हिंदी दिवस पर विशेष
माथे की बिंदी आबरू का शाल है हिंदी ,
है देश मिरा भारत ,टकसाल है हिंदी।
है आरती का थाल मिरी सम्पदा हिंदी ,
संपर्क की सांकल सभी है खोलती हिंदी।
गुरुग्रंथ ,दशम ग्रन्थ भली रही हो कुरआन ,
एंजिल हो धम्मपद भले फिर चाहें पुराण ,
है शान में सबकी मिरी लिखती रही जुबान ,
हैं सबके सब स्वजन मिरे ,सबकी मेरी हिंदी।
कर जोड़ के प्रणाम करे ,आपको हिंदी।
है शान में सबकी मिरी , लिखती रही जुबान ,
शोभा में सबकी शान में, लिखती मिरी हिंदी।
मैं तमाम हिंदी सेवकों को उनकी दिव्यता को प्रणाम करता हूँ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें