आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में जहरीली गैस लीक होने से 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 800 से ज्यादा लोगों को सांस लेने में परेशानी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बीमारों में से कई की हालत गंभीर बनी हुई है।
विशाखापट्टनम में तबाही मचाने वाली इस गैस का नाम स्टाइरीन है। स्टाइरीन का इस्तेमाल मुख्य तौर पर पॉलिस्टिरीन प्लास्टिक बनाने में किया जाता है। स्टाइरीन एक न्यूरो-टॉक्सिन और दम घोंटू गैस है जिससे सिर्फ दस मिनट में शरीर शिथिल पड़ जाता है और मौत हो जाती है। इस गैस पर हुई स्टडी में इसे कैंसर और जेनेटिक म्यूटेशन का कारण भी बताया गया है।
कितनी खतरनाक है यह
विशाखापत्तनम में क्षेत्रीय कार्यालय में आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक पर्यावरण इंजीनियर पी प्रसाद राव के अनुसार, स्टाइरीन कम मात्रा में रहने पर त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन जैसी समस्याएँ पैदा कर सकता है। अगर त्वचा के जरिए शरीर में इसकी बड़ी मात्रा पहुंच जाए तो सांस लेने के जरिए पैदा होने वाले सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। अगर स्टाइरीन पेट में पहुंच जाए तो भी इसी तरह के असर दिखाई देते हैं। सांस में ज्यादा गैस जाने पर 10 मिनट में मौत हो जाती है राव ने कहा, लेकिन अगर यह उच्च मात्रा में साँस के जरिए मस्तिष्क में पहुंच जाती है तो लोग बेहोश होकर गिरने लगते हैं और ज्यादा जाने पर 10 मिनट में मौत हो जाती है। इसके लम्बे प्रभाव के कारण हाथ और पैर जैसे सुन्नता, आंखों को नुकसान, सुनाई न देना और त्वचा पर डर्मीटाइटिस जैसी बीमारी देखने को मिलती है।
हम अभी इस बात का आकलन कर रहे हैं कि इस रसायन ने किस हद तक हवा में प्रवेश किया है और इसका लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि स्टाइरीन प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाला एक आम रसायन है। यदि खपत की मात्रा बहुत अधिक हो और निकटता तीव्र हो, तो यह घातक हो सकती है।
सांस में ज्यादा गैस जाने पर 10 मिनट में मौत हो जाती है
टैंक का ढक्कन खोलने के बाद गैस लीक हुई राज्य के उद्योग मंत्री पी गौतम रेड्डी ने भी स्वीकार किया कि, स्टाइरीन एक कैंसरकारक गैस है। मुझे बताया गया था कि यह पिछले 45 दिनों से संयंत्र के स्टोरेज टैंक में एक तरल रूप में 20 डिग्री सेल्सियस संग्रहीत थी। टैंक का ढक्कन खोलने के बाद गैस लीक हुई है। प्लांट के तकनीशियनों ने कुछ समय के भीतर ही ढक्कन बंद कर दिया लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था। एक अधिकारी ने बताया कि, प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कंपनी के अधिकारियों ने लॉकडाउन अवधि के दौरान निर्धारित तापमान नहीं रखा था। जबकि वहां मेंटीनेंस का काम चल रहा था। जिसके चलते रिसाव हुआ।
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https://hindi.oneindia.com/news/india/styrene-is-lethal-and-carcinogenic-effect-on-human-beings-if-inhaled-in-high-quantities/articlecontent-pf278772-559195.html
विशाखापट्टनम में तबाही मचाने वाली इस गैस का नाम स्टाइरीन है। स्टाइरीन का इस्तेमाल मुख्य तौर पर पॉलिस्टिरीन प्लास्टिक बनाने में किया जाता है। स्टाइरीन एक न्यूरो-टॉक्सिन और दम घोंटू गैस है जिससे सिर्फ दस मिनट में शरीर शिथिल पड़ जाता है और मौत हो जाती है। इस गैस पर हुई स्टडी में इसे कैंसर और जेनेटिक म्यूटेशन का कारण भी बताया गया है।
कितनी खतरनाक है यह
विशाखापत्तनम में क्षेत्रीय कार्यालय में आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक पर्यावरण इंजीनियर पी प्रसाद राव के अनुसार, स्टाइरीन कम मात्रा में रहने पर त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन जैसी समस्याएँ पैदा कर सकता है। अगर त्वचा के जरिए शरीर में इसकी बड़ी मात्रा पहुंच जाए तो सांस लेने के जरिए पैदा होने वाले सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। अगर स्टाइरीन पेट में पहुंच जाए तो भी इसी तरह के असर दिखाई देते हैं। सांस में ज्यादा गैस जाने पर 10 मिनट में मौत हो जाती है राव ने कहा, लेकिन अगर यह उच्च मात्रा में साँस के जरिए मस्तिष्क में पहुंच जाती है तो लोग बेहोश होकर गिरने लगते हैं और ज्यादा जाने पर 10 मिनट में मौत हो जाती है। इसके लम्बे प्रभाव के कारण हाथ और पैर जैसे सुन्नता, आंखों को नुकसान, सुनाई न देना और त्वचा पर डर्मीटाइटिस जैसी बीमारी देखने को मिलती है।
हम अभी इस बात का आकलन कर रहे हैं कि इस रसायन ने किस हद तक हवा में प्रवेश किया है और इसका लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि स्टाइरीन प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाला एक आम रसायन है। यदि खपत की मात्रा बहुत अधिक हो और निकटता तीव्र हो, तो यह घातक हो सकती है।
सांस में ज्यादा गैस जाने पर 10 मिनट में मौत हो जाती है
टैंक का ढक्कन खोलने के बाद गैस लीक हुई राज्य के उद्योग मंत्री पी गौतम रेड्डी ने भी स्वीकार किया कि, स्टाइरीन एक कैंसरकारक गैस है। मुझे बताया गया था कि यह पिछले 45 दिनों से संयंत्र के स्टोरेज टैंक में एक तरल रूप में 20 डिग्री सेल्सियस संग्रहीत थी। टैंक का ढक्कन खोलने के बाद गैस लीक हुई है। प्लांट के तकनीशियनों ने कुछ समय के भीतर ही ढक्कन बंद कर दिया लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था। एक अधिकारी ने बताया कि, प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कंपनी के अधिकारियों ने लॉकडाउन अवधि के दौरान निर्धारित तापमान नहीं रखा था। जबकि वहां मेंटीनेंस का काम चल रहा था। जिसके चलते रिसाव हुआ।
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