शनिवार, 1 मई 2021

महाकवि सूरदास पद :अब मैं नाँच्यो बहुत गोपाल नाच्यो बहुत गोपाल अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल ,

महाकवि सूरदास पद :अब मैं नाँच्यो बहुत गोपाल 

नाच्यो बहुत गोपाल अब मैं
नाच्यो बहुत गोपाल ,

काम क्रोध को पहिर चोलना
कंठ विषय की माल,
अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल

तृष्णा नाद करत घट भीतर
नाना विधि दे ताल,
भरम भयो मन भयो पखावज
चलत कुसंगत चाल,
अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल

सूरदास की सबे अविद्या
दूर करो नन्दलाल,
अब में नाच्यो बहुत गोपाल

भावसार :

सूरदास के आखिरी दिनों की रचना है यह प्रपत्ती (प्रवृत्ति )मार्ग से ताल्लुक रखता  है यह पद। 


सूरदास कहते हैं :हे ! मेरे आराध्य !मेरे परमात्मा अब मैं इस संसार के आवागमन के चक्कर में बहुत नांच लिया। इस जन्म मरण चक्र से  अब मुझे मुक्त कर दो। जीव रूप में मैंने बहुत कष्ट उठाया है। अब अपने चरणों में रख के मुझे संसार के बंधनों से मुक्त करो। 


काम क्रोध के वस्त्र धारण किये थे मैंने।  ये  वृत्तियाँ ही मेरी पहचान बन गईं। इन्द्रियों के विषयों में ही मैं आसक्त रहा। अर्थ और काम बस इसी से शोभित हुआ। संसार में मेरी बाहरी वृत्तियाँ ही प्रगट होती रहीं। इन्हीं की कंठी पहने रहा मैं। 


जैसे संगीत की गोष्ठी होती है उसमें नूपुर बांध के नर्तक नर्तकी नाचते हैं ऐसे ही महामोह के नूपुर मेरे पैरों की गति बनकर मुझे नचाते रहे। मोह ही मेरे जीवन का आकर्षण बना रहा। जहां -जहां मेरा मोह था बस वहीँ वहीँ की मैंने बात सुनी। लोगों की निंदा ही मुझे रसीले गीतों सी  लगी। 

मन संसार के भ्रम में पड़कर पखावज की तरह बजता रहा। मैं उसी संगीत में डूबा रहा उसे ही नाद समझ बैठा। मन बुरी चाल ही चलता रहा। मेरे लिए मन की आवाज़ ही पखावज हो गई। 


जैसे नाद पर संगीत  लहरियां चलती हैं उसी प्रकार तृष्णा की ध्वनि को ही मैंने संगीत का नाद समझ लिया। तृष्णा का नाद ही मेरे भीतर बजता रहा। अनेक प्रकार की तालें (संगी साथी )मुझे विपथ गामी बनाते रहे। संगी साथियों ने मिलकर मेरे मोह की गति को तृष्णा के नाद को बढ़ाया। अपनी कमर में मैंने माया का फैंटा बांध लिया और लोभ का तिलक माथे पर लगा लिया। आचरण में लोभ को ही शीर्ष पर (सर्वोपरि )रखा। 

अनेक प्रकार की कलाएं निर्मित करके मैंने लोगों को दिखलाई। नट बनके मैंने लोगों को दिखलाया। कोटिक कलाओं का स्वांग रचा। संसार में मैं इतना रम गया मुझे दिशाओं का भी ज्ञान नहीं रहा। अपने सुखों में ही डूबा रहा  मैं। मुझे दिशा भ्रम हो गया। 

मेरी सारी  अविद्याएँ कृष्ण अब तुम दूर करो। 

सुने इन बंदिशों को और डूबें भक्ति रससागर में। 


  1. Ab Main Nachyo Bahut Gopal -Sandhya Mukherjee (Bhajan Sudha)

    Ab Main Nachyo Bahut Gopal -Sandhya Mukherjee (Bhajan Sudha)
  2. Nachyo Bahut Gopal Pt Rattan Mohan Sharma

    a nice surdas bhajan.
    • HD

https://www.youtube.com/watch?v=D_1YMrk4VMc

Nachyo Bahut Gopal (Pushtimargiya Haveli Sangeet Kirtan) | Tilak Goswami


 

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