बुधवार, 25 नवंबर 2015

दोस्तों इस समय ये बीमारी बड़े पैमाने पर लौटंक साहित्यकारों ,फ़िल्मी कलहकारों ,राजनीति के भड़भूजों में ज़ोरों पर है। इसका लक्षण है -अ -सहिष्णुता देखना सुख शान्ति के माहौल में। भारत के लोगों के सहिष्णु चरित्र पर ये लोग ऊँगली उठा रहें हैं। समझने की ज़रूरत है ये लोग बीमार हैं इन्हें इलाज़ की ज़रूरत है। Megalomaniacal हैं ऐसे तमाम लोग।

Megalomania बोले तो सत्ता उन्माद एक प्रकार का मनोविकार होता है जिससे ग्रस्त व्यक्ति बेहद का सत्ता स्वाद ,सत्ता का लुत्फ़ उठाता है। और ज्यादा   लोगों पर शासन करने उनसे जीहुज़ूरी करवाने की उसकी भूख बढ़ती ही जाती है।  एक प्रकार की भ्रांत धारणा उसे अपने काबू में किये रहती है। ऐसा व्यक्ति मेज को  ग़ज़ल कह सकता है। रस्सी में  सांप देखना तो इल्यूज़न है लेकिन यहां बात डिल्युश्जन की हो रही है।

संकरवंशीय शहजादा इसके लपेटे में है। फौरी  इलाज़ ज़रूरी है इसका। है कि नहीं भाइयों और बहनों। ये मंदमति  अपने अज़ीमतर चायवाले की शैली में बेंगलुरु में  छात्रों की युवा भीड़ से पूछ रहा था -देश में स्वच्छता अभियान सफल है ,युवाओं को रोज़गार मिला है। मिला है कि नहीं ?

छात्रावृन्द ने इसे आईना दिखला दिया।

दोस्तों इस समय ये बीमारी बड़े पैमाने पर लौटंक साहित्यकारों ,फ़िल्मी कलहकारों ,राजनीति के भड़भूजों में ज़ोरों पर है। इसका लक्षण है -अ -सहिष्णुता देखना  सुख शान्ति के माहौल में।

भारत के लोगों के सहिष्णु चरित्र पर ये लोग ऊँगली उठा रहें हैं। समझने की ज़रूरत है ये लोग बीमार हैं इन्हें इलाज़ की ज़रूरत है। Megalomaniacal हैं ऐसे तमाम लोग।   

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