विज्ञान समाचार /आरोग्य
(१) क्या है होमोफोबिया ?
होमोसेक्शुअलिटी से जुड़े तमाम नकारात्मक भावों और विचारों को होमोफोबिया का नाम दिया गया है।
पिछले दिनों फेसबुक ने अपने यूजर्स को उनकी इच्छा के अनुसार जेंडर बताने की छूट दे दी। यानी उसमें अब 'ही' 'शी' या 'दे' जैसे आप्शन होंगे। इस प्रतीकात्मक कदम से उनका मनोबल जरूर बढ़ेगा, जो सिर्फ अपनी सेक्शुअलिटी की वजह से भेदभाव और उत्पीड़न झेलते हैं। दुर्भाग्य से दुनिया में सेक्शुअलिटी को लेकर कई पूर्वाग्रह कायम हैं पर चीजें बदल भी रही हैं। इस साल गे ईक्वलिटी की वैश्विक लड़ाई में कदम पीछे खींचने वाले कई फैसले भी आए पर दूसरी तरफ होमोफोबिया के खिलाफ आवाज बुलंद भी हो रही हैं।
गौरतलब है कि होमोसेक्शुअलिटी से जुड़े तमाम नकारात्मक भावों और विचारों को होमोफोबिया का नाम दिया गया है। आज ब्रिटेन में 24 एमपी ऐसे हैं, जो खुल कर अपने आप को गे बताते हुए नहीं हिचकिचाते। जबकि तीन दशक पहले यहां दो-तिहाई वोटर्स को इस कॉन्सेप्ट से सख्त ऐतराज था, वहीं दस में से नौ तो गे अडॉप्शन के नाम से ही डर जाते थे। वहीं अब पांच में से बस एक व्यक्ति ऐसा है, जो गे रिलेशनशिप से असहमत है और यहां के आधे लोग गे अडॉप्शन के साथ सहज हैं।
एक दशक पहले अमेरिकियों का बड़ा तबका गे मैरेज का समर्थन तो कर रहा था, लेकिन यह आंकड़ों में एक-तिहाई से भी कम था। ग्लोबल सर्वे बताते हैं कि गे और लेज़बियन्स के लिए नफरत काफी कम होती जा रही है। हर तीन में से बस एक व्यक्ति ही कह रहा है कि होमोसेक्शुअलिटी को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।
बदलाव की यह लहर एशिया में भी देखी जा सकती है, जहां जापान और फिलीपींस का एक बड़ा तबका ऐसे संबंधों से सहमत होने लगा है। इसके अलावा साउथ कोरिया में भी पिछले छह सालों में गे राइट्स के साथ खड़े होने वाले लोग दोगुने हो गए हैं। यहां तक कि जिस अफ्रीका के 38 देशों में समलैंगिकता पर पाबंदी है, वहीं दक्षिण अफ्रीका जैसा देश भी है, जहां ब्रिटेन से 7 साल पहले ही सेम-सेक्स मैरेज को मान्यता मिल चुकी है।
विशेष :क्या ये जरूरी है की जो कुछ इंग्लेंड, अमेरिका या अन्य यूरोप के देशों के संदर्भ में मान्य हो वही आंख मूंद कर हमें भी मान लेना चाहिये. हमारी अपनी एक विशाल सभ्यता और संस्कृति है, जोकि कुछ अपवाद छोड़, विश्व की एक सफलतम संस्कृति थी, है और रहेगी. देश की अदालत इस विषय में बिल्कुल स्पष्ट और सटीक है.
(२) गंगा में बढ़ रहा है 'सुपरबग', किनारे बसे शहरों पर मंडराया खतरा
भारत की प्रमुख नदी गंगा प्रदूषण से पीड़ित है, लेकिन अब उसपर घातक सुपरबग का खतरा भी बढ़ गया है। भारतीय अनुसंधानकर्ताओं समेत वैज्ञानिकों ने दावा किया है
कि गंगा नदी में एंटीबॉयोटिक रोधी सुपरबग हैं। गंगा में पनप रही इस घातक सुपरबग का सबसे ज्यादा असर नदी के किनारे बसे शहरों पर पड़ा रहा है। गंगा किनारे बसे
शहरों में वार्षिक उत्सवों के दौरान इन बैक्टीरिया का स्तर 60 गुना तक बढ़ जाता है। लंदन स्थित न्यूकैसल यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन और दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी
संस्थान के विशेषज्ञों ने हिमालय के मैदानी क्षेत्रों में ऊपरी गंगा नदी के किनारे बसे सात स्थानों से पानी और तलछट के नमूने लिये। उन्होंने देखा कि मई, जून में जब
हजारों
तीर्थयात्री हरिद्वार और ऋषिकेश जाते हैं तो ‘सुपरबग' को बढ़ावा देने वाले प्रतिरोधी जीन का स्तर साल के और महीनों से करीब 60 गुना बढ़ा पाया गया। इस शोध टीम
के
मुताबिक महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों पर कचरा प्रबंधन को और दुरुस्त करके खतरनाक बैक्टीरिया को बढ़ाने वाले प्रतिरोधी जीन को फैलने से रोका जा सकता है।
अनीमिया एक साधरण-सी लगने वाली बीमारी है। बॉडी में आयरन की कमी को हम आम बात समझकर इस पर खास ध्यान नहीं देते। हमारी यही लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। एक्सपर्ट्स से बात करके अनीमिया से जुड़ी पूरी जानकारी दे रही हैंगुंजन शर्मा:
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अनीमिया होने पर डाइट में आयरन बढ़ा दें
जिनेटिक आदि वजहों से होने वाले अनीमिया में आयरन की भूमिका नहीं होती।
नवभारत टाइम्स | Feb 10, 2014, 11.47AM IS
(१) क्या है होमोफोबिया ?
