मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017

Pandit Vijay Shankar Mehta Ji | Shri Ram Katha | Baal Kand

भाव -सार :परमात्मा की बड़ी कृपा है यहां भारत में हमें एक गुरु प्राप्त हुआ है ,भक्तों ने हमें एक ऐसा काव्य दिया जो हमारे  जीवन के गूढ़ प्रश्न ,ऐसी चुनौतियां का हमें हल देता है  जो हमें अशांत करती हैं और  जिनमें हम धर्म और  अध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए भी उलझ जाते हैं। राम कथा हमें जीना सिखाती है।

राम जहां रहते हैं उस निवास स्थान को रामायण (वाल्मीकि )कहा गया।तुलसीदास ने जिस राम कथा को हमारे जीवन में सौंपा ,जिस रूप में रामचरितमानस में प्रस्तुत किया उससे राम हमारे रग -रग में बस गए।तुलसी की चौपाई हम लोगों की नस नस में बस गईं हैं अवधि भाषा के स्पर्श के साथ लिखा गया यह ग्रंथ वे लोग भी समझ लेते हैं जो पढ़ना लिखना नहीं जानते।  मानस की एक -एक पंक्ति में तुलसी की भक्ति के माध्यम से भगवान् खुद प्रकट हुए हैं। 

महत्वपूर्ण यह नहीं है संसार से आपको क्या मिला महत्वपूर्ण यह है आप संसार को क्या लौटा रहें हैं।तुलसी यही सिखाते हैं।  
आत्मा राम दुबे के यहां तुलसीदास का जन्म हुआ जन्म के  बाद इस बालक की माँ मर गई। इस बालक को अपशकुनी मनहूस जानकार  छोड़ दिया गया। ज़माने ने तुलसी को विष दिया लेकिन तुलसी ने रामचरितमानस के रूप में अमृत लौटाया। 
चित्रकूट के घाट पर भइ  संतन की भीड़ ,

तुलसीदास चंदन घिसें तिलक देत  रघुबीर।

प्रसंग   है :तुलसी दास चित्रकूट में नदी के किनारे राम कथा सुना रहे हैं। भगवान् उनकी भक्ति से खुश होकर सोचते हैं आज इसे दर्शन करा ही दें। भगवान्  साधारण भेष में आते हैं तुलसीदास पहचान नहीं पाते तब पेड़ पर बैठे हनुमान यह दोहा पढ़ते हैं ,और तुलसीदास अपने ईष्ट भगवान राम को पहचान जाते हैं संकेत मिलते ही ।

 कहतें हैं इसी के बाद तुलसी ने रामायण लिखनी शुरू की ,जिसका एक- एक  दृश्य हनुमान ने ऐसे दिखलाया जैसे तुलसी ने स्वयं भी अपनी आँखों देखा हो। 

परमात्मा जीवन में संकेत रूप में ही समझ आता है गुरु देता है यह संकेत। ऐसा ही संकेत हनुमान जी ने तुलसी को इस दोहे के मार्फ़त किया। 

कथा का सूत्र :तुलसी वंदना के साथ बालकाण्ड आरम्भ करते हैं भगवान् का जन्म होता है भगवान बड़े होते हैं विश्वामित्र भगवान् को ले जाते हैं। भगवान् का विवाह होता है और भगवान् अयोध्या लौट आते हैं कथा बस इतनी ही है। लेकिन इसका व्यापकत्व समेटा नहीं जा सकता। इसलिए चर्चा कथा के सूत्र की ही की  जाती है। 
बालकाण्ड  का सूत्र है सहजता। बालपन की सहजता। 

तुलसी मात्र महाकवि नहीं हैं ,संत हैं ,जो लिखा है तुलसी ने वह भीतर से बाहर आया है मात्र शब्द नहीं है उस ग़ज़ल के जिसे लिखने वाला दारु पीते हुए लिख रहा है।इसमें एक भक्त का बिछोड़ा है।  

तुलसी बाल- काण्ड के आरम्भ दुष्टों की, दुश्मनों की भी वंदना करते हैं ,ताकि कोई विघ्न न आये कथा कहने बांचने लिखने  में। 

तुलसी से पहले वैष्णव -विष्णु और राम के भक्त कहलाते थे , कृष्ण भक्त भी खुद को वैष्णव मानते  थे ,शिव भक्त शैव और माँ दुर्गा शक्तिस्वरूपा पारबती के भक्त शाक्त कहाते  थे।

तीनों परस्पर एक दूसरे को फूटी आँख नहीं देखते थे। तुलसी बालकाण्ड के आरम्भ में तीनों सम्प्रदायों के ईष्ट   की स्तुति ,और गुणगायन करते हैं। आप शिव और पार्वती की भी वंदना करते हैं राम की भी। 
तुलसी लक्ष्मण जी को राम की विजय पताका का दंड  कहते  हैं। ध्वज तभी लहराता है जब दंड मज़बूत हो ,आधार मजबूत  हो। तीनों भाइयों की वंदना के साथ तुलसी हनुमान को भाइयों की पांत में बिठाकर वंदना करते हैं। 

हनुमान जी मैं आपको प्रणाम  करता हूँ ,आपके यश का गान तो स्वयं राम ने किया है। आवेगों और दुर्गुणों का नाश हनुमान जी करते हैं। आप राम के वक्ष में तीर कमान लेकर बैठते हैं।बेहतरीन रूपक है यहां दुर्गुण नाशक हनुमान के स्तुति गायन का। 

जनक सुता जग जननी जानकी '  

अतिशय प्रिय करुणा -निधान की। 

नारी के तीनों विशेषण (बेटी ,जननी माँ ,प्राण  राम की )यहां स्तुतिमाला के मोती बनाके डाल दिए  हैं सीता जी की स्तुति में ,तुलसी ने। 

'तात सुनो सादर मन लाई '-याज्ञवल्क्य भारद्वाज ऋषि से कहते हैं जब की दोनों ऋषि हैं लेकिन जानते हैं मन बड़ा चंचल है इसलिए इस कथा को आदर पूर्वक और पूरे ध्यान से सुनो ,चित लाई ,चित्त्त लगाकर। फिर ऐसे में आम संसारी की तो क्या बात है। 

मन मनुष्य को असहज बनाता है आज की कथा ऐसी है बार -बार मन पे इशारा आ रहा है। बाहर से सरल होने का आवरण हो सकता है अंदर से सहज होना बड़ा कठिन है। आपकी कोई भी उम्र हो भीतर से सहज रहें। बालकाण्ड सिखाता है बच्चे बाहर भीतर दोनों जगह सहज होते हैं। 

भगवान् शंकर उमा देवी को कथा सुना रहे हैं :

(याज्ञवल्क्य  जी भरद्वाज मुनि को )

सुनी महेश परम् सुख मानी। तुलसी सावधान हैं सिर्फ महेश का नाम लेते हैं सती  का नहीं। हरेक कथा सुनता कहाँ हैं। इनको क्या प्रणाम करना है ये तो खुद विलाप कर रहें हैं अपनी पत्नी के लिए। शंकर जानते हैं लीला चल रहीं हैं ,सती संदेह करतीं हैं नहीं मानतीं हैं शंकर अलग शिला खंड पे जाकर बैठ जाते हैं। शंकर जी सूत्र बतलातें हैं जब पति पत्नी में मतभेद हो जाएँ तो टेंशन नहीं लेना है। 

होइ है वही जो राम रची रखा -सती संदेह करतीं हैं ,परीक्षा लेती हैं भगवान् की (भगवान् संदेह का विषय नहीं हैं ,लेकिन सती नहीं मानती ,सीता का भेष धर लेती हैं। ),भगवान् कहते हैं माते अकेले ही विचर रहीं हैं वन में ?भोले नाथ क्या कर रहें हैं ?

