गुरुवार, 4 अगस्त 2016

उसतति निंदा दोऊ तिआगै खोजै पदु निरबाना। जन नानक इहु खेलु कठनु है किनहूं गुरमुखि जाना




साधो मन का मानु तिआगउ ,

काम क्रोधु संगति दुरजन की ता ते अहिनिसि भागउ।

सुखु दुखु दोनो सम करि जानै अउरु मानु अपमाना।

हरख सोग ते रहै अतीता तिनि जगि ततु पछाना।

उसतति निंदा दोऊ तिआगै खोजै पदु निरबाना।

जन नानक इहु खेलु कठनु है किनहूं गुरमुखि जाना।

भावार्थ :-हे संतजनों !(अपने )मन का अहंकार छोड़ दो। काम और क्रोध कुसंगति के तुल्य ही है ,इससे (भी )दिन रात (हर समय )दूर रहो। जो मनुष्य सुख -दुःख दोनों को एक जैसा जानता है और आदर और अनादर दोनों को एक जैसा जानता , जो ख़ुशी और ग़मी (दुखमय स्थिति )दोनों से निर्लिप्त (अलिप्त )रहता है ,सुख और दुःख दोनों ही जिसे छू नहीं पाते ,उसने जगत में जीवन का रहस्य समझ लिया है। (हे सन्त जनो !इस मनुष्य ने वास्तविकता प्राप्त कर ली है ,जो ) न किसी की खुशामद करता है न निंदा। (जहां कोई वासना , इच्छा किसी भी प्रकार की स्पर्श नहीं कर सकती )वही मुक्ति का पद खोज पाता है। (पर )हे नानक !यह (जीवन )खेल कठिन है। कोई विरला मनुष्य गुरु की शरण लेकर इसे समझता है।

बुधवार, 27 जुलाई 2016

दंतहीन माया और ममता रूपा मोहिनी सारे जग को खा गई ,वे जो आत्महीन थे ,जिनका कोई गुरु न था ,कोई गुरु -परम्परा नहीं थी ,जो मन की सुनते करते थे ,मनमुख थे उन्हें माया -ममता खा गई। जो गुरुमत पर चलते थे ,गुरु की सुनते थे जिनके हृदय श्री राम बसै ,जिनका चित्त प्रभु का ही स्मरण करता था वे जीवन मुक्त हो गए। माया उनका कुछ न बिगाड़ सकी.माया के कुटुंब में भले रहो लेकिन उदास (निरपेक्ष ,बेलाग )होकर।उदासीन होकर। भागना कहीं नहीं है माया के साथ हमारा लेनदेन हो ,transaction हो ,मोह नहीं।

माया ममता मोहिनी ,जिन बिन  दंता जग खाया ,

मनमुख खादे ,गुरमुख उबरै ,जिन राम नाम चित लाया। 

 दंतहीन माया और ममता रूपा मोहिनी सारे जग को खा गई ,वे जो आत्महीन थे ,जिनका कोई गुरु न था ,कोई गुरु -परम्परा नहीं थी ,जो मन की सुनते करते थे ,मनमुख थे उन्हें माया -ममता खा गई। जो गुरुमत पर चलते थे ,गुरु की सुनते थे जिनके हृदय श्री राम बसै ,जिनका चित्त प्रभु का ही स्मरण करता था वे जीवन मुक्त हो गए। माया उनका कुछ न बिगाड़ सकी.माया के कुटुंब में भले रहो लेकिन उदास (निरपेक्ष ,बेलाग )होकर।उदासीन होकर। भागना कहीं नहीं है माया के साथ हमारा लेनदेन हो ,transaction हो ,मोह नहीं।  

जो आत्म -हीन आत्मा -हंता हैं  ,मानवबम हैं ,क़त्ल और गारद ही मचाये रहते -करते हैं ,वहीँ की वहीँ अटके हुए हैं जहां चौदह वीं शती में थे वे आपस में ही मार काट मचाये हुए हैं। 

कई आस्थाएं ,विश्वास  वहीँ अटके हुए हैं जहां मोहम्मद साहब के समय थे ,कई मायावतियां मनमुखि ,सुमुखियाँ गुरु -विहीन,दिशाहीना , आत्महीन वहीँ अटकी हुईं हैं ,संसद में आज उनकी ही अनुगूंज सुनाई देती है। 

जेहाद गुरु मुखी होना है अवगुणों के खिलाफ जंग हैं मन का सुख ,मन की गुलामी नहीं हैं। मनमानी नहीं है ,भटकाव नहीं है त्याग है अवगुणों का। 

जै-श्रीकृष्ण !