होमोसेक्शुअलिटी से जुड़े तमाम नकारात्मक भावों और विचारों को होमोफोबिया का नाम दिया गया है।
पिछले दिनों फेसबुक ने अपने यूजर्स को उनकी इच्छा के अनुसार जेंडर बताने की छूट दे दी। यानी उसमें अब 'ही' 'शी' या 'दे' जैसे आप्शन होंगे। इस प्रतीकात्मक कदम से उनका मनोबल जरूर बढ़ेगा, जो सिर्फ अपनी सेक्शुअलिटी की वजह से भेदभाव और उत्पीड़न झेलते हैं। दुर्भाग्य से दुनिया में सेक्शुअलिटी को लेकर कई पूर्वाग्रह कायम हैं पर चीजें बदल भी रही हैं। इस साल गे ईक्वलिटी की वैश्विक लड़ाई में कदम पीछे खींचने वाले कई फैसले भी आए पर दूसरी तरफ होमोफोबिया के खिलाफ आवाज बुलंद भी हो रही हैं।
गौरतलब है कि होमोसेक्शुअलिटी से जुड़े तमाम नकारात्मक भावों और विचारों को होमोफोबिया का नाम दिया गया है। आज ब्रिटेन में 24 एमपी ऐसे हैं, जो खुल कर अपने आप को गे बताते हुए नहीं हिचकिचाते। जबकि तीन दशक पहले यहां दो-तिहाई वोटर्स को इस कॉन्सेप्ट से सख्त ऐतराज था, वहीं दस में से नौ तो गे अडॉप्शन के नाम से ही डर जाते थे। वहीं अब पांच में से बस एक व्यक्ति ऐसा है, जो गे रिलेशनशिप से असहमत है और यहां के आधे लोग गे अडॉप्शन के साथ सहज हैं।
एक दशक पहले अमेरिकियों का बड़ा तबका गे मैरेज का समर्थन तो कर रहा था, लेकिन यह आंकड़ों में एक-तिहाई से भी कम था। ग्लोबल सर्वे बताते हैं कि गे और लेज़बियन्स के लिए नफरत काफी कम होती जा रही है। हर तीन में से बस एक व्यक्ति ही कह रहा है कि होमोसेक्शुअलिटी को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा।
बदलाव की यह लहर एशिया में भी देखी जा सकती है, जहां जापान और फिलीपींस का एक बड़ा तबका ऐसे संबंधों से सहमत होने लगा है। इसके अलावा साउथ कोरिया में भी पिछले छह सालों में गे राइट्स के साथ खड़े होने वाले लोग दोगुने हो गए हैं। यहां तक कि जिस अफ्रीका के 38 देशों में समलैंगिकता पर पाबंदी है, वहीं दक्षिण अफ्रीका जैसा देश भी है, जहां ब्रिटेन से 7 साल पहले ही सेम-सेक्स मैरेज को मान्यता मिल चुकी है।
विशेष :क्या ये जरूरी है की जो कुछ इंग्लेंड, अमेरिका या अन्य यूरोप के देशों के संदर्भ में मान्य हो वही आंख मूंद कर हमें भी मान लेना चाहिये. हमारी अपनी एक विशाल सभ्यता और संस्कृति है, जोकि कुछ अपवाद छोड़, विश्व की एक सफलतम संस्कृति थी, है और रहेगी. देश की अदालत इस विषय में बिल्कुल स्पष्ट और सटीक है.
