प्रति -पदार्थ की गुत्थी सुलझाने की दिशा में योरोपीय
न्यूक्लीयर रिसर्च सेंटर का एक और महत्वपूर्ण कदम
प्रति -हाइड्रोजन परमाणु बनाये गए
पहली मरतबा योरोपीय न्यूक्लीयर एजन्सी (CERN )के भौतिकी विद प्रति -हाइड्रोजन परमाणुओं का पुंज
बनाने में कामयाब हुए हैं। इस पहल से प्रति -पदार्थ (Anti -matter )की बुनियादी बुनावट को थोड़ा और
समझने में मदद मिलेगी।
हम राम राम भाई चिठ्ठे पे बारहा बतला चुके हैं कि साधारण पदार्थ के प्रत्येक कण से संगत एक प्रतिकण भी
होता है इलेक्ट्रॉन है तो प्रति -इलेक्ट्रॉन भी है। प्रोटोन के लिए प्रति-प्रोटोन है।एक हाइड्रोजन के एक
सरलतम परमाणु में :
एक प्रोटोन के गिर्द एक इलेक्ट्रॉन घूमता है। प्रति -हाड्रोजन का एक परमाणु प्राप्त हो जाएगा यदि एक प्रति -
इलेक्ट्रॉन एक प्रति -प्रोटोन की परिक्रमा करने के लिए बाधित किया जाए .
योरोपीय नाभिकीय शोध केंद्र के साइंसदानों ने अपने प्रयोगों में मंद गति एंटी -प्रोटानों का इस्तेमाल किया है।
और इस प्रयोग में प्रति -हाइड्रोजन के ८० परमाणु प्राप्त किये हैं।
Physicists from Cern's Atomic Spectroscopy and Collisions Using Slow Antiprotons (ASACUSA
)experiment said they have produced at least 80 atoms of antihydrogen .
बेशक प्रति -पदार्थ सृष्टि के किसी भी हिस्से में आदिनांक नहीं मिला है और इसकी गैर -मौज़ूदगी साइंसदानों
के लिए अबूझ पहेली बनी रही है।
जो हो जिनेवा आधारित नाभिकीय शोध के योरोपीय संघ ने एंटी -इलेक्ट्रॉनों और मंद एंटी -प्रोटोनों को मिलाने
में एक एक एंटी -प्रोटोन मंदक (Anti -proton Deceleartor )की मदद से यह करिश्मा कर दिखाया है। इसे एक
महत्वपूर्ण विकास कहा जा सकता है अबूझ प्रति -पदार्थ को बूझने की दिशा में।
समझा जाता है कि हाइड्रोजन और प्रति -हाइड्रोजन के स्पेक्ट्रम में एक समानता होती है। ऐसी प्रागुक्ति भी
की गई थी। ज़ाहिर है इनकी स्पेक्ट्रमी में थोड़ा सा भी अंतर एक नए प्रकार की फ़िज़िक्स (भौतिकी )की नींव
रख देगा।प्रति -पदार्थ की गुत्थी भी सुलझा सकेगा।
आखिर ये सृष्टि ये सारी कायनात ये चाँद ये सितारे ,तमाम अंतरिक्षीय ज्ञात (प्रेक्षणीय )पिंड ,सृष्टि के तमाम
जीव मय होमोसेपियंस साधारण पदार्थ के ही क्यों बने हैं? ये एक उलझन है जो सुलझाए नहीं सुलझती है।
आखिर ये एंटी -मैटर से क्यों नहीं बने हैं?
क्यों पदार्थ और प्रति -पदार्थ की अलहदगी ज़रूरी है? दोनों के बीच दुशमनी एक दूजे की जान ले लेने की हद
तक है। दोनों का सहअस्तित्व और गठबंधन मुमकिन ही नहीं है।परस्पर विनष्ट करने की आश्वस्ति ज़रूर
देते हैं दोनों ही।
इसलिए इन ८० प्रति -परमाणुओं को बनाये रखने के लिए इन्हें साधरण पदार्थ के स्पर्श से बचाये रखना होगा।
इस एवज़ एंटी -हाइड्रोजन के चुंबकीय गुण धर्मों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। भले ये गुण हाइड्रोजन के
चुंबकीय गुणों से ही हैं। लेकिन इन्हें चुंबकीय फंदे में फंसाये रखने के लिए असमान चुंबकीय क्षेत्र (Non -
uniform magnetic fields )का ही इस्तेमाल किया जाएगा।
योरोपीय एजन्सी इन प्रयोगों में मुब्तिला है।
However ,the strong magnetic field gradients degrade the spectroscopic properties of (anti )atoms .
To allow for clean high resolution spectroscopy ,the ASACUSA team developed a set -up to transfer anti-
hydrogen atoms to a region where they can be studied in flight ,far from the strong magnetic
field."Antihydrogen atoms having no charge ,it was a big challenge to transport them from their trap ,"said
Yasunori Yamazaki of RIKEN ,Japan ,a team leader of the ASACUSA.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें