हुश - हुश पार्टी
लोकसभा में कांग्रेस के हंगामे के कारण सदन की कार्रवाई को तीन बार स्थगित करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी ने फ़ूड पार्क मुद्दे पर वाक् आउट किया था। इस हंगामे और वाकआउट के पीछे कांग्रेस की मंशा ये थी कि महत्वपूर्ण विधेयक पारित न हो सकें। जो कुछ कांग्रेस ने लोकसभा में किया वही कुछ राज्यसभा में भी किया। विभिन्न अखबारों में छपी रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के आक्रमण की कमान खुद सोनिया और राहुल ने संभाल रखी थी।
हंगामे के बीच सोनिया और राहुल कांग्रेसी सांसदों को इशारे करते देखे गए। कांग्रेसी सांसदों को इशारों से भड़काने का जो कौशल सोनिया में है उतना कौशल अबोध से दिखने वाले राहुल में नहीं है। कांग्रेस के लिए दरअसल वह दुर्भाग्य का दिन था जिस दिन कांग्रेस सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा की कार्रवाई को सीधे दिखाने का फैसला लिया था। टीवी से सीधा प्रसारण अब कोई लिहाज़ तो नहीं करता वह तो यांत्रिक पद्धति है ,इलेक्ट्रॉनि तंत्र है। देखने सुनने और पढ़ने वाले तो श्रीमती सोनिया के इशारों समेत उनके चेहरे पे आई मानसिक खीझ को भी देख सुन और पढ़ लेते हैं। शायद यही कारण है कि अब लोग राहुलसोनिया कांग्रेस को हुश -हुश कांग्रेस कहने लगें हैं। हमें तो यह जानसुनकर अच्छा नहीं लगता पर यदि कांग्रेस अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आई तो ये बहुत सम्भव है कि राजनितिक फ़िज़ा में कांग्रेस पार्टी के लिए हुश -हुश पार्टी की संज्ञा प्रचलित हो जाए। क्या कांग्रेस पार्टी इस बात को नहीं समझती कि दर्शक उनकी अलोकतांत्रिक हरकतों से बेहद गुस्से में हैं। आखिर लोकतांत्रिक संवाद को ध्वस्त कर सोनिया कांग्रेस इस राष्ट्र की जनता से किस जन्म का वैर निकाल रही है। आखिर हुश -हुश पार्टी जो ठहरी।
लोकसभा में कांग्रेस के हंगामे के कारण सदन की कार्रवाई को तीन बार स्थगित करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी ने फ़ूड पार्क मुद्दे पर वाक् आउट किया था। इस हंगामे और वाकआउट के पीछे कांग्रेस की मंशा ये थी कि महत्वपूर्ण विधेयक पारित न हो सकें। जो कुछ कांग्रेस ने लोकसभा में किया वही कुछ राज्यसभा में भी किया। विभिन्न अखबारों में छपी रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के आक्रमण की कमान खुद सोनिया और राहुल ने संभाल रखी थी।
हंगामे के बीच सोनिया और राहुल कांग्रेसी सांसदों को इशारे करते देखे गए। कांग्रेसी सांसदों को इशारों से भड़काने का जो कौशल सोनिया में है उतना कौशल अबोध से दिखने वाले राहुल में नहीं है। कांग्रेस के लिए दरअसल वह दुर्भाग्य का दिन था जिस दिन कांग्रेस सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा की कार्रवाई को सीधे दिखाने का फैसला लिया था। टीवी से सीधा प्रसारण अब कोई लिहाज़ तो नहीं करता वह तो यांत्रिक पद्धति है ,इलेक्ट्रॉनि तंत्र है। देखने सुनने और पढ़ने वाले तो श्रीमती सोनिया के इशारों समेत उनके चेहरे पे आई मानसिक खीझ को भी देख सुन और पढ़ लेते हैं। शायद यही कारण है कि अब लोग राहुलसोनिया कांग्रेस को हुश -हुश कांग्रेस कहने लगें हैं। हमें तो यह जानसुनकर अच्छा नहीं लगता पर यदि कांग्रेस अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आई तो ये बहुत सम्भव है कि राजनितिक फ़िज़ा में कांग्रेस पार्टी के लिए हुश -हुश पार्टी की संज्ञा प्रचलित हो जाए। क्या कांग्रेस पार्टी इस बात को नहीं समझती कि दर्शक उनकी अलोकतांत्रिक हरकतों से बेहद गुस्से में हैं। आखिर लोकतांत्रिक संवाद को ध्वस्त कर सोनिया कांग्रेस इस राष्ट्र की जनता से किस जन्म का वैर निकाल रही है। आखिर हुश -हुश पार्टी जो ठहरी।
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