टुकड़े टुकड़े गैंग के मन की बात
शकीकुर्रहमान बर्क सांसद ,सपा -जनाब -बखूबी तालिबान की आरती उतार रहे थे उन्हें आज़ादी को परवान चढाने वाला बता रहे थे।माननीय के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ हो चुकी है साथ में सम्भल के तीन और लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज़ हुई है। बीस करोड़ से ज्यादा मुसलमान हैं यहां भारत में .इनमें से कई हामिद अंसारी ,आमिर खान ,नसरुद्दीनशाह सोच के लोगों को यहां असुरक्षा महसूस होती है। कइयों के बीवी बच्चे खौफ -ज़दा है उनके लिए मौक़ा है दस्तूर भी है वह आज़ाद अफगानिस्तान (इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान )चले जाएँ।
नविस्लामिक अमीरात में संसद है प्रजातंत्र भी है सैर के लिए हिन्दुकुश की पहाड़ियां कूदने फांदने के लिए अम्यूज़मेंट पार्क हवाईअड्डे पर अडवेंचर स्पोर्ट्स विशेष इंतज़ाम है एक बार ज़रूर जाए आलमी टुकड़ा टुकड़ा गैंग।यह भी जाने :
क्यों हारा अफगानिस्तान तालिबान के हाथों ?
(१ )अशरफ ग़नी अहमदज़ई का भ्रष्टाचार देश को खा गया -एक ऐसा राष्ट्रपति जो फौजियों की अमरीका से प्राप्त तन्खा भी खा गया ,कागज़ पर फौजी कितने थे अनुमेय है।
(२ )अमरीका ने आर्थिक इमदाद बंद की इसी के साथ फौज को तन्खा मिलना बंद हो गया।
(३ )अमरीका अपनी फौज के साथ चुपचाप कुछ कर गया इस आकलन के साथ ,तीन लाख अफगानी फौजी अमरीकी हथियारों के साथ ७५,००० तालिबानियों का सफाया कर देंगे।
(३)जिन तालिबानियों का सफाया दो बड़ी कथित महाशक्तियां रूस और अमेरका दो दशकों से ज्यादा अवधि में न कर सकीं उनका सफाया ,हताश अनाथ भूखी फौज कैसे कर सकती थी।
(४)अशरफ गनी को अमेरिका ने ही भगाया। तालिबान के साथ अमेरिका की मिलिभगत है ,अच्छी अंडरस्टेंडिंग है।आगे का घटना क्रम भी अमेरिका को पता ही होगा कौन जाने ?
(५ )अफगानी कमांडरों को तालिबान ने चीन से मिले पैसे से खरीदा।
ज्यों की त्यों धर दीन्हीं चदरिया-अफगानिस्तान तालिबान से वापस लिया अमरीका ने और पुन : अफगानिस्तान को सौंप दिया। जम्हूरियत आनी थी यहां तो -भाषण में थी वह जम्हूरियत अमेरिका गुज़िस्तान सालों में दुनिया के जिस भी हिस्से में गया है अस्थिरता पैदा करके लौटा है अपने सैनिकों को शहीद करवाके अरबों डालर सालों साल खपा के खिसियानी बिल्ली खम्भा लौटे के अंदाज़ में लौटा है फिर चाहे वह सीरिया रहा हो वियातनाम या उत्तर कोरिया अब अफगानिस्तान। अलबत्ता हिरोशिमा और नागासाकी पे बम डालकर आइंस्टाइन की आत्मा को ज़रूर उसने छलनी किया था अपनी करतूतों से जो आज भी दीगर तरीके से ज़ारी है जम्हूरियत के नाम पर मानवाधिकारों के अनुरक्षण के नाम पर।
कैसी अनोखी स्वयं घोषित स्वयं नियुक्त अपने मुंह मियाँमिठ्ठू बड़ी महत्तम ताकत है अमेरिका ? आप अन्दाज़ा लगाइये।
कौन मौत से नहीं डरता ,कौन तालिबान से नहीं डरता आज के अफगानिस्तान में ?'अफगानी वीरांगनाएं 'ज़वाब है मिलेगा।
सीखने की बात और सन्देश यही है जो मुल्क अंदर से कमज़ोर होता है विदेशी ताकतों का ठिकाना बनता है वह तालिबान बन जाता है। पाकिस्तान भी उसी राश्ते पर है।
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