मैं कौन हूँ ये मैं तय करूंगा शंकर भगवान् मैना के अपमान करने पर कहतें हैं शंकरजी ऐसा ही कहते हैं। यहां सन्देश यह है घर टूटते ही ऐसे हैं किसी एक शब्द से। उन पर ध्यान नहीं देना चाहिए। 

नारद ने सम्बन्ध बदल दिया पारबती की माँ मेनका को शंकर जी का असली रूप दिखलाकर। अब तो मेनका भगवान् से क्षमा मांगतीं हैं। 

 गुरु की यही महिमा है। 

(ज़ारी )

Pandit Vijay Shankar Mehta Ji | Shri Ram Katha | Baal Kand
संदर्भ -सामिग्री :(१ )https://www.youtube.com/watch?v=uD2C4zjlhgU

The Beginnings of Psychotherapy

मनो -विश्लेषण चिकित्सा का उद्भव (आदि )

कैसे आरम्भ हुई साइकोथिरेपी ?

सिग्मंड  फ़्रायड  की दूर -दृष्टिता  का परिणाम थी मनो -विश्लेषण चिकित्सा ,बाइनाकुलर विज़न था फ़्रॉयड  महोदय के पास ।इनकी पहली मरीज़ा एक महिला थीं जो रूप परिवर्तन भावोन्माद (कन्वर्जन हिस्टीरिया ,Conversion Hysteria )से ग्रस्त हो गईं थीं।

इस स्थिति में महिलायें भावात्मक चोट (सदमे )को भौतिक समस्याओं के रूप में समझने -भोगने  लगतीं हैं। मसलन उन्हें लगता है उनके किसी अंग को फालिज मार गया है। आज कहते हैं मन से ही होते हैं काया के रोग। मनोकायिक रोग रहा है यह भाव -उन्माद भी। मनो -कायिक बोले तो साइको -सोमाटिक। 

फ्रायड के गुरु रहे  जोज़फ़ ब्रुएर ने आर्म -पेरेलिसिस का पहला ऐसा मामला दर्ज़ किया बतलाया जाता है। मरीज़ा अन्ना   ओ.  नाम की एक महिला  थीं। भौतिक जांच के बाद पता चला इनमें पेरेलिसिस के कैसे भी भौतिक लक्षण ही नहीं थे। इन्हें ब्रुएर के पास मनो -विश्लेषण चिकित्सा के लिए लाया गया। ब्रुएर ने सम्मोहन तकनीक को इनके ऊपर आज़माया साथ ही फ्री -एशोशिएशन टेक्नीक का  भी इस्तेमाल किया। 

What is Free Association?

Free association is a technique used in psychoanalytic therapy to help patients learn more about what they are thinking and feeling. It is most commonly associated with Sigmund Freud, who was the founder of psychoanalytic therapy. Freud used free association to help his patients discover unconscious thoughts and feelings that had been repressed or ignored. When his patients became aware of these unconscious thoughts or feelings, they were better able to manage them or change problematic behaviors.
अन्ना अपने मरणासन्न ( मृत्यु -आसन्न ) पिता के सिरहाने खड़ी थीं। खड़ी -खड़ी ही ये निद्रा में चली गईं जब इनकी आँख खुली इनके पिता मर चुके थे। आपको गहरी मानसिक वेदना पहुंची इस हादसे से ,एक हीन -भावना,अपराध -बोध भी आपके मन में बैठ गया  आप पिता की मृत्यु के लिए खुद को कुसूरवार मान ने लगीं। लेकिन आपने इन मनोभावों को दबाये रखा ,भाव -शमन किया अपनी रागात्मकता का मनो -संवेगों का; मनोविज्ञान की भाषा में यही रिपरैशन कहलाता है। उनकी मनोव्यथा रूपांतरित होकर उनके द्वारा कल्पित भौतिक लक्षणों में तब्दील हो गई उन्हें लगा उनका बाज़ू अब संवेदना शून्य है। 

 मनो -विश्लेषण चिकित्सा ने एक मर्तबा फिर उन्हें उस  सदमे का स्मरण करवाया और सम्मोहन द्वारा उस असर को हटा दिया। 
अन्ना अब आगे की मनो -विश्लेषण चिकित्सा का आधार बन गईं। ऐसे शुरुआत हुई मनो -विश्लेषण चिकित्सा या साइकोथिरेपी की। निष्कर्ष निकाला गया सारे भौतिक लक्षण मनो -संवेगों के दमन (शमन )का परिणाम होते हैं। शमन को हटाते ही मन की गांठ के खुलते ही लक्षण भी गायब हो जाते हैं।उनका बाजू लकवा भी दुरुस्त था अब। 
लेकिन धीरे -धीरे फिर शोध से यह भी पता चला शमन या दमन (repression )का हटा लेना निर्मूल करना सभी मामलों में कामयाब नहीं होता है।फ्रायड महोदय ने यहीं से मनो -विश्लेषण को एक व्यापक आधार दिया जिसके तहत असर ग्रस्त व्यक्ति के बारे में व्यापक (विस्तृत ,गहन ) जानकारी जुटानी आरम्भ  की गई।

Now Freud broadened his focus .He referred to psychoanalysis as an educational process ,which focused on "insight ".
Insight or the recognition of patterns and historical generative events ,became the cure for all ailments.

इसके तहत पहले व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमताओं ,बोध प्रक्रिया ,सोच ,की पड़ताल की गई ,इसी दरमियान एक मरीज़ ने बतलाया मुझे बरसों हो गए ये परामर्श चिकित्सा लेते- लेते मैं समझता भी सब कुछ हूँ लेकिन फायदा या हासिल अभी तक कुछ हुआ नहीं है। फ्रायड अब ये जान चुके थे इस प्रकार की वैयक्तिक गहन पड़ताल का आंशिक फायदा ही पेशेंट्स तक पहुँच पा रहा है। 

Recognizing one's patterns ,history ,and vulnerability was important ,but hardly curative.There were problems.

मरीज़ में रचनात्मक बदलाव का आना  दो और चीज़ों पर निर्भर करता है :

(१ )उसकी सोच के अलावा उसका रागात्मक भाव जगत ,उसकी संवेदनाएं बड़े मायने रखतीं हैं। 

(२ )रोज़मर्रा के हिसाब से रोज़ -ब -रोज़ हमें अपने जीवन को जीने का ढर्रा जीवन शैळी में बदलाव लाने की आदत डालनी होगी। केवल सोचने और सोचने से कुछ नहीं होना -हवाना है। 

गहन जानकारी जुटाना व्यक्ति विशेष की बस  एक संज्ञानात्मक परख है ,उसकी बोध प्रक्रिया की पड़ताल भर है। ये प्रक्रियाएं मस्तिष्क के बाएं अर्द्धगोल से ताल्लुक रखतीं हैं। एहम का ,हमारे ego -mind का ,यही प्राकृत आवास है।तर्कणा शक्ति ,सारे तर्क  और भाषा का वाग्जाल यहीं है।एक किस्म की  रेखीय बूझ है यहां।  

The left brain houses the ego -mind and is linear ,logical and linguistic .

सूचना संशाधन और सूचना को व्यवस्थिति करने ऑर्गेनाइज करने का काम दिमाग का यही हिस्सा करता है ,यादें और विचार सरणी भी यहीं हैं लेकिन यहां जीवन और जगत का सीधा बोध प्राप्त नहीं है।
It does not experience the world directly .

सीधा अनुभव दिमाग का दायां हिस्सा करता है यह ज्ञानेंद्रिय के पीछे -पीछे हो लेता है संवेदनाओं की प्रावस्थाओं को देखता समझता  है। लेकिन ये अनुभव भी पल दो पल के ही होतें हैं यहां कोई चेक या फ़िल्टर नहीं है। टोटैलिटी रूप में ही हैं एक अनुभव होता है बस । 

यानी ये सब भी कच्चा माल ही होता है जिसको  दिमाग का बांया हिस्सा अवधारणाओं में तब्दील कर लेता है। बस धारणाएं पुख्ता होने लगतीं हैं। 

मनो -विश्लेषण चिकित्सा को इन सब पर नज़र रखनी पड़ेगी। यानी बोध प्रक्रिया ,विचार सरणी तथा मरीज़ की संवेदनाओं संवेगों की भी गहन पड़ताल करनी पड़ेगी। 
जो हो साइकेट्रिक ड्रग्स चिकित्सा   के संग -संग मनो -विश्लेषण चिकित्सा (साइको -थिरेपी )को आनुषंगिक चिकित्सा का दर्ज़ा आज भी प्राप्त है। दोनों साथ -साथ चलतीं हैं। बेशक कुछ मनो -दशाओं में यह उतनी कारगर न भी हो।
संदर्भ -सामिग्री :
The Beginnings of Psychotherapy -Dr .Michael Abramsky
He is a licensed psychologist with 35 yrs of experience treating adolescents and adults for anxiety,depression and trauma .He is nationally Board Certified in both Clinical and  Forensic psychology ,has a MA in Comparative Religions ,and has practiced and taught Buddhist Meditation for 25 yrs .You may call him at 248 644 7398 

सोमवार, 30 अक्टूबर 2017

CAN DIABETES BE HELPED?

क्या आप जानते है ,मधुमेह एक अपविकासी  (degenerative disease)जीवन शैली रोग है ?

क्या डायबिटीज़ से बचाव संभव है ?क्या इस दिशा में वाकई कुछ हो सकता है ,कहीं से कोई टेका(इमदाद ,help ) मिल सकता   है। इससे जुड़ी वह जानकारी क्या है जो बिरले ही किसी को मालूम होगी वह भी उसे जो बे -हिसाब मेडिकल शोध की खिड़की को खंगलाता होगा ?

बे -शक हम सभी जानते हैं - मधुमेह रोग का दायरा लगातार सुरसा के मुंह सा फैलता जा रहा है फिर चाहे वह अमरीका जैसे खुशहाल खाते पीते दीखते लोग हों या गरीब देश। 

यह भी बहुतों ने सोचा होगा शक़्कर का बे -हिसाब इस्तेमाल इस महामारी की  वजह बनता है।आइये कुछ बातों पर गौर करते हैं :

(१ )हमारे शरीर में खुद को दुरुस्त कर लेने की क्षमता विद्यमान रही आई है और रहती है। जैसे कटी -फटी ऊँगली अपने आप ठीक हो जाती है वैसे ही हमारा अग्नाश्य (अग्नाश्य ग्रंथि ,pancreas )खुद को दुरुस्त कर लेने की क्षमता लिए रहता  है। लेकिन अगर आप अदबदाकर उस गर्म तवे को बारहा हाथ लगाते रहेंगे जो आपको जला देता है ,फिर आपका अल्लाह ही मालिक है कमान आपके हाथ से निकल जाएगी। 

शुगर और हाईग्लाईकेमिक इंडेक्स (G.I)वाला खाद्य वही काम करता है। High -glycemic foods )खाद्य ऐसे तमाम खाद्य हैं प्रसंस्करित खाद्य हैं ,जो जल्दी ही सिंपल सुगर्स में टूट जाते है अपचयित हो जाते है और तुरत फुरत हमारे खून में ग्लूकोज़ के स्तर को ऊपर ले आते हैं। नतीजा होता है हाई -ब्लड -शुगर ,भले कुछ समय के लिए ही सही। 

वाइट फूड्स से आप बाकायदा परिचित हैं फिर भी :

(१ )वाइट राइस (पोलिश वाला परिष्कृत ताजमहल सा जगमग ,लालकिले सा मशहूर देहरादून सा बासमती )

(२ )वाइट ब्रेड 

(३ )वाइट फ्लोर (मैदा )

(४ )वाइट -पोटेटो  

अलबत्ता वाइट स्किन लोग (गोर -चिट्टे नर -नारी )इस लिस्ट से बाहर ही रखे जाएंगे। 

ये तमाम खाद्य उस दर से आपके ब्लड सुगर में देखते ही देखते इज़ाफ़ा कर देते हैं जो सामान्य दर नहीं कही जाएगी। 

ऐसे में बेचारे अग्नाश्य पर दवाब बनता है  उसे अप्रत्याशित तौर पर इन्सुलिन का सैलाब लाना पड़ता है। मामला क्लाउड ब्रस्ट की तरह है हमारे पेन्क्रियेज़ के लिए। ऐसा इसलिए है ,कुदरती प्राकृत अवस्था में हमारे शरीर को शक्कर के बढ़ने की दर का इल्म ही नहीं होता है ,सब कुछ स्वयंचालित व्यवस्था करती रहती है। 

बे -चारे शरीर को ऐसे में मालूम ही कहाँ है यहां मांजरा कुछ और है- ब्लड सुगर बढ़ती ही जाती है बढ़ती ही जाती है। अगर मालूम हो के ये वृद्धि तात्कालिक है ,थम जाएगी तो पेन्क्रियेज़ इन्सुलिन का बे -हिसाब स्राव ही क्यों करे ?

अब इतना फ़ालतू इन्सुलिन तो अपना रंग दिखायेगा वह भी शक़्कर को जलाता ही जाएगा ठिकाने लगाता ही जाएगा और नतीजा होगा -हाइपोग्लाइसेमिया -इस स्थिति में आपके खून में तैरती शक्कर का स्तर एक दम से गिर कर निम्न हो जाएगा। 

बारहा शक्कर के स्तर में आकस्मिक घट-बढ़ धमनियों पर कालांतर में भारी पड़ती है। मैंने डायबिटीज़ के ऐसे मरीज़ बहुत करीब से देखें हैं उनकी चिकित्सा व्यवस्था का पूरा निगरानी तंत्र करीब से देखा है ,जिनकी डायबिटीज़  तीस -पैंतीस  साला हो गई है। 

 इन्हें बार -बार एंजियोग्रेफी की जरूत पेश आ जाती है ,लेकिन  बारहा एंजियोग्रेफी के लिए धमनी ही हाथ नहीं आती बीच में ही कहीं खो जाती है।पूरे परिवार का रोग बन जाता है मधुमेह जीवन- शैली -रोग। अब ऐसे में अग्नाश्य ही बे -चारा कहाँ बचेगा। 

उसका अपविकास होगा के नहीं होगा ?पेंक्रियाज़ डिजेनरेट करेगी या नहीं करेगी।मरता क्या न करता इस अपविकासी  स्थिति आने  से पहले अग्नाश्य अति -सक्रीय (hyperactive )हो जाता है। ताकि कुछ  ले दे के उसका काम तो ठप्प न हो।लेकिन होता उल्ट ही है। आपका ब्लड शुगर लेवल अब जल्दी जल्दी सामन्य से बहुत नीचे स्तर पर आने लगता है।ऐसे में आप एक टाइम का भोजन मिस कर जाएँ वक्त ही न निकाल पाए भोजन का चर्या में से फिर देखिये क्या होता है आपके साथ। 

हाइपो -ग्लाइसीमिया आपके लिए खतरे की घंटी हो सकता है ,चेतावनी यही है आप अपना खान -पानी दुरुस्त कर लें। अग्नाश्य भी सम्भल जाएगा। 

Some will get the shakes if they skip meals . 

क्या आप जानते हैं -अग्नाश्य के स्वास्थ्य को कुछ किण्वक 

या एंजाइम बचाये रह सकते हैं ? 

कुदरती खाना (तमाम किस्म के भोज्य पदार्थ  )इन एन्जाइज़ों के  ढ़ेर  के ढ़ेर लिए रहते हैं। ये कैंची है खाद्य को कतरने की। खाद्य टूट जाएगा अपने सरलतम रूपों में। 

लिटमस पेपर टेस्ट  है यह -वह खाना जल्दी सड़ेगा नहीं दीर्घावधि में भी ,जिसमें एन्जाइम्स का स्तर निम्तर बना होगा।

लेकिन एन्जाइम्स से भरपूर खाने की भंडारण अवधि ,सेल्फ- लाइफ कमतर होगी। परिष्कृत - प्रसंस्करित ,संशाधित खाद्यों में एंजाइम तकरीबन -तकरीबन नष्ट ही हो जाते है। 

ओवर कुक्ड और माइक्रोवेव्ड किए खाने के साथ भी यही होता है -एन्जाइम्स नदारद हो जाते हैं खाद्यों में से। उन्हें उनकी प्राकृत अवस्था में ही परम्परागत तरीके से पका बनाकर खाइये। 
बड़े एहम हैं एंजाइम हमारे भोजन के लिए। इनके अभाव में अग्नाश्य पर क्या गुज़रती होगी ये आप नहीं जानते हैं। 

