मंगलवार, 12 मई 2015

इस बालक के गुरु खुद एक उम्र दराज़ मदारी हैं जिन्हें भोपाली के नाम से जाना गया है

यूं भाषा का सम्बन्ध संस्कार से है। इस मंदबुद्धि बालक को संस्कार की भाषा तो आती नहीं हैं क्योंकि संस्कार तो उस महान महीयसी के लिए है ये बालक जो गत पचास सालों में भी भारत के लोकमन की भाषा हिंदी नहीं सीख सकी। इस बालक को लिहाज़ा क्या दोष दें। कहीं से इसने चोर शब्द सुन लिया और बस चोर चोर की रत लगाने लगा। 

इस बालक के गुरु खुद एक उम्र दराज़ मदारी हैं जिन्हें भोपाली के नाम से जाना गया है। इनके पुरखे १८५७ में अंग्रेज़ों की मुखबिरी करते थे अब ये सोनिया की कर रहे हैं। ये ही इस बालक को अपभाषा सीखा रहें  हैं।

ये वही बालक है जो अपनी हार्दिक संवेदनाएं भी मोबाइल से टीप टीप कर लिखता है। 

मालूम हो इस मंदबुद्धि बालक हो आग में हाथ डालने से हाथ जल जाता है।बेहतर हो भारत धर्मी समाज से कुछ सत्कार की भाषा भी सीख लें।अर्जुन का आर्जव भी। 

दुर्मुखों का संग छोड़ें। अपनी अम्मा से ये भी पूछें ये नेहरू की विरासत नेहरू गांधी की विरासत कैसे हो गई और कि गांधी से हमारा क्या सम्बन्ध रहा है ?  


'सूट-बूट की सरकार' पर राहुल गांधी का फिर वार, अब तो दिनदहाड़े आते हैं चोर


राहुल ने अपने भाषण के अंत में बहुत तीखा कटाक्ष करते हुए कहा, सुना था कि चोर सिर्फ रात को आते हैं, छुपकर आते हैं, खिड़की के अंदर से कूद कर आते हैं, लेकिन सबसे बड़े चोर दिन दहाड़े आते हैं, सबके सामने आते हैं, और सूट पहनकर आते हैं।


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