गुरुवार, 7 जुलाई 2016

जे रत्तु लगे कापड़ा ,जामा होइ पलीत , जे रत्तु पीवी मानसा ,तिन का क्यों निर्मल चीत।


जे रत्तु लगे कापड़ा ,जामा होइ पलीत , जे रत्तु पीवी मानसा ,तिन का क्यों निर्मल चीत।

जे रत्तु लगे कापड़ा ,जामा होइ पलीत ,

जे रत्तु पीवी मानसा ,तिन का क्यों निर्मल चीत। 

करुणा के सागर गुरुनानक देव इस साखी (शबद )में जीव हिंसा पर ,किसी भी प्रकार के मांस भक्षण पर ,सामिष आहार पर दो टूक हुकुम देते हैं -

मात्र रक्त का धब्बा लगने पर कपड़ा (वस्त्र )दूषित हो जाता है। जो मानस रक्त पीते हैं किसी भी प्रकार का मांस भक्षण करते हैं उनका चित्त कैसे निर्मल रह सकता है। उनका  अंदर(चित्त ) बाहर (शरीर) दोनों  अपवित्र हो जाता  हैं। ऐसे में जगजीवन गुसाईं उन्हें क्योंकर मिले। 

कबीर दास भी कुछ ऐसे ही भाव अभि -व्यक्त करते हैं :

बकरी पाती खात है ,ताकी काढी ख़ाल ,

जे नर बकरी खात हैं ,तिनको कौन हवाल। 

माटी कहे कुम्हार से तू क्या रूंधे (रौंदे )मोह ,

एक दिन ऐसा होएगा ,मैं रूँधुंगी (रौंदूंगी )तोह। 

कबीरा तेरी झौंपड़ी ,गल कटियन के पास ,

करेंगे सो भरेंगे ,तू क्यों भयो उदास। 

कार्मिक थ्योरी ,कर्म का सिद्धांत भी यही है -आज जिसे तुम काट रहे हो कष्ट दे रहे हो आगे वह भी ऐसा ही करेगा। 

सनातन धर्म का मूल है -दया ,प्राणि  मात्र के प्रति दया, करूणा , प्रेम। 

साचु कहों सुन लेहु सभै ,

जिन प्रेम कीओ ,

तिन ही प्रभु पाइयो 

अहिंसा परमोधर्म :

शनिवार, 25 जून 2016

पुनरपि जनमम् , पुनरपि मरणं पुनरपि जननी ,पुनरपि शयनं।

पुनरपि जनमम् , पुनरपि मरणं पुनरपि जननी ,पुनरपि शयनं।





नुगरा कोई न मिले ,मुझे अवगुण मिलो हज़ार ,

इक नुगरे  के शीश पर ,लख -पापन का भार। 

                      (२ )

मूरख का मुख बंब है ,बोले बचन भभँग ,

दारु का मुँह बंद है (चुप्प )है ,गुरु रोगन ब्यापे अंग। 

                    (३)

मैंने अपने जीने की राह को आसाँ कर लिया है ,

कुछ से मुआफ़ी मांग ली है ,कुछ को मुआफ कर  दिया है। 

काल चिंतन :चिंता ,निराशा ,क्रोध ,लालच और वासना (डिज़ायर )-मृत्यु के ये पांच एजेंट हैं ,जो निरंतर हमें मौत के मुँह में ले जा रहे है। 

जन्म -मृत्यु चक्र से मुक्त होना है तो इन पाँचों  से बचके निकलिये। वर्ना -

पुनरपि जनमम् , पुनरपि मरणं   

पुनरपि जननी ,पुनरपि शयनं। 

https://www.youtube.com/watch?v=z7RR73532OQ

शुक्रवार, 24 जून 2016

Contemporary Relevance of Guru Granth Sahib (Hindi)

Contemporary Relevance of Guru Granth Sahib (Hindi)
Jagbir Singh
1,488 views
A lecture on Contemporary relevance of Guru Granth Sahib, by Prof. Jagbir Singh at Seminar organized by Punjabi Academy Uttar Pradesh at AMU Aligarh on…
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बुधवार, 18 मई 2016

शरीर तो जड़ है। आत्मा ही उसे चैतन्य किए रहता है। आत्मा की व्याप्ति सारे शरीर में रहती है ,होती है.लेकिन शरीर जब जर्जर हो जाता है आत्मा को सम्भाले नहीं रख पाता ,आत्मा (चैतन्य दिव्यांश परमात्मा का ) ,इसे छोड़ दूसरे शरीर में चला जाता है। अपने कर्मों के अनुरूप उसे नया बाना ( चोला /जीव योनि )मिल जाती है।

तो फिर मरता कौन है ?