संदर्भ -सामिग्री :माननीया शाइरी याले जी के साथ एक लम्बी बातचीत पर आधारित है यह आलेख। आप नामचीन काइरोप्रेक्टर हैं। डीसी का मतलब यहां  डॉक्टर आफ काइरोप्रेक्टिक है। 

Dr Sherry Yale ,DC is the owner of TLC Holistic Wellness .She lives in Livonia ,MI 48 150 phone :734 664 0339  

इन दिनों मोदी के खिलाफ एक नियोजित षड्यंत्र चल रहा है

https://veerubhai1947.blogspot.com/

इन दिनों मोदी के खिलाफ एक नियोजित षड्यंत्र चल रहा है

 जिसके रचनाकार वही लोग हैं ये षड्यंत्र -पटकथा उन्हीं की लिखी लिखवाई हुई है जिन्हें विदेशों से यहाँ लाकर भारत की राजनीतिक काया पर एक पैवन्द लगाया गया था। आज ये कह रहें हैं मोदी देश पे बम गिरवा  देगा ,जीएसटी का भूत इन पर इस तरह सवार है इन्होनें चंद ऐसे युवकों को पकड़ लिया है जो इनके एजेंट के भी एजेंट हैं ,अपने पढ़े लिखे होने की दुहाई बात- बात पे देते हुए कहतें हैं हम इंस्टीटूट आफ मैनजमेंट के पढ़े हुए हैं इसलिए हमें मालूम है -आपको नहीं मालूम ये मोदी देश  को किस तरह तबाह कर रहा है पहले डिमो-नैटाइज़ेशन के नाम पे, कभी बुलेट ट्रेन की आड़ में कभी पेट्रोल डीज़ल की आड़ लेकर। ये भूलते हैं जो इनसे पहले पढ़ गए ये उन्हीं की टीप मारके पढ़ें हैं वे भी पढ़े लिखे ही थे। आगे कहते है :

'आप वहीँ के वहीँ -   वही ढ़ाक के तीन पात, पहले भी अम्बानी और अब भी अम्बानी बस बोलें - मोदी वाणी।'

इनका गणित उस कुनबे की तरह है जिसके एक अक्लमंद पढ़े लिखे आदमी ने ये हिसाब लगा के बतलाया नदी में पानी  इतना गहरा है मैंने आप लोगों की हाइट जोड़के कुल योग निकाल  लिया है गहराई को चार से तकसीम कर दिया है कोई भी नहीं डूबेगा चलते चलो ,हमें उस पार तो हर हाल में पहुंचना ही है।  पूरा कुनबा डूब गया।

जानतें हैं इस पढ़े लिखे ने क्या किया था -ये लोग संख्या में चार थे नदी में पानी था १२ फुट इनकी कुल कुंबाई  लम्बाई इससे कहीं ज्यादा थी। इन्होने ने बस १२ को चार का भाग किया और कहा  कोई  नहीं डूबेगा। जब पूरा कुनबा डूब गया कहने लगा ये युवक नदी का पानी तो बढ़ा नहीं कुनबा कैसे डूब गया।

 आदमी ''गू ''खाये तो हाथी का खाये कमसे कम पेट तो भरे ये उनके (उन्हीं के जो आप समझ रहें हैं )एजेंट के भी एजेंट हैं जिन्हें देश का मनोबल तोड़ने के लिए लगाया गया है इसलिए कहते फिर रहें हैं मोदी ने सब बर्बाद कर दिया।

कुल मिलाकर  इन्हें जब  अपने बाप के खिलाफ कुछ नहीं मिला तो ये कहने लगें हैं मैं जानता हूँ मेरा बाप मुझे जहर देकर मार देगा उसने स्लो पॉइज़न देना शुरू भी कर दिया है।

'कोई योजना नहीं है इसलिए की भ्रष्टाचार  भी नहीं है मोदी राज में। 'इनका  आप्त -वचनामृत  ज़ारी हैं। '

देखिये इनकी विकास की परिभाषा कितना बे -लाग है। 'भ्रष्टाचार' और 'विकास 'बकौल इन कांग्रेसी एजेंटों के पर्याय वाची शब्द  हैं।

ये ही पाकिस्तान और चीन सोच के लोग हैं। जो इस हद तक अवसाद में चले आएं हैं देश को आग लगवा कर भी ये मोदी को हटवाने के लिए तैयार हैं।  

देखिये इनकी विकास की परिभाषा कितना बे -लाग है। 'भ्रष्टाचार' और 'विकास 'बकौल इन कांग्रेसी एजेंटों के पर्याय वाची शब्द हैं। ये ही पाकिस्तान और चीन सोच के लोग हैं। जो इस हद तक अवसाद में चले आएं हैं देश को आग लगवा कर भी ये मोदी को हटवाने के लिए तैयार हैं।

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इन दिनों मोदी के खिलाफ एक नियोजित षड्यंत्र चल रहा है

 जिसके रचनाकार वही लोग हैं ये षड्यंत्र -पटकथा उन्हीं की लिखी लिखवाई हुई है जिन्हें विदेशों से यहाँ लाकर भारत की राजनीतिक काया पर एक पैवन्द लगाया गया था। आज ये कह रहें हैं मोदी देश पे बम गिरवा  देगा ,जीएसटी का भूत इन पर इस तरह सवार है इन्होनें चंद ऐसे युवकों को पकड़ लिया है जो इनके एजेंट के भी एजेंट हैं ,अपने पढ़े लिखे होने की दुहाई बात- बात पे देते हुए कहतें हैं हम इंस्टीटूट आफ मैनजमेंट के पढ़े हुए हैं इसलिए हमें मालूम है -आपको नहीं मालूम ये मोदी देश  को किस तरह तबाह कर रहा है पहले डिमो-नैटाइज़ेशन के नाम पे, कभी बुलेट ट्रेन की आड़ में कभी पेट्रोल डीज़ल की आड़ लेकर। ये भूलते हैं जो इनसे पहले पढ़ गए ये उन्हीं की टीप मारके पढ़ें हैं वे भी पढ़े लिखे ही थे। आगे कहते है :

'आप वहीँ के वहीँ -   वही ढ़ाक के तीन पात, पहले भी अम्बानी और अब भी अम्बानी बस बोलें - मोदी वाणी।'

इनका गणित उस कुनबे की तरह है जिसके एक अक्लमंद पढ़े लिखे आदमी ने ये हिसाब लगा के बतलाया नदी में पानी  इतना गहरा है मैंने आप लोगों की हाइट जोड़के कुल योग निकाल  लिया है गहराई को चार से तकसीम कर दिया है कोई भी नहीं डूबेगा चलते चलो ,हमें उस पार तो हर हाल में पहुंचना ही है।  पूरा कुनबा डूब गया।

जानतें हैं इस पढ़े लिखे ने क्या किया था -ये लोग संख्या में चार थे नदी में पानी था १२ फुट इनकी कुल कुंबाई  लम्बाई इससे कहीं ज्यादा थी। इन्होने ने बस १२ को चार का भाग किया और कहा  कोई  नहीं डूबेगा। जब पूरा कुनबा डूब गया कहने लगा ये युवक नदी का पानी तो बढ़ा नहीं कुनबा कैसे डूब गया।

 आदमी ''गू ''खाये तो हाथी का खाये कमसे कम पेट तो भरे ये उनके (उन्हीं के जो आप समझ रहें हैं )एजेंट के भी एजेंट हैं जिन्हें देश का मनोबल तोड़ने के लिए लगाया गया है इसलिए कहते फिर रहें हैं मोदी ने सब बर्बाद कर दिया।

कुल मिलाकर  इन्हें जब  अपने बाप के खिलाफ कुछ नहीं मिला तो ये कहने लगें हैं मैं जानता हूँ मेरा बाप मुझे जहर देकर मार देगा उसने स्लो पॉइज़न देना शुरू भी कर दिया है।

'कोई योजना नहीं है इसलिए की भ्रष्टाचार  भी नहीं है मोदी राज में। 'इनका  आप्त -वचनामृत  ज़ारी हैं। '

देखिये इनकी विकास की परिभाषा कितना बे -लाग है। 'भ्रष्टाचार' और 'विकास 'बकौल इन कांग्रेसी एजेंटों के पर्याय वाची शब्द  हैं।

