काहु न कोउ सुख दुःख कर दाता , निज कृत करम भोग सब भ्राता
व्यक्ति अपना कर्म ही है। कोई किसी के सुख ,दुःख,की वजह नहीं बनता है। न कोई किसी को डरा सकता है न निर्भय बना सकता है भले कोई इंदिरा जी क्या ब्रह्माजी की बहु हो। इंदिराजी की तो एक और भी बहु है नितांत शालीन मर्यादित ,शिक्षित पत्रकारा भी है वह ,एनिमल एक्टिविस्ट भी।
कर्म प्रधान विश्व रची राखा ,जो जस करहिं सो फलु चाखा।
व्यक्ति अपना कर्म ही है। कोई किसी के सुख ,दुःख,की वजह नहीं बनता है। न कोई किसी को डरा सकता है न निर्भय बना सकता है भले कोई इंदिरा जी क्या ब्रह्माजी की बहु हो। इंदिराजी की तो एक और भी बहु है नितांत शालीन मर्यादित ,शिक्षित पत्रकारा भी है वह ,एनिमल एक्टिविस्ट भी।
कर्म प्रधान विश्व रची राखा ,जो जस करहिं सो फलु चाखा।
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