शरीर तो जड़ है। आत्मा ही उसे चैतन्य किए रहता है। आत्मा की व्याप्ति सारे शरीर में रहती है ,होती है.लेकिन शरीर जब जर्जर हो जाता है आत्मा को सम्भाले नहीं रख पाता ,आत्मा (चैतन्य दिव्यांश परमात्मा का ) ,इसे छोड़ दूसरे शरीर में चला जाता है। अपने कर्मों के अनुरूप उसे नया बाना ( चोला /जीव योनि )मिल जाती है। 

आत्मा सनातन है अनादि है ,सर्वत्र व्याप्त है ,कभी मरता नहीं है ,न कभी पैदा होता है। 

आत्मा का देहांतरण होता है। तो फिर मरता कौन है ?शरीर तो जड़ है ,पाँच तत्वों का जमावड़ा है।क्रिया करनी पड़ती है ,शरीर की आत्मा के निकल जाने के बाद। आँख ,नाक ,कान, मुख ,चमड़ी  सब अभी भी रहते हैं लेकिन न आँख अब देखती है न कान सुनते हैं न मुख अब  बोलता है न चमड़ी स्पर्श का अनुभव करती है। 

कौन है वह जो आँख की भी आँख है ,कान का भी कान है (श्रवण है ),मुख का सम्भाषण है ,चमड़ी का स्पर्श अनुभव करता है। नासिका की गंध है ?कहाँ गया वह। उपनिषद का ऋषि कहता है यह शरीर एक वृक्ष के समान है जिस पर दो पक्षी रहते हैं। एक जो वृक्ष के फल खाता है ,सुख दुःख का भोक्ता है और दूसरा सिर्फ साक्षी भाव से उसको ऐसा करते हुए देखता है। वह पक्षी जो सुख दुःख का अनुभव करता है बद्धजीव है ,दूसरा परमात्मा है। 

जीव जब तक खुद को शरीर मानता है त्रिगुणात्मक प्रकृति (माया ,कृष्ण की बहिरंगा शक्ति ,एक्सटर्नल एनर्जी )से भ्रमित रहता है। वह यह भी नहीं जानता वह न भोक्ता है न कर्ता ।भुक्त है। असली भोक्ता तो कृष्ण है (वह परमात्मा है जो गुणातीत बना रहता ,भोक्ता है फिर भी भोग से अलिप्त रहता है ). कर्ता प्रकृति के तीनों गुण हैं -सतो -रजो -तमो ,क्षण प्रतिक्षण किसी एक गुण का प्राबल्य बना रहता है शेष दो को दबाकर।इन्द्रियाँ अपने अपने विषयों में रमण करती रहतीं हैं।

सोमवार, 18 अप्रैल 2016

संघ प्रतीक है राष्ट्रीय गौरव ,अक्षुण भारतीय संस्कृति और उस सनातन धारा को जो युगों से प्रवहमान है। किस माई के लाल ने अपनी माँ का दूध पीया है जो भारत से संघ का सफाया कर सके।

संघ ही शक्ति है कलियुग की

माननीय नीतीश कुमार जीत के अहंकार में बड़बोलेपन से ग्रस्त होते दिख रहें हैं। जो काम नेहरु खानदान आज तक न कर सका ,कोई मीरजाफर न कर सका उसे करने की बात नीतीश कह रहें हैं :संघमुक्त भारत बनाएंगे नीतीश।

कहीं नीतीश कुमार नेहरू मदरसे जनेऊ  के पढ़े लिखे तो नहीं हैं ,बिहार में तो नालंदा की परम्परा रही है। कहीं नीतीश अफ़ज़ल गैंग के कन्हैया से तो  दीक्षा नहीं ले बैठे हैं जो ऐसी अहकी -बहकी बातें कर रहें हैं।

श्रीमान नीतिश जी संघ को तोड़ने का काम आज तक कोई सोनिया न कर सकी कोई राहुल न कर सका ,उनका कोई धर्मगुरु पॉप न कर सका वह आप अंजाम देंगे , उस बिहार की धरती से जहां ऐसे ही लोगों के कुशासन  के खात्मे के लिए कौटिल्य पैदा हुए थे।

