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अलविदा २०१९ /बड़े कदम /केंद्र सरकार के कड़े फैसलों वाला साल (पंकज पांडे की रिपोर्ट ,हिन्दुस्तान (हिंदी दैनिक ,सोमवार ,३० दिसंबर २०१९ )एक प्रति-क्रिया (वीरेंद्र शर्मा ,२४५ /२ ,विक्रम विहार ,शंकर विहार काम्प्लेक्स ,दिल्ली -छावनी -११० -०१०
ये एकल लेख सौ आलेखों पर भारी है।सचमुच अब जबकि ( नवगठित) जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख क्षेत्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्री तथा मुख्यधारा के तमाम राजनीति के धंधेबाज़ जम्मू कश्मीर में पाक़िस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाने वाले तमाम अलगाववादी सोच के लोग नज़र बंद हैं और इस क्षेत्र में चिड़िया का एक अंडा भी अपने आप गिरके भी नहीं टूटा है ,देश को विघटन की ओर ले जाने में असमर्थ लोग हार-मानकर मौजूदा ज़िद बिला वजह देश की संपत्ति को आग लगवाने की छोड़ चुप करके बैठ जाएंगे।
उत्तर प्रदेश में कहावत है -गु खाये तो हाथी का खाये कमसे कम पेट तो भरे। देखना है ये अनशन खोर कब तक कायम रहते हैं अनशनखोरी पर। बिष्टा और बीट खाने से किसी का पेट भरा है -सिर्फ उंगलियों पर गिने जाने भर हैं इस दौर में ऐसे लोग जो कहते हैं ये किया तो देश को आग लग जाएगी वो किया तो महा -सुनामी देश को लपेटे में ले लेगी।
आखिर मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलाम (भकुए ),एक परिवार के उकीलनुमा काले कोट वाले एक अबुध कुमार एक अदद बीबी मलिका -ए -कामान हाई और इन सबकी चाची बंगाल वाली नागरिकता संशोधन -एक्ट पे कब तक मुंह की खाएंगे ?
अलविदा २०१९ /बड़े कदम /केंद्र सरकार के कड़े फैसलों वाला साल (पंकज पांडे की रिपोर्ट ,हिन्दुस्तान (हिंदी दैनिक ,सोमवार ,३० दिसंबर २०१९ )एक प्रति-क्रिया (वीरेंद्र शर्मा ,२४५ /२ ,विक्रम विहार ,शंकर विहार काम्प्लेक्स ,दिल्ली -छावनी -११० -०१०
ये एकल लेख सौ आलेखों पर भारी है।सचमुच अब जबकि ( नवगठित) जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख क्षेत्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्री तथा मुख्यधारा के तमाम राजनीति के धंधेबाज़ जम्मू कश्मीर में पाक़िस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाने वाले तमाम अलगाववादी सोच के लोग नज़र बंद हैं और इस क्षेत्र में चिड़िया का एक अंडा भी अपने आप गिरके भी नहीं टूटा है ,देश को विघटन की ओर ले जाने में असमर्थ लोग हार-मानकर मौजूदा ज़िद बिला वजह देश की संपत्ति को आग लगवाने की छोड़ चुप करके बैठ जाएंगे।
उत्तर प्रदेश में कहावत है -गु खाये तो हाथी का खाये कमसे कम पेट तो भरे। देखना है ये अनशन खोर कब तक कायम रहते हैं अनशनखोरी पर। बिष्टा और बीट खाने से किसी का पेट भरा है -सिर्फ उंगलियों पर गिने जाने भर हैं इस दौर में ऐसे लोग जो कहते हैं ये किया तो देश को आग लग जाएगी वो किया तो महा -सुनामी देश को लपेटे में ले लेगी।
आखिर मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलाम (भकुए ),एक परिवार के उकीलनुमा काले कोट वाले एक अबुध कुमार एक अदद बीबी मलिका -ए -कामान हाई और इन सबकी चाची बंगाल वाली नागरिकता संशोधन -एक्ट पे कब तक मुंह की खाएंगे ?
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