रविवार, 4 अक्टूबर 2015

मांस भक्षण पर निर्बुद्ध मीडिया क्या सिद्ध करना चाहता है

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मांस भक्षण पर निर्बुद्ध मीडिया क्या सिद्ध करना चाहता है यह किसी से छिपा नहीं है। बिहार चुनाव के लिए ये गुप्त संकेत भेज रहा है ऐसा कहके कि इस देश में ७० फीसद जन मांस भक्षण करते हैं। यह मतिमंद मीडिया ऐसा  उस दौर में कर रहा है जब दुनिया भर में वैष्णव खानपान (शाकाहारी आहार )के समर्थन में मंद समीर बह रही है।

नहीं जानता है ये मीडिया तो कृपया निशुल्क नोट करे पंच मकारों में मत्स्य का दर्ज़ा अलग रखा गया है। पांच मकार हैं :मांस ,मदिरा ,मत्स्य (मच्छी ),मुद्रा और मैथुन (Copulation ).मत्स्य जलचर है जल से बाहर इसका जीवन मुमकिन नहीं है। अन्य मांस मुहैया करवाने  वाले जीवों के साथ ऐसा नहीं है कि उन्हें काटा जाए तो खून न बहे लेकिन मत्स्य के साथ ऐसा नहीं होता है इसलिए उसे अन्य वर्ग में रखा गया है। ये अबुद्ध मीडिया मच्छी खाने वालों को भी सामिषभोजियों की गणना में शुमार करके आकलन कर रहा है। भाई अबुद्ध -इंजेक्शन से प्राप्त अण्डों को भी इसमें शरीक कर लो तब आपके आंकड़े और भी प्रभावशाली  हो जाएंगे। बेहतर है आप लालू के मुंह में एक चैनल बना लें  जहां शैतानों का प्रवेश निर्बाध है। साथ में मार्कण्डेय काटजू को भी ले लें।

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