समय के साथ उम्रदराज़ होने की प्रक्रिया में एक चरण ऐसा भी आता है जब हमारी अस्थियों (bones )के सिरों पर मौजूद छोटी -छोटी अस्थियां -उपास्थियाँ टूटने फूटने विकृत होने लगतीं हैं। अस्थियों की इसी प्रावस्था को जब उपास्थियाँ अपकर्षण ,अपविकास करने लगतीं हैं विकृत होने लगतीं हैं -ऑस्टियो -आर्थराइटिस कह दिया जाता है। दुनियाभर में लाखों -लाख लोग इस मेडिकल कंडीशन की चपेट में हैं। परिवारों में चलने वाला दादा लाई रोग है यह जो माँ बाप से संततियों में आ जाता है।
यद्यपि इससे आपकी कोई भी अस्थि असरग्रस्त हो सकती है लेकिन अक्सर यह हमारे हाथों ,घुटनों ,रीढ़ और कूल्हों (पुठ्ठों )के जोड़ों को क्षति पहुंचाता है डैमिज करता है। शुक्र है भगवान् का एक बार में एक ही जोड़ इसके लपेटे में आता है।
इसके लक्षणों का कामयाबी के साथ प्रबंधन तो कर लिया जाता है लेकिन इस रोग में जो अब तक नुक्सान हो चुका है उसकी भरपाई नहीं हो सकती न मरीज़ रोग पूर्व की स्थिति में ही आ सकता है। यानी इसे उलटा नहीं जा सकता।
जो भी हो ,घूमते फिरते रहना ,सक्रीय जीवन शैली बनाये रखना कदकाठी के अनुरूप हेल्दी वेट बनाए रहना ,फिजियोथिरेपी ,अन्य इलाज़ से इसके समय के साथ बढ़ने की रफ़्तार को लगाम तो लगाई ही जा सकती है। जोड़ के कामकाज को भी कामचलाऊ तौर पर तो बरकरार रखा ही जा सकता है। जोड़ों के होने रहने वाले दर्द में भी राहत मिल सकती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण -समय के साथ धीरे -धीरे इसके लक्षण पनपते हैं और अधिक समय बीतने के साथ बद से औऱ बदतर होते जाते हैं। उल्लेखित लक्षणों पर गौर किया जा सकता है :
(१ )आपके हरकत में आने पर जोड़ दर्द कर सकता है
(२ )जोड़ छूने दबाने पर दर्द कर सकता है ,संवेदनशीलता (tenderness )महसूस की जा सकती है रोगप्रभावित जोड़ की।
(३ )झुकने या मुड़ने में जोड़ के कड़ापन(stiffness )
या अकड़ाव महसूस हो सकता है।
(४ )लचकीला -पन कम हो सकता है जोड़ का ,पूरी क्षमता से काम नहीं करेगा मुड़ने मोड़ने पर।
(५ )हरकत करने पर जोड़ की किट -किट ,आवाज़ ,घिसाव महसूस की जा सकती है।
You may hear or feel the grating sensation when you use the joint .
(६ )अस्थि का बढ़ना बाहर को निकला हुआ हिस्सा (bone spurs )महसूस किया जा सकता है।
Note Pl : Often referred to as an osteophyte, bone spurs are simply a bone outgrowth that develops on the edge of a person’s bone. While they can form on any bone in the body, they are commonly found near joints, where two or more bones form together. They are also found on tendons, muscles, or ligaments that are connected to bones.
Bones spurs commonly affect the heel, knee, shoulder, hip, lower back (lumbar spine), and the neck (cervical spine) areas. Other locations on the body where an individual might develop a bone spur includes: the wrist, hand, toes, foot (either the midfoot or arch), as well as the temporomandibular joint (TMJ). But, what causes these bone spurs to develop?
Simply put, ongoing stress on the bone, over a long period of time. This can be because of inflammation (e.g. tendinitis), or osteoarthritis. Under normal circumstances, bones have a cartilage layer that helps form a joint. When it comes to osteoarthritis, this layer slowly gets worn out, and the end result means that the two conjoining bones rub against each other. The stress creates inflammation, and new bones develop; bone spurs are really just the bone’s way of trying to protect itself. And at the end of the day, it seems that really anyone is susceptible to this condition.
(cont......)
१)मास -पेशी को हड्डी से जोड़ने वाली नस को Tendon या कंडरा कहा जाता है
(२ )अस्थियों के ऊपर एक उपास्थियों की पर्त मढ़ी होती है जो जोड़ बनाने का काम करती है। अस्थियों पर समय के साथ जैसे जैसे दवाब बढ़ता जाता है इस पर्त का क्षय होने लगता है (अस्थियों के जोड़ों के दर्द में यही तो होता है ).
