शनिवार, 19 दिसंबर 2015

नहीं पुरुस्कृत हुए कोर्ट से , लेके जमानत आये , लौट के बुद्धू घर को आये

नहीं पुरुस्कृत हुए कोर्ट से ,

लेके जमानत आये ,

लौट के बुद्धू घर को आये। 

पीछे पीछे बुद्धू की माँ भी आ गई। 

चंद बातें हेराल्ड दाग के बारे में गौरतलब हैं :

आर्थिक अपराध (भ्रष्टाचार )किया इसीलिए ज़मानत मिली। वह भी मुचलके पर पर्सनल बांड पर नहीं। कोर्ट ने  माना आप आर्थिक  अपराधी हैं इसीलिए बैठने नहीं दिया। खड़ा रखा गया मुज़रिमों को बेशक उम्र और सेहत का लिहाज़ रखते हुए मोतीलाल वोहरा साहब को बैठने की इज़ाज़त दे दी गई। कहना पड़ा  मुज़रिमों को अपनी जुबान से -हम बिना कोर्ट की इज़ाज़त के देश  छोड़कर नहीं जायेंगे।

इतना इतरा क्यों रहें हैं फिर ये कांग्रेसी। ज़मानत पर जश्न मना रहें हैं ये दगेल कांग्रेसी। सारी हेंकड़ी निकल गई मतिमंद की।मैं और मेरी अम्मा ज़मानत नहीं लेंगे। बेटा हवालात की हवा खाते। शुक्र मानो उन उकिलों का जिन्होनें तुम्हें सही सलाह दी और तुमने आत्मघाती ज़िद छोड़ दी।  लेकिन रस्सी जल गई बल अभी भी नहीं गए। 

अभी भी कह रहे हैं मोदी के आरोपों  से नहीं डरूंगा। डरी हुई तो आपकी अम्मा भी थीं इसीलिए तनाव के हटते  ही ,ज़मानत मिलते ही चेहरे का वोल्टेज बढ़ गया।  महीनों से लोडशेडिंग चल रही थी। 

नहीं हटूंगी रास्ते से ?किसके  रास्ते से अम्मा आप नहीं हटेंगी ?किसका रास्ता रोके रहेंगी  आप  ?

इब्दताए इश्क है रोता है क्या आगे आगे देखिये होता है क्या ?

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