सोमवार, 30 अक्तूबर 2017

देखिये इनकी विकास की परिभाषा कितना बे -लाग है। 'भ्रष्टाचार' और 'विकास 'बकौल इन कांग्रेसी एजेंटों के पर्याय वाची शब्द हैं। ये ही पाकिस्तान और चीन सोच के लोग हैं। जो इस हद तक अवसाद में चले आएं हैं देश को आग लगवा कर भी ये मोदी को हटवाने के लिए तैयार हैं।

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इन दिनों मोदी के खिलाफ एक नियोजित षड्यंत्र चल रहा है

 जिसके रचनाकार वही लोग हैं ये षड्यंत्र -पटकथा उन्हीं की लिखी लिखवाई हुई है जिन्हें विदेशों से यहाँ लाकर भारत की राजनीतिक काया पर एक पैवन्द लगाया गया था। आज ये कह रहें हैं मोदी देश पे बम गिरवा  देगा ,जीएसटी का भूत इन पर इस तरह सवार है इन्होनें चंद ऐसे युवकों को पकड़ लिया है जो इनके एजेंट के भी एजेंट हैं ,अपने पढ़े लिखे होने की दुहाई बात- बात पे देते हुए कहतें हैं हम इंस्टीटूट आफ मैनजमेंट के पढ़े हुए हैं इसलिए हमें मालूम है -आपको नहीं मालूम ये मोदी देश  को किस तरह तबाह कर रहा है पहले डिमो-नैटाइज़ेशन के नाम पे, कभी बुलेट ट्रेन की आड़ में कभी पेट्रोल डीज़ल की आड़ लेकर। ये भूलते हैं जो इनसे पहले पढ़ गए ये उन्हीं की टीप मारके पढ़ें हैं वे भी पढ़े लिखे ही थे। आगे कहते है :

'आप वहीँ के वहीँ -   वही ढ़ाक के तीन पात, पहले भी अम्बानी और अब भी अम्बानी बस बोलें - मोदी वाणी।'

इनका गणित उस कुनबे की तरह है जिसके एक अक्लमंद पढ़े लिखे आदमी ने ये हिसाब लगा के बतलाया नदी में पानी  इतना गहरा है मैंने आप लोगों की हाइट जोड़के कुल योग निकाल  लिया है गहराई को चार से तकसीम कर दिया है कोई भी नहीं डूबेगा चलते चलो ,हमें उस पार तो हर हाल में पहुंचना ही है।  पूरा कुनबा डूब गया।

जानतें हैं इस पढ़े लिखे ने क्या किया था -ये लोग संख्या में चार थे नदी में पानी था १२ फुट इनकी कुल कुंबाई  लम्बाई इससे कहीं ज्यादा थी। इन्होने ने बस १२ को चार का भाग किया और कहा  कोई  नहीं डूबेगा। जब पूरा कुनबा डूब गया कहने लगा ये युवक नदी का पानी तो बढ़ा नहीं कुनबा कैसे डूब गया।

 आदमी ''गू ''खाये तो हाथी का खाये कमसे कम पेट तो भरे ये उनके (उन्हीं के जो आप समझ रहें हैं )एजेंट के भी एजेंट हैं जिन्हें देश का मनोबल तोड़ने के लिए लगाया गया है इसलिए कहते फिर रहें हैं मोदी ने सब बर्बाद कर दिया।

कुल मिलाकर  इन्हें जब  अपने बाप के खिलाफ कुछ नहीं मिला तो ये कहने लगें हैं मैं जानता हूँ मेरा बाप मुझे जहर देकर मार देगा उसने स्लो पॉइज़न देना शुरू भी कर दिया है।

'कोई योजना नहीं है इसलिए की भ्रष्टाचार  भी नहीं है मोदी राज में। 'इनका  आप्त -वचनामृत  ज़ारी हैं। '

देखिये इनकी विकास की परिभाषा कितना बे -लाग है। 'भ्रष्टाचार' और 'विकास 'बकौल इन कांग्रेसी एजेंटों के पर्याय वाची शब्द  हैं।

ये ही पाकिस्तान और चीन सोच के लोग हैं। जो इस हद तक अवसाद में चले आएं हैं देश को आग लगवा कर भी ये मोदी को हटवाने के लिए तैयार हैं।  

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