हाफ़िज़ और कांग्रेस का रिश्ता -डॉ. वागीश मेहता (गुडगाँव )
काबुल में कर उद्घाटन ,मोदी का लाहौर में आना ,
कूटनीति के नए पाठ से ,यह पाकिस्तान को समझाना ,
काबुल से भारत के रिश्ते को ,पाक अगर स्वीकार करे ,
तो कहीं कोई टकराव नहीं है ,संबंधों में ठहराव नहीं है।
मिलकर सारी बातें होंगी ,कहीं कोई भटकाव नहीं है।
नोट :इस लम्बी कविता को कल पढ़ियेगा विस्तार से।
वीरुभाई !
काबुल में कर उद्घाटन ,मोदी का लाहौर में आना ,
कूटनीति के नए पाठ से ,यह पाकिस्तान को समझाना ,
काबुल से भारत के रिश्ते को ,पाक अगर स्वीकार करे ,
तो कहीं कोई टकराव नहीं है ,संबंधों में ठहराव नहीं है।
मिलकर सारी बातें होंगी ,कहीं कोई भटकाव नहीं है।
नोट :इस लम्बी कविता को कल पढ़ियेगा विस्तार से।
वीरुभाई !
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