संघ प्रतीक है राष्ट्रीय गौरव ,अक्षुण भारतीय संस्कृति और उस सनातन धारा को जो युगों से प्रवहमान है। किस माई के लाल ने अपनी माँ का दूध पीया है जो भारत से संघ का सफाया कर सके।

जनाब नीतीश  कुमार कांग्रेस मुक्त भारत और संघ मुक्त भारत का यकसां अर्थ नहीं है। कांग्रेस भ्रष्ट तंत्र का प्रतीक बन चुकी थी उसे अपनी मौत मरना ही था ,कांग्रेस तो  राजनीतिक पार्टी है ,संघ तो भारत को जोड़ने वाली एक सांस्कृतिक संघटन है ,कड़ी है सांस की धौंकनी है जन मन  की।  

शनिवार, 16 अप्रैल 2016

क्या केसी आश्वश्त कर सकते हैं कि मरते वक्त वे राम नाम न लेकर अशोक का नाम लेंगे ?यदि हाँ तो फिर हम भी भाजपा से अपील करेंगे वे यूपी में अशोक राज्य लाने की बात करें।

राजनीति में मूर्खों की जमात इकठ्ठी हो गई है , एक मंदमति शहजादे को ही देश नहीं ओट पा रहा था ,अब केसीत्यागी (चाकर नीतीश कुमार )चंद वोटों की खातिर राम राज्य के ऊपर अशोक राज्य की बात कर रहें हैं। बेशक हम अशोक राज्य लाने की बात कहेंगे,केसी ये बतादें क्या मरते वक्त वह अशोक अशोक कहने तैयार हैं (राम नाम की जगह ).

हुआ यूं ,भाजपा की तरफ से बयान आया हम मूल्य आधारित रामराज्य लाएंगे उत्तर प्रदेश में ,भले राम मंदिर न बना पाएं।

गली मोहल्ले में फसाद करके हम राम मंदिर नहीं बना सकते और फिलवक्त भाजपा के पास पूर्ण बहुमत (राज्य और लोकसभा दोनों को मिलाकर )है नहीं।

केसीत्यागी झट बोले -रामराज्य  की बात करने लगे अब ,जब राम मंदिर बना न पाये। राज्य सम्राट अशोक का क्या बुरा है ?तो भैया फिर अशोक ही  क्यों हर्षवर्धन राज्य लाओ ,अशोक पर क्यों रुक गए ?और पीछे जाते।

यानी मूर्खता की कोई ऊपरी सीमा अब राजनीति में रह नहीं गई है। चंद वोटों की खातिर राजनीति के धंधेबाज़ परस्पर मूर्खता के अनवरत मुकाबले में कूद पड़े हैं।

क्या केसी आश्वश्त  कर सकते हैं कि मरते वक्त वे राम नाम न लेकर अशोक का नाम लेंगे ?यदि हाँ तो फिर हम भी भाजपा से अपील करेंगे वे यूपी में अशोक राज्य लाने की बात करें। 

गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

मूर्खता में महामूर्ख कहा जा सकता है कांग्रेस के इस शहजादे को जिसे न राजनीति की समझ है न समाज विज्ञान की

महामूर्खता में दुनिया भर में इस शहजादे को कोई सानी नहीं
माननीय भीम राव अम्बेडकर  जयंती पर विशेष :मूर्खों का मुकाबला 

राहुल गांधी हैदराबाद जाते हैं तो अम्बेडकर  की तुलना रोहित वैमुला  से कर बैठते हैं। श्रीनगर जाते तो अफ़ज़ल गूर (कांग्रेस के गुरु जी )से करते। वो कहाँ पर क्या बोल दें  इसका कोई निश्चय नहीं। मूर्खता में महामूर्ख कहा जा सकता है कांग्रेस के इस शहजादे को जिसे न राजनीति की समझ है न समाज विज्ञान की। किसी ने अपनी माँ का दूध पीया है तो इस शहजादे को मूर्खता में मात देकर दिखाये। महामूर्खता में दुनिया भर में इस शहजादे को कोई सानी नहीं। 

इसलिए मूर्खता में मायावती चाहे तो भी शहजादे को मात नहीं दे सकतीं। अब बहन मायावती विधिवत पढ़ी लिखी तो हैं नहीं उनकी बुद्धि माननीय काशीराम जी से आगे की बात नहीं सोच सकती। इसलिए  उन्होंने भीम राव अम्बेडकर की तुलना काशीराम जी से कर दी। जिनका भारतीय राजनीति में योगदान बस इतना भर है ,उन्होंने नारा दिया -

