गाउट या गठिया जिसे संघिवात भी कह दिया जाता है जोड़ों के दर्द की ही एक ऐसी किस्म है जिसमें अक्सर पैर के अंगूठों के जोड़ ज्वलनशील होकर सूज जाते हैं ,रक्तिम हो जाते हैं संवेदनशील इतना हो जाते हैं के यकायक अगर लिहाफ या कंफर्टर भी अंगूठों से छू जाए तो बर्दाश्त के बाहर तकलीफ होने लगती है।
दर्द का हमला होने में कभी कभार १२ से भी कम घंटों का समय लगता है। बारहा इसकी पुनरावृति होने लगती है।
अक्सर खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाने से इसके लक्षण प्रकट होते हैं। खानदानी कारणों आपकी आनुवंशिक बनावट जीनोम संरचना विस्तार के अलावा आपका खानपान दिनचर्या से भी जुड़ा है यह रोग।
इसी खानपान के भ्रष्ट होने पर खून में यूरिक एसिड का स्तर इतना ऊपर चला आता है के उसके क्रिस्टल (मणिभ )बनकर जोड़ों ,कंडराओं (tendons )और असरग्रस्त जोड़ के निकट -तर ऊतकों में घर बनाने लगते हैं इसी से असहनीय पीड़ा होती है।
मांस पेशी को हड्डी (अस्थि )से जोड़ने वाली नस टेंडन या कंडरा कहलाती है।
ज्यादा बीअर पीने और मांस (खासकर रेड मीट )खाने वाले इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं।
लेब टेस्ट्स (परीक्षण )और रोगनिदान
(१ )अक्सर प्रभावित जोड़ से एक सिरिंज के द्वारा तरल खींच कर इसकी माइक्रोस्कोप (सूक्ष्मदर्शी )से जांच करने पर अगर यूरेट के क्रिस्टल होने की पुष्टि हो जाती है तो एक तरह से रोग का पता चल जाता है।
(२ )सीरम क्रिएटिनिन और यरिके एसिड का पता लगाने के लिए खून की एक ख़ास जांच की जाती है। हालांकि कई मर्तबा खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा हुआ होने पर भी व्यक्ति में गाउट के कैसे भी लक्षण प्रकटित नहीं भी होते हैं।
जबकि कुछ में रोग के लक्षण तो मुखर दीखते हैं लेकिन यूरिक एसिड का स्तर स सामान्य ही पाया जाता है। इसीलिए एक से ज्यादा जांच करके रोग निदान सुनिश्चित किया जाता है ,रोग होने की पुष्टि की जाती है।
(३ )एक्स -रे जांच से दूसरे कारणों और जॉइंट -इन्फ्लेमेशन (जोड़ में जलन सूजन लाली होने की अन्य वजहों )को खारिज किया जा सकता है।
(४ )अल्ट्रासाउंड (शरीर के अंदर जोड़ का चित्र प्रस्तुत करने वाली पराध्वनिक डाक्टरी प्रक्रिया )जिसमें परा -श्रव्य ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है जिन्हें हमारा कान नहीं सुन सकता, इस जांच से जोड़ में तथा tophus में यूरेट क्रिस्टल के होने की खबर लग जाती है।
यूरिक एसिड के कठोर क्रिस्टलीकृत रूप का उपास्थियों (Cartilages) ,जोड़ों और चमड़ी में जमा होना ही टोफुस (टोफस )कहा जाता है।
Tophus is a hard deposit of crystalline uric acid and its salts in cartilages ,joints ,and skin .
