शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

ज़रा सी बात अपने खिलाफ सुनकर जिस के कान लाल हो जाते हैं उस मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलामों के भी गुलाम कन्हैया का नाम कंस होना चाहिए। राजीव गांधी पर मरणोंप्रांत सिख नरसंहार के लिए मुकदमा चलना चाहिए। उसी राजीव गांधी के मंदबुद्धि बालक की ऊँगली पकड़कर कन्हैया अपनी नेतागिरी चमका रहा है।

जनेऊ (JNU) के एक छोटे से दायरे में घूमने वाले कन्हैया कुमार को न इतिहास की समझ है न भूगोल की। जम्मू काश्मीर और केरल के यथार्थ से यह  नावाकिफ़ है।इसे इतना भी नहीं मालूम ,दंगे दो पक्षों के बीच में होते हैं। नर -संहार किसी एक के उकसाने से भड़क जाता है एक पक्षीय होता है।

१९८४ में सिखों  नरसंहार हुआ था। उत्प्रेरक वाक्य था -जब कोई बड़ा वृक्ष गिरता है तो धरती  काँपती है।

२००२ के गुजरात दंगे गोधरा काण्ड की स्वत : स्फूर्त  प्रतिक्रिया  थे। कार सेवकों से भरे   दो डिब्बों को बाहर से मिट्टी का तेल छिड़क कर यात्रियों  को ज़िंदा जला दिया गया था। इनमें कन्हैया का बाप भी हो सकता था।

ज़रा सी बात अपने खिलाफ सुनकर जिस  के कान लाल हो जाते हैं उस मार्क्सवाद के बौद्धिक   गुलामों के भी गुलाम कन्हैया का नाम कंस होना चाहिए। राजीव गांधी पर मरणोंप्रांत सिख नरसंहार के लिए मुकदमा चलना चाहिए।

उसी राजीव गांधी के मंदबुद्धि बालक की ऊँगली  पकड़कर कन्हैया अपनी नेतागिरी  चमका रहा   है।

In the news
Image for the news result
A day after JNUSU president Kanhaiya Kumar's controversial remarks claiming there was a ...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें