मंगलवार, 24 अगस्त 2021

अथिति पोस्ट :संसार एक सनातन वृक्ष -श्री मुरारी मुद्गल

अथिति पोस्ट :संसार एक सनातन वृक्ष  -श्री मुरारी लाल  मुद्गल 

संसार एक  वृक्ष ,

प्रकृति इसका आश्रय ,

सुख दुःख इसके  दो मुख। 

तीन जड़ :सत्व ,रज ,और तम ,

चार रस  : धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष। 

इसको जानने योग्य पांच प्रकार :

श्रोत ,त्वचा ,नेत्र ,रसना ,और नासिका। 

छः स्वभाव :पैदा होना ,रहना ,बढ़ना ,बदलना ,घटना और क्षर  (विनष्ट होना ). 

इस वृक्ष की छाल सात धातुएं :

रस,रुधिर ,मांस ,मेद ,अस्थि ,मज्जा और शुक्र (वीर्य ). 

आठ शाखाएं :पांच महाभूत ,मन,बुद्धि और अहंकार। 

मुखादि नौ द्वार (नवद्वार पुर कहा गया है यह शरीर ). 

दस पत्ते :पान ,अपान ,उदान ,व्यान ,समान ,नाग ,कूर्म ,कृंकल ,देवदत्त ,और धन्नजय। 

दो पक्षी :जीव और ईश्वर (रहते हैं इस तरुवर पर ). 

इसकी उत्पत्ति के आधार हम स्वयं हैं। 

हमारे अनुग्रह से इसकी रक्षा होती है। 


 

बुधवार, 18 अगस्त 2021

टुकड़े टुकड़े गैंग के मन की बात

टुकड़े टुकड़े गैंग  के मन की बात 

शकीकुर्रहमान बर्क सांसद ,सपा -जनाब -बखूबी तालिबान की आरती उतार रहे थे उन्हें आज़ादी को परवान चढाने वाला बता रहे थे।माननीय के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ हो चुकी है साथ में सम्भल के तीन और लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज़ हुई है। बीस करोड़ से ज्यादा मुसलमान हैं यहां भारत में  .इनमें से कई हामिद अंसारी ,आमिर खान ,नसरुद्दीनशाह सोच के लोगों को यहां असुरक्षा महसूस होती है। कइयों के बीवी बच्चे खौफ -ज़दा है उनके लिए मौक़ा है दस्तूर भी है वह आज़ाद अफगानिस्तान (इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान )चले जाएँ। 

नविस्लामिक अमीरात में संसद  है प्रजातंत्र भी है सैर के लिए हिन्दुकुश की पहाड़ियां कूदने फांदने के लिए अम्यूज़मेंट पार्क हवाईअड्डे पर अडवेंचर स्पोर्ट्स  विशेष इंतज़ाम है एक बार ज़रूर जाए आलमी टुकड़ा टुकड़ा गैंग।यह भी जाने : 

क्यों हारा अफगानिस्तान तालिबान के हाथों ?

(१ )अशरफ ग़नी अहमदज़ई का भ्रष्टाचार देश को खा गया -एक ऐसा राष्ट्रपति जो फौजियों की अमरीका से प्राप्त तन्खा भी खा गया ,कागज़ पर फौजी कितने थे अनुमेय है। 

(२ )अमरीका ने आर्थिक इमदाद बंद की इसी के साथ फौज को तन्खा मिलना बंद हो गया। 

(३ )अमरीका अपनी फौज के साथ चुपचाप कुछ कर  गया इस आकलन के साथ ,तीन लाख अफगानी फौजी अमरीकी हथियारों के साथ ७५,००० तालिबानियों का सफाया कर देंगे। 

(३)जिन तालिबानियों का सफाया दो बड़ी कथित महाशक्तियां रूस और अमेरका दो दशकों से ज्यादा अवधि में न कर सकीं उनका सफाया ,हताश अनाथ भूखी फौज कैसे कर सकती थी। 

(४)अशरफ गनी को अमेरिका ने ही भगाया। तालिबान के साथ अमेरिका की मिलिभगत है ,अच्छी अंडरस्टेंडिंग है।आगे का घटना क्रम भी अमेरिका को पता ही होगा कौन जाने ?

