मिथ :नारियल का खाद्य तेल जहर खाने के समान है
यथार्थ :निस्संदेह साइनाइड विष है और इसी रूप में रैटलस्नेक (एक प्रकार का अमरीकी विषधर जो चलते रेंगते वक्त खड़खड़ की ध्वनि करता है )के वेनम (विष )को जाना जाता है लेकिन ठीक यही बात नारियल के तेल के बारे में कहना वैज्ञानिक सत्य नहीं है ,विज्ञान रिपोर्टिंग नहीं हैं।सनसनी है दुष्प्रचार है प्रोपेगेंडा है।
एक छोर पर उपभोक्ता है जो इसके इस्तेमाल को सेहत के लिए अच्छा मानता है दूसरे छोर पर एक शोध करता आचार्य हैं जो इसे खाना जहर खाने जैसा बतलाते हैं।
अब अगर इसमें संतृप्त वसाओं का स्तर ज्यादा है तब भी क्या यह कहना समीचीन होगा के इसका खाद्य रूप में सेवन उपभोक्ता के लिए जहर समान है ?हमारा उत्तर है नहीं। अलबत्ता ऐसा कहना बहुप्रचारित करना उत्तेजना पैदा करने वाला वक्तव्य ज़रूर कहा जाएगा। व्यर्थ का हो हल्ला है जो स्वास्थ्य विज्ञान के माहिरों के गले से नीचे नहीं उतरेगा। भले ३७ फीसद अमरीकी पोषणविज्ञानी इसके पक्ष में न हों जबकि ७२ फीसद अमरीकी इसे सेहत के लिए अच्छा ही मानते हैं।(एक सर्वे न्यूयॉर्क टाइम्स ).
भले दीर्घावधि इसका सेवन सेहत के लिए लाभदायक साबित न हो लेकिन इसे ज़हर बतलाना सनसनी पैदा करने से ज्यादा नहीं माना जाएगा। जहां जहां नारियल ज्यादा पैदा होता है वहां वहां इसका चलन खाद्य उत्पादों में सहज रूप होता आया है ,दक्षिण भारत इसका प्रमाण है।
आखिर खेसारी दाल (रेड ग्राम एक प्रकार का )और नारियल में कुछ तो फर्क होना चाहिए।नारियल के ऐसे कोई दुष्प्रभाव भी सामने नहीं आये हैं। कंट्रोल्ड ट्रायल करिये कौन रोकता है लेकिन उत्तेजना खामखा की उससे हरचंद बचना है।
चलिए इसमें मौजूद वसाओं के नज़रिये से ही देखें तो इसका स्थान अनेक प्रकार के खाद्य तेलों में दरमियानी ही कहा जाएगा। जबकि इसमें ८० फीसद से ज्यादा संतृप्त वसायें मौजूद होना बतलाया गया है।
अमरीकी हृदय संघ के माहिर सिफारिश करते हैं ,संतृप्त वसाओं की मात्रा प्रतिदिन की खपत में ५- ६ फीसद ही भली यानी दिनभर में १३ ग्राम से ज्यादा नहीं। संघ संतृप्त वसाओं के बरक्स बहु -असंतृप्त और एकल असंतृप्त वसाओं को बेहतर बतलाता है।
साल्टिड संशाधित पीले बटर से कहीं सुरक्षित है नारियल का तेल। भले एक्सट्रा वर्जिन ऑलिव आयल इससे बहुत बेहतर माना गया है।
यह मान लेने में कोई हर्ज़ नहीं है इसके बारे में और अध्ययन होने चाहिए एकल अध्ययन से एक धुर निष्कर्ष निकालना अतिशयोक्ति ही कहा जाएगा।
