रविवार, 29 अक्टूबर 2017

सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है -----(राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर )

क्षमा शील व्यक्ति ही अपने कर्म-दहन कर पाता है 

क्षमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उत्पात ,

का रहीम हरि को घटो, जो भृगु मारी लात।

क्षमा धीर पुरुष ही नहीं बलशाली का भी आभूषण है। क्षमाशीलता आपको स्वतंत्र करती है ,उस अतीत से जिसमें कईओं की बदसुलूकी आपके अवचेतन में आज भी जगह बनाये हुए है। आपके वर्तमान को आपकी सेहत को असरग्रस्त कर रही है। आपको आगे बढ़ने से रोक रही है।

क्षमा करके आप खुद पर एहसान करेंगे किसी और पर नहीं। वह या वे तमाम लोग जिन्होंने कभी आपकी भावनाओं को आहत किया है उन्हें आपके दर्द का पता ही नहीं है।

दर्द उनको भी है ,इसका इल्म आपको तब तक नहीं होगा जब तक आप उन तमाम लोगों को मुआफ नहीं करेंगे। कई सोल हीलर (आत्म -तत्व -हीलर ) आजकल सुबह उठकर ये प्रार्थना की तरह पाठ करते हैं :

मैं अपने तथा अपने उन तमाम पूर्वजों की तरफ से उन सबसे क्षमा माँगता हूँ जिनका हमनें कभी दिल दुखाया है। साथ ही हम उन तमाम लोगों को मुआफ करते हैं जिन्होंने जाने अनजाने या फिर अदबदाकर भी हमारे दिल को दुखाया है। आप भी ऐसा करके देखिये नित्यप्रति एक विशेष ऊर्जा आपके अंदर  प्रवाहित  होने लगेगी -ऊर्जा-ए -सुकून।


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सन्दर्भ -सामिग्री :

(१ )https://www.youtube.com/watch?v=2z2XstaFR-E



पर नर व्याघ सुयोधन तुमसे कहो कहाँ कब हारा?


क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ सुयोधन तुमसे कहो कहाँ कब हारा? क्षमाशील हो ॠपु-समक्ष तुम हुये विनीत जितना ही दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है पौरुष का आतंक मनुज कोमल होकर खोता है क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल है उसका क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल है तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिंधु किनारे बैठे पढते रहे छन्द अनुनय के प्यारे प्यारे उत्तर में जब एक नाद भी उठा नही सागर से उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से सिंधु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में चरण पूज दासता गृहण की बंधा मूढ़ बन्धन में सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की संधिवचन सम्पूज्य उसीका जिसमे शक्ति विजय की सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है
                                            -----(राष्ट्रीय कवि  रामधारी सिंह दिनकर )

(३ )https://www.youtube.com/watch?v=m66y7M-0E9M

(४ )https://www.youtube.com/watch?v=KpfTfXyfui4

(५ )https://www.youtube.com/watch?v=Ch6m800iHto

(६ )https://www.youtube.com/watch?v=CothocmSzL0

(७ )https://www.youtube.com/watch?v=5Hon6Qh1rYA

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