(५ )Duel Energy CT Scan
त्रिआयामी चित्रण की यह विधि उस जोड़ में भी यूरेट क्रिस्टलों के जमा होने का पता लगा लेती है जिनमें न अभी जलन है न लालिमा और न सोजिश। बेहद खर्चीला होने की वजह से यह टेस्ट आम तौर पर सब जगह न तो उपलब्ध है और न किया ही जाता है।
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/gout/basics/tests-diagnosis/con-20019400
(२ )Diseases and Conditions
दर्द का हमला होने में कभी कभार १२ से भी कम घंटों का समय लगता है। बारहा इसकी पुनरावृति होने लगती है।
अक्सर खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाने से इसके लक्षण प्रकट होते हैं। खानदानी कारणों आपकी आनुवंशिक बनावट जीनोम संरचना विस्तार के अलावा आपका खानपान दिनचर्या से भी जुड़ा है यह रोग।
इसी खानपान के भ्रष्ट होने पर खून में यूरिक एसिड का स्तर इतना ऊपर चला आता है के उसके क्रिस्टल (मणिभ )बनकर जोड़ों ,कंडराओं (tendons )और असरग्रस्त जोड़ के निकट -तर ऊतकों में घर बनाने लगते हैं इसी से असहनीय पीड़ा होती है।
मांस पेशी को हड्डी (अस्थि )से जोड़ने वाली नस टेंडन या कंडरा कहलाती है।
ज्यादा बीअर पीने और मांस (खासकर रेड मीट )खाने वाले इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं।
लेब टेस्ट्स (परीक्षण )और रोगनिदान
(१ )अक्सर प्रभावित जोड़ से एक सिरिंज के द्वारा तरल खींच कर इसकी माइक्रोस्कोप (सूक्ष्मदर्शी )से जांच करने पर अगर यूरेट के क्रिस्टल होने की पुष्टि हो जाती है तो एक तरह से रोग का पता चल जाता है।
(२ )सीरम क्रिएटिनिन और यरिके एसिड का पता लगाने के लिए खून की एक ख़ास जांच की जाती है। हालांकि कई मर्तबा खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा हुआ होने पर भी व्यक्ति में गाउट के कैसे भी लक्षण प्रकटित नहीं भी होते हैं।
जबकि कुछ में रोग के लक्षण तो मुखर दीखते हैं लेकिन यूरिक एसिड का स्तर स सामान्य ही पाया जाता है। इसीलिए एक से ज्यादा जांच करके रोग निदान सुनिश्चित किया जाता है ,रोग होने की पुष्टि की जाती है।
(३ )एक्स -रे जांच से दूसरे कारणों और जॉइंट -इन्फ्लेमेशन (जोड़ में जलन सूजन लाली होने की अन्य वजहों )को खारिज किया जा सकता है।
(४ )अल्ट्रासाउंड (शरीर के अंदर जोड़ का चित्र प्रस्तुत करने वाली पराध्वनिक डाक्टरी प्रक्रिया )जिसमें परा -श्रव्य ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है जिन्हें हमारा कान नहीं सुन सकता, इस जांच से जोड़ में तथा tophus में यूरेट क्रिस्टल के होने की खबर लग जाती है।
यूरिक एसिड के कठोर क्रिस्टलीकृत रूप का उपास्थियों (Cartilages) ,जोड़ों और चमड़ी में जमा होना ही टोफुस (टोफस )कहा जाता है।
Tophus is a hard deposit of crystalline uric acid and its salts in cartilages ,joints ,and skin .
(५ )Duel Energy CT Scan
त्रिआयामी चित्रण की यह विधि उस जोड़ में भी यूरेट क्रिस्टलों के जमा होने का पता लगा लेती है जिनमें न अभी जलन है न लालिमा और न सोजिश। बेहद खर्चीला होने की वजह से यह टेस्ट आम तौर पर सब जगह न तो उपलब्ध है और न किया ही जाता है।
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/gout/basics/tests-diagnosis/con-20019400
(२ )Diseases and Conditions
Gout
(३ )
Tests and diagnosis
By Mayo Clinic StaffGout | |
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Synonyms | Podagra |
The Gout (James Gillray, 1799) depicts the pain of the artist's podagra as a demon or dragon.[1][2] | |
Specialty | Rheumatology |
Symptoms | Joint pain, swelling, and redness[3] |
Usual onset | Older males[4] |
Causes | Uric acid[4] |
Risk factors | Diet high in meat or beer, overweight[5][4] |
Similar conditions | Joint infection, reactive arthritis, pseudogout, others[6] |
Prevention | Weight loss, vitamin C, not drinking alcohol, allopurinol[4] |
Treatment | NSAIDs, steroids, colchicine[7] |
Frequency | 1 to 2% (developed world)[4] |
Gout is a form of inflammatory arthritis characterized by recurrent attacks of a red, tender, hot, and swollen joint.[3] Pain typically comes on rapidly in less than twelve hours.[4] The joint at the base of the big toe is affected in about half of cases.[8] It may also result in tophi, kidney stones, or urate nephropathy.[4]
Gout is due to elevated levels of uric acid in the blood.[4] This occurs due to a combination of diet and genetic factors.[4] At high levels, uric acid crystallizes and the crystals deposit in joints, tendons and surrounding tissues, resulting in an attack of gout.[4]Gout occurs more commonly in those who eat a lot of meat, drink a lot of beer, or are overweight.[5][4] Diagnosis of gout may be confirmed by seeing the crystals in joint fluid or tophus.[4] Blood uric acid levels may be normal during an attack.[4]
रोग के तेज़ और उग्र लक्षणों के शमन के लिए भी इलाज़ है भविष्य में ऐसे हमलों से बचाव भी होता है इलाज़ से और रोग का पेचीला पन भी कारगर और आपको माफिक आये इलाज़ से टलता ही है।यह पेचीला पन जोड़ में मोनो -सोडियम यूरेट क्रिस्टलों के जमा होते रहने से पैदा होता है।इस स्थिति को टोफ़स (Tophus )कहते हैं। गाउटी -टॉफ़ी (Gouty Tophi)भी। उल्लेखित लिंक देखें अंग्रेजी का।
अक्सर उल्लेखित दवाओं का इस्तेमाल उग्र लक्षणों की तीव्रता कम करने आइंदा होने वाले रोग के उग्र रूप को मुल्तवी करना रहता है।
(१)सूजन ,प्रज्वलन ,संक्रमण को रोकने का काम करने के लिए ऐसी दवाएं जिनमें स्टीरॉइड्स शामिल नहीं रहते हैं दी जाती हैं इन्हें ही 'नान -स्टीरॉइडल एंटी -इंफ्लेमेटरी ड्रग्स' कहा जाता है।अंग्रेजी में (NSAIDs).