भले इसमें सेचुरेटिड फेट ज्यादा है लेकिन रेड मीट की तरह इसे उछाला न जाए जिसके ज्ञात दुष्प्रभाव कैंसर समूह के रोगों को लेकर सामने आते रहें हैं। मसलन रेड मीट और कोलन कैंसर की चर्चा आम रही है।
हम भी मानते हैं संतृप्त वसाओं का ज्यादा सेवन हृदय के लिए अमित्र चिकनाई (LDL CHOLESTEROL )के खतरे के वजन को बढ़ाता है। लेकिन नारियल तेल में एक विशेष गुण भी है इसमें मौजूद संतृप्त वसा मित्र चिकनाई (HDL CHOLESTEROL )की मात्रा को रक्त में बढ़ाती है जो खून से अमित्र कोलेस्टेरोल एलडीएल को हटाता है। नारियल तेल में लॉरिक एसिड ज्यादा मात्रा में मौजूद रहता है जो एचडीएल को बढ़ाता है।
मोडरेशन इज़ दी की
अति सर्वत्र वर्जयते -सिफारिश की गई मात्रा से ज्यादा इसका सेवन प्रतिदिन करना ही क्यों है जबकि भारतीय नस्ल की गाय का मख्खन भी अमृत स्वरूप उपलब्ध है जो किसी औषधि से कम नहीं। अति यहां भी नहीं। कुछ असंतृप्त वसा कुछ संतृप्त और शेष गाय का मख्खन (कन्हैया वाला पानी से संसिक्त )खुराक में शरीक करिये।
Cyanide is a poison. Rattlesnake venom is a poison. Certain household products can be a poison. But coconut oil? One professor seems to think so, colliding head-on with consumers who believe it's good for them.
यथार्थ :निस्संदेह साइनाइड विष है और इसी रूप में रैटलस्नेक (एक प्रकार का अमरीकी विषधर जो चलते रेंगते वक्त खड़खड़ की ध्वनि करता है )के वेनम (विष )को जाना जाता है लेकिन ठीक यही बात नारियल के तेल के बारे में कहना वैज्ञानिक सत्य नहीं है ,विज्ञान रिपोर्टिंग नहीं हैं।सनसनी है दुष्प्रचार है प्रोपेगेंडा है।
एक छोर पर उपभोक्ता है जो इसके इस्तेमाल को सेहत के लिए अच्छा मानता है दूसरे छोर पर एक शोध करता आचार्य हैं जो इसे खाना जहर खाने जैसा बतलाते हैं।
अब अगर इसमें संतृप्त वसाओं का स्तर ज्यादा है तब भी क्या यह कहना समीचीन होगा के इसका खाद्य रूप में सेवन उपभोक्ता के लिए जहर समान है ?हमारा उत्तर है नहीं। अलबत्ता ऐसा कहना बहुप्रचारित करना उत्तेजना पैदा करने वाला वक्तव्य ज़रूर कहा जाएगा। व्यर्थ का हो हल्ला है जो स्वास्थ्य विज्ञान के माहिरों के गले से नीचे नहीं उतरेगा। भले ३७ फीसद अमरीकी पोषणविज्ञानी इसके पक्ष में न हों जबकि ७२ फीसद अमरीकी इसे सेहत के लिए अच्छा ही मानते हैं।(एक सर्वे न्यूयॉर्क टाइम्स ).
