Sanskrit alphabet: There are 54 letters in the Sanskrit alphabet. Each has masculine and feminine, Shiva and Shakti. So, 54 times 2 is 108.
Heart Chakra: The chakras are the intersections of energy lines, and there are said to be a total of 108 energy lines converging to form the heart chakra. One of them, sushumna leads to the crown chakra, and is said to be the path to Self-realization.
Sun and Earth: The diameter of the Sun is 108 times the diameter of the Earth. The distance from the Sun to the Earth is 108 times the diameter of the Sun.
Moon and Earth: The average distance of the Moon from the Earth is 108 times the diameter of the Moon.
Planets and Houses: In astrology, there are 12 houses and 9 planets. 12 times 9 equals 108.
Powers of 1, 2, and 3 in math: 1 to 1st power=1; 2 to 2nd power=4 (2x2); 3 to 3rd power=27 (3x3x3). 1x4x27=108
Harshad number: 108 is a Harshad number, which is an integer divisible by the sum of its digits (Harshad is from Sanskrit, and means "great joy")
River Ganga: The sacred River Ganga spans a longitude of 12 degrees (79 to 91), and a latitude of 9 degrees (22 to 31). 12 times 9 equals 108.
1, 0, and 8: Some say that 1 stands for God or higher Truth, 0 stands for emptiness or completeness in spiritual practice, and 8 stands for infinity or eternity.
Pranayama: If one is able to be so calm in meditation as to have only 108 breaths in a day, enlightenment will come.
Now that you know your basic Mala 101 (er, Mala 108?), hopefully you can find the time with your necklace to practice it’s formal use and have a deeper respect and understanding into why they’re worn – especially if you’re wearing one while traveling through countries where they’re traditionally used. The mala necklace, so much more than a new-age fashion statement or proof of your nomadic worldliness.
विशेष :कृपया इसे भी देखें - माला के १०८ मनकों का रहस्य ,अमर उजाला (पृष्ठ ९ ,३ सितंबर २०२० )
जप माला में 108 मनके यूं ही नहीं होते, ये है रहस्य
महात्मा भगवान दीन
सार
108 मनकों की माला को इसलिए पवित्र मानते हैं:
योग शास्त्रों के अनुसार शरीर में 108 तरह की विशिष्ट ग्रथियां होती हैं
बुद्ध के जन्म के समय 108 ज्योतिषियों के उपस्थित रहने की बात कही जाती है
विभिन्न धर्मों में 27, 54, 108 मनके वाली माला का विधान है ,इस्लाम इसका अपवाद है जहां ९९ मनकों का चलन है सौंवां मनका स्वयं अल्लाह है ,ब्रह्म है।
विस्तार
एक स्मरण तो होता है चलते फिरते। आप दुनिया के सब काम कर रहे हैं और भगवान को या अपने इष्ट आराध्य को भी याद कर रहे हैं। यह स्मरण सहज है। अर्थात किसी भी समय किया जा सकता है। दूसरा स्मरण अनुष्ठानिक है। उसके लिए समय स्थिति और स्थिरता तीनों जरूरी है। इस विधि में खास समय पर खास स्थिति में खास ढंग से अपने इष्ट को याद करना होता है। इस विधि को उपासना या अनुष्ठान कहते हैं। विधि विधान चाहे जो हों लेकिन सभी धर्मों में परमात्मा को खास समय तक याद करने के लिए माला का उपयोग किया जाता रहा है। सिर्फ समय का ही ध्यान रखना होता है, माला की जगह घड़ी या समय का माप करने वाली कोई दूसरी विधि भी अपनाई जा सकती थी। लेकिन उस स्मरण में माला का उपयोग किया जाता रहा है। उपरी तौर पर लगता है कि यह उपयोग समय का हिसाब रखने के लिए है।
जप माला में 108 मनके यूं ही नहीं होते, ये है रहस्य
लेकिन असल में इसके आध्यात्मिक लाभ हैं। तभी माला फेरने की विधियां भिन्न हैं, लेकिन उसके मनकों की संख्या में करीब करीब समानता होती है। जैसे विभिन्न धर्मों में 27, 54, 108 मनके वाली माला का विधान है। उस माला के साथ मन सहज ही अपने इष्ट आराध्य में केंद्रित हो जाता है। जानकारों के अनुसार इस माला के उपयोग का विज्ञान है। श्रद्धा, भक्ति और समर्पण की प्रतीक माला के 108 मनके अपने में गूढ़ अर्थ संजोए हैं। खगोल विद्या के अनुसार एक वर्ष में 27 नक्षत्र होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण हैं, इस प्रकार 108 चरण हुए। यह संख्या शुभ मानी जाती है, क्योंकि इससे तन मन और अंतर्जगत का परिष्कार होता है। जैन मत में भी 108 मनकों की माला को इसलिए पवित्र मानते हैं कि इससे मन, वचन और कर्म से जो हिंसा आदि पापों का निराकरण होता है।
जप माला में 108 मनके यूं ही नहीं होते, ये है रहस्य
जप मुद्रा हाथ
बौद्ध मत में भी यह संख्या शुभ मानी गई है। बुद्ध के जन्म के समय 108 ज्योतिषियों के उपस्थित रहने की बात कही जाती है। बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले देश जापान में श्राद्ध के अवसर पर 108 दीपक जलाने की प्रथा है। योग शास्त्रों के अनुसार शरीर में 108 तरह की विशिष्ट ग्रथियां होती हैं, उनका परिष्कार हो सके तो अध्यात्म पथ पर आसानी से बढ़ा जा सकता है। कहते हैं कि माला के 108 मनकों का उन ग्रंथियों से गहरा संबंध होता है।