इनमें बिना डाक्टरी पर्ची के मिलने वाली सहज उपलब्ध ओवर दी काउंटर ड्रग्स शामिल हैं यथा -आइबूप्रोफेन (Advil ,Motrin IB,others );नेप्रोक्सेन सोडीयम (Aleve,others ).
अलावा इसके तेज तर्रार ज्यादा पोटेंट दवाएं भी हैं जिनके लिए प्रिस्क्रिप्शन स्लिप चाहिए ,डाक्टरी नुस्खा उसके हाथ का लिखा चाहिए -इंडोमेथासिन (इंडोचीन या इंडोसन ),या केलकॉक्सिब (Celebrex,Celecoxib)इसी वर्ग में आतीं हैं।
(२ )कोल्चिकिने (Colchicine):
यह एक तरह की दर्दनाशी ,दर्द-हारी दवा ही है जिसे एनलजेसिक कहते हैं गठिया के दर्द को कम करने में ये एकदम से असरकारी रहती है। इसे ही Colcrys,Mitigare)कह दिया जाता है जो इसका व्यावसायिक नाम भी होता है। अलबत्ता इसके अवांछित पार्श्व प्रभाव (side effects )इससे मिलने वाले लाभ को बराबर कर देते हैं जिनमें शामिल हैं मतली (जी मिचलाना ,उबकाई आना ,वमन का हो जाना ,और अतिसार यानी उलटी दस्त साथ -साथ होना -diarrhea).
अलबत्ता रोग का उग्रतर रूप हल्का पड़ने ,शांत हो जाने पर आइंदा होने वाले ऐसे ही हमलों से बचाव के लिए इसी दवा की छोटी खुराकें दी जा सकतीं हैं।
(३ )कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स (Corticosteroids):
ये दवाएं खाने वाली गोलियों के रूप में भी और सुईं (इंजेक्शन )के ज़रिये भी सीधे जोड़ में पहुंचाई जातीं हैं। प्रेड्निसोने इसी वर्ग की दवा है।अलबत्ता ये दवाएं उन मरीज़ों को ही दी जातीं हैं जिन्हें ऊपरलिखित दोनों वर्गों की दवाएं माफिक नहीं आती हैं या किसी और वजह से भी नहीं दी जा सकतीं हैं NASIDs और कोल्चिकिने।
अलबत्ता ये गाउट से पैदा पीड़ा ,जोड़ की ज्वलनशीलता ,सूजन आदि को कम करतीं हैं।
अलावा इसके गाउट का पेचीला- पन से बचाव की दवाएं भी हैं :
उन मामलों में जिन में साल में कई हमले रोग के हो जाते हैं और ऐसा हर साल होता है या फिर हमले तो उतने नहीं होते लेकिन जो भी होते हैं उनमें पीड़ा असहनीय हो जाती है -पेचीलापन मुल्तवी रखने वाली दवाएं दी जा सकती हैं।
अलावा इसके गाउट का पेचीला- पन से बचाव की दवाएं भी हैं :
गाउट ,संघिवात या गठिया में इलाज़ और दवा- दारु का दिया जाना रोग की मौजूदा स्थिति से शुरू होता है इलाज़ तो हर हाल चाहिए ही आपकी मर्ज़ी भी पूछी जाती है उपलब्ध विकल्पों के बारे में।
रोग के तेज़ और उग्र लक्षणों के शमन के लिए भी इलाज़ है भविष्य में ऐसे हमलों से बचाव भी होता है इलाज़ से और रोग का पेचीला पन भी कारगर और आपको माफिक आये इलाज़ से टलता ही है।यह पेचीला पन जोड़ में मोनो -सोडियम यूरेट क्रिस्टलों के जमा होते रहने से पैदा होता है।इस स्थिति को टोफ़स (Tophus )कहते हैं। गाउटी -टॉफ़ी (Gouty Tophi)भी। उल्लेखित लिंक देखें अंग्रेजी का।
अक्सर उल्लेखित दवाओं का इस्तेमाल उग्र लक्षणों की तीव्रता कम करने आइंदा होने वाले रोग के उग्र रूप को मुल्तवी करना रहता है।
(१)सूजन ,प्रज्वलन ,संक्रमण को रोकने का काम करने के लिए ऐसी दवाएं जिनमें स्टीरॉइड्स शामिल नहीं रहते हैं दी जाती हैं इन्हें ही 'नान -स्टीरॉइडल एंटी -इंफ्लेमेटरी ड्रग्स' कहा जाता है।अंग्रेजी में (NSAIDs).