(५ )अफगानी कमांडरों को  तालिबान ने चीन से मिले पैसे से खरीदा। 

ज्यों की त्यों धर दीन्हीं चदरिया-अफगानिस्तान तालिबान से वापस लिया अमरीका ने और पुन : अफगानिस्तान को सौंप दिया। जम्हूरियत आनी  थी यहां तो  -भाषण में थी वह जम्हूरियत अमेरिका गुज़िस्तान सालों में दुनिया के जिस भी हिस्से में गया है अस्थिरता पैदा करके लौटा है अपने सैनिकों को शहीद करवाके अरबों डालर सालों साल खपा के खिसियानी बिल्ली खम्भा लौटे के अंदाज़ में लौटा है फिर चाहे वह सीरिया रहा हो वियातनाम या उत्तर कोरिया अब अफगानिस्तान। अलबत्ता हिरोशिमा और नागासाकी पे बम डालकर आइंस्टाइन की आत्मा को ज़रूर उसने छलनी किया था अपनी करतूतों से जो आज भी दीगर तरीके से ज़ारी है जम्हूरियत के नाम पर मानवाधिकारों के अनुरक्षण  के नाम पर। 

कैसी अनोखी स्वयं घोषित स्वयं नियुक्त अपने मुंह  मियाँमिठ्ठू बड़ी महत्तम ताकत है अमेरिका ? आप अन्दाज़ा लगाइये।

कौन मौत से नहीं डरता ,कौन तालिबान से नहीं डरता आज के अफगानिस्तान में ?'अफगानी वीरांगनाएं 'ज़वाब है मिलेगा। 

सीखने की बात और सन्देश यही है जो मुल्क अंदर से कमज़ोर होता है विदेशी ताकतों का ठिकाना बनता है वह तालिबान बन जाता है। पाकिस्तान भी उसी राश्ते पर है।   

 

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शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

लड़ते अनपढ़ लोग हैं ,जो हों तर्कविहीन , संसद में क्यूं दिख रहा ,उलटा सीधा सीन। उलटा -सीधा सीन, चल रही खींचातानी , माननीय चढ़ मेज ,कर रहे हैं मनमानी। हम भारतीय लोग ,वोट देते हैं बढ़चढ़, पर संसद में लोग लड़ें ,ज्यों लड़ते अनपढ़।

 

लड़ते अनपढ़ लोग हैं ,जो हों तर्कविहीन 

संसद में क्यूं दिख रहा ,उलटा सीधा सीन। 

उलटा -सीधा सीन ,चल रही खींचातानी ,

माननीय चढ़ मेज ,कर रहे हैं मनमानी। 

हम भारतीय लोग, वोट देते हैं बढ़चढ़,

पर संसद में लोग लड़ें ,ज्यों लड़ते अनपढ़। (ओमप्रकाश तिवारी ) 

                       (२ )

होना चाहिए था जहां जमकर सोच विचार ,

टूटी मर्यादा वहां टूटे सब आचार। 

टूटे सब आचार सभी ने देखा ड्रामा ,

कब तक झेले देश सांसदों का हंगामा। 

 सभापति सिर्फ सभी को आये रोना ,

ऐसा होता देख नहीं जो चाहिए होना। ------- ओमप्रकाश तिवारी 

शब्द और व्यवहार ही मनुष्य की असली पहचान है। चेहरा और हैसियत का क्या है आज है कल नहीं है .......

We all get what we deserve .

हम सभी को वही मिलता है जिसके हम हकदार हैं । आज मन बहुत व्यथित है उप -राष्ट्रपति श्री मुप्पावारापु वेंकैया नायडु की वेदना आज करोड़ों करोड़ भारतीयों की भी वेदना है। स्थिति का दंश उन्होंने भोगा है तदानुभूति आज पूरे भारत-धर्मी समाज को हुई है। 

संदर्भ है लोकसभा और राज्य सभा का समय पूर्व अनिश्चितकालीन स्थगन। 

उच्च सदन कहा जाता है राज्यसभा को। अपने -अपने क्षेत्र के  चुनिंदा  नामचीन लोगों को यहां लाया जाता है,विद्वत जनों की सभा समझी जाती है राज्यसभा। एक उद्धरण याद हो आया है। मिथिला के राजा ब्रह्मज्ञानीजनक की सभा में विमर्श चलता था। ज़िरह होती थी धर्म और दर्शन के मूल तत्वों पर। 

इसी सभा में एक था ऋषि बामन पंडित उसने शर्त रखी जो मुझसे विमर्श में पराजित होगा उसे जलसमाधि लेनी होगी। अष्टावक्र उस समय किशोर ही था। आठ जगह से तिरछा था इनका शरीर ये ऋषि काहोद के पुत्र थे। ऋषिकाहोद को शास्त्रार्थ में बामन पंडित से पराजित होने के बाद जल समाधि लेनी पड़ी थी। 

