सोमवार, 11 अगस्त 2014

कांग्रेस पराजय कथा के खलनायक कई हैं ( कांग्रेस महागर्त में (चौथी किश्त )

Digvijaya Singh praises UPA govt, attacks ModiRahul Gandhi lacks ruling temperament: Digvijaya Singh
Digvijaya Singh begins fast on issues of farmers, MPPEB scam








कांग्रेस महागर्त में (चौथी किश्त )

कांग्रेस पराजय कथा के खलनायक कई हैं। ये कांग्रेस के भीतर के ही लोग हैं। सभी ने सामूहिक श्रम करके कांग्रेस को हराया है। कभी पढ़ा होगा कि श्रमेव जयते !पर कांग्रेसियों को ये पता नहीं था कि वे श्रम किसके लिए कर रहे हैं। वे श्रम दरअसल आत्महत्या के लिए कर रहे थे। और इस दिशा में उनका श्रम भी सफल रहा है और वे भी सफल रहे हैं। दरसल कांग्रेस की हार कोई तात्कालिक परिणाम नहीं था वो तो मात्र आईना था। कांग्रेस को हारने के साजो -सामान तो पहले ही तैयार किए जा रहे थे। कांग्रेस की पटकथा  में एक से बढ़के एक खलनायक मौजूद हैं। कोई किसी से कम नहीं।एक ने वीरसावरकर का चित्र उतारकर लोगों को उकसाया था तो इस शख़्श  ने लादेन की तारीफ़ में कसीदे काढ़कर भारतीय समाज को अपमानित हुआ महसूस कराया था। उनके स्वभाव में 'जी' कहने की आदत होती है कि घर के लोगों से तो तू तड़ाक से बात करते हैं पर अपने दुश्मनों के नाम के सामने ज़नाब और 'जी 'लगाते हैं। अब तक पाठक समझ गए होंगे कि ये उस्ताद कौन हैं। 

ये उस्ताद हैं दिग्विजय सिंह। पिछले लगभग १०-१२ वर्षों से स्वयं चुनाव नहीं लड़ें  हैं  किन्तु जिस भी कांग्रेसी प्रदेश के प्रभारी रहे हैं उसकी लुटिया डुबो दी है। आतंकवादियों के हक में बयान देना इनकी ख़ास आदत है। और कभी कभी तो ये आतंकवादियों के घर अफ़सोस करने भी पहुँच जाते हैं। 

इनका अपना वश चलता तो ये पाकिस्तान जाकर कसाब के मारे जाने का दुःख प्रकट कर आते। ये वो शख़्श है जिसकी वजह से हर भारतीय का मन तो आहत होता ही है पर जिसके बयानों से देश के लिए कुर्बान होने वाले पुलिस अधिकारी भी तिरिस्कृत होते रहे हैं। इन्हीं के बयानों से दिल्ली में आतंकियों के हाथों शहीद हुए पंडित मोहन लाल शर्मा और मुंबई २६/११ में आतंकियों से जूझते हुए शहादत पाने वाले मिस्टर हेमंत करकरे के विषय में भ्रामक बातें प्रसारित की गईं थीं। दरअसल ये शख़्श उस आत्महंता संस्कार का है जिन्होनें गोधरा काण्ड के निरपराध भारत धर्मी समाज के लगभग उन ६०  लोगों के विषय में कहा  था कि उन्होंने तो आत्मदाह कर लिया था। अब ऐसे शख़्श को दिग्विजय कहा जाए या दिग्पराजय  ?

गांधीवादी प्रखर राष्ट्र भक्त अन्ना हज़ारे के बारे में अपमान जनक टिप्पणी करने वाले इस शख़्श की निगाह में स्वामी रामदेव सरीखे भारतीय संत ठग हैं और श्रीमती सोनिया गांधी महान त्यागशीला हैं।ये तो दोष  अब कुंवर नटवर सिंह पर जाएगा कि उन्होंने सोनिया गांधी की असलियत खोलकर कांग्रेस  पार्टी के चाणक्य कहलाने वाले दिग्विजय सिंह को कितना आघात पहुंचाया है.

वे स्वयं को पार्टी का चाणक्य कहते हैं। वे चाणक्य हों न हों कौटिल्य तो ज़रूर हैं। कुटिलता उनके रग रग में समाई है। लोगों का ये मानना है कि वे वक्र गति से चाटुकारिता करते हैं। दरअसल वे जिनके शिष्य हैं राजनीति में उनकी वक्रता का कोई मुकाबला नहीं था। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संशाधन मंत्रालय कराया था। और उस आड़ में भारतीय शिक्षा का ध्वस्तीकरण कर दिया था। दिग्विजय सिंह के गुरु कहलाने वाले शख़्श भी मध्य प्रदेश के थे और उनका जाना पहचाना नाम था ठाकुर अर्जुन सिंह। अब लोगों का ये निष्कर्ष हैं कि एक ओर  तो आतंकवादियों के पक्ष में ये हवा बनाते रहे और दूसरी ओर हिन्दुस्तान को अपमानित करने के लिए आतंकवादी होने का फतवा ज़ारी करते रहे। दरअसल ये सोच  समझ के चल रहे थे आखिर राहुल गांधी के उस्ताद थे। इनके उस्ताद माननीय अर्जुन सिंह शिक्षा को ध्वस्त कर सकते थे तो क्या ये अपने शिष्य राहुल गांधी की पार्टी को ध्वस्त नहीं  कर सकते थे?

ध्वस्तीकरण इनके स्वाभाव का हिस्सा है। अगर अपने ही आदमी शिकार बन जाएँ तो वे क्या कर सकते हैं. 

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