वोट के निशाने पर राजनीति
राजनीति के लिए वोट नहीं है अब वोट के लिए राजनीति की जाती है। मुद्दा चाहे फिर कोई भी हो। राजनीति के धंधेबाज़ों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। नवीनतम मुद्दा माननीय उच्चतमन्यायालय द्वारा (राष्ट्रीय हादसा )पूर्वप्रधानमन्त्री राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी के बदले दी गई आजीवन कारावास भुगताने से जुड़ा है।
इस मौके पर माननीय वित्त मंत्री कहतें हैं राजीव जी के जाने से उन्हें दुःख है लेकिन हत्यारों को फांसी के बदले आजीवन कारावास दिए जाने के मामले में मैं न खुश हूँ और न ही नाखुश। क्या यह समत्व भाव है राजनीति में ?
सच यह है अगर चिदंबरम यह कहें कि उन्हें दुःख है तो तमिल वोट गया 'हाथ 'से और अगर कहें कि नहीं है तो हत्या को वह उचित ठहराते दिखलाई देंगे। विडंबना देखिये 'हाथ' की कांग्रेसी राजनीति की मंत्री अपने दिल की सच्ची बात भी नहीं कह सकता है। अपने दिल के उदगार दो टूक व्यक्त नहीं कर सकता। आत्म वंचना नहीं है ये तो और क्या है ?
दरअसल कांग्रेस का आत्मविश्वास इस समय डिगा हुआ है। कपिल सिब्बल कहतें हैं पहले भाजपा इस मुद्दे पे अपने विचार प्रकट करे फिर वह करेंगे।
देखिये क्या राजनीति है ?इस रानजीति का अंतिम परिपाक यह भी हो सकता है कि एक दिन हालात ऐसे हो जाएँ चिदमबरम को यह भी बतलाना पड़े कि वह चिदंबरम हैं या नहीं।
मोदी के कटाक्ष और उनकी वाक्पटुता से कांग्रेसी हतप्रभ हैं
किंकर्त्तव्यविमूढ़ बने हुए हैं।उनके सम्भाषणों पर सर्विस टेक्स लगाने का आदेश चंद घंटों में ही वापिस ले लेते हैं। मोदी ने यही भर कहा था -चलो अच्छा है मेरे भाषणों से खाली हो चुका खजाना कुछ तो भरेगा। मेरे भाषणों से देश चल पड़े ,रुपया फिर से खड़ा हो जाए इससे बड़ा गौरव मेरे लिए क्या हो सकता है।
राजनीति के लिए वोट नहीं है अब वोट के लिए राजनीति की जाती है। मुद्दा चाहे फिर कोई भी हो। राजनीति के धंधेबाज़ों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। नवीनतम मुद्दा माननीय उच्चतमन्यायालय द्वारा (राष्ट्रीय हादसा )पूर्वप्रधानमन्त्री राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी के बदले दी गई आजीवन कारावास भुगताने से जुड़ा है।
इस मौके पर माननीय वित्त मंत्री कहतें हैं राजीव जी के जाने से उन्हें दुःख है लेकिन हत्यारों को फांसी के बदले आजीवन कारावास दिए जाने के मामले में मैं न खुश हूँ और न ही नाखुश। क्या यह समत्व भाव है राजनीति में ?
सच यह है अगर चिदंबरम यह कहें कि उन्हें दुःख है तो तमिल वोट गया 'हाथ 'से और अगर कहें कि नहीं है तो हत्या को वह उचित ठहराते दिखलाई देंगे। विडंबना देखिये 'हाथ' की कांग्रेसी राजनीति की मंत्री अपने दिल की सच्ची बात भी नहीं कह सकता है। अपने दिल के उदगार दो टूक व्यक्त नहीं कर सकता। आत्म वंचना नहीं है ये तो और क्या है ?
दरअसल कांग्रेस का आत्मविश्वास इस समय डिगा हुआ है। कपिल सिब्बल कहतें हैं पहले भाजपा इस मुद्दे पे अपने विचार प्रकट करे फिर वह करेंगे।
देखिये क्या राजनीति है ?इस रानजीति का अंतिम परिपाक यह भी हो सकता है कि एक दिन हालात ऐसे हो जाएँ चिदमबरम को यह भी बतलाना पड़े कि वह चिदंबरम हैं या नहीं।
मोदी के कटाक्ष और उनकी वाक्पटुता से कांग्रेसी हतप्रभ हैं
किंकर्त्तव्यविमूढ़ बने हुए हैं।उनके सम्भाषणों पर सर्विस टेक्स लगाने का आदेश चंद घंटों में ही वापिस ले लेते हैं। मोदी ने यही भर कहा था -चलो अच्छा है मेरे भाषणों से खाली हो चुका खजाना कुछ तो भरेगा। मेरे भाषणों से देश चल पड़े ,रुपया फिर से खड़ा हो जाए इससे बड़ा गौरव मेरे लिए क्या हो सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें