बुधवार, 30 सितंबर 2015

बेहतर यही है वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का हिन्दुस्तानी नाम बदलकर जमालुद्दीन लालउद्दीन विश्वविद्यालय कर लें





Shekhar Gemini

जेएनयू से फेसबुक का बहिष्कार करने की अपील करने वालों से दो टूक :


ये आवाज़ जिन मुखों से निकली है या तो वे मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलाम हैं या फिर जेहादवादी मानिसकता के पक्षधर हैं। भारत के सम्मान को बढ़ाने वाली कोई भी आवाज़ या घटना ,सिलसिला ,सूचना उन्हें सहन ही नहीं होता  . बेहतर यही है वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का हिन्दुस्तानी नाम बदलकर जमालुद्दीन लालउद्दीन विश्वविद्यालय कर लें। उन्हें शर्म नहीं आती कि वे हिन्दुस्तानी नाम के एक विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं। भारतवासियों को ये  भूलना नहीं चाहिए कि ये वही लोग हैं जो पिछले कई दिनों से फिल्म इंस्टीट्यूट पुणे में तमाशा कर रहे थे। 

फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जुकरबर्ग ने हिंदुस्‍तान में आकर हिंदू मंदिर से सकारात्‍मक ऊर्जा लेने की बात क्‍या कही, पूरी दुनिया ही उन पर टूट पड़ी. क्‍या इस्‍लामी, क्‍या इसायत और क्‍या सेक्‍यूलरवादी??- सभी का वह बंधा नारा खुल गया, जिसमें यह झूठ लपेट रखा था कि ''सभी धर्म एक ही शिक्षा देते हैं, सभी धर्म समान हैं''- वगैरह, वगैरह.....
मार्क पर हमला तो PMO India मोदी के नाम पर किया जा रहा है, लेकिन इन नफरत फैलाने वालों की असली टीस मार्क द्वारा भारत के मंदिरों में सकारात्‍मक ऊर्जा होने की बात कहने को लेकर ही है....
''अलायंस फ़ॉर जस्टिस एंड अकाउंटबिलटी'' नामक एक वर्ग को दुनिया भर के मक्‍कारों ने आगे किया है और एक वेबसाइट लॉन्च किया, जिसका नाम-'ज़क, वॉश योर हैंड्स' है. अर्थात जकरबर्ग अपने हाथ साफ करो, क्‍योंकि तुमने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हाथ जो मिलाया है. मार्क को हाथ धोने के लिए हजारों बोतल सैनेटाइज़र भेजे जा रहे हैं, जिस पर गुजरात दंगे में मरे लोगों का नाम चिपका कर भेजा जा रहा है. सैनेटाइज़र भेजने वालों में खून से नहाए आईएसआईएसआई का डीएनए शायद पनप रहा है, क्‍योंकि नफरत का यह आईएसआईएस मार्का सॉफ्ट रूप ही है....
ब्रिटेन का बीबीसी इसका अगुवा है और @DocVatsa, @vinaydokani @MECHASHISH- जैसे चंद नफरत की पैदाइश की सोच को अंतरराष्‍ट्रीय मुहिम बनाने में जुटा है. फर्क नहीं पड़ता, क्‍योंकि सनातन इससे ही अहिंसा और प्रेम की राह बनाता आया है और तब तक बनाता रहेगा, जब तक इस दुनिया में एक भी नफरत करने वाले लोग हैं.....
वैसे जिस गुजरात दंगे के नाम पर मोदी पर यह हमला किया जा रहा है, उस पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कब का आ चुका है। लेकिन इन घृणित मानसिकता के लोगों को न तो याकूब मेनन पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मान्‍य था और न ही गुजरात दंगे पर ही सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मान्‍य है.....
दोष कहीं न कहीं राष्‍ट्रवादी संस्‍थाओं एवं उनपार्टियों का भी है, जो बकलोलों की तरह इन मार्क्‍स-मसीह-मोहम्‍मदवादी विचारधारा के टीवी चैनलों पर टकटकी लगाए बौराए से बक-बक करते या देखते रहते है इन्‍होंने अपनी तरफ से न तो आम लोगों तक सही तथ्‍य पहुंचने का कभी प्रयास ही किया और न ही किसी ऐसे प्रयास को सपोर्ट ही किया......
'मोदी से मिले हैं तो हाथ साफ़ कर लीजिए' http://www.bbc.com/…/09/150929_zuckerberg_modi_sanitizer_pkp
सौजन्य से - Sandeep Deo
  • Maitreyee Yagyavalkya और 8 अन्य लोगों को यह पसंद है.
  • टिप्पणियाँ
      • Virendra Sharma हर तरफ एतराज होता है ,मैं जहां रौशनी में आता हूँ 

        सावन के अंधों को हरा हरा ही नज़र आता है यही सेकुलर चरित्र है।

      • Virendra Sharma हर तरफ एतराज होता है ,मैं जहां रौशनी में आता हूँ 

        सावन के अंधों को हरा हरा ही नज़र आता है यही सेकुलर चरित्र है। 

        श्रावण आता देख कर कोयल साधो मौन ,

        अब दादुर वक्ता भये ,तोकू पूछे कौन।

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