पूर तमन्ना हो गई, जीते आप चुनाव |
पर अट्ठाइस सीट से, होता नहीं अघाव |
होता नहीं अघाव, दाँव लम्बा मारेगा |
होगा पुन: चुनाव, आप सब को तारेगा |
आये सत्तर सीट, जुड़ेगा स्वर्णिम पन्ना |
सारी दुनिया साफ़, तभी हो पूर तमन्ना ||
---------कविवर रविकर भाई
कल जो कुछ प्रकाशित ,उद्घाटित हुआ ,विधान सभाई नतीज़ों के तौर पर वह हमारे मानस पर घट तो
बहुत पहले ही गया था बस प्रकाशित अब हुआ है। केजरीवाल अन्ना हज़ारे आंदोलन की उपज हैं। अच्छे गुरु
का अच्छा ही चेला होता है। चूलें तो दिल्ली के कुशासन कि अन्ना हज़ारे के आंदोलन ने ही हिला दीं थीं।
इमारतें अब गिरी हैं।
वृक्ष की जड़ें ही खोखली हों तो फल कहाँ से लगे।
आज मोदी और अन्ना दो ही फेक्टर हैं। कोई माने तो ठीक न माने तो और भी ठीक। कांग्रेस की नकार
,अस्वीकार में जीने की आदत है। एक कांग्रेसी प्रवक्ता प्रलाप कर रहे थे स्थानीय वजहों से हम हारें हैं मोदी से
नहीं। भाव यह है हमारी औकात इतनी ही है हमें कोई भी स्थानीय अनाम से लोग भी हरा सकते हैं। ये वैसे ही
जैसे उल्लू सूरज के खिलाफ खड़े होकर आंदोलन करने का फैसला कर लें।आदमी पिटता है और मानता नहीं
है
मैं पिटा हूँ।
एक साहब कह रहे थे हम झाड़ू से पिटे हैं कमल से नहीं। हमने जो जूते पड़े हैं वह मोदी के पाँव के नहीं थे।
स्थानीय थे। हम तो पहले भी गिरे थे। एक महान कांग्रेसी नेता तब कह रहे थे जबकि मध्य प्रदेश और
राजस्थान में कमल परिपूर्ण रूपेण खिल चुका था। अभी गणना चल रही है अभी कुछ नहीं। अभी क्या कहें।
हाँ हम तो पागल हैं -ये उदगार थे शीला जी के बस पत्रकारों ने इतना पूछा था -गलती कहाँ हुई कसर कहाँ रह
गई।
राहुलजी का धन्यवाद !कांगेस की तरक्की के लिए उनका बाजू चढ़ाते रहना ज़रूरी है। उनके भोपाली गुरु को
प्रणाम। अभी २०१४ होना बाकी है।
कमल से नहीं झाड़ू से पिटे हैं हम
मोदी के जूतों से नहीं पिटे हैं हम
आप यहाँ भी हैं आज मालूम हुआ :)
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरिफिकेशन उल्लुओं से बचने के लिये डिसऐबल नहीं किया है लगता है !