शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018

संसद बनी है खेल तमाशा ,पोता खेले खुलकर खेल , परलोकि दादी मुस्काए ,करदे बेटा रेलमपेल। रखियो लाज कुटुम की पूरी वरना बेचेगा तू तेल। फिर से फाड़ विधानिक निर्णय खड़गे सुरजे को ही ठेल।

संसद बनी है खेल तमाशा ,पोता खेले खुलकर  खेल ,

परलोकि दादी मुस्काए ,करदे बेटा रेलमपेल। 

रखियो लाज कुटुम की पूरी वरना बेचेगा तू तेल। 

फिर से फाड़  विधानिक निर्णय खड़गे सुरजे को ही ठेल। 

होते रहते रोज़ फैसले ,चुके मत ना, बना दे रेल। 

राफेल को बोफोर्स बना दे ,सौदे को यकदम बे -मेल। 

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शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

FOOD & DRINK Why Fit Guys Can Still Eat Pizza(hindi )

इतालवी पराठा  हो या पिज़्ज़ा ,पास्ता हो या कोई और इतालवी खाद्य बेहद स्वादु होता है मगर ठहरिये -देखिये ये कैसे अनाज का बना है मोटे या परिष्कृत ,होल ग्रेन इस्तेमाल हुआ है इसका क्रस्ट ,ललचाऊ बाहरी आवरण तैयार करने में या फिर परिष्कृत। 

नथुनों में भर जाती है इसकी महक और खूशबूएं लेकिन यह आपके हाथ में है :

आप कितना पोर्शन खाते हैं। कैसा क्रस्ट  खाते हैं -एक चौथाई  ,या आठवां हिस्सा  फुल साइज़ पिज़ा का ,थिन  क्रस्ट का आर्डर देते हैं या थिक का ,कितनी और कैसी  चटनी और लाल मिर्ची का इस्तेमाल करते हैं। रेड चिली फ्लेक्स मेटाबोलिस्म को अपचयन की दर को बढ़ा देती है। टमाटर की चटनी (सॉस )पौरुष ग्रंथि के कैंसे  के खतरे को काम कर सकती है। पौष्टिक पिज़्ज़ा यदि अल्पांश में ही खाया जाए इसके साथ पैकेज के चक्क्रों से कोला पेयों से बचा जाए तब यह दिल और दिमाग के लिए आघात के खतरों के वजन को कम भी कर सकता है। ऐसा होगा तभी जब आप खाद्य रेशों से भर-पूर होल ग्रेन क्रस्ट का ही आर्डर देंगें। ये रेशे आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त रखेंगे ,आवश्यक रेशों की उपलब्धि जीवन शैली रोग मधुमेह के खतरे के वजह को भी कम करेगी ।चीज़ की बस एक ही लेयर का आर्डर दीजिये। एक पिज़्ज़ा में सौ ग्राम तक चीज़ भी हो सकता है याद रखिये। 
और हाँ टोमेटो सास ज्यादा रखवाइये अपने आर्डर में। 

सीमित मात्रा में आप यदि किसी मेडिकल कंडीशन से ग्रस्त नहीं है तो बिला शक पिज़्ज़ा खा सकते हैं कुल केलोरीज़ का हिसाब रखिये। पैकेज में उपलब्ध  अन्य सामग्री से बचिए। 

अति हो सकती है इस ललचाऊ खाने की  जिसका चस्का पड़ जाता है।  

सत्तर के दशक में दिल्ली में जन थिएटर बहुत शोर मचाये था -अदरक के पंजे ,हलुवा सूजी का चस्का दूजी का ,खामोश अदालत ज़ारी है , घासी राम कोतवाल ,आदिक ,लोग आदी हो गए थे इन तमाशों के ।

 यहां भी यही हाल हो सकता है। .... पराठा   इटली का ...  एक शोध से बाकायदा पुष्ट हुआ है :

पिज़्ज़ा एक ऐसा खाद्य है जिसकी लत पड़ जाती है इसमें हर वो चीज़ मौजूद है जो दिमाग के एक ख़ास हिस्से की कोशिकाओं न्यूरॉन को बहकाती है भड़काती है। इससे आपको जरुरत भर का विटामिन C भी उपलब्ध हो जाएगा। 
चीज़ में कैल्शियम की मौजूदगी भले वजन काम करने में सहायक सिद्ध होती हो इसकी मात्रा को ऊपर की एक पर्त तक ही सीमित रखवाइये। अति यहां भी भली नहीं है :

