अथिति पोस्ट :संसार एक सनातन वृक्ष -श्री मुरारी लाल मुद्गल
संसार एक वृक्ष ,
प्रकृति इसका आश्रय ,
सुख दुःख इसके दो मुख।
तीन जड़ :सत्व ,रज ,और तम ,
चार रस : धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष।
इसको जानने योग्य पांच प्रकार :
श्रोत ,त्वचा ,नेत्र ,रसना ,और नासिका।
छः स्वभाव :पैदा होना ,रहना ,बढ़ना ,बदलना ,घटना और क्षर (विनष्ट होना ).
इस वृक्ष की छाल सात धातुएं :
रस,रुधिर ,मांस ,मेद ,अस्थि ,मज्जा और शुक्र (वीर्य ).
आठ शाखाएं :पांच महाभूत ,मन,बुद्धि और अहंकार।
मुखादि नौ द्वार (नवद्वार पुर कहा गया है यह शरीर ).
दस पत्ते :पान ,अपान ,उदान ,व्यान ,समान ,नाग ,कूर्म ,कृंकल ,देवदत्त ,और धन्नजय।
दो पक्षी :जीव और ईश्वर (रहते हैं इस तरुवर पर ).
इसकी उत्पत्ति के आधार हम स्वयं हैं।
हमारे अनुग्रह से इसकी रक्षा होती है।
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