Definition of HOMOPHOBIA
: irrational fear of, aversion to, or discrimination againsthomosexuality or homosexuals
Medical Definition of HOMOPHOBIA
: irrational fear of, aversion to, or discrimination against homosexuality or homosexuals
First Known Use of HOMOPHOBIA
1969
Other Psychology Terms
fetish, hypochondria, intelligence, mania, narcissism,neurosis, pathological, psychosis, schadenfreude, subliminal
Homophobia encompasses a range of negative attitudes and feelings toward homosexuality or people who are identified or perceived as being lesbian, gay,bisexual or transgender (LGBT). It can be expressed as antipathy, contempt, prejudice, aversion, or hatred, may be based on irrational fear, and is sometimes related to religious beliefs.[1][2][3][4][5][6]
(२) गंगा में बढ़ रहा है 'सुपरबग', किनारे बसे शहरों पर मंडराया खतरा
भारत की प्रमुख नदी गंगा प्रदूषण से पीड़ित है, लेकिन अब उसपर घातक सुपरबग का खतरा भी बढ़ गया है। भारतीय अनुसंधानकर्ताओं समेत वैज्ञानिकों ने दावा किया है
कि गंगा नदी में एंटीबॉयोटिक रोधी सुपरबग हैं। गंगा में पनप रही इस घातक सुपरबग का सबसे ज्यादा असर नदी के किनारे बसे शहरों पर पड़ा रहा है। गंगा किनारे बसे
शहरों में वार्षिक उत्सवों के दौरान इन बैक्टीरिया का स्तर 60 गुना तक बढ़ जाता है। लंदन स्थित न्यूकैसल यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन और दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी
संस्थान के विशेषज्ञों ने हिमालय के मैदानी क्षेत्रों में ऊपरी गंगा नदी के किनारे बसे सात स्थानों से पानी और तलछट के नमूने लिये। उन्होंने देखा कि मई, जून में जब
हजारों
तीर्थयात्री हरिद्वार और ऋषिकेश जाते हैं तो ‘सुपरबग' को बढ़ावा देने वाले प्रतिरोधी जीन का स्तर साल के और महीनों से करीब 60 गुना बढ़ा पाया गया। इस शोध टीम
के
मुताबिक महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों पर कचरा प्रबंधन को और दुरुस्त करके खतरनाक बैक्टीरिया को बढ़ाने वाले प्रतिरोधी जीन को फैलने से रोका जा सकता है।
अनीमिया एक साधरण-सी लगने वाली बीमारी है। बॉडी में आयरन की कमी को हम आम बात समझकर इस पर खास ध्यान नहीं देते। हमारी यही लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है। एक्सपर्ट्स से बात करके अनीमिया से जुड़ी पूरी जानकारी दे रही हैंगुंजन शर्मा:
अनीमिया से बचाएं खुद को
एक्सपर्ट्स पैनल
डॉ. के. के. अग्रवाल, सीनियर जनरल फिजिशियन, मूलचंद हॉस्पिटल
डॉ. अनिल बंसल, मेडिकल ऑफिसर, एनडीएमसी
डॉ. शुचींद्र सचदेव, सीनियर होम्योपैथ
डॉ. के. के. अग्रवाल, सीनियर जनरल फिजिशियन, मूलचंद हॉस्पिटल
डॉ. अनिल बंसल, मेडिकल ऑफिसर, एनडीएमसी
डॉ. शुचींद्र सचदेव, सीनियर होम्योपैथ
रीति कपूर, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट
लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, आयुर्वेदिक एक्सपर्ट
सुरक्षित गोस्वामी, योग गुरु
लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, आयुर्वेदिक एक्सपर्ट
सुरक्षित गोस्वामी, योग गुरु
क्या है अनीमिया
हमारे शरीर के सेल्स को जिंदा रहने के लिए ऑक्सिजन की जरूरत होती है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सिजन रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) में मौजूद हीमोग्लोबिन पहुंचाता है। आयरन की कमी और दूसरी वजहों से रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन की मात्रा जब शरीर में कम हो जाती है, तो उस स्थिति को अनीमिया कहते हैं। आरबीसी और हीमोग्लोबिन की कमी से सेल्स को ऑक्सिजन नहीं मिल पाती। कार्बोहाइड्रेट और फैट को जलाकर एनर्जी पैदा करने के लिए ऑक्सिजन जरूरी है। ऑक्सीजन की कमी से हमारे शरीर और दिमाग के काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है।
हमारे शरीर के सेल्स को जिंदा रहने के लिए ऑक्सिजन की जरूरत होती है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सिजन रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) में मौजूद हीमोग्लोबिन पहुंचाता है। आयरन की कमी और दूसरी वजहों से रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन की मात्रा जब शरीर में कम हो जाती है, तो उस स्थिति को अनीमिया कहते हैं। आरबीसी और हीमोग्लोबिन की कमी से सेल्स को ऑक्सिजन नहीं मिल पाती। कार्बोहाइड्रेट और फैट को जलाकर एनर्जी पैदा करने के लिए ऑक्सिजन जरूरी है। ऑक्सीजन की कमी से हमारे शरीर और दिमाग के काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है।
कितनी तरह का अनीमिया
अनीमिया खून की सबसे सामान्य समस्या है। हमारे देश में आयरन की कमी से होने वाला अनीमिया सबसे ज्यादा पाया जाता है। करीब 90 पर्सेंट लोगों में यही अनीमिया होता है, खासकर महिलाओं और बच्चों में।
अनीमिया खून की सबसे सामान्य समस्या है। हमारे देश में आयरन की कमी से होने वाला अनीमिया सबसे ज्यादा पाया जाता है। करीब 90 पर्सेंट लोगों में यही अनीमिया होता है, खासकर महिलाओं और बच्चों में।
यह तीन तरह का होता है:
1. माइल्ड - अगर बॉडी में हीमोग्लोबिन 10 से 11 g/dL के आसपास हो तो इसे माइल्ड अनीमिया कहते हैं। इसमें हेल्थी और बैलेंस्ड डाइट खाने की सलाह के अलावा आयरन सप्लिमेंट्स दिए जाते हैं।
2. मॉडरेट - अगर हीमोग्लोबिन 8 से 9 g/dL होगा तो इसे मॉडरेट अनीमिया कहेंगे। इसमें डाइट के साथ-साथ इंजेक्शंस भी देने पड़ सकते हैं।
3. सीवियर - हीमोग्लोबिन अगर 8 g/dL से कम हो तो सीवियर अनीमिया कहलाता है, जो एक गंभीर स्थिति होती है। इसमें मरीज की हालत की गंभीरता को देखते हुए ब्लड भी चढ़ाना पड़ सकता है।
1. माइल्ड - अगर बॉडी में हीमोग्लोबिन 10 से 11 g/dL के आसपास हो तो इसे माइल्ड अनीमिया कहते हैं। इसमें हेल्थी और बैलेंस्ड डाइट खाने की सलाह के अलावा आयरन सप्लिमेंट्स दिए जाते हैं।
2. मॉडरेट - अगर हीमोग्लोबिन 8 से 9 g/dL होगा तो इसे मॉडरेट अनीमिया कहेंगे। इसमें डाइट के साथ-साथ इंजेक्शंस भी देने पड़ सकते हैं।
3. सीवियर - हीमोग्लोबिन अगर 8 g/dL से कम हो तो सीवियर अनीमिया कहलाता है, जो एक गंभीर स्थिति होती है। इसमें मरीज की हालत की गंभीरता को देखते हुए ब्लड भी चढ़ाना पड़ सकता है।
क्या हैं कारण - आयरन, विटामिन सी, विटामिन बी 12, प्रोटीन या फॉलिक एसिड की कमी - हेमरेज या लगातार खून बहने से खून की मात्रा कम हो जाना - ब्लड सेल्स का बहुत ज्यादा मात्रा में नष्ट हो जाना या बनने में कमी आ जाना - पेट में कीड़े (राउंड वॉर्म और हुक वॉर्म) होना - लंबी बीमारी जैसे कि पाइल्स आदि, जिनमें खून का लॉस होता हो - पीरियड्स में बुहत ज्यादा ब्लीडिंग - ल्यूकिमिया, थैलीसीमिया आदि की फैमिली हिस्ट्री है, तो 50 फीसदी तक चांस बढ़ जाते हैं - जंक फूड ज्यादा खाने से - एक्सर्साइज़ न करने से - प्रेगनेंट महिलाओं का हेल्दी डाइट न लेना
किन्हें खतरा ज्यादा - किडनी, डायबीटीज, बवासीर, हर्निया और दिल के मरीजों को - शाकाहारी लोगों को - प्रेगनेंट या स्मोकिंग करनेवाली महिलाओं को नोट : पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि इससे शरीर में आयरन तेजी से कम हो जाता है।