ये ही पाकिस्तान और चीन सोच के लोग हैं। जो इस हद तक अवसाद में चले आएं हैं देश को आग लगवा कर भी ये मोदी को हटवाने के लिए तैयार हैं।  

रविवार, 29 अक्टूबर 2017

सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है -----(राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर )

क्षमा शील व्यक्ति ही अपने कर्म-दहन कर पाता है 

क्षमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उत्पात ,

का रहीम हरि को घटो, जो भृगु मारी लात।

क्षमा धीर पुरुष ही नहीं बलशाली का भी आभूषण है। क्षमाशीलता आपको स्वतंत्र करती है ,उस अतीत से जिसमें कईओं की बदसुलूकी आपके अवचेतन में आज भी जगह बनाये हुए है। आपके वर्तमान को आपकी सेहत को असरग्रस्त कर रही है। आपको आगे बढ़ने से रोक रही है।

क्षमा करके आप खुद पर एहसान करेंगे किसी और पर नहीं। वह या वे तमाम लोग जिन्होंने कभी आपकी भावनाओं को आहत किया है उन्हें आपके दर्द का पता ही नहीं है।

दर्द उनको भी है ,इसका इल्म आपको तब तक नहीं होगा जब तक आप उन तमाम लोगों को मुआफ नहीं करेंगे। कई सोल हीलर (आत्म -तत्व -हीलर ) आजकल सुबह उठकर ये प्रार्थना की तरह पाठ करते हैं :

मैं अपने तथा अपने उन तमाम पूर्वजों की तरफ से उन सबसे क्षमा माँगता हूँ जिनका हमनें कभी दिल दुखाया है। साथ ही हम उन तमाम लोगों को मुआफ करते हैं जिन्होंने जाने अनजाने या फिर अदबदाकर भी हमारे दिल को दुखाया है। आप भी ऐसा करके देखिये नित्यप्रति एक विशेष ऊर्जा आपके अंदर  प्रवाहित  होने लगेगी -ऊर्जा-ए -सुकून।


1:55
Join Us and Chant Love Peace Harmony Now with Master Sha



सन्दर्भ -सामिग्री :

(१ )https://www.youtube.com/watch?v=2z2XstaFR-E



पर नर व्याघ सुयोधन तुमसे कहो कहाँ कब हारा?


क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ सुयोधन तुमसे कहो कहाँ कब हारा? क्षमाशील हो ॠपु-समक्ष तुम हुये विनीत जितना ही दुष्ट कौरवों ने तुमको कायर समझा उतना ही अत्याचार सहन करने का कुफल यही होता है पौरुष का आतंक मनुज कोमल होकर खोता है क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल है उसका क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल है तीन दिवस तक पंथ मांगते रघुपति सिंधु किनारे बैठे पढते रहे छन्द अनुनय के प्यारे प्यारे उत्तर में जब एक नाद भी उठा नही सागर से उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से सिंधु देह धर त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में चरण पूज दासता गृहण की बंधा मूढ़ बन्धन में सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की संधिवचन सम्पूज्य उसीका जिसमे शक्ति विजय की सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है
                                            -----(राष्ट्रीय कवि  रामधारी सिंह दिनकर )

(३ )https://www.youtube.com/watch?v=m66y7M-0E9M

(४ )https://www.youtube.com/watch?v=KpfTfXyfui4

(५ )https://www.youtube.com/watch?v=Ch6m800iHto

(६ )https://www.youtube.com/watch?v=CothocmSzL0

(७ )https://www.youtube.com/watch?v=5Hon6Qh1rYA

शनिवार, 28 अक्टूबर 2017

Pandit Vijay Shankar Mehta Ji | Shri Ram Katha | Aranya Kand

अरण्य-काण्ड  आधुनिक जीवन का जीपीएस है।

आधुनिक जीवन का कथानक है अरण्य काण्ड।  

भाव -सार :

 अरण्य कांड  का सूत्र है संतुलन। जीवन संयम से अधिक संतुलन का नाम है। संतुलन भूत का भी है भविष्य का भी है वर्तमान का भी है। जो चल रहा है उसे पकड़ना है और जो आने वाला है उससे वर्तमान को जोड़ना है ,भूत को भूलना है। नै पौध से जुड़ना है। 
अगर आप अशांत है ,तुलसी के पौधे को पकड़ के खड़े हो जाइये ,प्रकृति से जुड़िए ,जड़ से भी चेतन जैसा व्यवहार कीजिये अभी तो हम चेतन के साथ भी जड़ जैसा व्यवहार कर रहें हैं। 

जिससे भी सुनें ,पूरा सुनें ,किसी से कोई अपेक्षा न करें ,अ -करता रहें आप निमित्त मात्र बने रहें ,करें वही जो कर रहें हैं अपने को बस करता न माने । जड़ में चेतन को देखेंगे तो चेतन में चेतन को क्यों न देखेंगे फिर। ये सारे सूत्र हैं अरण्यकाण्ड के। 

अरण्य का सामान्य अर्थ है जंगल। जीवन का एक हिस्सा वन में ज़रूर बीतना चाहिए एक संघर्ष का जीवन है वन का जीवन। मनुष्य के जीवन में अरण्य काण्ड भी   होना चाहिए ,अरण्य बोले तो संघर्ष। 

असुविधाओं में रहने की भी आदत हो। अपने जीवन की तीन स्थितियों में संतुलन बना के रखें। वर्तमान में एकाग्रता बनाये रहें अतीत को विस्मृत कर दें ,आज को आने वाले कल से जोड़े। अभाव में जीना सीखें। जंगल में आपको वन्य प्राणियों की आवाजाही अच्छी लगेगी थोड़ी देर अपने (आपके मेरे )भीतर एक संन्यास घटना चाहिए।

'भगवान् से मिलन -जिस दिन मैं भिक्षा मांगने गया मेरे जीवन से अहंकार गल गया।मेरे जीवन में राम आ गया।' 
एक राजा का सहज बोध है यह -जिसका खुलासा यह कथा करती है ,उस राजा का जो भगवान् से मिलना चाहता था। 
अरण्य काण्ड में भगवान् राम पांच बार बोलते हैं। पूरी मानस में बहुत कम बोले हैं।

एक बार  चुनि  कुसुम सुहाए , 

निजी कर भूषन राम  बनाये।

 अपने हाथों से एक बार राम ने आभूषण बनाये पुष्पों से खुद ही फूल चुनकर लाये। नित्य का कर्म और  क्रम यह था सीता जी राम जी की सेवा करतीं थीं फूल चुनकर सीता जी लाती  थीं।भगवान् राम ने स्त्री और पुरुष को यहां बराबर कर दिया है। अब हमारे जीवन में जो घटनाएं होंगी उसमें प्रमुख भूमिका तुम्हारी होगी सीते !

स्त्री और पुरुष के दायित्व स्त्री और पुरुष होने से अलग अलग नहीं रहें हैं और आज दोनों के दायित्व सांझा हो गए है परिस्थितियों  के बोझ से। दायित्व केवल भूमिका के कारण बदले गए थे।लैंगिक अंतर् होने की वजह से नहीं था ऐसा। 

भगवान् शंका करने  का विषय नहीं हैं  जिज्ञासा का है। शंकर भगवान पार्वती जी को सावधान करते हुए कहते हैं राम चरित बड़ा गूढ़ है। सावधान होकर सुनो। 
जिस दिन हम भगवान् के विरुद्ध काम करते हैं उस दिन हम जयंत बन जाते हैं ,हमें फिर कोई नहीं बचा  सकता। यही इंद्र -पुत्र जयंत सीता जी के पैर  में चौंच मार के  भागा था।सीता माँ ने एक तिनका पृथ्वी से उठाया और अभि-मन्त्रित करके छोड़ दिया वही ब्रह्मास्त्र बन गया ,जयंत के पीछे लग गया। अब उसे यह सम्पूर्ण जड़ संसार मृत्युवत दिखलाई देना लगा। नारद जी ने रास्ता बतलाया -

उस ब्रम्हास्त्र ने उसकी एक आँख फोड़ दी ताकि अब वह सबको एक दृष्टि से देख सके बिना भेदभाव के। 

