हमारा मानना है कि शकील अहमद सोच से - भारत के मुसलमानों का कोई हित नहीं होने वाला है। जो कौमें न सुधरने की कसमें खा लेती हैं उन्हें आत्मघात से भला कौन बचा सकता है।
जाग उठा है स्लीपर सेल
माननीय शकील अहमद साहब कांग्रेस में एक अच्छी हैसियत के नेता माने जाते हैं कई राज्यों के प्रभारी भी रहे हैं। इधर आतंकवाद पर उनका एक बयान पूरे भारत को आहत कर रहा है। चुप्प बैठी सोनिया और सुब्रामनियम स्वामी के प्रकरण (खुलासे )पर खीझ उतराते आपे से बाहर होते अपने अबुद्ध भैया की सहमति और स्वीकृति के बिना ही शकील साहब ने ऐसा बयान दिया ये माना नहीं जा सकता -'भारत सरकार आतंकवाद और आतंकवाद में भी फ़र्क करती है। 'इतनी बड़ी बात वह आगे बढ़कर खुद कहने की हैसियत तो नहीं ही रखते हैं।
आज जब फ्रांस एक के बाद एक आतंकी हमले झेल रहा है। अब एक नए रासायनिक और जैविक हमले की आशंका भी निराधार नहीं हो सकती।ये वक्त है इस्लाम को बचाने का। जैसा कि राशिद अल्वी साहब ने भारत में आईसीस के १५० नौजवानों के नाम बताने को कहा है जो गृहमंत्रालय द्वारा दक्षिण भारत में सक्रीय बतलाये जाते हैं इस आश्वाशन के साथ कि हम उन तक पहुंचेंगे उन्हें समझायेंगे वह कौम को बदनामी से बचाने का एक उपाय है।
मदनी सोच के लोगों की पहल भी न सिर्फ स्वागत योग्य है वक्त की ज़रूरत है। फ्रांस में आतंकी हमले के बाद ऐसा लगता है दुनिया एक टिंडर बॉक्स में बदल गई है। एक आलमी लड़ाई में तब्दील हो सकती है ये सूरत।
शकील अहमद तो ऐसे तमतमा रहे हैं जैसे १५१ वां नंबर स्लीपर सेल में इन्हीं का हो। पूर्व में आप अफज़ल गुरु की राष्ट्रपति के पास माफी की अर्जी पर विवादास्पद बयान दे चुके हैं -कि उसका नंबर तो २६ वां हैं। प्रकारांतर से ये आतंकियों को संकेत था तुम फ़िक्र न करना हम तुम्हारे साथ हैं।उसके ठीक बाद क्या हुआ सब जानते हैं।
माननीय शकील अहमद साहब कांग्रेस में एक अच्छी हैसियत के नेता माने जाते हैं कई राज्यों के प्रभारी भी रहे हैं। इधर आतंकवाद पर उनका एक बयान पूरे भारत को आहत कर रहा है। चुप्प बैठी सोनिया और सुब्रामनियम स्वामी के प्रकरण (खुलासे )पर खीझ उतराते आपे से बाहर होते अपने अबुद्ध भैया की सहमति और स्वीकृति के बिना ही शकील साहब ने ऐसा बयान दिया ये माना नहीं जा सकता -'भारत सरकार आतंकवाद और आतंकवाद में भी फ़र्क करती है। 'इतनी बड़ी बात वह आगे बढ़कर खुद कहने की हैसियत तो नहीं ही रखते हैं।
आज जब फ्रांस एक के बाद एक आतंकी हमले झेल रहा है। अब एक नए रासायनिक और जैविक हमले की आशंका भी निराधार नहीं हो सकती।ये वक्त है इस्लाम को बचाने का। जैसा कि राशिद अल्वी साहब ने भारत में आईसीस के १५० नौजवानों के नाम बताने को कहा है जो गृहमंत्रालय द्वारा दक्षिण भारत में सक्रीय बतलाये जाते हैं इस आश्वाशन के साथ कि हम उन तक पहुंचेंगे उन्हें समझायेंगे वह कौम को बदनामी से बचाने का एक उपाय है।
मदनी सोच के लोगों की पहल भी न सिर्फ स्वागत योग्य है वक्त की ज़रूरत है। फ्रांस में आतंकी हमले के बाद ऐसा लगता है दुनिया एक टिंडर बॉक्स में बदल गई है। एक आलमी लड़ाई में तब्दील हो सकती है ये सूरत।
शकील अहमद तो ऐसे तमतमा रहे हैं जैसे १५१ वां नंबर स्लीपर सेल में इन्हीं का हो। पूर्व में आप अफज़ल गुरु की राष्ट्रपति के पास माफी की अर्जी पर विवादास्पद बयान दे चुके हैं -कि उसका नंबर तो २६ वां हैं। प्रकारांतर से ये आतंकियों को संकेत था तुम फ़िक्र न करना हम तुम्हारे साथ हैं।उसके ठीक बाद क्या हुआ सब जानते हैं।
मालूम हो शकील साहब भारत अब कोई ऐसा छोटा देश भी नहीं है जिसकी आवाज़ दुनिया भर तक न पहुँचती हो। दुनिया भर के तमाम मुसलामानों की संख्या का एक तिहाई इस बड़े देश भारत में ही रहता है। शकील साहब आप उनका कोई भला नहीं कर रहे हैं। कौम की तरफ से भी यही संकेत दे रहे हैं कि हम नहीं सुधरेंगे।
हमारा मानना है कि शकील अहमद सोच से - भारत के मुसलमानों का कोई हित नहीं होने वाला है। जो कौमें न सुधरने की कसमें खा लेती हैं उन्हें आत्मघात से भला कौन बचा सकता है।
एक बात और क्या अ -सहिषुणता का मुद्दा नकली था जो अब आतंकवाद को पकड़ लिया ? आखिर बिल्ली अपनी औकात पर आ ही गई।
हमारा मानना है कि शकील अहमद सोच से - भारत के मुसलमानों का कोई हित नहीं होने वाला है। जो कौमें न सुधरने की कसमें खा लेती हैं उन्हें आत्मघात से भला कौन बचा सकता है।
एक बात और क्या अ -सहिषुणता का मुद्दा नकली था जो अब आतंकवाद को पकड़ लिया ? आखिर बिल्ली अपनी औकात पर आ ही गई।
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