अति का भला न बोलना ,अति की भली न चुप ,

अति का भला न चीज़ है ,अति की भली न सास।  

What’s not to love about this Italian export? Other foods, you eat. Pizza, you experience. Devouring a slice is a process that involves all the senses: the aroma coming from the oven, the sight of the molten cheese, the feel of the cornmeal-dusted crust in your hands, the sound of the crunch as you bite into it. And, of course, the taste-that unparalleled combo of dough, sauce, herbs, and cheese. Here are some facts about Pizza.
But Can it be good for you?
Pizza may often be classified as junk food, but it doesn’t have to be. The basic ingredients of pizza all have healthy potential. It’s only when you go overboard on toppings or the amount you eat that pizza earns its bad rap. To keep a pizza lean, all you’ve got to do is keep it simple:
Order the whole-grain crust.
Whole grains are high in fiber, which helps you feel fuller-and thereby limits or prevents overeating. It also keeps your digestive system running smoothly and may reduce your risk of stroke, heart disease, and type-2 diabetes. Opt for a thin crust, as well-even if it’s made with whole grains, a thicker crust boosts your slice’s total calorie count.
Load up on sauce.
Known for its ability to reduce the risk of prostate cancer, tomato sauce is also an excellent source of vitamin C. Ask for extra sauce on your pizza, or even some on the side to dip your crust into.
Don’t OD on cheese. Yes, cheese is all kinds of creamy goodness, and we’d never tell you to eat your pizza without it. However, that doesn’t mean it’s OK to order a pizza with cheese stuffed into every possible nook and cranny. Stick with a single layer of cheese on top of the pizza, though, and it can actually be good for you. That’s because getting a bit of extra calcium every day may actually help keep you lean. According to a study in the journal Obesity Research, men and women who cut calories but added dairy foods high in calcium to their diet lost 70% more weight over 24 months than people who only dieted.

बुधवार, 5 दिसंबर 2018

कुम्भाराम या कुम्भकरण बतला रहें हैं मसखरा राहू

कुम्भाराम या कुम्भकरण बतला रहें हैं मसखरा राहू 

हाल ही में राजस्थान की एक चुनावी सभा में मसखरा राहु ने एक कुम्भकरण लिफ्ट योजना का दो बार ज़िक्र किया ,जब तीसरी बार अशोक गहलोत साहब ने इस मसखरे को टहोका मारते हुए फुसफुसाया -कुम्भाराम आर्य तब यह बोला कुम्भा योजना हमने आरम्भ की है। 

हम यह पोस्ट अपने अनिवासी भारतीयों को बा -खबर करने के लिए लिख रहें हैं ,कि मान्यवर यह व्यक्ति (मसखरा राहु ,शहज़ादा कॉल ,मतिमंद दत्तात्रेय आदिक नामों से ख्यात )जब आलू की फैक्ट्री लगवा सकता है इनके महरूम पिता श्री गन्ने के कारखाने लगवा सकते हैं तब यह  'कौतुकी -लाल' श्री लंका में सुदूर त्रेता -युग में कभी पैदा हुए कुंभकर्ण को आराम से कुम्भाराम का पर्याय बतला सकता है इसके लिए दोनों में कोई फर्क इसलिए नहीं है क्योंकि इन्हें और इनकी अम्मा को न इस देश के इतिहास का पता है और न भूगोल का और ये मतिमंद अबुध कुमार अपने आप को स्वयं घोषित भावी प्रधानमन्त्री मान बैठने का मैगलोमनिया पाले बैठा है। 

भारत धर्मी समाज का काम लोगों तक सूचना पहुंचाना है।हमने किसी से कोई लेना देना नहीं है अलबत्ता भारत धर्मी समाज को सचेत करते रहना हमारा धर्म है। हमारे लिए सब समान हैं।  