कथा भाव का विषय है भीड़ का नहीं। भीड़ भगवान् को पसंद नहीं है। जब जीवन में कुछ विपरीत आये तो भी  दूसरों का भला करने से मत चूकिए भगवान् राम यही सिखाते हैं विभिन्न आश्रमों में जाकर वनवासी राम  प्रतिज्ञा करते हैं इस धरा को मैं राक्षसों से विहीन कर दूंगा। ऋषियों से अगस्त्य मुनि एवं अन्यों  से  राम पूछते हैं राक्षसों को कैसे मारते हैं बस आप हमें बताइये।  

'शून्य' से 'शिखर' का संघर्ष हैं 'राम' जिनके पास वन में कुछ नहीं है राक्षसों  के पास सब कुछ है वे समर्थ हैं। राम के पास भरोसा है ,और वनवासी राम के भरोसे हैं। प्रतिकूलताओं में से अनुकूलता निकालना सिखाते हैं राम। 

जीवन में कुछ समय अरण्य काण्ड ज़रूर पढ़िए :अतीत को भूलिए वर्तमान को पकड़िए ,पकड़े  रहिये ,भविष्य से जोड़िये।योग और मेडिटेशन वर्तमान में जीने का साधन है। भूलना है अतीत को ,भूत को और जुड़ना है भविष्य से। 

राम गीता :भगवान् चित्रकूट छोड़ के पंचवटी आ गए हैं लक्षमण उनसे प्रश्न करते हैं ,राम उत्तर देते हैं इन प्रश्नों का यही राम गीता है। मन को शून्य करें ,और चित्त को शुद्ध करें मति को एकाग्र करें। यहां भगवान् सुन ने की कला सिखाते हैं। बावन पंक्तिं हैं इस गीता में जिसमें  लक्ष्मण जीवन से सम्बंधित प्रश्न पूछते हैं :

चित्रकूट रघुनन्दन आये ,

समाचार सुनी मुनि जन आये।

 घिरे रहते थे भगवान् यहां लोगों से लक्षमण जी को निकट के अन्य लोगों को मौक़ा ही नहीं मिलता था भगवान् से बात करने का। हमारे आधुनिक जीवन में ऐसा अक्सर होता है। 

बोले रघुवर कहहुँ  गुसाईं। 

सुनहुँ तात  मति मन चित लाई  

मैं और मोर तोर ये माया,

इस संसार में मन जहां तक चला जाए वहीँ तक माया है। मन को गलाइए अहंकार को गलाइए। ये मन ही सारे क्रोध की जड़ है आपके क्रोध का कारण यह आपका अहंकार ही है। कोई बाहरी साधन या व्यक्ति नहीं। 

ज्ञान गुण  नीति और वैराग्य पर (वैराग्य के साथ) घर में चर्चा होनी चाहिए। अरण्य काण्ड जीवन को समझाने का काण्ड है रिश्ते आज बोझ बन गए हैं। अरण्य काण्ड रिश्तों की आंच को बनाये रखना सिखाता है। रिश्तों की निष्ठा खत्म होने का मतलब है हमारे अंदर निष्ठा समाप्त हो गई है। राक्षसों की कोई निष्ठा नहीं होती। सूपर्ण खा राम के यह कहने पर मैं तो शादीशुदा हूँ मेरे भाई लक्ष्मण के पास जाओ वह अविवाहित है दोनों को खाने की धमकी देती है राम के इशारे पर लक्ष्मण उसके नाक कान काट देते हैं।  

सूपर्ण खा के नाक कान काटना रावण को चुनौती थी। क्योंकि मुकाबला यहां उसी से करना था। 

रावण का वंश हमारे अंदर है सूपर्ण खा रावण को कहती है मैं आपके लिए एक सुन्दर महिला को लेने वन गई थी वहां उसके साथ दो राजकुमार थे उन्होंने मेरा ये हाल कर दिया। तुम मदिरा पीकर यहां पड़े रहते हो देखते नहीं हो कितनी बड़ी विपत्ति तुम्हारे सर पे खड़ी है।अपने भाई को उकसाती है गलत बोलकर। हम अपने ही लोगों को गलत मार्ग दिखलाते हैं। अरण्य काण्ड हमें यह बतलाता है। 

जीवन में शुभ के नीचे अशुभ चलता है अशुभ के नीचे शुभ विवेकपूर्ण होकर एक का चयन करना ही होता है मारीच प्रसंग हमें यही बतलाता है। मारीच जानता था जो रावण का मामा था मरना तो निश्चित है क्यों न भगवान राम के हाथों मरूं। 

आस्तीनों में सांप जो न पाले होते ,

तो अपनी किस्मत में भी उजाले होते। 

जब रावण से रिश्ता रखा तो खामियाज़ा तो भरना ही पड़ेगा ।

स्त्रियों की स्वर्ण और आभूषण में विशेष रूचि होती है सुंदर आकृति का स्वर्ण मृग देखा सीता जी मचल उठीं भगवान ये मुझे चाहिए। मोह और लोभ से जुडी सीता मारीच की आवाज़ से भ्रमित होतीं हैं।  लक्ष्मण  राग के प्रतीक हैं उन्हें ये मायावी आवाज़ सुनाई नहीं देती। सीता लक्ष्मण को कटु वचन बोलतीं हैं उन्हें विवश कर देतीं हैं वह सीता जी को छोड़कर चले जाएँ। 
रावण कुत्ते की तरह आता है वही रावण जिसके डर से तीनों लोक कांपते हैं। बावले कुत्ते सा हो जाता है रावण।    




गलत मार्ग पर चलने से आदमी का तेज़ और अंदर का बल चुक जाता है।जटायु संघर्ष करता है और मारा जाता है मनुष्यता की ऊंचाई पर था जटायु और रावण पशु की नीचता पर। 

रावण जब घर में आता है तो घर की शान्ति भंग हो जाती है। राम शबरी के बेर खाते हैं जिनका अर्थ है समर्पण। 

 पकड़ी  गई कड़वाहट जब ते , रिश्तों के उलझे ढेर में जब 

ढूंढ रहें हैं मिठास रामजी,फिर  शबरी के बेर में।  

बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना ,

तुम ही सो गए दास्ताँ कहते कहते। 

स्त्री को कभी निर्जन स्थान पर मत भेजना कितनी भी बल शाली हो।

शास्त्र कितना भी पढ़ लो ये मत मान ना कभी ,पूरा ज्ञान प्राप्त हुआ।  राजा को कभी वश में नहीं मान ना। काम क्रोध और लोभ को जीवन से दूर रखना भगवान् राम गीता में बतलाते हैं। 

भगवान् शंकर पार्वती जी को कथा सुना रहे हैं उन्हें अनायास यह पंक्ति याद आती है :

उमा कहहुँ मैं अनुभव अपना ,
सच हरि  भजन जगत सब सपना। 

नारद भगवान् से क्षमा मांग रहें हैं आप ने मेरे  शाप को अंगीकार किया  उसी से आप दुःख पा रहे हैं।भगवान् कहते हैं जैसे माँ अपने बच्चों को रखती है वैसे ही मैं अपने भक्तों की संभाल  रखता हूँ। तुम मेरी संतान हो मैं तुम्हें संभाल के रखता हूँ। 
भगवान कहते हैं मैं संतों के वश में रहता हूँ। उनमें छः विकार नहीं होते।  

आपके जीवन में कभी संन्यास हो कभी संसार हो। एक बार सांस भीतर(संन्यास ) एक बार बाहर निकालना(संसार )। 

अरण्य काण्ड का समापन सतसंग से होता है भगवान् अगर थोड़ा सा भी मिला है तो खूब बाँटिये  बांटने से परमात्मा बढ़ता है अगर आपकी नाव में थोड़ा सा भी भक्ति का जल आ जाए तो उसे खूब उलीचना बांटना। सतसंग भीतर उतरकर पकड़ने का मामला है अंतर मन से सुनिए सत्संग। जय श्री राम।  

सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.youtube.com/watch?v=jCyD8J_CF5A

शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

Heart and Cardio-vascular Heart Diseases (Hindi lll )

Heart and Cardio-vascular Heart Diseases (Hindi lll )
Coronary Heart Disease

परिहृद्य धमनी रोग ;परि -हृदय -धमनी -रोग क्या है ?