लक्षण - कमजोरी, थकान और चिड़चिड़ापन - किसी भी काम में मन या ध्यान न लगना - दिल की धड़कन नॉर्मल न होना - सांस उखड़ना और चक्कर आना - छोटे-छोटे कामों में भी थकान महसूस होना - आंखें, जीभ, स्किन और होंठ पीले पड़ना
नोट : ये सामान्य लक्षण हैं, लेकिन यह स्थिति लगातार बनी रहे तो कई गंभीर लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। ऐसे ही लक्षण किसी दूसरी बीमारी के भी हो सकते हैं।
गंभीर लक्षण - सिर, छाती या पैरों में दर्द होना - जीभ में जलन होना, मुंह और गला सूखना - मुंह के कोनों पर छाले हो जाना - बालों का कमजोर होकर टूटना - निगलने में तकलीफ होना - स्किन, नाखून और मसूड़ों का पीला पड़ जाना - अनीमिया लगातार बना रहे तो डिप्रेशन का रूप ले लेता है
नोट : महिलाओं, पुरुषों और बच्चों में अनीमिया के लक्षण एक जैसे ही होते हैं।
लक्षण - कमजोरी, थकान और चिड़चिड़ापन - किसी भी काम में मन या ध्यान न लगना - दिल की धड़कन नॉर्मल न होना - सांस उखड़ना और चक्कर आना - छोटे-छोटे कामों में भी थकान महसूस होना - आंखें, जीभ, स्किन और होंठ पीले पड़ना
नोट : ये सामान्य लक्षण हैं, लेकिन यह स्थिति लगातार बनी रहे तो कई गंभीर लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। ऐसे ही लक्षण किसी दूसरी बीमारी के भी हो सकते हैं।
गंभीर लक्षण - सिर, छाती या पैरों में दर्द होना - जीभ में जलन होना, मुंह और गला सूखना - मुंह के कोनों पर छाले हो जाना - बालों का कमजोर होकर टूटना - निगलने में तकलीफ होना - स्किन, नाखून और मसूड़ों का पीला पड़ जाना - अनीमिया लगातार बना रहे तो डिप्रेशन का रूप ले लेता है
नोट : महिलाओं, पुरुषों और बच्चों में अनीमिया के लक्षण एक जैसे ही होते हैं।
कितना हो हीमोग्लोबिन और आरसीबी महिला - 11 से 16 g/dL के बीच, 4.5 सीएनएम पुरुष - 11 से 18 g/dL के बीच, 4.5 सीएनएम
ऐसे करें पहचान - अनीमिया के शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य होते हैं। मरीज अपनी समस्या पहचान नहीं पाता। डॉक्टर को कमजोरी आदि की शिकायत करता है तो टेस्ट कराए जाते हैं। - इसके लिए कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) किया जाता है। इसमें रेड ब्लड सेल और हीमोग्लोबिन का लेवल जांचा जाता है। साल में एक बार यह टेस्ट करा लेना चाहिए।
खानपान पर ध्यान जरूरी - आयरन की डिमांड पूरी करने के लिए हमें हेल्थी और बैलेंस्ड डाइट खानी चाहिए। तीनों मील्स के अलावा दो स्नैक्स भी खाएं और खाने में अंडे, साबुत अनाज, सूखे मेवे, फल और हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा मात्रा में हों। - आयरन से भरपूर चीजें खाएं। जिन चीजों में ज्यादा आयरन होता है, उन्हें नीचे घटते क्रम में दिया गया है। यानी सबसे ज्यादा आयरन वाली चीजें पहले और कम वाली उसके बाद :
फल : खुमानी, अंजीर, केला, अनार, अन्नास, सेब, अमरूद, अंगूर आदि
सब्जियां : पालक, मेथी, सरसों, बथुआ, धनिया, पुदीना, चुकंदर, बीन्स, गाजर, टमाटर आदि
ड्राई फ्रूट्स : बादाम, मुनक्का, खजूर, किशमिश आदि
दूसरी चीजें : गुड़, सोयाबीन, मोठ, अंकुरित दालें, दूसरी दालें खासकर मसूर दाल, चना, गेंहू, मूंग आदि
ऐसे करें पहचान - अनीमिया के शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य होते हैं। मरीज अपनी समस्या पहचान नहीं पाता। डॉक्टर को कमजोरी आदि की शिकायत करता है तो टेस्ट कराए जाते हैं। - इसके लिए कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी) किया जाता है। इसमें रेड ब्लड सेल और हीमोग्लोबिन का लेवल जांचा जाता है। साल में एक बार यह टेस्ट करा लेना चाहिए।
