कंगना एक राष्ट्रीय (भारतधर्मी सामाजिक )विरोध का प्रतीक बन चुकीं हैं। भारतधर्मी समाज के साँसों की धौंकनी बन चुकी कंगना -कंगना खनका - खनकाकर 'सोनिया -सेना' को चेता रही हैं बाज़ आओ अपनी हरकतों से वरना :
होश के लम्हे नशे की कैफियत समझे गए हैं ,
फ़िक्र के पंछी ज़मीं के मातहत समझे गए हैं।
नाम था अपना पता भी दर्द भी इज़हार भी ,
(पर )हम हमेशा दूसरों की मार्फ़त समझे गए हैं।
(और )वक्त की दीवार पर पैगम्बरों के लफ्ज़ भी
(तो )बे ख्याली में घसीटे दस्तखत समझे गए हैं।
'सामना' में एक विषदंत आ बैठा है।लंका में सारे बावन गज के हैं। शिव सेना आज न अपने नाम के अनुरूप है न गुणधर्म के न 'शिव' है न 'सेना' के अनुरूप उसके काम काज का तरीका रह गया है। न सौम्य है न कल्याणकारी है न राज्य की हिफाज़त में सक्षम है न उसके नागरिकों को सम्मानपूर्वक जीने की गारंटी दे पा रही है। इसका नोटिस मान्य कोर्ट ने भी लिया है जो जानती है वृहण मुंबई नगरपालिका की डोरी कौन खींचे है।
स्वप्ननगरी मुंबई एक आलमी महानगर रहा है जहां आप रात के दो बजे भी टेक्सी के प्रति निश्चिन्त रह सकते हैं टेक्सी मिलेगी ही मिलेगी बकाया भी पूरा सौ फीसद .यहां जेबकतरे नहीं हैं स्वाभिमानी लोग हैं। यहां कोई फुटपाथ पे भूखों नहीं सोता।
शिवसैनिक सोनिया के इशारे पर इस महानगरी के विराट स्वरूप को नौंच रहें हैं।
"शिवसेना की जागीर न बनने पाए मुंबई -परमादरणीय लिखाड़ी ए. सूर्य प्रकाश जी का लेख इन तमाम मुद्दों के साथ आगाह करता है यह महानगरी अपना परम्परागत स्वरूप बनाये रहे इसके लिए लाज़मी है इसे अविलम्ब यूनियन टेरिटरी बनाया जाए। यह भारत धर्मी समाज की आवाज़ है जिसे अब और नहीं दबाया जा सकता। जिस मुंबई में एक राष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त बेहतरीन कला -नेत्री के साथ गुंडा वेषधारी विषदंत सैनिक बदसुलूकी करें उसकी अनुपस्थिति में उसका बसेरा भूग्रस्त कर दें वह खुला खेल फरुख्खाबादी खेल रही है सोनिया जी जो मातोश्री का दर्ज़ा प्राप्त करती दिखीं हैं यही कर करवा रहीं हैं।
नींद हराम हम इनकी भी कर देंगे।
देखना है जोश कितना बाजुए कातिल में है. ........
वीरेंद्र शर्मा ,८७० /३१ ,भूतल ,निकटस्थ एफएम स्कूल सेक्टर ३१ ,फरीदाबाद -१२१ ००३
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