चंद शब्दों तक सीमित सन्देश भेजने के माध्यम को आजकल हम टेक्स्टिंग या टेक्स्ट -मेसेजिंग
के नाम से जानते हैं। मोबाइल और पाठ सन्देश आजकल ईश्वर की तरह सर्व -व्यापी हो गए हैं यहां तक के ज़ेब्रा क्रॉसिंग करते वक्त भी हम पाठ सन्देश में तल्लीन होते हैं। इसके खतरे अब खुलकर सामने आने लगें हैं। रिसर्चरों का ध्यान अब इस नए एडिक्शन की तरफ तेज़ी से जा रहा है। अनेक अध्ययन भी इसे लेकर ज़ारी है ऐसे ही अनेक अध्ययनों का निचोड़ हम आप के साथ साझा कर रहे हैं। आप भी इसे शेयर कर सकते हैं अपनी वाल पर दर्शा सकते हैं।
'इंजरी प्रिवेंशन 'नामी एक कनाडाई अध्ययन में बतलाया गया है पैदल चलने वाले पथिकों के लिए उन पैदल यात्रियों के बनिस्पत किसी से टकराने का ख़तरा कहीं ज्यादा हो जाता है जो टेक्स्टमैसेजिंग करते चलते हैं बनिस्पत उन लोगों के जो चलते -चलते संगीत सुन रहें हैं या मोबाइल पर बतिया रहें हैं।ऐसा करना अपनी सुरक्षा को दाव पर लगाना है।
'पलट तेरा ध्यान किधर है 'बाएं और दाएं देख लिया कर मेरे भाई! ' जान है तो जहान है' ये ज़ेब्रा क्रॉसिंग है तेरे चक्कर में हम भी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। 'क्रेश रिस्क' ज्यादा है इस लापरवाही में।
'कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना ,जीने ना देगा ये टेक्स्टिंग ज़माना' 'पेडिस्ट्रियन डिस्ट्रेक्शन' आज एक बड़ा मुद्दा है -दुनिया भर में इस सबके चलते दो लाख़ सत्तर हज़ार के करीब लोग मारे जाते हैं इस नादानी में। यह सड़कदुर्घटनाओं में मारे जाने वाले कुल यात्रियों का पांचवा हिस्सा है।' हेंड हेल्ड 'हो या कोई ' हेंडफ्री - डिवाइस' सब 'एक ही थाली के चट्टे बट्टे' हैं। यह आंकड़ा इन सब को मिलाकर ही है।
कुल तेईस संपन्न अध्ययनों में से कनाडाई शोधकर्ताओं ने १४ से आँकड़े जुटाए जिनमें कुलमिलाकर ८७२ लोग शामिल थे जो दाए बाए से बेखबर 'अपनी धुन मैं रहता हूँ मैं भी तेरे जैसा हूँ 'अंदाज़ में मिले। इसके अलावा आठ और अध्ययनों का पुनरीक्षण अध्ययन ,'रिव्यू ', किया गया।
पता चला संगीत सुनते चलना उतना ख़तरे का वॉयस कभी नहीं बनता ,मौज़ू है यह टहलकदमी रास्ता चलते पैदल -पैर इन इस्मार्ट -फोनियों में,' ध्यान -च्युत' होकर चलने का ख़तरा १२ से लेकर ४५ फीसद तक देखा गया.जेंडर ,दिन का पहर कौन सा है उस वक्त , आप अकेले हैं या टोली में हैं ऐसा करते हुए ये तमाम बातें शामिल थीं आखिरी विश्लेषण में.