अब ऐसे में परस्पर संयुक्त हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगतीं हैं। स्ट्रेस से इन्फ्लेमेशन(रोग पूर्व की स्थिति ) पैदा होती है ,नतीजा होता है नै अस्थियों का बनना। बॉन स्पर यानी अस्थि की नै बढ़वार इस क्षय को ले दे के रोकने की कोशिश ही है। डिफ्नेस मैकेनिज़्म है।
(३ )स्नायु बंध अस्थियों के अंदर वो ऊतक या ligaments होते हैं जो अस्थियों को जोड़ते हैं।
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )http://rmhealthy.com/10-signs-symptoms-bone-spurs/?utm_source=bing&utm_medium=CPC&utm_campaign=bing%20-%20CPC%20-%2010%20Signs%20B
LIVING HEALTHY
यद्यपि इससे आपकी कोई भी अस्थि असरग्रस्त हो सकती है लेकिन अक्सर यह हमारे हाथों ,घुटनों ,रीढ़ और कूल्हों (पुठ्ठों )के जोड़ों को क्षति पहुंचाता है डैमिज करता है। शुक्र है भगवान् का एक बार में एक ही जोड़ इसके लपेटे में आता है।
इसके लक्षणों का कामयाबी के साथ प्रबंधन तो कर लिया जाता है लेकिन इस रोग में जो अब तक नुक्सान हो चुका है उसकी भरपाई नहीं हो सकती न मरीज़ रोग पूर्व की स्थिति में ही आ सकता है। यानी इसे उलटा नहीं जा सकता।
जो भी हो ,घूमते फिरते रहना ,सक्रीय जीवन शैली बनाये रखना कदकाठी के अनुरूप हेल्दी वेट बनाए रहना ,फिजियोथिरेपी ,अन्य इलाज़ से इसके समय के साथ बढ़ने की रफ़्तार को लगाम तो लगाई ही जा सकती है। जोड़ के कामकाज को भी कामचलाऊ तौर पर तो बरकरार रखा ही जा सकता है। जोड़ों के होने रहने वाले दर्द में भी राहत मिल सकती है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण -समय के साथ धीरे -धीरे इसके लक्षण पनपते हैं और अधिक समय बीतने के साथ बद से औऱ बदतर होते जाते हैं। उल्लेखित लक्षणों पर गौर किया जा सकता है :
(१ )आपके हरकत में आने पर जोड़ दर्द कर सकता है
(२ )जोड़ छूने दबाने पर दर्द कर सकता है ,संवेदनशीलता (tenderness )महसूस की जा सकती है रोगप्रभावित जोड़ की।
(३ )झुकने या मुड़ने में जोड़ के कड़ापन(stiffness )
या अकड़ाव महसूस हो सकता है।
(४ )लचकीला -पन कम हो सकता है जोड़ का ,पूरी क्षमता से काम नहीं करेगा मुड़ने मोड़ने पर।
(५ )हरकत करने पर जोड़ की किट -किट ,आवाज़ ,घिसाव महसूस की जा सकती है।
You may hear or feel the grating sensation when you use the joint .
(६ )अस्थि का बढ़ना बाहर को निकला हुआ हिस्सा (bone spurs )महसूस किया जा सकता है।
Note Pl : Often referred to as an osteophyte, bone spurs are simply a bone outgrowth that develops on the edge of a person’s bone. While they can form on any bone in the body, they are commonly found near joints, where two or more bones form together. They are also found on tendons, muscles, or ligaments that are connected to bones.
Bones spurs commonly affect the heel, knee, shoulder, hip, lower back (lumbar spine), and the neck (cervical spine) areas. Other locations on the body where an individual might develop a bone spur includes: the wrist, hand, toes, foot (either the midfoot or arch), as well as the temporomandibular joint (TMJ). But, what causes these bone spurs to develop?
Simply put, ongoing stress on the bone, over a long period of time. This can be because of inflammation (e.g. tendinitis), or osteoarthritis. Under normal circumstances, bones have a cartilage layer that helps form a joint. When it comes to osteoarthritis, this layer slowly gets worn out, and the end result means that the two conjoining bones rub against each other. The stress creates inflammation, and new bones develop; bone spurs are really just the bone’s way of trying to protect itself. And at the end of the day, it seems that really anyone is susceptible to this condition.
(cont......)
१)मास -पेशी को हड्डी से जोड़ने वाली नस को Tendon या कंडरा कहा जाता है
(२ )अस्थियों के ऊपर एक उपास्थियों की पर्त मढ़ी होती है जो जोड़ बनाने का काम करती है। अस्थियों पर समय के साथ जैसे जैसे दवाब बढ़ता जाता है इस पर्त का क्षय होने लगता है (अस्थियों के जोड़ों के दर्द में यही तो होता है ).
अब ऐसे में परस्पर संयुक्त हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगतीं हैं। स्ट्रेस से इन्फ्लेमेशन(रोग पूर्व की स्थिति ) पैदा होती है ,नतीजा होता है नै अस्थियों का बनना। बॉन स्पर यानी अस्थि की नै बढ़वार इस क्षय को ले दे के रोकने की कोशिश ही है। डिफ्नेस मैकेनिज़्म है।
(३ )स्नायु बंध अस्थियों के अंदर वो ऊतक या ligaments होते हैं जो अस्थियों को जोड़ते हैं।
सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )http://rmhealthy.com/10-signs-symptoms-bone-spurs/?utm_source=bing&utm_medium=CPC&utm_campaign=bing%20-%20CPC%20-%2010%20Signs%20B
LIVING HEALTHY
10 Signs And Symptoms Of Bone Spurs
(२ )https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/osteoarthritis/symptoms-causes/syc-20351925
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