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मान्यवर संपादकीय ,"टल गए ज़रूरी सवाल "(२५ अगस्त अंक )के संदर्भ में निवेदित है :कांग्रेस "नौ दिन चले अढ़ाई कोस "से आगे निकल आज वहां पहुँच गई है जहां लाज़िम तौर पर कहा जा सकता है इस बुढऊ पार्टी के बारे में जो अल्ज़ाइमर्स ग्रस्त प्रतीत होती रही है :
कुछ लोग इस तरह ज़िंदगानी के सफर में हैं ,
दिन रात चल रहे हैं ,मगर घर के घर में हैं।
सोनिया की कहानी सोनिया पे ही खत्म होती है कांग्रेस खुद एक ब्लॉग बन के रह गई है जहां लेखक ,मालिक , प्रूफ रीडर ,हॉकर ,रीडर ,खरीदार ,प्रशंशक ,खुद कांग्रेस ही बन के रह गई है ।
समझ में न आने वाली बात ये है इसमें कपिल सिब्बल ,मनीषतिवारी ,अभिषेक मनुसिंघवी जैसे उकील क्या कर रहे हैं ,जबकि अब वह एक परिवार के उकील भी नहीं दिखलाई देते ?कौन सी सल्तनत छूट जाने का डर है।गुलामनबी आज़ाद का कोई क्या बिगाड़ लेगा ,जबकि वह न तो किसी के गुलाम हैं न पराधीन ,अल्लाह के गुलाम है किसी सोनिया फोनिया के नहीं ऊपर से मुसलमान भी हैं।
वीरेंद्र शर्मा ,८७० ,भूतल,सेक्टर -३१ ,फरीदाबाद -१२१ ००१
८५ ८८ ९८ ७१ ५०
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