संविधान में कहीं भी इफ्तियार पार्टी का ज़िक्र नहीं है
राष्ट्रपति का काम संविधानिक उत्तरदायित्वों को निभाना है। राष्ट्रपति इतिहास संस्कृति समाज साहित्य से जुड़े राष्ट्रीय मुद्दों पर बात करें ,सभाओं का नेतृत्व करें ,विज्ञान भवन में जाकर तकनीक और पुरातत्व पर आहूत किसी अंतर्राष्ट्रीय आयोजन का उद्घाटन करें यही उनके लिए शुभ और शोभनीय है। राष्ट्रपति किसी राजनीतिक पार्टी का मुखिया न होकर देश का मुखिया होता है भारत राष्ट्र की अस्मिता सेना के सर्वोच्च गौरव का प्रतीक होता है। वह एनडीए की पासिंग आउट परेड का विशेष अतिथि बने तो अच्छा लगता है।
केजरीवाल ,सोनियामायनो ,लालू यादव ,नीतीश कुमार और मुलायम के सम -स्तर पर अपना धंधा चमकाने वालों से अलग दिखना चाहिए राष्ट्रपति को.
अलबत्ता इफ्तियार पार्टी किसी राष्ट्रीय पार्टी को भी देनी चाहिए या नहीं बहस इस बात पर भी हो लेकिन राष्ट्रपति कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं होता है राजनीति से ऊपर उठकर राजनीति का अतिक्रमण करके ही वह राष्ट्रपति बनने की पात्रता पाता है।
यह कैसी परम्परा पाल रहें हैं प्रणवदा ,कल को कोई राष्ट्रपति इफ्तियार पार्टी नहीं देगा तो यही लोग सांप्रदायिक विद्वेष फैलाएंगे। जिन लोगों को सूर्य नमस्कार से एतराज है वन्देमातरम कहने में जिनका मज़हब खतरे में आ जाता है ऐसे लोगों को इफ्तियार पार्टी देने से राष्ट्रपति को बचना चाहिए।
इफ्तियार पार्टी साम्प्रदायिक सौमनस्य नहीं विशिष्ठ साम्प्रदायिक राजनीति का प्रतीक है। बधाई और पार्टी में अंतर होता है। राष्ट्रपति के लिए बधाई देना ही पर्याप्त और समीचीन होता है ,पार्टी देना राजनीतिक कौशल कर्म है।जहां पगड़ियाँ उछाली जाएँ और टोपियां सर पे रख ली जाएं इस तरह की साम्प्रदायिक धारा से राष्ट्रपति को परहेज करना चाहिए।
राष्ट्रपति का काम संविधानिक उत्तरदायित्वों को निभाना है। राष्ट्रपति इतिहास संस्कृति समाज साहित्य से जुड़े राष्ट्रीय मुद्दों पर बात करें ,सभाओं का नेतृत्व करें ,विज्ञान भवन में जाकर तकनीक और पुरातत्व पर आहूत किसी अंतर्राष्ट्रीय आयोजन का उद्घाटन करें यही उनके लिए शुभ और शोभनीय है। राष्ट्रपति किसी राजनीतिक पार्टी का मुखिया न होकर देश का मुखिया होता है भारत राष्ट्र की अस्मिता सेना के सर्वोच्च गौरव का प्रतीक होता है। वह एनडीए की पासिंग आउट परेड का विशेष अतिथि बने तो अच्छा लगता है।
केजरीवाल ,सोनियामायनो ,लालू यादव ,नीतीश कुमार और मुलायम के सम -स्तर पर अपना धंधा चमकाने वालों से अलग दिखना चाहिए राष्ट्रपति को.
अलबत्ता इफ्तियार पार्टी किसी राष्ट्रीय पार्टी को भी देनी चाहिए या नहीं बहस इस बात पर भी हो लेकिन राष्ट्रपति कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं होता है राजनीति से ऊपर उठकर राजनीति का अतिक्रमण करके ही वह राष्ट्रपति बनने की पात्रता पाता है।
यह कैसी परम्परा पाल रहें हैं प्रणवदा ,कल को कोई राष्ट्रपति इफ्तियार पार्टी नहीं देगा तो यही लोग सांप्रदायिक विद्वेष फैलाएंगे। जिन लोगों को सूर्य नमस्कार से एतराज है वन्देमातरम कहने में जिनका मज़हब खतरे में आ जाता है ऐसे लोगों को इफ्तियार पार्टी देने से राष्ट्रपति को बचना चाहिए।
इफ्तियार पार्टी साम्प्रदायिक सौमनस्य नहीं विशिष्ठ साम्प्रदायिक राजनीति का प्रतीक है। बधाई और पार्टी में अंतर होता है। राष्ट्रपति के लिए बधाई देना ही पर्याप्त और समीचीन होता है ,पार्टी देना राजनीतिक कौशल कर्म है।जहां पगड़ियाँ उछाली जाएँ और टोपियां सर पे रख ली जाएं इस तरह की साम्प्रदायिक धारा से राष्ट्रपति को परहेज करना चाहिए।
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