Tantra Yoga(Hindi ll)
भारतधर्मी सनातन धर्म की आध्यात्मिक पीढ़ी को बनाये रखने के लिए तंत्र योग एक शक्तिशाली साधन माना गया है। बे -शक धूर्तों ,कुपात्रों ,अज्ञानियों के हाथों इस विद्या का बड़ा दुरूपयोग भी हुआ है जिन्होनें इसका इस्तेमाल सिर्फ चमत्कार दिखलाकार पैसा गाढ़ने और भले जन मानस को लूटने फंसाने युवतियों को भर्मित किये रहने के लिए ही किया है। शक्ति साधना की इससे बड़ी तौहीन और क्या हो सकती है। गूढ़ विद्या का तमाशा लगाना अन्धकार में भटके हुए लोग ही कर सकते हैं।पंच -मकार -सिद्धांत का अज्ञानियों ने बड़ा मखोल बनाया है -मद्य , मांस ,मच्छी ,मुद्रा और मैथुन गलत इस्तेमाल के लिए धूर्तों के हाथ लगने पर बड़ा अनर्थ हो जाता है समाज का। जबकि इन पंच -मकारों का रहस्यमूलक आधायत्मिक गूढ़ अर्थ था :
(१ )अहम का विसर्जन ,'मैं भाव ' को मारना मद्य था
(२ )दैहिक संयम था ,काम रस नहीं था मांस
(३ )रूहानी शराब ,भक्ति रस में डूबना रहा है नामरस सबसे बड़ा है नशीला मद्य है
(४ ) शिव से मिलन था अर्धनारीश्वर होना था।
तंत्र का मतलब 'तत्व -मीमांसा 'थी ब्रह्म तत्व को बूझना था ,(तनोति Tanoti )की व्याख्या करना था। और 'मंत्र' रहस्य -मूलक -अध्यात्म विद्या का नाद था। गूढ़ -दुर्बोध्य स्वर था मंतोच्चार।
त्रैयते से तंत्र बना है
तंत्र जादू टोने- टोटके की किसी किताब का नाम नहीं है।जंतर -मंतर भी नहीं हैं यहां किसी रहस्य विद्या के ये सूत्र भी नहीं है।
धर्म ग्रन्थ हैं ये अद्भुत। ये मानव मात्र के कल्याण के लिए हैं जहां से कोई भी उद्बोधन प्राप्त कर सकता है कोई जाति ,मज़हब निषेध नहीं है यहां।कोई रंग भेद नहीं है।
'महानिर्वाण -तंत्र' और 'कुलार्णव' प्रमुख ग्रंथ हैं तंत्र -योग के।
कृष्णा यजुर्वेदीय 'योग - कुंडलिनी -उपनिषद' यहीं हैं।जबाला दरसना ,त्रिशिखा ब्राह्मण तथा वराह उपनिषद यहां कुण्डलिनी शक्ति को सक्रीय करने की कला सिखाता है।
(ज़ारी )
(शेष तंत्र -योग दूसरी क़िस्त में..... )
संदर्भ -सामिग्री :
Reference :http://www.dlshq.org/teachings/tantrayoga.htm
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