तिलक तराजू और तलवार ,इनको मारो जूते चार। 

सवर्णों को जूते मारो खुले आम बोलते थे काशीराम -चूढे चमार बैठे रहे बाकी लोग जा सकते हैं।  आज किसी को ऐसा कहके दिखाओ लेने के देने पड़ जाएंगें। 

और वो डीएस ४ (दलित सोशलिस्ट फ़ोरम ) को भी को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए आज बहुजन समाज(वादी )पार्टी बनना पड़ा है। सवर्णों को ज्यादा टिकिट मिलते हैं यहां। मनुवाद को कोसते कोसते मायावती खुद मनुवादी हो गईं हैं।  



गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

कहीं ये औरंगज़ेब के ज़ुल्मों के प्रतीकों को मटियामेट करने की साज़िश तो नहीं हैं जो केजरबवाल गैंग ने इस्लामिक कटटरपंथियों ,इस्लामी जेहादियों की शह पर रची हो।दिल्ली में तो अवैध सीढ़ियों मस्जिदों को जाल रास्तों के क्या नै दिल्ली रेलवे स्टेशन के रास्ते में आ रहा है। है किसी गैंगस्टर में हौसला हनुमान मंदिर की तरह उसे भी हटाने का ?

प्याऊ तुड़वाने के सबब

जीवन के प्रवाह के बीच जल एक सेतु है। प्याऊ भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। इसका किसी मंदिर मस्जिद गुरद्वारे से संबंध न होकर जीवन की निरंतरता से जीवन के प्रवाह से रिश्ता है। कच्चे घड़ों में पानी को सुरक्षित तरीके से ढक के  आज भी दुकानों के रास्तों के आगे रख दिया जाता है ,क्या दिल्ली सरकार उन घड़ों को भी तुड़वाएगी ?

जब जल की कमी से जीवन ही  नहीं रहेगा तब चांदनी चौक के विकास का मतलब क्या  रह जाएगा। चांदनी चौक इलाके में गुरद्वारे की  बाहरी  छबील गिरवाने की बात हो या दिगंबर जैन लालमन्दिर तथा गौरी शंकर मंदिर की प्याऊ को ज़मींदोज़  करने की बात हो , केजर बवाल की सोची समझी चाल का नतीजा लगते हैं। अल्का लम्बा का दवाब रंग लाया है तभी तो हनुमान मंदिर और भाई मतिदास स्मारक भी अब स्मृति शेष होने हैं।

कहीं ये औरंगज़ेब के ज़ुल्मों के प्रतीकों को मटियामेट करने की साज़िश तो नहीं हैं जो केजरबवाल गैंग ने इस्लामिक कटटरपंथियों  ,इस्लामी जेहादियों की शह पर  रची हो।दिल्ली में तो अवैध सीढ़ियों मस्जिदों को जाल रास्तों के क्या नै दिल्ली रेलवे स्टेशन के रास्ते में आ रहा है। है किसी गैंगस्टर में हौसला हनुमान मंदिर की  तरह उसे भी हटाने का ?

न्यायपीठ तो कल जल को आईपीएल से ज़रूरी बतला चुकी है। ये प्याऊ पे शामत  कैसे आ गई ?किसका दवाब रंग दिखा गया ?  

बुधवार, 6 अप्रैल 2016

देश प्रेमी छात्रों ने राष्ट्रप्रेम की जो अलख जम्मू कश्मीर के एनआईटी में जगाई है वह अमर जोत बनके रहेगी। बेशक एनआईटी के देश प्रेमी गैर -कश्मीरी छात्रों के साथ पुलिस की बर्बरता के खिलाफ इक्का दुक्का कांग्रेसियों ने अपनी जबान खोली है लेकिन अफ़ज़ल गूर (एक ग्वाले को)अपना गुरु बनाने वाले वे लोग कहाँ हैं जिनकी वजह से कांग्रेस कांग्रेस जानी जाती है। शशि थरूर समर्थित कांग्रेसी शहजादा अगर उसने अपनी अम्मा का दूध पिया है तो एनआईटी कैम्पस में जाके दिखाये। किसी एक पक्ष में खड़े होने का हौसला जुटाके दिखाये। यही वह परिवार है और जिसके एक अदद शहजादे की दादी के पिताजी ने जम्मू कश्मीर में गुजिस्ता सालों में जतन से ये हालात पैदा किये हैं।

जम्मू कश्मीर का नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी आश्वस्त करता है ,अब  असली भगत सिंह और चन्द्र शेखर आज़ाद पैदा होंगे ,जो भारत का झंडा पुलिस भेषधारी कट्टर इस्लामियों से छीनकर उन्हें उनकी असली जगह बताएँगे। (सुपुर्दे ख़ाक करके दिखाएंगें। )

देश प्रेमी छात्रों ने राष्ट्रप्रेम की जो अलख जम्मू कश्मीर के एनआईटी में जगाई है वह अमर जोत बनके रहेगी। बेशक एनआईटी के देश प्रेमी गैर -कश्मीरी छात्रों के साथ पुलिस की बर्बरता के खिलाफ इक्का दुक्का कांग्रेसियों  ने अपनी जबान  खोली है लेकिन अफ़ज़ल गूर (एक ग्वाले को)अपना  गुरु बनाने वाले वे लोग कहाँ हैं जिनकी वजह से कांग्रेस कांग्रेस जानी जाती है। शशि थरूर समर्थित कांग्रेसी शहजादा अगर उसने अपनी अम्मा का दूध पिया है तो एनआईटी कैम्पस में जाके दिखाये। किसी एक पक्ष में खड़े होने का हौसला जुटाके दिखाये। यही वह परिवार है और जिसके एक अदद शहजादे की दादी के पिताजी ने जम्मू कश्मीर में गुजिस्ता सालों में जतन से ये हालात पैदा किये हैं।

आज जम्मू कश्मीर भी अपना कन्हैया ढूंढ रहा है।

एक देश द्रोही जनेऊ छात्र  ने सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण के नाम पे अपना नाम तो कन्हैया रख लिया है लेकिन काम कंस वाले कर रहा है।छद्म कन्हैया सोच का  सफाया करने वाले असली भगत सिंह अब पैदा होंगे जम्मू कश्मीर की ही सरज़मीं से।  

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

ज़रा सी बात अपने खिलाफ सुनकर जिस के कान लाल हो जाते हैं उस मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलामों के भी गुलाम कन्हैया का नाम कंस होना चाहिए। राजीव गांधी पर मरणोंप्रांत सिख नरसंहार के लिए मुकदमा चलना चाहिए। उसी राजीव गांधी के मंदबुद्धि बालक की ऊँगली पकड़कर कन्हैया अपनी नेतागिरी चमका रहा है।

जनेऊ (JNU) के एक छोटे से दायरे में घूमने वाले कन्हैया कुमार को न इतिहास की समझ है न भूगोल की। जम्मू काश्मीर और केरल के यथार्थ से यह  नावाकिफ़ है।इसे इतना भी नहीं मालूम ,दंगे दो पक्षों के बीच में होते हैं। नर -संहार किसी एक के उकसाने से भड़क जाता है एक पक्षीय होता है।

१९८४ में सिखों  नरसंहार हुआ था। उत्प्रेरक वाक्य था -जब कोई बड़ा वृक्ष गिरता है तो धरती  काँपती है।

२००२ के गुजरात दंगे गोधरा काण्ड की स्वत : स्फूर्त  प्रतिक्रिया  थे। कार सेवकों से भरे   दो डिब्बों को बाहर से मिट्टी का तेल छिड़क कर यात्रियों  को ज़िंदा जला दिया गया था। इनमें कन्हैया का बाप भी हो सकता था।

ज़रा सी बात अपने खिलाफ सुनकर जिस  के कान लाल हो जाते हैं उस मार्क्सवाद के बौद्धिक   गुलामों के भी गुलाम कन्हैया का नाम कंस होना चाहिए। राजीव गांधी पर मरणोंप्रांत सिख नरसंहार के लिए मुकदमा चलना चाहिए।

उसी राजीव गांधी के मंदबुद्धि बालक की ऊँगली  पकड़कर कन्हैया अपनी नेतागिरी  चमका रहा   है।

In the news
Image for the news result
A day after JNUSU president Kanhaiya Kumar's controversial remarks claiming there was a ...

