आँखों से आंसू बहे, जाँय किनारे सूज |
उतरे लाली लाल के, दृष्टि होय फिर फ्यूज |
दृष्टि होय फिर फ्यूज, एलर्जी धूप रसायन |
पक्का छुतहा रोग, छोड़ सामूहिक गायन |
रविकर चश्मा पहन, नहीं रह दवा भरोसे |
नहीं लड़ाना आँख, बंधुवर इन आँखों से ||
-------------कुंडलिकार कविवर रविकर
सवाल आपकी सेहत के ज़वाब माहिरों के (चौथी क़िस्त )
प्रश्न :क्या है आँख -दुखनी आने का मतलब ?
उत्तर :
Watch out for pinkeye during cold and flu season
यदि आपकी आँखों में जलन और दुखन है। आँख के गिर्द के कई ऊतकों में सूजन आ गई है ,आँख में लाली उतर आई है खासकर आँख के सफ़ेद हिस्से में भी आपको लाली दिखती है।
There is redness in the white of the eye .
पलकें भी सूज के फूल गई हैं ,आँखों को खुजलाने को मसलने को जी चाहता है ,आँखों से पानी (आंसू )बह रहा है असर ग्रस्त आँख से पानी रिस रहा है।
There is clear discharge from the affected eye .
तब ये नेत्रशेष्मला शोथ (Conjunctivitis )के लक्षण हो सकते हैं जिसे आम भाषा में पिंक आई भी कह दिया जाता है ।
Cold and flu season can bring along some unwanted and debilitating visitors to our bodies .One of the common issues for the eyes during cold and flu season is pinkeye .
PINKEYE IS A VIRAL INFECTION ,USUALLY
Pinkeye जिसे कंजंक्टिवाइटिस भी कहा जाता है आमतौर पर एक विषाणु से पैदा होने वाला संक्रमण समझा जाता है।
हालाकि कुछ मामलों में इसके लिए कसूरवार जीवाणु भी हो सकते हैं ,किसी चीज़ से एलर्जी के फल स्वरूप भी उक्त लक्षण प्रगट हो सकते हैं ,कुछ रसायनों की चपेट में आने से भी ऐसा हो सकता है। हवा और धूप की गर्मी भी इसकी वजह बन सकती है।
ज़रूरी है इसका उचित रोगनिदान (Diagnosis )
आँख में किसी भी प्रकार की जलन सोजिश या दुखन का इलाज़ नेत्रों का माहिर (आवथेल्मोलॉजिस्ट )ही कर सकता है। स्पेशलिस्ट के पास ही जाएँ। किसी हकीम वैद्य (आयुर्वेदिक चिकित्सक )के पास न जाएँ न ही साधारण MBBS से ही काम चलने वाला है।
बेशक आमतौर पर यह आँखों की दुखन का रोग एक गम्भीर स्थिति नहीं होती है सेल्फ लिमिटिंग है ये रोग लेकिन गलत आई ड्रॉप्स आँखों में पड़ने से गम्भीर स्थिति भी पैदा हो सकती है। इसीलिए सिर्फ माहिर के पास ही जाएँ रोग निदान के लिए।
Viral pinkeye is contagious and spreads very easily .Since treatment for viral conjunctivitis is only for relief ,and not to cure the condition ,preventing the spread of this infection is very important .
कैसे बचें इस छूतहा रोग से
हवा में नहीं होता है यह विषाणु इसलिए मरीज़ के साथ
या फिर उसके इस्तेमाल की चीज़ों को बरतने ,
सम्पर्कित होने पर ही यह संक्रमण लगता है।
The infection is passed on by contact only and is not airborne .
महज़ मिथ है यह सोचना मरीज़ की आँखों की तरफ देखने से यह रोग हो जाता है।आपने देखा होगा कई मरीज़ मोटे काले चश्मे पहन लेते हैं वह आँख भदेस न लगे इसलिए पहन लेते हैं। धूल मिटटी चौंध से बचने के लिए पहन लेते हैं।
हाथ धोते रहना ज़रूरी है।
Poor hand -washing is the main cause of the virus spreading .
मरीज़ का तौलिया रूमाल आदि भूल कर भी इस्तेमाल न करें।
Sharing objects such as washcloths or bath towels with an infected person can also spread pinkeye .
यदि आप कॉन्टेक्ट लेंस पहनते हैं
यदि आप फ्लू के मरीज़ के संपर्क में हैं तब हर हाल में हाथों को अच्छे से धौ कर ही इन्हें पहनें।
एक से दो हफ्ते में यह रोग ठीक हो जाता है। एंटीबायटिक्स क्योंकि इसकी वजह नहीं होती है इसलिए इन्हें खाने का भी कोई फायदा नहीं है।
अलबत्ता लक्षणों का शमन करने में इनकी उग्रता को कम करने में Artificial tears (tear drops )के अलावा सीमित इस्तेमाल एलर्जी रोधी दवाओं, एंटीहिस्टामीन्स का भी कारगर साबित होता है।
हर हाल में उचित इलाज़ होते रहना ज़रूरी है जिसके प्रति आपका माहिर ही आपको आश्वस्त कर सकता है।
बचावी चिकित्सा के बतौर टीका भी कारगर साबित हो
सकता है :
You may also consider immunization (flu vaccine )to prevent illness and as a result ,self -infection of the eyes during an outbreak .
specialist often come across patients who have infected their own eyes during an outbreak rather than catching the virus from a family member or friend .Self -infection can happen during a cold or even a few days after recovery .