आतुर थे अष्टावक्र बामन पंडित  से शास्त्रार्थ को  .जनक की सभा में द्वारपालों ने इन्हें सभामण्डल में जाने से यह कहकर रोका -ये बालकों की सभा नहीं है। 

'ज्ञान की कोई उम्र नहीं होती एक चिंगारी भी सारे वन को जलाकर राख कर देती है। ' -अष्टावक्र के इस उद्घोष का स्वर जनक के कान में पड़ा -बोले उन्हें अंदर आने दो। 

किशोर अष्टावक्र बामुश्किल लाठी के सहारे चल पाते थे। देह-यष्टि तो असामान्य थी ही। सभा में उपस्थित सभी इन्हें देख ठहाका लगाकर देर तक हँसते रहे। अष्टावक्र इनके चुप होने के बाद और भी देर तक ठाहाके लगाते रहे। सभा आश्चर्य चकित थी -जनक ने पूछा "ऋषि कुमार तुम्हारे यूं बे -तहाशा हंसने  की वजह क्या है '-बोले अष्टावक्र मैं पूछता हूँ ये लोग किस पर हँसे थे मुझ पर या मुझे बनाने वाले विधाता पर मुझे लगा था मैं पढ़े लिखे विद्वानों की सभा में आया हूँ ,यहां तो सब के सब  चमार हैं " 

अष्टावक्र इस विमर्श में विजयी हुए थे लेकिन उन्होंने बामन पंडित को जलसमाधि लेने से रोक दिया था ,उन्हे  क्षमा कर दिया था -फिर जनक से कहा था -राजन शास्त्र  को शस्त्र  में तब्दील न करो इसे शास्त्र ही  रहने दो। हमारा भी मानना यही है ससंद को राष्टीय विमर्श का सर्वोच्च केंद्र ही रहने दो अखाड़ा मत बनाओ। युवाभीड़ क्या सीखेगी -खेलाहोबे ?  

भारत -धर्मी समाज आज अपने चयन पर शर्मिन्दा है। हम क्यों नहीं गौर करते हैं उम्मीदवार के ब्योरे पर उसकी पूरी पृष्ठ्भूमि पर क्यों अटके रहजाते हैं धर्म -जाति के बखेड़े में। अपनी क्षुद्रताओं का अतिक्रमण क्यों नहीं कर पाते। आखिर ये देश हमारा है ये संसद ये सांसद  भी तो हमारे है हमारे लिए हैं हम ही से है  इनकी हस्ती और हैसियत। इनकी हैसियत सो हमारी। 

आज आलम ये है संसद  के अंदर संसद ,संसद के बाहर संसद ,संसद की छत पे संसद ,जंतर -मंतर  पे संसद। हर जगह हुड़दंग धींगामुश्ती आरोप और आरोप -

तू नहीं और सही और नहीं और सही तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही।

आरोप -प्रत्यारोप के इस खेलाहोबे में अब बे -चारे कर्मठ 'मार्शल' निशाने पर चले आये हैं। संसद के राडार पर अब इससे आगे और क्या होगा ? 

विशेष :

(१ )संसद में ओबीसी विधेयक लाकर  मोदी जी ने सारे विपक्ष को गिरगिट साबित कर दिया। विपक्षी इस पर बहस के लिए क्यों  तैयार हो गए है? क्या पेगासस मुद्दा नहीं रहा ?कोरोना ,बे-रोज़गारी ,महंगाई ,तेल की कीमत ,जैसे किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं की ,लेकिन ओबीसी बिल पर राजी हो गए। मामला वोट की चोट का है ,देश की परवाह नहीं। (डॉ.अजय आलोक @alok_ajay )

(२ )राज्य सभा में हंगामे पर दुखी होने के बजाय सभापति एम.वेंकैया नायडू को हंगामा करने वाले (हंगामाखोर )  सांसदों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। वह एक मिसाल कायम करें। कांग्रेस सांसद बाजवा ने संसद में कितना  अमर्यादित आचरण किया। फिर भी राहुल और प्रियंका की  ओर से निंदा का एक शब्द तक न फ़ूटा। उनके मौन को क्या मिलीभगत  मान लिया जाए ?( मिन्हाज मर्चेंट @MinhazMerchant)

(3 )हुड़दंगी आचरण को नज़ीर मानकर केजरीवाल और राहुल सोच के लोग इस असंसदीय व्यवहार के वीडिओज़ बनाकर ट्विटर पर पोस्ट कर रहे हैं। (veerujan.blogspot.com) 

(श्री मुप्पावारापु वेंकैया नायडु साहब जी  आहत भजारतधर्मी समाज आप