न काहू से दोस्ती न काहू से बैर ,
कबीरा खड़ा बाज़ार में सबकी चाहे खैर। 

विशेष :जल्दी ही आप पढ़ेंगे इनकी मातु श्री को कितने नामों से जाना जाता है कहीं वह सिग्नोरा गांधी हैं कहीं अंतोनियो मायनो , कहीं सोनिया गांधी। (http://newsloose.com/)कौन है क्रिश्चियन मिशेल क्या है सोनिया गांधी उर्फ़ सिग्नोरा गांधी से रिश्ता ,सन्दर्भ अगस्ता वैस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद (२० १० )

सोमवार, 3 दिसंबर 2018

'ये -चुरी' नहीं 'या -चोर 'है ये जो पी एम् का अर्थ पॉकिट मार बतलाता है

 'ये -चुरी' नहीं 'या -चोर 'है ये जो पी एम् का अर्थ पॉकिट मार बतलाता है


सबद सम्हारे बोलिये ,सबद के हाथ न पाँव ,

एक सबद औषध करे ,एक सबद करे घाव। 

आप कहे भीतर गई ,जूती खात  कपाल। 

'ये -चुरी' नहीं 'या -चोर 'है ये जो पी एम् का अर्थ पॉकिट मार बतलाता है। 

ये कामोदरी और लिंगोदरी मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलाम ,भकुए नहीं जानते के सनातन नामों को ओढ़े हुए अपने नामों पर भी ये शर्मिंदा हैं क्यों इनके माँ बाप ने इनका नाम सेकुलर 'सीता -राम ' रखा।

 हम नहीं चाहते ,भारत धर्मी समाज का कोई भी प्राणि नहीं चाहता आगे चलकर इनको जूते पड़ें और ये कहें :

"आप कहे भीतर गई ,जूती खाई कपाल 

तीन शब्दों से आप वाकिफ हैं दोस्तों :हसोड़ ,मसखरा और भसोड़ 

इनमें से हसोड़ वह होता है जो यह जानता है के वह दूसरों पर  हँस रहा है 

मसखरा वह होता है जो अपने कपडे फाड़ के खुद पे हँसता है 

ये भकुए न हसोड़ हैं न मसखरे ये 'भसोड़' हैं।

मूर्धन्य वह होता है जो बहुत ऊंचाई पर बैठा होता है और मूढ़ -धन्य वह जो बहुत नीचे गिर चुका होता है। 

इनमें से पहले व्यक्ति के तौर पर शरद पंवार का नाम लिया जा सकता है जो हालांकि लकवा ग्रस्त हो गए थे लेकिन अंदर से संयत हैं  अपभाषा का प्रयोग नहीं करते।  

मसखरे से आप सब वाकिफ हैं -जी हाँ अपने शहज़ादे नेहरुपंथी कांग्रेस में अपशिष्ट। 

और मूड़धन्य ये -ये -चोरी है। 

कबीर दास  ऐसे लोगों को चेताते हुए ही लिख गए हैं :

मन उन्मना न तौलिए ,शब्द के मोल न तोल ,

मूर्ख लोग न जानसि ,आपा खोया बोल। 

When your mind is raged then you should not react to the words. One does not have any means for the valuation and weight of words. The fools do not understand this and lose their balance while talking.


पहले शब्द पहचानिये ,पीछे कीजे मोल ,

पारखी परखे रतन को ,शब्द का मोल न तोल। 


First you should understand what has been said by others. Then you can make the valuation of the words that you have listened. A goldsmith can test the purity of gold. One does not have any means for the evaluation and weight of words.

सन्दर्भ : सन्दर्भ दोस्तों दिल्ली में २४ राज्यों से आये किसान भाइयों का प्रदर्शन था जो अपने कृषि  उत्पादों  का उचित मूल्य निर्धारण करवाने के लिए एक नियम बनाने की मांग  लेकर  आये थे। चाहिए तो ये था उनमें से कुछ लोगों की पीड़ा को पहचानकर उन्हें ये राजनीति के ये -चारि और भरम -चारि ,धंधे बाज मंच पर आगे लाते ,ये खुद ही अपनी औकात बताने पर उतर  आये।राजनीति के इन छछूंदरों को ही समर्पित है ये पोस्ट। इति !जयश्रीकृष्ण ! 




मन उन्मना न तोलिये, शब्द के मोल न तोल |