अनशन की परम्परा को लज्जित ,कलंकित करता अनशन
"राहुल गांधी लाओ देश बचाओ।" पांच घंटे का अनशन करो और फिर पांच घंटे का अलार्म बजते ही छोले भठूरे अन्य खाद्यों पर टूट पड़ो।अनशन से पहले भी कुछ टूंग लो। गांधी कुमार उर्फ़ राहुल विन्ची को ये मुगालता है ,राष्ट्र पिता मोहनदास कर्म चंदगाँधी को इन्हीं कथित राहुल गांधी की वजह से जाना जाता है। और पांच घंटे का (अन्+अशन =बिना अन्न ग्रहण )नाटक करके उनके-कच्छे का लालरंग देखके उन को हनुमान भक्त घोषित करने वाले चाटुकारों से अपनी जय बुलवाकर वे वर्तमान राजनीतिक प्रबंध का स्थान ले लेंगे। जनेऊ दिखलाकर खुद को सुर्जेवालों से सनातन धर्मी घोषित करवा लो। कोई नादानी सी नादानी है।
किसी सिब्बल ने इन्हें अनशन का अर्थ नहीं समझाया। क्रान्तिवीरों के १३० दिनी अनशन के बारे में नहीं बतलाया। अनशन एक पावित्र्य लिए रहा है। वर्तमान पीढ़ी जान ले नेहरू के वंशज वर्णसंकर ज़रूर हैं जिन्होंनें संविधान में होने वाले परिवर्तन की तरह गोत्र बार बार -बार बदला है।
गूगल बाबा से पूछ लो पारसियों में कोई गांधी गोत्र नहीं होता। होता तो बचेखुचे पारसियों में कम से कम एक तो और गांधी होता। फ़िरोज़ खान साहब को महात्मा गांधी ने नेहरू के रोने धोने पर गोद ले लिया था। और फ़िरोज़ खान फ़िरोज़ गांधी हो गए।
भले ला सकते हो ,राहुल लाओ गांधी को कैसे लाओगे जिसे नेहरुवियन तुष्टिकरण की नीति ने कब का मार दिया। उस नाथूराम गोडसे ने भी दो दिन का उपवास रखा था (ईशवर के निकट रहना उपवास )पाकिस्तान से अंग भंग ट्रेनें हिंदुओं को ला रही थीं।माहौल में उत्तेजना थी आक्रोश था। गांधी मारे गए लेकिन तुष्टिकरण का जिन्ना (जिन्न )आज भी जीवित है।
"राहुल गांधी लाओ देश बचाओ।" पांच घंटे का अनशन करो और फिर पांच घंटे का अलार्म बजते ही छोले भठूरे अन्य खाद्यों पर टूट पड़ो।अनशन से पहले भी कुछ टूंग लो। गांधी कुमार उर्फ़ राहुल विन्ची को ये मुगालता है ,राष्ट्र पिता मोहनदास कर्म चंदगाँधी को इन्हीं कथित राहुल गांधी की वजह से जाना जाता है। और पांच घंटे का (अन्+अशन =बिना अन्न ग्रहण )नाटक करके उनके-कच्छे का लालरंग देखके उन को हनुमान भक्त घोषित करने वाले चाटुकारों से अपनी जय बुलवाकर वे वर्तमान राजनीतिक प्रबंध का स्थान ले लेंगे। जनेऊ दिखलाकर खुद को सुर्जेवालों से सनातन धर्मी घोषित करवा लो। कोई नादानी सी नादानी है।
किसी सिब्बल ने इन्हें अनशन का अर्थ नहीं समझाया। क्रान्तिवीरों के १३० दिनी अनशन के बारे में नहीं बतलाया। अनशन एक पावित्र्य लिए रहा है। वर्तमान पीढ़ी जान ले नेहरू के वंशज वर्णसंकर ज़रूर हैं जिन्होंनें संविधान में होने वाले परिवर्तन की तरह गोत्र बार बार -बार बदला है।
गूगल बाबा से पूछ लो पारसियों में कोई गांधी गोत्र नहीं होता। होता तो बचेखुचे पारसियों में कम से कम एक तो और गांधी होता। फ़िरोज़ खान साहब को महात्मा गांधी ने नेहरू के रोने धोने पर गोद ले लिया था। और फ़िरोज़ खान फ़िरोज़ गांधी हो गए।
भले ला सकते हो ,राहुल लाओ गांधी को कैसे लाओगे जिसे नेहरुवियन तुष्टिकरण की नीति ने कब का मार दिया। उस नाथूराम गोडसे ने भी दो दिन का उपवास रखा था (ईशवर के निकट रहना उपवास )पाकिस्तान से अंग भंग ट्रेनें हिंदुओं को ला रही थीं।माहौल में उत्तेजना थी आक्रोश था। गांधी मारे गए लेकिन तुष्टिकरण का जिन्ना (जिन्न )आज भी जीवित है।
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