सोमवार, 28 मार्च 2016

सारे केजर बवाल ,केसी त्यागी ,राहुल मतिमन्द ,शशिथरूर ,मणिशंकर ऐयर ,चुप हैं -वोट तो इन्हीं इस्लामिक स्टेट समर्थकों से आएंगें -कैसी दुरभि संधि है कामोदरी लेफ्टियों और कांग्रेस की ,बरसों से इन्हें (इन मुल्लों को ,मुस्लिम कट्टर पंथियों )को यही पाठ पढ़ाया जा रहा था - तुम खुलकर आ जाओ।

वोट -'जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन' से बड़ी चीज़ है -वोट तो इन्हीं (कटुवों )के आएंगें ,हिन्दू संगठित नहीं हैं इसीलिए डॉ.नारंग के हत्यारे सरे आम आते हैं ये सन्देश देने -हमें टोका कैसे।हम सरे आम मारेंगे। केजर हमारे साथ है ,मतिमन्द ाहमारे साथ है।

सऊदी अरबिया से आने वाले पैसे ने सारे पत्रकार्नुमाओं( सागरिकाओं ,बरखाओं ,राजदीपों ) का मुंह सी दिया है उन्हें कह दिया गया है तुम चुप रहो। सिर्फ ज़ी टीवी अपना काम कर रहा है।

सारे केजर बवाल ,केसी त्यागी ,राहुल मतिमन्द ,शशिथरूर ,मणिशंकर ऐयर ,चुप हैं -वोट तो इन्हीं इस्लामिक स्टेट समर्थकों से आएंगें -कैसी दुरभि संधि है कामोदरी लेफ्टियों और कांग्रेस  की ,बरसों से इन्हें (इन मुल्लों को ,मुस्लिम कट्टर पंथियों )को यही पाठ पढ़ाया जा रहा था - तुम खुलकर आ जाओ।

देख लेना वो गोपाल भी छद्म नाम धारी कटुवा निकलेगा।

 ये कांग्रेस के पाले पोसे खुला खेल फरुक्खा -बादी खेलेंगे।

एक प्रतिक्रिया  पोस्ट :


समाचार फ़ीड

दिल्ली के विकासपुरी में स्वराज आ चुका है। हत्या पर राजनीति नहीं करने का। हत्या पर राजनीति सिर्फ दादरी में होगी। और लानत उनपे भी जो हिंदू हित के नाम पर सिर्फ वोट बटोरना जानते हैं और केरल से लेके पश्चिम बंगाल और असम से लेके तमिलनाडु तक अपने कार्यकर्ताओं की हत्या पर चुप रहते हैं।

Shekhar Gemini की फ़ोटो.
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टिप्पणियाँ
Amit Chaturvedi inn Salo Ko Jab Tak Maroge Nahi Samajh Nahi Ayegi
Amit Chaturvedi Pappu aur Khujli Chup Baithe Hai, Kyunki Marne Wala Unka Jija Nahi Tha
Ashok Kumar Jha it is time to teach them a lesson.
Virendra Sharma मन को विदीर्ण करती है ये (दुर )घटना ,कुछ कहते नहीं बनता।
Virendra Sharma वोट -'जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन' से बड़ी चीज़ है -वोट तो इन्हीं (कटुवों )के आएंगें ,हिन्दू संगठित नहीं हैं इसीलिए डॉ.नारंग के हत्यारे सरे आम आते हैं ये सन्देश देने -हमें टोका कैसे।हम सरे आम मारेंगे। केजर हमारे साथ है ,मतिमन्द ाहमारे साथ है।

सऊदी अरबिया से आने वाले पैसे ने सारे पत्रकार्नुमाओं( सागरिकाओं ,बरखाओं ,राजदीपों ) का मुंह सी दिया है उन्हें कह दिया गया है तुम चुप रहो। सिर्फ ज़ी टीवी अपना काम कर रहा है।

सारे केजर बवाल ,केसी त्यागी ,राहुल मतिमन्द ,शशिथरूर ,मणिशंकर ऐयर ,चुप हैं -वोट तो इन्हीं इस्लामिक स्टेट समर्थकों से आएंगें -कैसी दुरभि संधि है कामोदरी लेफ्टियों और कांग्रेस की ,बरसों से इन्हें (इन मुल्लों को ,मुस्लिम कट्टर पंथियों )को यही पाठ पढ़ाया जा रहा था - तुम खुलकर आ जाओ।

देख लेना वो गोपाल भी छद्म नाम धारी कटुवा निकलेगा।

ये कांग्रेस के पाले पोसे खुला खेल फरुक्खा -बादी खेलेंगे।

शनिवार, 26 मार्च 2016

वोट -'जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन' से बड़ी चीज़ है -वोट तो इन्हीं (कटुवों )के आएंगें ,हिन्दू संगठित नहीं हैं इसीलिए डॉ.नारंग के हत्यारे सरे आम आते हैं ये सन्देश देने -हमें टोका कैसे।हम सरे आम मारेंगे। केजर हमारे साथ है ,मतिमन्द ाहमारे साथ है।