खानपान पर ध्यान जरूरी - आयरन की डिमांड पूरी करने के लिए हमें हेल्थी और बैलेंस्ड डाइट खानी चाहिए। तीनों मील्स के अलावा दो स्नैक्स भी खाएं और खाने में अंडे, साबुत अनाज, सूखे मेवे, फल और हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा मात्रा में हों। - आयरन से भरपूर चीजें खाएं। जिन चीजों में ज्यादा आयरन होता है, उन्हें नीचे घटते क्रम में दिया गया है। यानी सबसे ज्यादा आयरन वाली चीजें पहले और कम वाली उसके बाद :
फल : खुमानी, अंजीर, केला, अनार, अन्नास, सेब, अमरूद, अंगूर आदि
सब्जियां : पालक, मेथी, सरसों, बथुआ, धनिया, पुदीना, चुकंदर, बीन्स, गाजर, टमाटर आदि
ड्राई फ्रूट्स : बादाम, मुनक्का, खजूर, किशमिश आदि
दूसरी चीजें : गुड़, सोयाबीन, मोठ, अंकुरित दालें, दूसरी दालें खासकर मसूर दाल, चना, गेंहू, मूंग आदि
फास्ट फूड और लाइफस्टाइल का रोल अहम अगर हम अपने खाने में बैलेंस्ड डाइट तो ले रहे हैं लेकिन जंक फूड ज्यादा खाते हैं तो भी बॉडी में आयरन की कमी हो जाती है। जंक फूड में फायदेमंद प्रोटीन, आयरन आदि नहीं होते। इसके अलावा अगर हमारा लाइफस्टाइल सही नहीं हैं यानी हम दिन भर खाते तो ज्यादा हैं लेकिन उस हिसाब से शारीरिक मेहनत नहीं करते, तो भी अनीमिक होने का चांस रहता है।
लंबा होता है इलाज- अनीमिया को ठीक होने में कुछ महीनों से लेकर कई बार बरसों लग जाते हैं। आयरन की कमी से होनेवाला अनीमिया इलाज करने पर दो से तीन महीने में ठीक हो जाता है।
ऐलॉपथी इसमें सबसे पहले मरीज की जांच कर यह पता लगाया जाता है कि मरीज को किस तरह का अनीमिया है और उसकी गंभीरता कितनी है। इसके बाद इलाज शुरू किया जाता है। अगर अनीमिया का कारण पेट में कीड़े होना है तो डीवॉर्मिंग के लिए दवा दी जाती है। अगर खान-पान सही न होने की वजह से अनीमिया है तो मरीज को हेल्थी डाइट बताई जाती है।
लंबा होता है इलाज- अनीमिया को ठीक होने में कुछ महीनों से लेकर कई बार बरसों लग जाते हैं। आयरन की कमी से होनेवाला अनीमिया इलाज करने पर दो से तीन महीने में ठीक हो जाता है।
ऐलॉपथी इसमें सबसे पहले मरीज की जांच कर यह पता लगाया जाता है कि मरीज को किस तरह का अनीमिया है और उसकी गंभीरता कितनी है। इसके बाद इलाज शुरू किया जाता है। अगर अनीमिया का कारण पेट में कीड़े होना है तो डीवॉर्मिंग के लिए दवा दी जाती है। अगर खान-पान सही न होने की वजह से अनीमिया है तो मरीज को हेल्थी डाइट बताई जाती है।
होम्यॉपैथी अगर हेल्थी फूड खाने के बाद भी बॉडी में आयरन नहीं बन रहा हो तो ये दवाएं ले सकते हैं : फेरम मेटालिकम 3x(Ferrum Metallicum 3x), 5-5 गोली दिन में तीन बार नैट्रम मर 30 (Natrum Mur 30), 5-5 गोली दिन में तीन बार फेरम फॉस 6x (Ferrum Phos 6x), 4-4 गोली दिन में चार बार कैल्केरिया फॉस 6x (Calcarea Phos 6x), 4-4 गोली दिन में चार बार
आयुर्वेद लोहासव, द्राक्षासव और अश्वगंधारिष्ट, तीनों के दो-दो छोटे चम्मच आधे गिलास सादा पानी में मिलाकर लें। खाना खाने के बाद सुबह-रात एक से तीन महीने तक लें। नोट : एलोपैथ, होम्योपैथ और आयुर्वेद में बताई गई दवाओं का सेवन डॉक्टर से सलाह लेकर ही करें।
घरेलू नुस्खे- टमाटर, गाजर और चुकंदर को बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास जूस लें और उसमें चौथाई चम्मच काली मिर्च पाउडर डालकर सुबह नाश्ते के बाद एक महीने तक पिएं। दो मुट्ठी भुने चने और आधा मुट्ठी गुड़ रोजाना ब्रेकफास्ट में खाएं। इसे सुबह की चाय के साथ भी खा सकते हैं। 4 खजूर एक गिलास दूध के साथ सुबह नाश्ते में लें।