बहुत ज़रूरी है :
हाथों को स्वच्छ रखें ,आँखों से न लगाएं खासकर कोल्ड और फ्लू के सीज़न में।
उतरे लाली लाल के, दृष्टि होय फिर फ्यूज |
दृष्टि होय फिर फ्यूज, एलर्जी धूप रसायन |
पक्का छुतहा रोग, छोड़ सामूहिक गायन |
रविकर चश्मा पहन, नहीं रह दवा भरोसे |
नहीं लड़ाना आँख, बंधुवर इन आँखों से ||
-------------कुंडलिकार कविवर रविकर
सवाल आपकी सेहत के ज़वाब माहिरों के (चौथी क़िस्त )
प्रश्न :क्या है आँख -दुखनी आने का मतलब ?
उत्तर :
Watch out for pinkeye during cold and flu season
यदि आपकी आँखों में जलन और दुखन है। आँख के गिर्द के कई ऊतकों में सूजन आ गई है ,आँख में लाली उतर आई है खासकर आँख के सफ़ेद हिस्से में भी आपको लाली दिखती है।
There is redness in the white of the eye .
पलकें भी सूज के फूल गई हैं ,आँखों को खुजलाने को मसलने को जी चाहता है ,आँखों से पानी (आंसू )बह रहा है असर ग्रस्त आँख से पानी रिस रहा है।
There is clear discharge from the affected eye .
तब ये नेत्रशेष्मला शोथ (Conjunctivitis )के लक्षण हो सकते हैं जिसे आम भाषा में पिंक आई भी कह दिया जाता है ।
Cold and flu season can bring along some unwanted and debilitating visitors to our bodies .One of the common issues for the eyes during cold and flu season is pinkeye .
PINKEYE IS A VIRAL INFECTION ,USUALLY
Pinkeye जिसे कंजंक्टिवाइटिस भी कहा जाता है आमतौर पर एक विषाणु से पैदा होने वाला संक्रमण समझा जाता है।
हालाकि कुछ मामलों में इसके लिए कसूरवार जीवाणु भी हो सकते हैं ,किसी चीज़ से एलर्जी के फल स्वरूप भी उक्त लक्षण प्रगट हो सकते हैं ,कुछ रसायनों की चपेट में आने से भी ऐसा हो सकता है। हवा और धूप की गर्मी भी इसकी वजह बन सकती है।
ज़रूरी है इसका उचित रोगनिदान (Diagnosis )
आँख में किसी भी प्रकार की जलन सोजिश या दुखन का इलाज़ नेत्रों का माहिर (आवथेल्मोलॉजिस्ट )ही कर सकता है। स्पेशलिस्ट के पास ही जाएँ। किसी हकीम वैद्य (आयुर्वेदिक चिकित्सक )के पास न जाएँ न ही साधारण MBBS से ही काम चलने वाला है।
बेशक आमतौर पर यह आँखों की दुखन का रोग एक गम्भीर स्थिति नहीं होती है सेल्फ लिमिटिंग है ये रोग लेकिन गलत आई ड्रॉप्स आँखों में पड़ने से गम्भीर स्थिति भी पैदा हो सकती है। इसीलिए सिर्फ माहिर के पास ही जाएँ रोग निदान के लिए।
Viral pinkeye is contagious and spreads very easily .Since treatment for viral conjunctivitis is only for relief ,and not to cure the condition ,preventing the spread of this infection is very important .
कैसे बचें इस छूतहा रोग से
हवा में नहीं होता है यह विषाणु इसलिए मरीज़ के साथ
या फिर उसके इस्तेमाल की चीज़ों को बरतने ,
सम्पर्कित होने पर ही यह संक्रमण लगता है।
The infection is passed on by contact only and is not airborne .
महज़ मिथ है यह सोचना मरीज़ की आँखों की तरफ देखने से यह रोग हो जाता है।आपने देखा होगा कई मरीज़ मोटे काले चश्मे पहन लेते हैं वह आँख भदेस न लगे इसलिए पहन लेते हैं। धूल मिटटी चौंध से बचने के लिए पहन लेते हैं।
हाथ धोते रहना ज़रूरी है।
Poor hand -washing is the main cause of the virus spreading .
मरीज़ का तौलिया रूमाल आदि भूल कर भी इस्तेमाल न करें।
Sharing objects such as washcloths or bath towels with an infected person can also spread pinkeye .
यदि आप कॉन्टेक्ट लेंस पहनते हैं
यदि आप फ्लू के मरीज़ के संपर्क में हैं तब हर हाल में हाथों को अच्छे से धौ कर ही इन्हें पहनें।
एक से दो हफ्ते में यह रोग ठीक हो जाता है। एंटीबायटिक्स क्योंकि इसकी वजह नहीं होती है इसलिए इन्हें खाने का भी कोई फायदा नहीं है।
अलबत्ता लक्षणों का शमन करने में इनकी उग्रता को कम करने में Artificial tears (tear drops )के अलावा सीमित इस्तेमाल एलर्जी रोधी दवाओं, एंटीहिस्टामीन्स का भी कारगर साबित होता है।
हर हाल में उचित इलाज़ होते रहना ज़रूरी है जिसके प्रति आपका माहिर ही आपको आश्वस्त कर सकता है।
बचावी चिकित्सा के बतौर टीका भी कारगर साबित हो
सकता है :
You may also consider immunization (flu vaccine )to prevent illness and as a result ,self -infection of the eyes during an outbreak .
specialist often come across patients who have infected their own eyes during an outbreak rather than catching the virus from a family member or friend .Self -infection can happen during a cold or even a few days after recovery .
बहुत ज़रूरी है :
हाथों को स्वच्छ रखें ,आँखों से न लगाएं खासकर कोल्ड और फ्लू के सीज़न में।
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