भले दीर्घावधि इसका सेवन सेहत के लिए लाभदायक साबित न हो लेकिन इसे ज़हर बतलाना सनसनी पैदा करने से ज्यादा नहीं माना जाएगा। जहां जहां नारियल ज्यादा पैदा होता है वहां वहां इसका चलन खाद्य उत्पादों में सहज रूप होता आया है ,दक्षिण भारत इसका प्रमाण है।
आखिर खेसारी दाल (रेड ग्राम एक प्रकार का )और नारियल में कुछ तो फर्क होना चाहिए।नारियल के ऐसे कोई दुष्प्रभाव भी सामने नहीं आये हैं। कंट्रोल्ड ट्रायल करिये कौन रोकता है लेकिन उत्तेजना खामखा की उससे हरचंद बचना है।
चलिए इसमें मौजूद वसाओं के नज़रिये से ही देखें तो इसका स्थान अनेक प्रकार के खाद्य तेलों में दरमियानी ही कहा जाएगा। जबकि इसमें ८० फीसद से ज्यादा संतृप्त वसायें मौजूद होना बतलाया गया है।
अमरीकी हृदय संघ के माहिर सिफारिश करते हैं ,संतृप्त वसाओं की मात्रा प्रतिदिन की खपत में ५- ६ फीसद ही भली यानी दिनभर में १३ ग्राम से ज्यादा नहीं। संघ संतृप्त वसाओं के बरक्स बहु -असंतृप्त और एकल असंतृप्त वसाओं को बेहतर बतलाता है।
साल्टिड संशाधित पीले बटर से कहीं सुरक्षित है नारियल का तेल। भले एक्सट्रा वर्जिन ऑलिव आयल इससे बहुत बेहतर माना गया है।
यह मान लेने में कोई हर्ज़ नहीं है इसके बारे में और अध्ययन होने चाहिए एकल अध्ययन से एक धुर निष्कर्ष निकालना अतिशयोक्ति ही कहा जाएगा।
भले इसमें सेचुरेटिड फेट ज्यादा है लेकिन रेड मीट की तरह इसे उछाला न जाए जिसके ज्ञात दुष्प्रभाव कैंसर समूह के रोगों को लेकर सामने आते रहें हैं। मसलन रेड मीट और कोलन कैंसर की चर्चा आम रही है।
हम भी मानते हैं संतृप्त वसाओं का ज्यादा सेवन हृदय के लिए अमित्र चिकनाई (LDL CHOLESTEROL )के खतरे के वजन को बढ़ाता है। लेकिन नारियल तेल में एक विशेष गुण भी है इसमें मौजूद संतृप्त वसा मित्र चिकनाई (HDL CHOLESTEROL )की मात्रा को रक्त में बढ़ाती है जो खून से अमित्र कोलेस्टेरोल एलडीएल को हटाता है। नारियल तेल में लॉरिक एसिड ज्यादा मात्रा में मौजूद रहता है जो एचडीएल को बढ़ाता है।
मोडरेशन इज़ दी की
अति सर्वत्र वर्जयते -सिफारिश की गई मात्रा से ज्यादा इसका सेवन प्रतिदिन करना ही क्यों है जबकि भारतीय नस्ल की गाय का मख्खन भी अमृत स्वरूप उपलब्ध है जो किसी औषधि से कम नहीं। अति यहां भी नहीं। कुछ असंतृप्त वसा कुछ संतृप्त और शेष गाय का मख्खन (कन्हैया वाला पानी से संसिक्त )खुराक में शरीक करिये।
Cyanide is a poison. Rattlesnake venom is a poison. Certain household products can be a poison. But coconut oil? One professor seems to think so, colliding head-on with consumers who believe it's good for them.
In her lecture at the University of Freiburg -- entirely in German and posted in July -- professor Karin Michels, of the university's Institute for Prevention and Tumor Epidemiology, calls the health claims surrounding coconut oil "absolute nonsense" and says it's "pure poison" for its saturated fat content and its threat to cardiovascular health. The video of her lecture has amassed close to a million views and counting.
"Coconut oil is one of the worst things you can eat," Michels said.
While others have taken a more measured view, they hardly buy into the ballyhoo. A 2016 surveyin the New York Times suggested that 72% of Americans think coconut oil is healthy, versus only 37% of nutritionists polled.
"There are many claims being made about coconut oil being wonderful for lots of different things, but we really don't have any evidence of long-term health benefits," said Dr. Walter C. Willett, professor of epidemiology and nutrition at the Harvard T.H. Chan School of Public Health, where Michels is also an adjunct professor.