जो हो स्मार्टफोनिये हों या इतर 'सोशल मीडिया' अप्लाइंस से चस्पां युवा भीड़ जीवन की तमाम गतिविधियों में ये आन बसें हैं चाहे आप खाना खा रहे हो या मत्याग कर रहे हो- ये अधुनातन पर -प्रेमिकाएँ अपनी अलग जगह बनाये हुए हैं यहां तक के आलिंगन बंधन में बंधे प्रेमी जोड़ों के पास तल्लीनता के लिए ये मोबाइल्स हैं। डिजिटल म्युज़िक और वीडिओज़ इस दौर की क्रेज़ बने हुए हैं जिसके असर से बचना मुश्किल ही है आसार इससे भी बदतर हो सकते हैं।
सन्दर्भ सामिग्री :
के नाम से जानते हैं। मोबाइल और पाठ सन्देश आजकल ईश्वर की तरह सर्व -व्यापी हो गए हैं यहां तक के ज़ेब्रा क्रॉसिंग करते वक्त भी हम पाठ सन्देश में तल्लीन होते हैं। इसके खतरे अब खुलकर सामने आने लगें हैं। रिसर्चरों का ध्यान अब इस नए एडिक्शन की तरफ तेज़ी से जा रहा है। अनेक अध्ययन भी इसे लेकर ज़ारी है ऐसे ही अनेक अध्ययनों का निचोड़ हम आप के साथ साझा कर रहे हैं। आप भी इसे शेयर कर सकते हैं अपनी वाल पर दर्शा सकते हैं।
'इंजरी प्रिवेंशन 'नामी एक कनाडाई अध्ययन में बतलाया गया है पैदल चलने वाले पथिकों के लिए उन पैदल यात्रियों के बनिस्पत किसी से टकराने का ख़तरा कहीं ज्यादा हो जाता है जो टेक्स्टमैसेजिंग करते चलते हैं बनिस्पत उन लोगों के जो चलते -चलते संगीत सुन रहें हैं या मोबाइल पर बतिया रहें हैं।ऐसा करना अपनी सुरक्षा को दाव पर लगाना है।
'पलट तेरा ध्यान किधर है 'बाएं और दाएं देख लिया कर मेरे भाई! ' जान है तो जहान है' ये ज़ेब्रा क्रॉसिंग है तेरे चक्कर में हम भी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। 'क्रेश रिस्क' ज्यादा है इस लापरवाही में।
'कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना ,जीने ना देगा ये टेक्स्टिंग ज़माना' 'पेडिस्ट्रियन डिस्ट्रेक्शन' आज एक बड़ा मुद्दा है -दुनिया भर में इस सबके चलते दो लाख़ सत्तर हज़ार के करीब लोग मारे जाते हैं इस नादानी में। यह सड़कदुर्घटनाओं में मारे जाने वाले कुल यात्रियों का पांचवा हिस्सा है।' हेंड हेल्ड 'हो या कोई ' हेंडफ्री - डिवाइस' सब 'एक ही थाली के चट्टे बट्टे' हैं। यह आंकड़ा इन सब को मिलाकर ही है।
कुल तेईस संपन्न अध्ययनों में से कनाडाई शोधकर्ताओं ने १४ से आँकड़े जुटाए जिनमें कुलमिलाकर ८७२ लोग शामिल थे जो दाए बाए से बेखबर 'अपनी धुन मैं रहता हूँ मैं भी तेरे जैसा हूँ 'अंदाज़ में मिले। इसके अलावा आठ और अध्ययनों का पुनरीक्षण अध्ययन ,'रिव्यू ', किया गया।
पता चला संगीत सुनते चलना उतना ख़तरे का वॉयस कभी नहीं बनता ,मौज़ू है यह टहलकदमी रास्ता चलते पैदल -पैर इन इस्मार्ट -फोनियों में,' ध्यान -च्युत' होकर चलने का ख़तरा १२ से लेकर ४५ फीसद तक देखा गया.जेंडर ,दिन का पहर कौन सा है उस वक्त , आप अकेले हैं या टोली में हैं ऐसा करते हुए ये तमाम बातें शामिल थीं आखिरी विश्लेषण में.
जो हो स्मार्टफोनिये हों या इतर 'सोशल मीडिया' अप्लाइंस से चस्पां युवा भीड़ जीवन की तमाम गतिविधियों में ये आन बसें हैं चाहे आप खाना खा रहे हो या मत्याग कर रहे हो- ये अधुनातन पर -प्रेमिकाएँ अपनी अलग जगह बनाये हुए हैं यहां तक के आलिंगन बंधन में बंधे प्रेमी जोड़ों के पास तल्लीनता के लिए ये मोबाइल्स हैं। डिजिटल म्युज़िक और वीडिओज़ इस दौर की क्रेज़ बने हुए हैं जिसके असर से बचना मुश्किल ही है आसार इससे भी बदतर हो सकते हैं।
सन्दर्भ सामिग्री :
Texting more dangerous for pedestrians than listening to music or speaking on the phone
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा ,पूर्व प्राचार्य चौधरी धीरपाल गवर्मेंट पोस्ट ग्रेडुएट कोलिज ,बादली -१२४ १०५ ,(झज्जर ),हरयाणा प्रदेश
२४५ /२ विक्रम विहार ,शंकर विहार काम्प्लेक्स ,दिल्ली -छावनी -११० -०१०
८५ ८८ ९८ ७१५०
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