आयुर्वेद लोहासव, द्राक्षासव और अश्वगंधारिष्ट, तीनों के दो-दो छोटे चम्मच आधे गिलास सादा पानी में मिलाकर लें। खाना खाने के बाद सुबह-रात एक से तीन महीने तक लें। नोट : एलोपैथ, होम्योपैथ और आयुर्वेद में बताई गई दवाओं का सेवन डॉक्टर से सलाह लेकर ही करें।
घरेलू नुस्खे- टमाटर, गाजर और चुकंदर को बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास जूस लें और उसमें चौथाई चम्मच काली मिर्च पाउडर डालकर सुबह नाश्ते के बाद एक महीने तक पिएं। दो मुट्ठी भुने चने और आधा मुट्ठी गुड़ रोजाना ब्रेकफास्ट में खाएं। इसे सुबह की चाय के साथ भी खा सकते हैं। 4 खजूर एक गिलास दूध के साथ सुबह नाश्ते में लें।
योग योग में अनीमिया के इलाज के लिए हाजमा ठीक करने पर जोर दिया जाता है। योग में माना जाता है कि अगर हमारा पाचन तंत्र सही रहेगा तो हमें कभी भी अनीमिया नहीं होगा। अगर किसी को अनीमिया हो गया हो तो उसे नीचे लिखे योगासन रोजाना करने चाहिए : उत्तानपादासन, कटिचक्रासन, पवन मुक्तासन, भुजंगासन, मंडूक आसन, अर्धमस्त्येंद्र क्रिया। साथ ही, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रस्रिका और शीतकारी प्राणायाम करें। सर्दियों में शीतकारी प्राणायाम न करें। इन सभी का रोजाना सुबह उठकर खाली पेट 20 से 25 मिनट तक अभ्यास करें। अगर सुबह जल्दी नहीं उठ पाते हों तो डिनर से एक घंटा पहले और लंच के चार घंटे बाद इन्हें करें। अगर हम रोजाना इनका अभ्यास करें तो हमारा पाचन तंत्र सही रहेगा और हमें अनीमिया होगा ही नहीं। जिन्हें हाई बीपी (80/120 से ज्यादा) रहता हो या जिनकी बाईपास सर्जरी हुई हो, उन्हें यह अभ्यास नहीं करना चाहिए।
नोट : योग की इन क्रियाओं को किसी अच्छे योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
आयरन की गोली खाते वक्त रखें ख्याल आयरन की गोली कभी भी खाली पेट न खाएं गोली को चबाकर न खाएं गोली खाने के साथ एक गिलास पानी जरूर पिएं बीमार होने पर गोली खाना बंद न करें बिना डॉक्टरी सलाह के खुद आयरन की गोली या सिरप न लें।
नोट : आयरन की कड़ाही में खाना पकाने से खाने में आयरन बढ़ जाएगा, यह पूरी तरह मिथ है। ऐसा करने से खाने में आयरन की मात्रा बढ़ती नहीं है।
नोट : योग की इन क्रियाओं को किसी अच्छे योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
आयरन की गोली खाते वक्त रखें ख्याल आयरन की गोली कभी भी खाली पेट न खाएं गोली को चबाकर न खाएं गोली खाने के साथ एक गिलास पानी जरूर पिएं बीमार होने पर गोली खाना बंद न करें बिना डॉक्टरी सलाह के खुद आयरन की गोली या सिरप न लें।
नोट : आयरन की कड़ाही में खाना पकाने से खाने में आयरन बढ़ जाएगा, यह पूरी तरह मिथ है। ऐसा करने से खाने में आयरन की मात्रा बढ़ती नहीं है।
ज्यादा जानकारी के लिए Wande fights for Sickle Cell Anemia पर जाएं। एनीमिया से जुड़ी तमाम जानकारी आपको इस पेज पर आसानी से मिल जाएगी। फेसबुक पेज पर अनीमिया से जुड़ी कोई भी जानकारी आप यहां पर देख सकते हैं। साथ ही, बीमारी के लक्षणों को भी काफी विस्तार से समझाया गया है।
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umm.edu इस साइट पर अनीमिया की ए-टू-जेड जानकारी दी गई है।
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सन्दर्भ -सामिग्री :नवभारत टाइम्स | Feb 9, 2014, 09.00AM IST
मिथ मंथनः बाल झड़ने की वजह अनीमिया नहीं
अनीमिया में खुद कर सकते हैं इलाज