"Coconut oil is somewhere in the middle of the spectrum in terms of types of fats. It's probably better than partially hydrogenated oils, [which are] high in trans fats, but not as good as the more unsaturated plant oils that have proven health benefits, like olive and canola oil," Willett previously told CNN.
Health organizations tend to discourage the use of coconut oil, which is more than 80%
saturated fat. The American Heart Association says it's better on your skin than in your food, and it recommends that no more than 5% or 6% of your daily calories come from saturated fats -- about 13 grams per day. The association also advocates replacing coconut oil with "healthy fats" such as polyunsaturated fats and monounsaturated fats, like those found in canola and olive oils, avocados and fatty fish.
Coconut oil is "probably not quite as 'bad' as butter but not as good as extra virgin olive oil," Kevin Klatt, a molecular nutrition researcher at Cornell University who is studying the metabolic effects of coconut oil, previously told CNN.
Klatt cautions that we should not develop too strong of an opinion of it without more data. "But at the same time, you have to be evidence-based ... and [currently], the evidence reflects benefits for olive oil, fish, nuts and seeds -- so that should be the focus in the diet."
Coconut oil is extracted from the meat of the fruit. It contains mostly saturated fat, which is also found in large quantities in butter and red meat. Like other saturated fats, coconut oil increases LDL cholesterol, commonly known as "bad" cholesterol, which has been associated with increased risk of heart disease.
But coconut oil also raises HDL, the "good" cholesterol, especially when replacing carbohydrates in the diet. This may be due to its high content of a fatty acid known as lauric acid. (This is also noted in Michel's statement summarizing her talk.)
"Coconut oil is half lauric acid, which is a little bit unique," Klatt said, as the acid seems to raise HDL more than other saturated fats and is rarely found in such high amounts in foods.
Still, though the increase in HDL seen with consumption of coconut oil may offset some of the disease risk, it's still not as good as consuming unsaturated oils, which not only raise HDL but lower LDL, according to Willett.
Complicating matters is the fact that we still don't know for sure what exactly a high HDL translates to in terms of health risk. "There's been debate about the role of HDL," Willett cautioned. "Partly because there are many forms of HDL which have different health consequences ... which has made the water murky."
For example, there are different forms of HDL that do different things. One role is to help take LDL cholesterol out of the bloodstream. "But some forms of HDL don't do that," Willett said, "so we don't know for sure that higher HDL is better."
While an elevated LDL level is used as a marker for predicting cardiovascular risk and doesn't always translate to heart attacks, experts say it's still cause for concern.
Research has found a mixed bag when it comes to saturated fats, and coconut oil in particular. A 2015 Cochrane review found that cutting back on saturated fats also lowered the risk of cardiovascular disease by 17% -- but it didn't change the risk of dying, and there was no benefit to replacing these fats with protein or starchy foods.
Other research specifically on coconut oil has explored its effects on metabolism, appetite and cognitive function -- but "you can't infer from ... studies what coconut oil will and will not do. We need better controlled trials," Klatt said.
"Right now, the internet is jumping the gun and going way beyond the evidence."
Like other oils, coconut oil is calorie-dense, which means consuming large amounts without reducing other calorie sources can lead to weight gain. Just one tablespoon has 120 calories, about the same as a large apple or four cups of air-popped popcorn.
"Oil is a really easy way to increase the energy density of a food. Things like almonds have a lot of fat, but it's easier to overeat pure oil than overeat pure almonds," Klatt said.
In small amounts, however, coconut oil can have a place in one's diet. But for day-to-day use, experts recommend vegetable oils such as olive, canola or soybean oil, along with nuts and seeds, as a primary source of fats in the diet.
"It's not that you have to absolutely avoid coconut oil, but rather limit coconut oil to where you really need that special flavor, like for Thai food or for baking a special dessert," Willett said.
Klatt agreed, saying that coconut oil "is certainly fine to consume occasionally, when a recipe calls for it."