इसे ही CAD भी कह दिया जाता है यानी कोरोनरी -आर्टरी -डिज़ीज़। दिल की बीमारियों में यह सबसे ज्यादा कॉमन है आमफहम है। इससे हमारी ब्लड वेसिल्स (रक्त शिराएं ,रक्त वाहिकाएं या फिर धमनियां यानी हृदय को रक्त मुहैया करवाने वाली नालियां असरग्रस्त होती हैं। एंजाइना इसी की एक कम गंभीर किस्म की नस्ल है क्योंकि यह चेतावनी देकर आता है दर्द की लहर सीने की हड्डी जहां है वहां से उठकर आगे बढ़ती है हाथों की उंगलियों तक आ जाती है ,कमर के किसी भी हिस्से में गरज़ ये कहीं तक भी जा सकती है। बस मुंहमें जीभ  के नीचे एक सब -लिंगुअल छोटी सी गोली रखिये थोड़ा सा आराम करिये। लेकिन यह वैसे ही है जैसे कम शक्ति का ज़लज़ला (भू -कम्प ),इसका बार -बार उठना ,आराम करते वक्त भी आसन्न खतरे की घंटी भी हो सकता है। 
You may be in for a MI (Mayo-cardiac -infarction )

बड़ा ज़लज़ला आपकी जान को आ सकता है मेजर ब्लॉकेड की  ओर इशारा है यह। एंजाइना पेक्टोरिस में तो हृदय को रक्त की आपूर्ति आंशिक तौर पर ही विलम्बित होती है यहां मांजरा दूसरा है। इसकी गंभीरता धमनी अवरोध कितना है कितनी धमनियों में चला आ रहा है आपको इसकी खबर भी  है या नहीं अनेक चीज़ों से तय होता है। 

दिल के आम  दौरे की वजह भी यही बनता है। हार्ट फेलियर का मतलब सिर्फ इतना होता है हृदय की कार्यप्रणाली पूरी तरह ठीक से काम नहीं कर पा रही है। 

कैसे बचा जाए बीमारी से (बचाव के  रण-नीतिक उपाय )क्या हो सकते हैं ?

सामान्य  से कुछ ज्यादा ही रक्त चाप का कायम रहना ,खून में चर्बी की मात्रा का ज्यादा बने रहना ,धूम्रपान की आदत और मोटापा आपके लिए रोग के खतरे के वजन को बढ़ाते हैं। ज़ाहिर हैं इन पे काबू रखिये यही बचाव है। और हाँ !(दिन )चर्या में से व्यायाम का सिरे से नदारद होना ,बैठे -बैठे हुकुम चलाना हरेक काम के लिए दिल के लिए अच्छा नहीं है। 

मधुमेह है तो ब्लड सुगर कंट्रोल फाइन होना चाहिए। 

Understanding Angina Pectoris

जब आपके हृदय के किसी हिस्से को रक्त की आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाती है ज़रूरी से कमतर रक्त यहां पहुँच रहा है ,आपको सीने में दर्द ,घुटन जैसा कुछ महसूस हो रहा है। तब यह एंजाइना का ही संकेत है। जानकार बतलाते हैं यह एहसास दर्द का डिस्कम्फर्ट का आमतौर पर तो चेस्टरनम के नीचे होता है लेकिन क्या काँधे क्या जबड़े ,गर्दन,  क्या आपकी कमर कहीं भी यह दर्द आपको बे -चैनी दे सकता है। 

विशेष :एक छोटा सा टेलर भर हमने आप के साथ देखा है हृदय और हृद संवहन तंत्र से जुड़े रोगों का। 

संदर्भ -सामिग्री :(१ )http://heartdiseasefaqs.com/cardiovascular-disease/?utm_source=bing&utm_medium=cpc&utm_campaign=heartdiseasefaqs.com&utm_term=cardiovascu

Heart and Cardio -vascular Diseases (Hindi ll )

Heart and Cardiovascular diseases (Hindi ll )

Women & Cardiovascular Disease


अक्सर परिवार के सभी लोग -क्या मर्द और क्या औरत ,यही सोचते हैं -दिल की बीमारी महज़ मर्दों की बीमारी है। अपने भारत में अक्सर औरतों के सीने से उठने वाले दर्द के बारे में कह दिया जाता है -वहम है आपको गैस बन रही होगी (जबकि ऐसा होना एक मेडिकल कंडीशन भो हो सकती है एंजाइना या फिर और बड़ा ब्लॉकेड (धमनी अवरोध ),जब तक पता चलता है जांच से बहुत देर हो चुकी होती है। 

गौर तलब है संयुक्त राज्य अमेरिका (उत्तरी अमरीका )में मौत की एक बड़ी वजह औरतों और मर्दों में हृद -रोग ही बना हुआ है। 

नोट  करने लायक बात यह भी है , महिलाओं के मामले में स्ट्रोक अमरीका में औरतों की मौत का तीसरा बड़ा कारण बना हुआ है। 

Cardio -vascular Disease Risk Factors 


विशेष जाति  या धर्म समूह ही नहीं सभी जातियों ,समुदायों की महिलाओं का रोग है दिल का रोग। मधुमेह से ग्रस्त महिलायें भी सहज ही इससे असरग्रस्त हो जाती है। अफ़्रीकी अमरीकी महिलाओं में इसकी पूर्वापरता और दिल की बीमारी की दर गौरी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा देखी  गई है।एशियाई मूल के लोगों में भी ऐसा ही देखने में आया है।  

हृद-वाहिका तंत्र से सम्बन्धी  (हृदय और रक्त संचरण तंत्र सम्बन्धी रोग )

 कितने किस्म के हैं ?


Types of Cardiovascular Diseases

यहां हम कुछ आम रोगों का ही ज़िक्र कर रहें हैं जो बहुत कॉमन हैं,आमतौर पर देखने में आये हैं :

(नेशनल वूमेन हेल्थ इन्फर्मेशन सेंटर (NWHIC)इनका विस्तृत ब्योरा अपनी वेब साइट पर उपलब्ध करवाता है। ) 

(१  )कार्डिओवैस्कुलर अथेरोस्क्लेरोसिस :इस मेडिकल कंडीशन में धमनियां संकरी भी हो जाती हैं लोच खोकर कठोर भी। धमनी काठिन्य (आर्टेरिओस्क्लेरोसिस )ही है यह एक किस्म का। और यह सब एक दिन में नहीं हो जाता है हमारे उम्रदराज़ होते जाने  के संग -संग कुछ धमनी काठिन्य तो स्वत :स्फूर्त होता है। साथ साथ तात्कालिक तौर पर उम्र के संग -साथ होता है । सभी कुछ तो छीजता है उम्र के साथ। 

अथेरोस्क्लेरोसिस में धमनी की अंदरूनी दीवार पे प्लाक (चिकनाई जैसा वसीय कचरा )जमा होते रहने से धमनियां संकरी हो जाती है। ट्रांस फेट और जीवन शैली से जुड़े भ्रष्ट - खान -पान का भी इसमें हाथ रहता ही है। 

क्या है खून का थक्का ?

आइये समझते हैं :

अंडरस्टैंडिंग ब्लड क्लॉट्स :परिणाम होते हैं ये थक्के ,ठंडा होने पर जमने वाली चिकनाई से पैदा वसीय प्लाक्स के ,कोलेस्ट्रॉल यानी खून में घुली अतिरिक्त चर्बी और अन्य कचरे के जो धमनी की अंदरूनी दीवारों पर चस्पां होकर उन्हें  संकरा बना देते हैं। रक्त संचरण में अवरोध पैदा होने से पैदा होतें हैं ये थक्के जो खून के सहज प्रवाह में और बाधा डालते हैं। 

हार्ट अटेक्स और सेरिब्रल स्ट्रोक (दिमाग का दौरा )इन्हीं थक्कों से पड़ते हैं। 

अलावा इसके खून में घुली हुई चर्बी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का निर्धारित मात्रा से ज्यादा हो जाना ,धूम्रपान का शौक (जीवन शैली में धूम्रपान को फैशन स्टेटमेंट मान ने की भूल करना ,भारत में महिलाओं का एक वर्ग इससे ग्रस्त है ),उच्च रक्त चाप से ,मधुमेह से पहले ही ग्रस्त होना ,मोटापा और बैठे -बैठे घंटों काम करने की मजबूरी ,जड़ -दैनिकी जिसमें घूमने फिरने का अवकाश नहीं है ,आपके लिए दिल और दिमाग के दौरे या अटेक के वजन को बढ़ाते हैं जोखिम हैं बड़े भारी।दिल को जोखों यूं और भी हैं।  

(शेष अगली और तीसरी क़िस्त में ...) 

गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

बा -हवस पाँव न रखियो कभी इस राह के बीच , कूचा -ए -इश्क है ये रहगुज़र आम नहीं। (इश्क की गलियां हैं ये -ना -मुराद !आम रास्ता नहीं है ).

मकतब -ए-इश्क का दस्तूर निराला देखा ,

उसको छुट्टी न मिली ,जिसने सबक याद किया।

(ये भाईसाहब पाठशाला इश्क की है -यहां तो हाल ये हैं -इश्क पे ज़ोर नहीं ये वो आतिश ग़ालिब ....बोझ वो सर पे गिरा है के उठाये न उठे ...)

Ishq Par Zor Nahin Hai Yeh Woh Aatish `Ghalib' - shayari.in
www.shayari.in/shayari/ghazal/35257-ishq-par-zor-nahin-hai-yeh-woh-aatish-ghalib.html
SHAYARI FORUM; Ghazal; Ishq Par Zor Nahin Hai Yeh Woh Aatish `Ghalib' ... Bojh Woh Sar Pe Gira Hai Ke Uthaye Na Uthe ... Ishq Par Zor Nahin Hai Yeh Woh Aatish `Ghalib'

कुछ लोग बिंदास जीते हैं प्यार करने और किये जाने के लिए ही भगवान उन्हें इस दुनिया में भेजता है। ये लोगों के दिलों में रहते हैं भले इनका लौकिक आवास बे -जोड़ हो। सबसे कनेक्ट होना कोई इनसे सीखे -ये आते हैं तो महफ़िल में आफताब उतर  आता है।पूरा माहौल चार्ज्ड हो जाता है। न पद का गुरूर न अप्राप्ति का मलाल।

कई कसर जान बूझकर छोड़ देता है वाहगुरु  इनकी दात में। शायद उसकी एक ही इच्छा रहती है ये खिलें और खेलें मुस्काएं और लोगों का हौसला बढ़ाएं। बाँटें अपना -पन निसि -बासर।

सौभाग्य रहा हमारा हम ऐसे कई लोगों के परिचय के दायरे में आये।

जिसने तुम्हारी याद की  तुमने उसे भुला दिया ,

हम न तुम्हें भुला सके ,तुमने हमें भुला दिया।

गज़ब ये- इन्हें हर कोई याद रहता है ,भूलें तब जब याद न रहे। सब कुछ याद रहता है इन्हें।

आप जिनके करीब होते हैं ,

वो बड़े खुशनसीब होते हैं।

ऐसे ही एक हर दिल अज़ीज़ ,अज़ीमतर हमारे दिल के बहुत करीब एक शख्श हैं मान्यवर डेप -काम श्री एम. डी. सुरेश  .(डेप्युटी कमाडाँट इंडियन नेवल एकादमी ,एषिमला ,कन्नूर ,केरल प्रदेश )  .

वो जिसको भी मिलते हैं ,

'आम ' को ख़ास बना देते हैं।

ये भी कमाल का 'पीर 'है इश्क ,

छोड़ देता है मुरीद बना के।

बा -हवस पाँव न रखियो कभी इस राह के बीच ,

कूचा -ए -इश्क है ये रहगुज़र आम नहीं।

(इश्क की गलियां हैं ये -ना -मुराद !आम रास्ता नहीं है ).

ये इश्क नहीं आसाँ ,एक आग का दरिया है -

और डूब के जाना है।

maktab-e-ishq ka dastur nirala dekha - Sher - Rekhta
rekhta.org/couplets/maktab-e-ishq-kaa-dastuur-niraalaa-dekhaa-meer-tahir-ali-rizvi-couplets
maktab-e-ishq ka dastur nirala dekha| Complete Sher of Meer Tahir Ali Rizvi at Rekhta.org

बुधवार, 25 अक्टूबर 2017

What is the difference between Heart disease and Cardiovascular Diseases ?

अक्सर हृद रोग (Heart disease )और ह्रदय तथा रक्त संचरण सम्बन्धी रोगों को यकसां मान और समझ लिया जाता है जबकि दोनों एक दूजे से जुदा हैं और इनका ताल्लुक हमारे शरीर के अलग -अलग अंगों से रहता है। 

हृदय रोग का मतलब सिर्फ दिल से और दिल से सम्बंधित रक्त -वाहिका तंत्र (रक्त -शिरा -तंत्र blood vessel system )तक ही सीमित रहता है। 

हृद -शिरा या वाहिका - संबंधी कार्डिओ- वैस्कुलर डिज़ीज़ का सबंध हृदय से तो होता ही है हृद के अलावा पूरे रक्त शिरा तंत्र ,रक्त संचरण से रहता है जो पूरे शरीर को भी रक्त मुहैया करवाता है, पैर के अंगूठे से दिमाग तक होने वाले संचरण से इसका संबंध रहता है। इसमें सब प्रकार की ब्लड वेसिल्स (शिराएं ,धमनियां तथा शरीर की सबसे छोटी रुधिर वाहिनियां कपिलरीज़ भी शामिल रहती हैं। फिर चाहे वह दिमाग को रक्त मुहैया करवाने वाला वाहिका तंत्र हो या टांग को ,फेफड़ों का  हो या आँख के परदे पे फ़ैली कपिलरीज़ का जाल ।  

'कार्डिओ' शब्द का अर्थ होता है हृदय -संबंधी तथा 'वैस्कुलर 'रक्त वाहिका तंत्र या रक्त शिरा तंत्र से ताल्लुक रखने वाला शब्द  है। 

Although often thought to be the same condition, heart and cardiovascular diseases are different and involve different parts of the body. Heart disease refers only to the heart and the blood vessel system of the heart.

Cardiovascular disease refers to heart disease and diseases of the blood vessel system (arteries, capillaries, veins) throughout the body, such as the brain, legs and lungs. “Cardio” refers to the heart and “vascular” refers to the blood vessel system.

हृदय है क्या है  ?दिल चीज़ क्या है कौनसी शै का नाम दिल है ?

हृदय एक मजबूत पेशी(strong muscle ) ही है। यह रक्त उठाने उलीचने, पूरे शरीर को मुहैया करवाने वाला एक रक्त पम्प है जिसका आकार हमारी मुठ्ठी  मुष्टिका के आकार से बस थोड़ा सा ही आकार में बड़ा रहता है। यही संचरण तंत्र में खून उलीचता रहता है। खून की मोटी , बारीक ,बाल सी पतली नालियों (arteries ,veins ,capillaries ) का एक  तंत्र है हमारी संचरण प्रणाली।

Understanding the flow of blood 

हृद -फेफड़ा तंत्र यानी हृदय और हमारे दोनों फेफड़े इसके प्रमुख करता धरता हैं। इनको रक्त मुहैया करवाने  वाली और निकासी करने वाली अनेक नालियां हैं जैसा ऊपर बतलाया गया है। 

धमनियों और सबसे छोटी खून की नालियों का काम हमारे हृदय और फेफड़ों से आक्सीजन युक्त और पुष्टिकृत रक्त लेकर शेष शरीर को मुहैया करवाना है। शिराओं का काम रक्त को वापस लाना है।यह वह रक्त है जो शेष शरीर को आक्सीजन और पुष्टिकर तत्व मुहैया करवाके उनके पुनर -आभरण के लिए फेफड़ों  और दिल की ओर  लौट रहा है।

(शेष अगले अंक में,दूसरी क़िस्त का इंतज़ार कीजिये  )


सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )http://heartdiseasefaqs.com/cardiovascular-disease/?utm_source=bing&utm_medium=cpc&utm_campaign=heartdiseasefaqs.com&utm_term=cardiovascu