सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

एक बात तो लालूप्रसाद ने जीवन में परोपकार की है भले ही ये परोपकार अनजाने में उनसे हुआ हो पर यह श्रेय तो उनको जाता है और कॉपी राइट भी उन्हीं का रहेगा ,उन्होंने कहा है कि उनके मुंह में शैतान रहता है

एक बात तो लालूप्रसाद ने जीवन में परोपकार की है भले ही ये परोपकार अनजाने में उनसे हुआ हो पर यह श्रेय तो उनको जाता है और कॉपी राइट भी उन्हीं का रहेगा ,उन्होंने कहा है कि उनके मुंह में शैतान रहता है। ये बात तो अगर वह पहले कह देते तो भारत सरकार को हज सब्सिडी न देनी पड़ती। और मक्का मदीना में जाकर शैतान को पत्थर मारने वाले बहुत से मुसलमान अपनी जान न गंवाते। अब तो भारतीय मुसलमानों  और खासकर बिहारी मुसलमानों को ये सुविधा भी मिल गई है और बिहार पर गर्व करने का मौक़ा भी मिल गया है कि देखो अपना ललुवा कितने काम का है। चौदह  सौ सालों से जिस शैतान को ढूंढा जा रहा था वह शैतान तो लालउद्दीन के रूप में यहीं बैठा है। 

इसके मुंह में शैतान है
इसे वोट नहीं पत्थर मारो।(क्योंकि शैतान को पत्थर ही मारा जाता है न)ताकि आगे से ऐसा कुछ न बोले।
लालू यादव को शायद यह अहसास हो रहा है कि उन्होंने चुनावी माहौल में बीफ पर बयान देकर...
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