कई बार लोग अनीमिया होने पर खुद आयरन या मल्टिविटामिन दवाएं खा लेते हैं, जबकि अनीमिया की अलग-अलग वजहें हो सकती हैं। कई बार यह दूसरी बीमारियों की वजह से भी हो सकता है जैसे कि मल्टिपल मायलोमा (प्लाज्मा सेल्स का कैंसर) के मरीजों को भी अनीमिया हो सकता है। ऐसे मामलों में खुद इलाज करना बीमारी को और गंभीर कर देता है। डॉक्टर से जांच और सलाह के बाद ही दवा खाना बेहतर है।
कई बार लोग अनीमिया होने पर खुद आयरन या मल्टिविटामिन दवाएं खा लेते हैं, जबकि अनीमिया की अलग-अलग वजहें हो सकती हैं। कई बार यह दूसरी बीमारियों की वजह से भी हो सकता है जैसे कि मल्टिपल मायलोमा (प्लाज्मा सेल्स का कैंसर) के मरीजों को भी अनीमिया हो सकता है। ऐसे मामलों में खुद इलाज करना बीमारी को और गंभीर कर देता है। डॉक्टर से जांच और सलाह के बाद ही दवा खाना बेहतर है।
स्किन से अनीमिया को पहचान सकते हैं
किसी की भी रंगत पीली लगती है तो लोग उसे अनीमिया होने का भ्रम पाल लेते हैं। यह सच है कि अक्सर अनीमिया से पीड़ित शख्स का रंग पीलापन लिए होता है लेकिन कुछ सेहतमंद लोगों का कॉम्प्लेक्शन भी पीलापन लिए हो सकता है। लगातार घर के अंदर रहने से भी रंगत पीली हो सकती है। अनीमिया की सही जानकारी हीमोग्लोबिन काउंट से होती है।
किसी की भी रंगत पीली लगती है तो लोग उसे अनीमिया होने का भ्रम पाल लेते हैं। यह सच है कि अक्सर अनीमिया से पीड़ित शख्स का रंग पीलापन लिए होता है लेकिन कुछ सेहतमंद लोगों का कॉम्प्लेक्शन भी पीलापन लिए हो सकता है। लगातार घर के अंदर रहने से भी रंगत पीली हो सकती है। अनीमिया की सही जानकारी हीमोग्लोबिन काउंट से होती है।
अनीमिया से बाल झड़ते हैं
अनीमिया से बाल नहीं झड़ते। हां, बाल झड़ने और अनीमिया के पीछे कुछ कॉमन फैक्टर हो सकते हैं, जैसे कि विटामिन की कमी, थायरॉयड डिसऑर्डर, कीमोथेरपी आदि। बाल झड़ने की दूसरी वजहें जैसे कि फैमिली हिस्ट्री, तनाव, बालों में केमिकल्स का ज्यादा इस्तेमाल, खराब पोषण आदि हो सकती हैं, जिनका अनीमिया से कोई सरोकार नहीं है।
अनीमिया से बाल नहीं झड़ते। हां, बाल झड़ने और अनीमिया के पीछे कुछ कॉमन फैक्टर हो सकते हैं, जैसे कि विटामिन की कमी, थायरॉयड डिसऑर्डर, कीमोथेरपी आदि। बाल झड़ने की दूसरी वजहें जैसे कि फैमिली हिस्ट्री, तनाव, बालों में केमिकल्स का ज्यादा इस्तेमाल, खराब पोषण आदि हो सकती हैं, जिनका अनीमिया से कोई सरोकार नहीं है।
कम सोने से अनीमिया हो सकता है
कम सोने का सीधे तौर पर अनीमिया से कोई नाता नहीं है। लोगों को यह गलतफहमी हो सकती है क्योंकि नींद पूरी न होने और अनीमिया के बहुत सारे लक्षण एक जैसे हो सकते हैं जैसे कि थकान, चक्कर आना, कंसंट्रेशन की कमी आदि।
लोहे की कड़ाही में खाना पकाना फायदेमंद
कई लोग मानते हैं कि लोहे की कड़ाही में खाना पकाने से खाने में आयरन बढ़ जाएगा, यह पूरी तरह मिथ है। ऐसा करने से खाने में आयरन की मात्रा बढ़ती नहीं है।
कम सोने का सीधे तौर पर अनीमिया से कोई नाता नहीं है। लोगों को यह गलतफहमी हो सकती है क्योंकि नींद पूरी न होने और अनीमिया के बहुत सारे लक्षण एक जैसे हो सकते हैं जैसे कि थकान, चक्कर आना, कंसंट्रेशन की कमी आदि।
लोहे की कड़ाही में खाना पकाना फायदेमंद
कई लोग मानते हैं कि लोहे की कड़ाही में खाना पकाने से खाने में आयरन बढ़ जाएगा, यह पूरी तरह मिथ है। ऐसा करने से खाने में आयरन की मात्रा बढ़ती नहीं है।
अनीमिया होने पर डाइट में आयरन बढ़ा दें
जिनेटिक आदि वजहों से होने वाले अनीमिया में आयरन की भूमिका नहीं होती।
सन्दर्भ -सामिग्री :
नवभारत टाइम्स | Feb 10, 2014, 11.47AM IS
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