इनमें बिना डाक्टरी पर्ची के मिलने वाली सहज उपलब्ध ओवर दी काउंटर ड्रग्स शामिल हैं यथा -आइबूप्रोफेन (Advil ,Motrin IB,others );नेप्रोक्सेन सोडीयम (Aleve,others ).
अलावा इसके तेज तर्रार ज्यादा पोटेंट दवाएं भी हैं जिनके लिए प्रिस्क्रिप्शन स्लिप चाहिए ,डाक्टरी नुस्खा उसके हाथ का लिखा चाहिए -इंडोमेथासिन (इंडोचीन या इंडोसन ),या केलकॉक्सिब (Celebrex,Celecoxib)इसी वर्ग में आतीं हैं।
Do You Have Gouty Tophi?
You’ll know you have gouty tophi if you have “knobs” just under the skin that feel like buried marbles. And they don’t hurt, but they sure are hard. Do they look like this gout picture? Or are they not that bad yet? Gouty Tophi is NOTHING to mess around with. As painful and inconvenient as these knobs are….you must realize that they are also forming inside your organs. This is very serious, and yes it can even kill you.
Gouty Tophus
JUNE 4, 2011Gouty Tophus is Your Last Warning Sign, because Gouty Tophus in your internal organs means….you die. No joke. You see all those gouty tophus lumps in these gout pictures? Now visualize these same lumps inside your kidneys and liver. Yep . . . you’re toast. Gouty tophus appears in the FINAL STAGES of gout…when your […]
(२ )कोल्चिकिने (Colchicine):
यह एक तरह की दर्दनाशी ,दर्द-हारी दवा ही है जिसे एनलजेसिक कहते हैं गठिया के दर्द को कम करने में ये एकदम से असरकारी रहती है। इसे ही Colcrys,Mitigare)कह दिया जाता है जो इसका व्यावसायिक नाम भी होता है। अलबत्ता इसके अवांछित पार्श्व प्रभाव (side effects )इससे मिलने वाले लाभ को बराबर कर देते हैं जिनमें शामिल हैं मतली (जी मिचलाना ,उबकाई आना ,वमन का हो जाना ,और अतिसार यानी उलटी दस्त साथ -साथ होना -diarrhea).
अलबत्ता रोग का उग्रतर रूप हल्का पड़ने ,शांत हो जाने पर आइंदा होने वाले ऐसे ही हमलों से बचाव के लिए इसी दवा की छोटी खुराकें दी जा सकतीं हैं।
(३ )कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स (Corticosteroids):
ये दवाएं खाने वाली गोलियों के रूप में भी और सुईं (इंजेक्शन )के ज़रिये भी सीधे जोड़ में पहुंचाई जातीं हैं। प्रेड्निसोने इसी वर्ग की दवा है।अलबत्ता ये दवाएं उन मरीज़ों को ही दी जातीं हैं जिन्हें ऊपरलिखित दोनों वर्गों की दवाएं माफिक नहीं आती हैं या किसी और वजह से भी नहीं दी जा सकतीं हैं NASIDs और कोल्चिकिने।
कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स के पार्श्व प्रभावों में आपके मिज़ाज़ में यकायक बदलाव का आना mood बदलना ,खून में तैरती शक्कर के स्तर का बढ़ना और ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ना आदि शामिल रहते हैं या रह सकते हैं।
अलबत्ता ये गाउट से पैदा पीड़ा ,जोड़ की ज्वलनशीलता ,सूजन आदि को कम करतीं हैं।
अलावा इसके गाउट का पेचीला- पन से बचाव की दवाएं भी हैं :
उन मामलों में जिन में साल में कई हमले रोग के हो जाते हैं और ऐसा हर साल होता है या फिर हमले तो उतने नहीं होते लेकिन जो भी होते हैं उनमें पीड़ा असहनीय हो जाती है -पेचीलापन मुल्तवी रखने वाली दवाएं दी जा सकती हैं।
अलावा इसके गाउट का पेचीला- पन से बचाव की दवाएं भी हैं :
उन मामलों में जिन में साल में कई हमले रोग के हो जाते हैं और ऐसा हर साल होता है या फिर हमले तो उतने नहीं होते लेकिन जो भी होते हैं उनमें पीड़ा असहनीय हो जाती है -पेचीलापन मुल्तवी रखने वाली दवाएं दी जा सकती हैं।
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