" जिनको समझो भाईजान ,वो भाई जान ले लेते हैं "-
-----भारत धर्मी समाज के युवा कवि कमल आग्नेय
नारियों के जेवर को ,नर के कलेवर को,
नेता जी सुभाष जैसे तेवर को क्या मिला ?
सूली पर झूली थी जवानी की कहानी तब
बलिदानी दुर्गा के देवर को क्या मिला ?
अपने ही बेटे शरणार्थी हुए यहां
काश्मीरी क्यारियों में केसर को क्या मिला ?
जिन्ना को मिला तो पाक, नेहरू को हिन्द ,
कोई तो बताये ,चंद्रशेखर को क्या मिला ?
इस देश की संसद और राज्य सभा में प्रभु राम के बारे कोई कुछ भी कह दे अनर्गल कुछ भी कहे -हम चुप बैठेंगे क्या ?
केश जो महेश के विशेष खुलते न यदि ,
भगरथी भाग्य वेश शेष नहीं होता जी।
जाह्नवी का जल जंगलों को जन्म देता न तो ,
तंगदीप, वसुधा का भेष नहीं होता जी।
होता न विराट शैल ,राष्ट्र का ललाट फिर ,
धरती न होती तो नगेश नहीं होता जी।
भारत की आत्मा के प्राण तत्व श्री राम ,
रामजी नहीं होते तो , ये देश नहीं होता जी।
राम तम्बू में पड़े हैं तो क्यों पड़े हैं ?
सूरज की रौशनी में जुगनू नहीं दिखे तो ,
अंधियारों ने प्रभाव उनका बढ़ा दिया।
मानव ही पूजने तो पूजिये विवेकानंद ,
हिन्दुओं के विश्व के पटल पर बढ़ा दिया।
कर्तव्य से विमुख हो गए थे विप्रवर ,
झूठा इतिहास पूरे देश को पढ़ा दिया।
राम इसलिए आज तक तम्बू में पड़ें हैं ,
स्वर्ण -छत्र आपने तो साईं को चढ़ा दिया।
जहां पर कभी गाज़ी आबाद हुआ हो -उस गाज़ियाबाद में अगर ये बात स्वीकार ली गई है तो पूरे देश में स्वीकार कर ली गई है -
अमरनाथ हमले पर कवि कमल आग्नेय -
आज एकता के वायदे क्षण भर में चकनाचूर हुए ,
हिन्दू बेटे अमर नाथ न जाने को मजबूर हुए।
निरपक्ष धर्म के सागर के उस पार उतारे जाओगे ,
हे हिन्दू जो जागे न तो सबके सब मारे जाओगे।
अलग अलग बहती नदियों का हमको मीन समझते हैं,
श्री राम के बेटों को वो साहसहीन समझते हैं।
क्या अद्भुत परिणाम मिला है गांधी की परिपाटी का ,
लेकिन तेवर मरा नहीं है अब भी हल्दीघाटी का।
बार -बार के अपराधों की फिर न होती माफ़ी है ,
हाजी और गाज़ी के खातिर यति बाबा ही काफी है।
व्यंग्य -विनोद परिहास देखिये युवा कवि कमल आग्नेय का :
लोगों ने पहना दिए इतने सारे हार ,
अच्छा खासा आदमी दिखने लगा मज़ार।
वो अपने हाथों में शरिया का, विधान ले लेते हैं ,
जिनको समझो भाईजान ,वे भाई जान ले लेते हैं।
तुम होंगे अरबी जंगबाज ,तो हम भी बेहद गंगी हैं ,
दस चच्चा जानों पर भारी एक मात्र बजरंगी है।
इतिहासों के पृष्ठों में घटना विख्यात बना देंगे ,
काश्मीर को २००२ का गुजरात बना देंगे।
-----भारत धर्मी समाज के युवा कवि कमल आग्नेय
नारियों के जेवर को ,नर के कलेवर को,
नेता जी सुभाष जैसे तेवर को क्या मिला ?
सूली पर झूली थी जवानी की कहानी तब
बलिदानी दुर्गा के देवर को क्या मिला ?
अपने ही बेटे शरणार्थी हुए यहां
काश्मीरी क्यारियों में केसर को क्या मिला ?
जिन्ना को मिला तो पाक, नेहरू को हिन्द ,
कोई तो बताये ,चंद्रशेखर को क्या मिला ?
इस देश की संसद और राज्य सभा में प्रभु राम के बारे कोई कुछ भी कह दे अनर्गल कुछ भी कहे -हम चुप बैठेंगे क्या ?
केश जो महेश के विशेष खुलते न यदि ,
भगरथी भाग्य वेश शेष नहीं होता जी।
जाह्नवी का जल जंगलों को जन्म देता न तो ,
तंगदीप, वसुधा का भेष नहीं होता जी।
होता न विराट शैल ,राष्ट्र का ललाट फिर ,
धरती न होती तो नगेश नहीं होता जी।
भारत की आत्मा के प्राण तत्व श्री राम ,
रामजी नहीं होते तो , ये देश नहीं होता जी।
राम तम्बू में पड़े हैं तो क्यों पड़े हैं ?
सूरज की रौशनी में जुगनू नहीं दिखे तो ,
अंधियारों ने प्रभाव उनका बढ़ा दिया।
मानव ही पूजने तो पूजिये विवेकानंद ,
हिन्दुओं के विश्व के पटल पर बढ़ा दिया।
कर्तव्य से विमुख हो गए थे विप्रवर ,
झूठा इतिहास पूरे देश को पढ़ा दिया।
राम इसलिए आज तक तम्बू में पड़ें हैं ,
स्वर्ण -छत्र आपने तो साईं को चढ़ा दिया।
जहां पर कभी गाज़ी आबाद हुआ हो -उस गाज़ियाबाद में अगर ये बात स्वीकार ली गई है तो पूरे देश में स्वीकार कर ली गई है -
अमरनाथ हमले पर कवि कमल आग्नेय -
आज एकता के वायदे क्षण भर में चकनाचूर हुए ,
हिन्दू बेटे अमर नाथ न जाने को मजबूर हुए।
निरपक्ष धर्म के सागर के उस पार उतारे जाओगे ,
हे हिन्दू जो जागे न तो सबके सब मारे जाओगे।
अलग अलग बहती नदियों का हमको मीन समझते हैं,
श्री राम के बेटों को वो साहसहीन समझते हैं।
क्या अद्भुत परिणाम मिला है गांधी की परिपाटी का ,
लेकिन तेवर मरा नहीं है अब भी हल्दीघाटी का।
बार -बार के अपराधों की फिर न होती माफ़ी है ,
हाजी और गाज़ी के खातिर यति बाबा ही काफी है।
व्यंग्य -विनोद परिहास देखिये युवा कवि कमल आग्नेय का :
लोगों ने पहना दिए इतने सारे हार ,
अच्छा खासा आदमी दिखने लगा मज़ार।
वो अपने हाथों में शरिया का, विधान ले लेते हैं ,
जिनको समझो भाईजान ,वे भाई जान ले लेते हैं।
तुम होंगे अरबी जंगबाज ,तो हम भी बेहद गंगी हैं ,
दस चच्चा जानों पर भारी एक मात्र बजरंगी है।
इतिहासों के पृष्ठों में घटना विख्यात बना देंगे ,
काश्मीर को २००२ का गुजरात बना देंगे।
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