जो रतु लगे कापड़ा ,जामा होई पलीत ,
जो रतु पीवे मानसा ,तिनका क्यों निर्मल चीत।
अर्थात रक्त की एक बूँद भी कपड़ा पे गिर जाए तो वह अपवित्र हो जाता है फिर ऐसे में जो लोग मांस भक्षण करते हैं उनका चित्त कैसे निर्मल रह सकता है।
सिख धर्म के प्रवर्तक संत गुरुनानक देव के ये शब्द उन तमाम लोगों को आईना दिखलाने के लिए काफी हैं जो आज मांस क्या गौ मांस भक्षण की वकालत पर उतर आये हैं।इतिहास साक्षी है नामधारियों ने गौ रक्षा में गोवध बचाने , के लिए अपने प्राण न्योछवर कर दिए हैं इस देश में। १८५७ की क्रान्ति के पीछे वो कारतूस ही थे जिनपे गौ मांस की चर्बी लगी थी।
"यह कहकर कि मैं गौ मांस खाता हूँ कर ले कोई मेरा क्या करेगा "माननीय काटजू ,पूर्व न्यायाधीश हाई कोर्ट ,इलाहाबाद ने अपेक्स कोर्ट की गरिमा को खंडित किया है अपवित्र किया है उस सर्वोच्च न्यायालय के मंदिर को जो भारत धर्मी समाज की भावनाओं के अनुरक्षण का पक्षधर रहा है इस देश को जोड़े रहा है।
और भी अनेक धत कर्म किये होंगे काटजू ने उन्हें भी सार्वजनिक कर दें। और आनंद भवन के सामने गौ मांस लेकर बैठ जाएं तमाम जेहादी देश को विखंडित करने वाले तत्व तमाम अबुद्ध चैनल जो मत्स्य भक्षण को भी मांस भक्षण की गणना में शामिल करके यह सिद्ध कर रहें हैं की मांस भक्षण करने वाले ७० फीसद हैं भी काटजू के साथ आ जाएंगे।
अबुद्ध चैनल नोट करें पांच मकारों में (मांस ,मद्य (मदिरा ),मत्स्य ,मुद्रा और मैथुन आदि में )मत्स्य को अलग वर्ग में रखा गया है।
कहीं इनके पुरखे कटटूघर(कसाईबाड़ा )से तो सम्बंधित नहीं रहे ?और इसीलिए इनका नाम काटजू पड़ गया।
पूर्व में ये ज़नाब महत्मा गांधी और नेताजी सुभाष के लिए भी अपशब्द कह चुके हैं। इनके नाम की गरिमा को बचने का ठेका कौन ले अब।
बतलादें काटजू को गाय सनातन आस्था के अनुसार सिर्फ चार टांग वाला पशु नहीं रहा है। गो -कुल ,गो -लोक ,गोपाल भारतधर्मी समाज के मानस में विराजते हैं। गोकुल हमारा हृदय है और गोकुल का एक अर्थ है हमारी इन्द्रियों का कुल ,गो -पाल का अर्थ है इन्द्रियों का स्वामी। गौओं को प्यारा लगने वाला श्याम। गोपालक गोपाल।
पूतना वध के बाद शिशु कृष्ण को उठकर गोपियाँ गौशाला में ले जाती हैं श्यामा गाय की पूंछ से उनकी नज़र उतारतीं हैं गोबर का लेप करने के बाद उन्हें स्नान करवाती हैं। ऐसी है महाराज गाय की महिमा। कृष्ण भी जिसे पूजते हैं उसका नाम है गाय।आप तो नेहरू पूजक हैं आप क्या जाने सनातन आस्था और उसके प्रतीकों को मिस्टर काटजू।
जो रतु पीवे मानसा ,तिनका क्यों निर्मल चीत।
अर्थात रक्त की एक बूँद भी कपड़ा पे गिर जाए तो वह अपवित्र हो जाता है फिर ऐसे में जो लोग मांस भक्षण करते हैं उनका चित्त कैसे निर्मल रह सकता है।
सिख धर्म के प्रवर्तक संत गुरुनानक देव के ये शब्द उन तमाम लोगों को आईना दिखलाने के लिए काफी हैं जो आज मांस क्या गौ मांस भक्षण की वकालत पर उतर आये हैं।इतिहास साक्षी है नामधारियों ने गौ रक्षा में गोवध बचाने , के लिए अपने प्राण न्योछवर कर दिए हैं इस देश में। १८५७ की क्रान्ति के पीछे वो कारतूस ही थे जिनपे गौ मांस की चर्बी लगी थी।
"यह कहकर कि मैं गौ मांस खाता हूँ कर ले कोई मेरा क्या करेगा "माननीय काटजू ,पूर्व न्यायाधीश हाई कोर्ट ,इलाहाबाद ने अपेक्स कोर्ट की गरिमा को खंडित किया है अपवित्र किया है उस सर्वोच्च न्यायालय के मंदिर को जो भारत धर्मी समाज की भावनाओं के अनुरक्षण का पक्षधर रहा है इस देश को जोड़े रहा है।
और भी अनेक धत कर्म किये होंगे काटजू ने उन्हें भी सार्वजनिक कर दें। और आनंद भवन के सामने गौ मांस लेकर बैठ जाएं तमाम जेहादी देश को विखंडित करने वाले तत्व तमाम अबुद्ध चैनल जो मत्स्य भक्षण को भी मांस भक्षण की गणना में शामिल करके यह सिद्ध कर रहें हैं की मांस भक्षण करने वाले ७० फीसद हैं भी काटजू के साथ आ जाएंगे।
अबुद्ध चैनल नोट करें पांच मकारों में (मांस ,मद्य (मदिरा ),मत्स्य ,मुद्रा और मैथुन आदि में )मत्स्य को अलग वर्ग में रखा गया है।
कहीं इनके पुरखे कटटूघर(कसाईबाड़ा )से तो सम्बंधित नहीं रहे ?और इसीलिए इनका नाम काटजू पड़ गया।
पूर्व में ये ज़नाब महत्मा गांधी और नेताजी सुभाष के लिए भी अपशब्द कह चुके हैं। इनके नाम की गरिमा को बचने का ठेका कौन ले अब।
बतलादें काटजू को गाय सनातन आस्था के अनुसार सिर्फ चार टांग वाला पशु नहीं रहा है। गो -कुल ,गो -लोक ,गोपाल भारतधर्मी समाज के मानस में विराजते हैं। गोकुल हमारा हृदय है और गोकुल का एक अर्थ है हमारी इन्द्रियों का कुल ,गो -पाल का अर्थ है इन्द्रियों का स्वामी। गौओं को प्यारा लगने वाला श्याम। गोपालक गोपाल।
पूतना वध के बाद शिशु कृष्ण को उठकर गोपियाँ गौशाला में ले जाती हैं श्यामा गाय की पूंछ से उनकी नज़र उतारतीं हैं गोबर का लेप करने के बाद उन्हें स्नान करवाती हैं। ऐसी है महाराज गाय की महिमा। कृष्ण भी जिसे पूजते हैं उसका नाम है गाय।आप तो नेहरू पूजक हैं आप क्या जाने सनातन आस्था और उसके प्रतीकों को मिस्टर काटजू।
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Daily News & Analysis - 22 hours ago
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