस दौर में साहित्य के विकल्प का सहज रूप बनी लघुकथा कुछ ऐसा नहीं कर सकी जो समीक्षा  के  योग्य हो। इसीलिए समीक्षकों ने इस विधा की अनदेखी की। अपनी अनुभूत विसंगतियों को कथा का रूप दे दो। क्योंकि  कहानी का रचना विधान थोड़ा कठिन होता है ,जो लोग कहानी लिख नहीं सकते थे वे लघुकथा में चले ज़रूर आये लेकिन कोई प्रतिमान  नहीं   खड़े कर सके। इसीलिए आलोचकों पर ये आरोप लगा कि वे लघुकथा की अनदेखी कर रहें हैं। जबकि वस्तुस्थिति ये नहीं थी।      

शुक्रवार, 5 जून 2015

यहां तबला अपने तरीके से नृत्य रत था वायलिन अपने



     














आज की शाम भरतनाट्यम और कथ्थक के नाम हो गई। स्थान था नै दिल्ली का परिवास केंद्र (India Habitat Center).भरतनाट्यम प्रस्तुत किया डॉ संध्या पुरेचा ने और कथ्थक की कलाकारा थीं आलमी स्तर पर नामचीन नलिनी - कमलनी  . नृत्य और संगीत रचनाऐं  थीं (Dance Choreography and Music) गुरुजितेंद्र महाराज जी की। प्रायोजक संस्था थी 'ओजस्विनी '(राजस्थान अकादमी एवं संगीतिका ).

अलावा इसके मुंबई से पधारीं भरतनाट्यम की युवतर अदाकाराएं गीतगोविन्दम् नृत्यनाटिका के माध्यम से श्रृंगार के विरह पक्ष को साकार करने में कामयाब रहीं। राधा का रूठना और कृष्ण का मनाना अध्यात्म के स्पंदनों से पूरित रहा।

नलिनी कमलनी की जुगलबंदी ने कथा  के नए आयाम छूए। इस परिसर में मुझे पूर्व में भी सोनाल मानसिंह और शोभना नारायण की अप्रतिम प्रस्तुतियाँ देखने का सौभाग्य मिलता रहा है। लेकिन आज के कार्यक्रम की और बात थी।

सारा प्रस्तुतिकरण अपनी भाषा में साहित्यिक तेवर  लिए रहा। गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हां मुख्यअतिथि ज़रूर थीं लेकिन उनकी सांस्कृतिक टिप्पणियाँ बे -जोड़ थीं सहज और अपनी सी।

अपनी सी भाषा साहित्यिक तेवर के साथ प्रस्तुतियों को कवित्तमय बनाये रही।

पहली मर्तबा नृत्य नर्तिकी दर्शक -श्रोता को एक दूसरे में विलीन होते देखा। जैसे राधा में कृष्ण और कृष्ण में राधा रहतें हैं अद्वैत भाव लिए वैसे ही संगीत -नृत्य की अन्विति अप्रतिम थी। वायलिन -तबला -और वोकलिस्ट पूनक निगम गुरु जीतेन्द्र के कथ्थक के बोल नलिनी -कमलनी की आध्यात्मिक व्याख्या ,दर्शक के प्रति उनकी पूर्ण प्रतिबद्धता बे -मिसाल थी। एक अलग शाम थी ये कृष्ण और राधा के अद्वैत को समझाती ,बनारस की कजरी और कथ्थक को एकरस करती सी।

यहां तबला अपने तरीके से नृत्य रत था वायलिन अपने। 

गुरुवार, 4 जून 2015

कौन रोकता है सच बोलने से ?

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद  शर्मा की ये पेशकश कि अपने विदेशी दौरों में मोदी जहां जहां जाएँ उनके साथ काॅन्ग्रेसी प्रवक्ता भी साथ साथ जाए दिलचस्प है। इस  काम के लिए उनसे उपयुक्त और भरोसेमंद व्यक्ति सोनियावी हुश हुश कांग्रेस को और कौन मिल सकता है। शौक से जाएँ और एनआरआईज़ जो अब विदेशों में स्वाभिमान के साथ चलने लगें हैं ये  बतलाएं (हालांकि की वे  कांग्रेस की औकात को स्वदेशी भारतीयों से ज्यादा जानते हैं ) कि हमने अपने दस साला शासन में बिला नागा हर साल एक घोटाला किया था।

ये भी बतलाएं :

कांग्रेसी प्रतीक मानक जवाहरलाल कश्मीर मामले को घसीटकर यूएनऒ में उस समय ले गए जबकि भारतीय फ़ौज़ के जांबाज़ सिपाही कबाइलियों को घसीटते  हुए पाकिस्तान में खासा अंदर घुसचुके थे।और  ये सब पंडितजी ने सिर्फ अपनी आलमी छवि चमकाने के इरादे से ही किया था। कश्मीर समस्या भारत के लिए तभी से एक नासूर बना रहा है।

ज़िक्र अपने उस पूर्व विदेश मंत्री का भी करें जो यूएनओ में जाकर किसी और देश के लिए लिखा गया भाषण (वक्तव्य /प्रतिवेदन ))पढ़ने लगा था।ज़नाब  सलमान खुर्शीद के बारे में ये भी बतलाएं कि  उन्होंने किस तरह किसी नामचीन गुंडे की तरह  स्वामी असत्यानन्द (केजरीवाल )को अपनी जांघ ठोकते हुए ये कहकर धमकाया था -मेरे इलाके में आके दिखा। केज़रीवाल ने सिर्फ विकलांगों के लिए  उस ट्रस्ट द्वारा खर्च की गई  राशि का हिसाब माँगा था जिसकी सर्वेसर्वा  मोतरमाखुर्शीदा बेगम थीं।

शौक से कांग्रेस प्रवक्ता विदेशी दौरों में मोदी के पीछे  जाएं और विदेशियों को कलंकित कांग्रेस का कलंकित इतिहास बतलायें। कौन रोकता है सच  बोलने से। 

मंगलवार, 2 जून 2015

तोते को अब तो दूसरा वाक्य सिखाओ

तोते को अब तो दूसरा वाक्य सिखाओ



शकील अहमद (बिहार )साहब फरमाते हैं :मोदी को कांग्रेसी तोते द्वारा प्रयक्त 'सूट बूट की सरकार सम्बोधन 'का ज़वाब देने में पूरा डेढ़ महीना लग गया। भाई जान डेढ़ महीने में माँ अपने तोतले बच्चे को भी दूसरा जुमला (वाक्य )सिखला देती है। आपका मंद बुद्धि तोता अभी पहले वाक्य पर ही अटका हुआ है। अब तो उसे दूसरा वाक्य सिखला दो। तोते की माँ तो पचास साल में भी हिंदी नहीं सीख सकी इसमें तोते का क्या दोष। जैसा बीज वैसा फल समझे ज़नाब शकील अहमद साहब।

शकील अहमद साहब और दिग्विजय सिंह जी जल्दी करो तोते की  सुईं  सूट बूट की सरकार पर अटक गई है। 

 खुदा हाफ़िज़ !