मंगलवार, 24 अगस्त 2021

अथिति पोस्ट :संसार एक सनातन वृक्ष -श्री मुरारी मुद्गल

अथिति पोस्ट :संसार एक सनातन वृक्ष  -श्री मुरारी लाल  मुद्गल 

संसार एक  वृक्ष ,

प्रकृति इसका आश्रय ,

सुख दुःख इसके  दो मुख। 

तीन जड़ :सत्व ,रज ,और तम ,

चार रस  : धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष। 

इसको जानने योग्य पांच प्रकार :

श्रोत ,त्वचा ,नेत्र ,रसना ,और नासिका। 

छः स्वभाव :पैदा होना ,रहना ,बढ़ना ,बदलना ,घटना और क्षर  (विनष्ट होना ). 

इस वृक्ष की छाल सात धातुएं :

रस,रुधिर ,मांस ,मेद ,अस्थि ,मज्जा और शुक्र (वीर्य ). 

आठ शाखाएं :पांच महाभूत ,मन,बुद्धि और अहंकार। 

मुखादि नौ द्वार (नवद्वार पुर कहा गया है यह शरीर ). 

दस पत्ते :पान ,अपान ,उदान ,व्यान ,समान ,नाग ,कूर्म ,कृंकल ,देवदत्त ,और धन्नजय। 

दो पक्षी :जीव और ईश्वर (रहते हैं इस तरुवर पर ). 

इसकी उत्पत्ति के आधार हम स्वयं हैं। 

हमारे अनुग्रह से इसकी रक्षा होती है। 


 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें