चरण कमल बन्दों हरिराई जाकि कृपा पंगु गिरी लंघे अंधे को सब कुछ दरसाई
अब इससे अच्छे और दिन क्या आएंगे हिन्दुस्तान के ? कल तक जो बोलते बोलते आस्तीनें चढ़ा लेता था इलेक्शन के बाद भी इलेक्शन की तक़रीर करता था दीगर प्रांतों में जाकर आज वह मंदमति बालक गला फाड़ के बोलने लगा है। रोमन लिपि हिंदी की खुलकर सेवा करने लगी है वह उलूक जैसे हृदय वाली मल्लिका जो कल तक लिखित भाषण पढ़ती थी अब संसद में खुले आम हुश हुश करके इशारे करके चालीस झमूरों को अपनी उँगलियों पर नचाती है। तरह तरह के उल्लू एक साथ बोलने लगे हैं। २४ /७। इनमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्हें मल्लिका के जय बोलने के अलावा और कुछ नहीं आता था।
फिर भी कुछ उलूक पूछ रहें हैं अच्छे दिन कब आएंगे ?
अब इससे अच्छे और दिन क्या आएंगे हिन्दुस्तान के ? कल तक जो बोलते बोलते आस्तीनें चढ़ा लेता था इलेक्शन के बाद भी इलेक्शन की तक़रीर करता था दीगर प्रांतों में जाकर आज वह मंदमति बालक गला फाड़ के बोलने लगा है। रोमन लिपि हिंदी की खुलकर सेवा करने लगी है वह उलूक जैसे हृदय वाली मल्लिका जो कल तक लिखित भाषण पढ़ती थी अब संसद में खुले आम हुश हुश करके इशारे करके चालीस झमूरों को अपनी उँगलियों पर नचाती है। तरह तरह के उल्लू एक साथ बोलने लगे हैं। २४ /७। इनमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्हें मल्लिका के जय बोलने के अलावा और कुछ नहीं आता था।
फिर भी कुछ उलूक पूछ रहें हैं अच्छे दिन कब आएंगे ?
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