तुर्की में इस समय जी -२० सम्मलेन चल रहा है जिसमें विश्वभर के नेता सहभागिता कर रहे हैं। प्रधान मंत्री मोदी का यह कहना बिलकुल सही है कि जी -२० का मुख्य मुद्दा आतंकवाद होना चाहिए। अभी -अभी फ्रांस जैसी विकसित और एटमी ताकत पर जिस तरीके से आइसिस ने हमला किया है ये उसके दुस्साहस का परिचय है। वैश्विक स्तर पर आतंकवादी एकत्र हो रहे हैं ये सब कुछ अपने आप घटित नहीं हो रहा है । कौन नहीं जानता कि पाकिस्तान द्वारा पालित तालिबान आतंकवादी ही आईसिस नाम से उठ खड़े हुए हैं। इंग्लैंड ,ऑस्ट्रेलिया ,फ्रांस ,अमेरिका सहित योरोप और एशिया के अनेक देश आतंकवादी हमलों से दो चार हो रहे हैं। प्रधानमन्त्री मोदी की यह पहल स्वागत योग्य है ,कि आतंकवाद की परिभाषा निर्धारित की जाए ,और ये देखा जाए कि कौन आतंकवाद के पक्ष में है और कौन मानवता के पक्ष में है। भारत के प्रधानमन्त्त्री मोदी की भूमिका इस समय विश्व राजनेता की है ,वे कोई राजनीतिक वक्तव्य नहीं दे रहे वे विश्व की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं।
इधर दिल्ली में बैठे कांग्रेसी उनकी मल्लिका सोनिया मायनो के विश्वस्त चाकर सलमान खुर्शीद पाकिस्तान में जाकर वहां की सेना और आईसिस का गुणगान कर रहे हैं। इधर घोर कामोदरी काम और उदर में लिप्त मणिशंकर अय्यर जैसा भारत भाव विरोधी कांग्रेसी आतंकवाद का औचित्य ढूंढ रहा है। तुष्टिकर की भी ये तमाम हदें लांघ रहा है।इन कांग्रेसियों को शर्म नहीं आती कि अपने प्रथम पुरुष नेहरू की जयंती को भी मोदी निंदा दिवस के रूप में मनाया। सब कांग्रेसी आसमान की ओर मुंह उठाकर मोदी की निंदा कर रहे थे। हद तो तब हो गई जब पूर्वप्रधान मंत्री भी उसमें शामिल हो गए। क्या कांग्रेसियों को इतनी तमीज भी नहीं है कि अपने नेता का जन्मदिन कैसे मनाया जाता है। तमीज तो तब होती जब उनके वंशधर ही इस रूप में सोचते और शालीनता से नेहरू जयंती मनाते।
नेहरू जयंती को मनाने के सैंकड़ों अच्छे तरीके थे पर जिस कांग्रेस में सलमान खुर्शीद और आनद शर्मा और मणिशंकर अय्यर जैसे लिंगोदरी इकठ्ठे हो रहे हों वहां उनसे अपेक्षा भी क्या की जा सकती है। पूरा भारत कांगेस पर लानत भेज रहा है।
इधर दिल्ली में बैठे कांग्रेसी उनकी मल्लिका सोनिया मायनो के विश्वस्त चाकर सलमान खुर्शीद पाकिस्तान में जाकर वहां की सेना और आईसिस का गुणगान कर रहे हैं। इधर घोर कामोदरी काम और उदर में लिप्त मणिशंकर अय्यर जैसा भारत भाव विरोधी कांग्रेसी आतंकवाद का औचित्य ढूंढ रहा है। तुष्टिकर की भी ये तमाम हदें लांघ रहा है।इन कांग्रेसियों को शर्म नहीं आती कि अपने प्रथम पुरुष नेहरू की जयंती को भी मोदी निंदा दिवस के रूप में मनाया। सब कांग्रेसी आसमान की ओर मुंह उठाकर मोदी की निंदा कर रहे थे। हद तो तब हो गई जब पूर्वप्रधान मंत्री भी उसमें शामिल हो गए। क्या कांग्रेसियों को इतनी तमीज भी नहीं है कि अपने नेता का जन्मदिन कैसे मनाया जाता है। तमीज तो तब होती जब उनके वंशधर ही इस रूप में सोचते और शालीनता से नेहरू जयंती मनाते।
नेहरू जयंती को मनाने के सैंकड़ों अच्छे तरीके थे पर जिस कांग्रेस में सलमान खुर्शीद और आनद शर्मा और मणिशंकर अय्यर जैसे लिंगोदरी इकठ्ठे हो रहे हों वहां उनसे अपेक्षा भी क्या की जा सकती है। पूरा भारत कांगेस पर लानत भेज रहा है।
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