शनिवार, 12 दिसंबर 2015

मायनों जिद पे अड़ीं हैं -पहले वीके सिंह जी ,और वीरेंद्र सिंह (एमपी ,भाजपा )मुआफ़ी मांगें ,तब संसद चलने दी जाएगी। मायनो तुम अपने उस शिजोफ्रेनिक मणिशंकर अय्यर को बाँध के ले आओ जो सड़क पर चलते चलते बड़बड़ा रहा है -अरे ये सब मोदी की वजह से हो रहा है सब कुछ ,उन्हें हटाओ हमें लाओ


उनके मन की बात वह जाने मुझे उससे क्या लेना देना मेरा अलग एजंडा है। मायनो मोदी के 'मन की बात 'जानेगी भी कैसे क्योंकि वह तो सबके मन की बात है। मायनो तो शैतान के मन बात ही जानतीं हैं। बतलादें आपको चौरासी लाख योनियों में एक योनि मायनो भी हैं यह एक प्रजाति है। टाइप है इंसानी लिबास में।

चर्च की बड़ी ताकतों ,साम्राज्यवादी एवं जिहादी मानसिकता के लोगों ने किसी स्थान पर मीटिंग करके यह सोचसमझकर तय किया था कि सोनिया मायनो का  भारत के नेहरू परिवार पर इम्प्लांट (मढ़ा जाए ,मायनो  प्रत्यारोप )लगाया जाए ताकि भारत का सिलसिलेवार विघटन हो सके। मायनो ये काम बखूबी कर रही हैं।  जबकि जिस परिवार से ये आतीं हैं  उस समय वह केजीबी (रूस की खुफिया एजन्सी )की मुखबिरी कर रहा  था।सारे देश के पायलटों की छुट्टी रद्द करके उन्हें बुला लिया गया था और ये भारत के अकेले देशभक्त और होनहार पायलट के साथ साइकिल पे योरोप की सैर कर रहीं थीं। 

अभी तो सोनिया  कई और लोगों को भी देख लेने की बात कह रहीं हैं। एक ही  साध्वी अभी हवालात में है। हमारे अज़ीमतर प्रधानमंत्री  नरेंद्र दामोदर मोदी जी ने कहा -लोकतंत्र मनमत से नहीं लोकमत से चलता है। इस पर मायनो ने प्रतिवाद करते हुए कहा वह भले ऐसा कहा करें ,मैं तो शैतान  मन की बात ही करूंगी  .मनमानी ही करूंगी।

उनके मन की बात वह जाने मुझे उससे क्या लेना देना मेरा अलग एजंडा है। मायनो मोदी के 'मन की बात 'जानेगी भी कैसे क्योंकि वह तो सबके मन की बात है।  मायनो  तो शैतान के मन बात ही जानतीं हैं। बतलादें आपको चौरासी लाख योनियों में एक योनि मायनो भी हैं यह एक प्रजाति है। टाइप है इंसानी लिबास में।

मायनों जिद पे अड़ीं हैं -पहले वीके सिंह जी ,और वीरेंद्र सिंह (एमपी ,भाजपा )मुआफ़ी मांगें ,तब संसद चलने दी जाएगी। मायनो तुम अपने  उस शिजोफ्रेनिक मणिशंकर अय्यर को बाँध के ले आओ जो सड़क पर चलते चलते बड़बड़ा रहा है -अरे  ये सब मोदी की वजह से हो रहा है सब कुछ ,उन्हें हटाओ हमें  लाओ।

 सोनिया मायनो को सारे भारत की  माँ तथा नवाज़ शरीफ को मोदी से  बढ़िया प्रशासक  कहने वाले चाकर सलमान खुर्शीद को पकड़ के लाओ। संसद में लाकर नाक रगड़ वाओ -दोनों मनोरोगी (मैगालोमेनियाक )देश से मुआफ़ी मांगें फिर हमारे जनरल साहब भी ,किसान वीरेंद्र सिंह जी भी आपको और आपके मतिमंद अबुध कुमार को बाजरे और ज्वार ,धान और पालिश लगे चावल का फर्क समझा देंगे।ज्यादा चिलत्तर दिखलाने से बाज़ आओ मायनो। मकसद बतलाओ उन लोगों का क्या था, जिन्होनें तुम्हें भारत की उज्ज्वल काया पे थोप दिया।अभी तलाक सब कुछ अनुमेय ही बना हुआ है। खुदा खैर  करे। 

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