पेंटिंग्स के सब्जेक्ट्स सी तुम ,
मनभाऊ छवि लिए आई हो।
फेसबुकियों को हरषाई हो।
निरख निरख निज की छवि को ,
पल पल प्रतिपल मुस्काई हो ,
तुम किसकी गाढ़ी कमाई हो ,
मुखचिठ्ठे (फेस बुक )को कब भाया है ,
वो चेहरा जो हरजाई हो।
फेसबुक को बहुत लुभाई हो ,
कान्हा (कृष्ण कन्हाई )की तुम्ही लुगाई हो।
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