शनिवार, 26 मार्च 2016

हिन्दू संगठित नहीं हैं इसीलिए डॉ.नारंग के हत्यारे सरे आम आते हैं ये सन्देश देने -हमें टोका कैसे।हम सरे आम मारेंगे। केजर हमारे साथ है ,मतिमन्द ाहमारे साथ है।

वोट -'जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन' से बड़ी चीज़ है -वोट तो इन्हीं (कटुवों )के आएंगें ,हिन्दू संगठित नहीं हैं इसीलिए डॉ.नारंग के हत्यारे सरे आम आते हैं ये सन्देश देने -हमें टोका कैसे।हम सरे आम मारेंगे। केजर हमारे साथ है ,मतिमन्द ाहमारे साथ है।

सऊदी अरबिया से आने वाले पैसे ने सारे पत्रकार्नुमाओं( सागरिकाओं ,बरखाओं ,राजदीपों ) का मुंह सी दिया है उन्हें कह दिया गया है तुम चुप रहो। सिर्फ ज़ी टीवी अपना काम कर रहा है।

सारे केजर बवाल ,केसी त्यागी ,राहुल मतिमन्द ,शशिथरूर ,मणिशंकर ऐयर ,चुप हैं -वोट तो इन्हीं इस्लामिक स्टेट समर्थकों से आएंगें -कैसी दुरभि संधि है कामोदरी लेफ्टियों और कांग्रेस  की ,बरसों से इन्हें (इन मुल्लों को ,मुस्लिम कट्टर पंथियों )को यही पाठ पढ़ाया जा रहा था - तुम खुलकर आ जाओ।

देख लेना वो गोपाल भी छद्म नाम धारी कटुवा निकलेगा।

 ये कांग्रेस के पाले पोसे खुला खेल फरुक्खा -बादी खेलेंगे।

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दिल्ली के विकासपुरी में स्वराज आ चुका है। हत्या पर राजनीति नहीं करने का। हत्या पर राजनीति सिर्फ दादरी में होगी। और लानत उनपे भी जो हिंदू हित के नाम पर सिर्फ वोट बटोरना जानते हैं और केरल से लेके पश्चिम बंगाल और असम से लेके तमिलनाडु तक अपने कार्यकर्ताओं की हत्या पर चुप रहते हैं।
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टिप्पणियाँ
Amit Chaturvedi inn Salo Ko Jab Tak Maroge Nahi Samajh Nahi Ayegi
Amit Chaturvedi Pappu aur Khujli Chup Baithe Hai, Kyunki Marne Wala Unka Jija Nahi Tha
Ashok Kumar Jha it is time to teach them a lesson.
Virendra Sharma मन को विदीर्ण करती है ये (दुर )घटना ,कुछ कहते नहीं बनता।
Virendra Sharma वोट -'जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन' से बड़ी चीज़ है -वोट तो इन्हीं (कटुवों )के आएंगें ,हिन्दू संगठित नहीं हैं इसीलिए डॉ.नारंग के हत्यारे सरे आम आते हैं ये सन्देश देने -हमें टोका कैसे।हम सरे आम मारेंगे। केजर हमारे साथ है ,मतिमन्द ाहमारे साथ है।

सऊदी अरबिया से आने वाले पैसे ने सारे पत्रकार्नुमाओं( सागरिकाओं ,बरखाओं ,राजदीपों ) का मुंह सी दिया है उन्हें कह दिया गया है तुम चुप रहो। सिर्फ ज़ी टीवी अपना काम कर रहा है।

सारे केजर बवाल ,केसी त्यागी ,राहुल मतिमन्द ,शशिथरूर ,मणिशंकर ऐयर ,चुप हैं -वोट तो इन्हीं इस्लामिक स्टेट समर्थकों से आएंगें -कैसी दुरभि संधि है कामोदरी लेफ्टियों और कांग्रेस की ,बरसों से इन्हें (इन मुल्लों को ,मुस्लिम कट्टर पंथियों )को यही पाठ पढ़ाया जा रहा था - तुम खुलकर आ जाओ।

देख लेना वो गोपाल भी छद्म नाम धारी कटुवा निकलेगा।

ये कांग्रेस के पाले पोसे खुला खेल फरुक्खा -बादी खेलेंगे।